Exodus - निर्गमन 28 | View All

1. फिर तू इस्त्राएलियों में से अपने भाई हारून, और नादाब, अबीहू, एलिआज़ार और ईतामार नाम उसके पुत्रों को अपने समीप ले आना कि वे मेरे लिये याजक का काम करें।
इब्रानियों 5:4

1. Thou thyself, therefore bring near unto thee Aaron thy brother and his sons with him out of the midst of the sons of Israel, that they may minister as priests unto me, Aaron, Nadab and Abihu, Eleazar and Ithamar sons of Aaron.

2. और तू अपने भाई हारून के लिये विभव और शोभा के निमित्त पवित्रा वस्त्रा बनवाना।

2. And thou shalt make holy garments for Aaron thy brother, for glory and for beauty.

3. और जितनों के हृदय में बुद्धि है, जिनको मैं ने बुद्धि देनेवाली आत्मा से परिपूर्ण किया है, उनको तू हारून के वस्त्रा बनाने की आज्ञा दे कि वह मेरे निमित्त याजक का काम करने के लिये पवित्रा बनें।

3. Thou thyself, therefore, shalt speak unto all the wise-hearted, whom I have filled with the spirit of wisdom, and they shall make Aaron's garments, to hallow him for ministering as priest unto me.

4. और जो वस्त्रा उन्हें बनाने होंगे वे ये हैं, अर्थात् सीनाबन्द; और एपोद, और जामा, चार खाने का अंगरखा, पुरोहित का टोप, और कमरबन्द; ये ही पवित्रा वस्त्रा तेरे भाई हारून और उसके पुत्रों के लिये बनाए जाएं कि वे मेरे लिये याजक का काम करें।

4. These, therefore are the garments which they shall make a breastpiece, and an ephod and a robe, and a tunic of checker work, a turban and a girdle, so shall they make holy garments for Aaron thy brother and for his sons, for ministering as priests unto me.

5. और वे सोने और नीले और बैंजनी और लाल रंग का और सूक्ष्म सनी का कपड़ा लें।।

5. They themselves, therefore, shall take the gold, and the blue and the purple, and the crimson, and the fine linen.

6. और वे एपोद को सोने, और नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े का और बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े का बनाएं, जो कि निपुण कढ़ाई के काम करनेवाले के हाथ का काम हो।

6. And they shall make the ephod, of gold, blue and purple crimson and fine-twined linen, the work of a skilful weaver.

7. और वह इस तरह से जोड़ा जाए कि उसके दोनो कन्धों के सिरे आपस में मिले रहें।

7. Two joining shoulderpieces, shall there be to it upon the two extremities thereof that it may be joined together,

8. और एपोद पर जो काढ़ा हुआ पटुका होगा उसकी बनावट उसी के समान हो, और वे दोनों बिना जोड़ के हों, और सोने और नीले, बैंजनी और लाल रंगवाले और बटी हुई सूक्ष्म सनीवाले कपड़े के हों।

8. And the curious band for fastening it, that is upon it, like the work thereof of the same, shall it be, of gold blue and purple and crimson and fine-twined linen,

9. फिर दो सुलैमानी मणि लेकर उन पर इस्त्राएल के पुत्रों के नाम खुदवाना,

9. And thou shalt take two onyx stones, and engrave upon them the names of the sons of Israel:

10. उनके नामों में से छ: तो एक मणि पर, और शेष छ: नाम दूसरे मणि पर, इस्त्राएल के पुत्रों की उत्पत्ति के अनुसार खुदवाना।

10. six of their names, on the one stone, and the names of the six that remain, on the second stone according to their births:

11. मणि खोदनेवाले के काम से जैसे छापा खोदा जाता है, वैसे ही उन दो मणियों पर इस्त्राएल के पुत्रों के नाम खुदवाना; और उनको सोने के खानों में जड़वा देना।

11. with the work of a stone engraver, like seal-ring engravings, shalt thou engrave the two stones, after the names of the sons of Israel, to be encircled with settings of gold, shalt thou make them.

12. और दोनों मणियों को एपोद के कन्धों पर लगवाना, वे इस्त्राएलियों के निमित्त स्मरण दिलवाने वाले मणि ठहरेंगे; अर्थात् हारून उनके नाम यहोवा के आगे अपने दोनों कन्धों पर स्मरण के लिये लगाए रहे।।

12. And thou shalt put the two stones upon the shoulderpieces of the ephod, as stones of memorial for the sons of Israel, so shall Aaron bear their names before Yahweh upon his two shoulders, for a memorial.

13. फिर सोने के खाने बनवाना,

13. And thou shalt make ouches of gold;

14. और डोरियों की नाईं गूंथे हुए दो जंजीर चोखे सोने के बनवाना; और गूंथे हुए जंजीरों को उन खानों में जड़वाना।

14. and two chains of pure gold, like cord, shalt thou make them, of wreathen work, and thou shalt put the wreathen chains on the ouches.

