Genesis - उत्पत्ति 3 | View All

1. यहोवा परमेश्वर ने जितने बनैले पशु बनाए थे, उन सब में सर्प धूर्त था, और उस ने स्त्री से कहा, क्या सच है, कि परमेश्वर ने कहा, कि तुम इस बाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना ?
प्रकाशितवाक्य 12:9, प्रकाशितवाक्य 20:2

1. Now the serpent was more astute than all the animals of the field which the LORD God had made. And he said unto the woman, Has God indeed said, Ye shall not eat of every tree of the garden?

2. स्त्री ने सर्प से कहा, इस बाटिका के वृक्षों के फल हम खा सकते हैं।

2. And the woman answered unto the serpent, We may eat of the fruit of the trees of the garden;

3. पर जो वृक्ष बाटिका के बीच में है, उसके फल के विषय में परमेश्वर ने कहा है कि न तो तुम उसको खाना और न उसको छूना, नहीं तो मर जाओगे।

3. but of the fruit of the tree which [is] in the midst of the garden, God has said, Ye shall not eat of it; neither shall ye touch it, lest ye die.

4. तब सर्प ने स्त्री से कहा, तुम निश्चय न मरोगे,
यूहन्ना 8:44

4. Then the serpent said unto the woman, Ye shall not surely die:

5. वरन परमेश्वर आप जानता है, कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आंखे खुल जाएंगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे।

5. For God knows that in the day ye eat of it then your eyes shall be opened, and ye shall be as gods, knowing good and evil.

6. सो जब स्त्री ने देखा कि उस वृक्ष