15. फिर न्याय की चपरास को भी कढ़ाई के काम का बनवाना; एपोद की नाईं सोने, और नीले, बैंजनी और लाल रंग के और बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े की उसे बनवाना।

15. And thou shalt make a breastpiece for giving sentence the work of a skilful weaver, like the work of the ephod, shalt thou make it, of gold, blue, and purple and crimson and fine-twined linen, shalt thou make it.

16. वह चौकोर और दोहरी हो, और उसकी लम्बाई और चौड़ाई एक एक बित्ते की हों।

16. Four-square, shall it be double, a span the length thereof and a span the breadth thereof.

17. और उस में चार पांति मणि जड़ाना। पहिली पांति में तो माणिक्य, पद्मराग और लालड़ी हों;

17. And thou shalt set therein a setting of stones, four rows of stones, one row a sardius, a topaz and an emerald, the first row;

18. दूसरी पांति में मरकत, नीलमणि और हीरा;

18. and the second row a carbuncle a sapphire and a diamond;

19. तीसरी पांति में लशम, सूर्यकांत और नीलम;

19. and the third row an opal, an agate, and an amethyst;

20. और चौथी पांति में फीरोजा, सुलैमानी मणि और यशब हों; ये सब सोने के खानों में जड़े जाएं।

20. and the fourth row, a Tarshish stone, a sardonyx, and a jasper, enclosed with gold, shall they be when they are set.

21. और इस्त्राएल के पुत्रों के जितने नाम हैं उतने मणि हों, अर्थात् उनके नामों की गिनती के अनुसार बारह नाम खुदें, बारहों गोत्रों में से एक एक का नाम एक एक मणि पर ऐसे खुदे जेसे छापा खोदा जाता है।
प्रकाशितवाक्य 21:12-13

21. And the stones shall be after the names of the sons of Israel twelve, after their names, as the engravings of a seal-ring everyone after his name, shall they be, for the twelve tribes,

22. फिर चपरास पर डोरियों की नाई। गूंथे हुए चोखे सोने की जंजीर लगवाना;

22. And thou shalt make, upon the breastpiece, chains like cords of wreathen work, of pure gold.

23. और चपरास में सोने की दो कड़ियां लगवाना, और दोनों कड़ियों को चपरास के दोनो सिरों पर लगवाना।

23. And thou shalt make, upon the breastpiece, two rings of gold, and thou shalt place the two rings, upon the two ends of the breastpiece.

24. और सोने के दोनों गूंथे जंजीरों को उन दोनों कड़ियों में जो चपरास के सिरों पर होंगी लगवाना;

24. And thou shalt hang the two wreathen chains of gold upon the two rings, upon the ends of the breastpiece;

25. और गूंथे हुए दोनो जंजीरों के दोनों बाकी सिरों को दोनों खानों में जड़वा के एपोद के दोनों कन्धों के बंधनों पर उसके साम्हने लगवाना।

25. and the other two ends of the two wreathen chains, shalt thou fasten upon the two ouches, so shalt thou hang them upon the shoulderpieces of the ephod, in the forefront thereof.

26. फिर सोने की दो और कड़ियां बनवाकर चपरास के दोनों सिरों पर, उसकी उस कोर पर जो एपोद की भीतर की ओर होगी लगवाना।

26. And thou shalt make two rings of gold, and put them on the two ends of the breastpiece upon the border thereof, which is on the side of the ephod inwards.

27. फिर उनके सिवाय सोने की दो और कड़ियां बनवाकर एपोद के दोनों कन्धों के बंधनों पर, नीचे से उनके साम्हने और उसके जोड़ के पास एपोद के काढ़े हुए पटुके के ऊपर लगवाना।

27. And thou shalt make two rings of gold, and place them upon the two shoulderpieces of the ephod beneath, on the front of the face thereof, over against its joining, above the curious band of the ephod:

28. और चपरास अपनी कड़ियों के द्वारा एपोद की कड़ियों में नीले फीते से बांधी जाए, इस रीति वह एपोद के काढ़े हुए पटुके पर बनी रहे, और चपरास एपोद पर से अलग न होने पाए।

28. that they may bind the breastpiece by the rings thereof unto the rings of the ephod with a cord of blue, so that it may remain upon the curious band of the ephod, and the breastpiece not be removed from of the ephod.

29. और जब जब हारून पवित्रास्थान में प्रवेश करे, तब तब वह न्याय की चपरास पर अपने हृदय के ऊपर इस्त्राएलियों के नामों को लगाए रहे, जिस से यहोवा के साम्हने उनका स्मरण नित्य रहे।

29. So shall Aaron bear the names of the sons of Israel in the breastpiece for giving sentence upon his heart when he goeth into the holy place, for a memorial before Yahweh continually.

30. और तू न्याय की चपरास में ऊरीम और तुम्मीम को रखना, और जब जब हारून यहोवा के साम्हने प्रवेश करे, तब तब वे उसके हृदय के ऊपर हों; इस प्रकार हारून इस्त्राएलियों के न्याय पदार्थ को अपने हृदय के ऊपर यहोवा के साम्हने नित्य लगाए रहे।।

30. Thus shalt thou place, in the breastpiece for giving sentence, the lights and the perfections, so shall they be upon the heart of Aaron when he goeth in before Yahweh, so shall Aaron bear the sentence of the sons of Israel, upon his heart before Yahweh continually.

31. फिर एपोद के बागे को सम्पूर्ण नीले रंग का बनवाना।

31. And thou shalt make the robe of the ephod wholly of blue;

32. और उसकी बनावट ऐसी हो कि उसके बीच में सिर डालने के लिये छेद हो, और उस छेद की चारों ओर बखतर के छेद की सी एक बुनी हुई कोर हो, कि वह फटने न पाए।

32. and the opening for his head shall be in the midst thereof, a border, shall there be to the opening thereof round about the work of a weaver, like the opening of a coat of mail, shall there be to it, it must not be rent.

33. और उसके नीचेवाले घेरे में चारों ओर नीेले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े के अनार बनवाना, और उनके बीच बीच चारों ओर सोने की घंटीयां लगवाना,

33. And thou shalt make upon the skirts thereof pomegranates of blue and purple and crimson, upon the skirts thereof round about and bells of gold in the midst of them round about:

34. अर्थात् एक सोने की घंटी और एक अनार, फिर एक सोने की घंटी और एक अनार, इसी रीति बागे के नीचेवाले घेरे में चारों ओर ऐसा ही हो।

34. a bell of gold and a pomegranate, a bell of gold, and a pomegranate, upon the skirts of the robe, round about.

35. और हारून एक बागे को सेवा टहल करने के समय पहिना करे, कि जब जब वह पवित्रास्थान के भीतर यहोवा के साम्हने जाए, वा बाहर निकले, तब तब उसका शब्द सुनाई दे, नहीं तो वह मर जाएगा।

35. And it shall be upon Aaron, for ministering, so shall be heard the sound of him when he goeth into the holy place, before Yahweh, and cometh out, and dieth not.

36. फिर चोखे सोने का एक टीका बनवाना, और जैसे छापे में वैसे ही उस में ये अक्षर खोदें जाएं, अर्थात् यहोवा के लिये पवित्रा।

36. And thou shalt make a burnished plate, of pure gold, and shalt engrave thereupon, like the engravings of a seal-ring, Holiness to Yahweh.

37. और उसे नीले फीते से बांधना; और वह पगड़ी के साम्हने के हिस्से पर रहे।

37. And thou shalt put it upon a cord of blue, so shall it be upon the turban, upon the forefront of the turban, shall it be.

38. और हारून के माथे पर रहे, इसलिये कि इस्त्राएली जो कुछ पवित्रा ठहराएं, अर्थात् जितनी पवित्रा वस्तुएं भेंट में चढ़ावें उन पवित्रा वस्तुओं का दोष हारून उठाए रहे, और वह नित्य उसके माथे पर रहे, जिस से यहोवा उन से प्रसन्न रहे।।

38. So shall it be upon the forehead of Aaron, and Aaron shall bear the iniquity of the hallowed things, which the sons of Israel shall hallow, for all their hallowed gift, and it shall be upon his forehead continually, that there may be acceptance for them before Yahweh.

39. और अंगरखे को सूक्ष्म सनी के कपड़े का चारखाना बुनवाना, और एक पगड़ी भी सूक्ष्म सनी के कपड़े की बनवाना, और कारचोबी काम किया हुआ एक कमरबन्द भी बनवाना।।

39. And thou shalt weave, in checker work the tunic of fine linen, and shalt make a turban of fine linen, and, a girdle, shalt thou make the work of an embroiderer.

40. फिर हारून के पुत्रों के लिये भी अंगरखे और कमरबन्द और टोपियां बनवाना; ये वस्त्रा भी विभव और शोभा के लिये बनें।

40. And, for the sons of Aaron, shalt thou make tunics, and shalt make for them girdles, and caps, shalt thou make for them, for glory and for beauty.

41. अपने भाई हारून और उसके पुत्रों को ये ही सब वस्त्रा पहिनाकर उनका अभिषेक और संस्कार करना, और उन्हें पवित्रा करना, कि वे मेरे लिये याजक का काम करें।

41. And thou shalt clothe therewith Aaron thy brother, and his sons, with him, and shalt anoint them and install them, and hallow them, so shall they minister as priests unto me.

42. और उनके लिये सनी के कपड़े की जांघिया बनवाना जिन से उनका तन ढपा रहे; वे कमर से जांघ तक की हों;

42. And thou shalt make for them breeches of linen, to cover their unseemliness, from the loins even unto the thighs, shall they be;

43. और जब जब हारून वा उसके पुत्रा मिलापवाले तम्बू में प्रवेश करें, वा पवित्रा स्थान में सेवा टहल करने को वेदी के पास जाएं तब तब वे उन जांघियों को पहिने रहें, न हो कि वे पापी ठहरें और मर जाएं। यह हारून के लिये और उसके बाद उसके वंश के लिये भी सदा की विधि ठहरें।।

43. so shall they be upon Aaron and upon his sons, when they go into the tent of meeting, or when they approach unto the altar, to minister in the holy place, lest they bear iniquity, and die, a statute age-abiding, to him and to his seed after him.



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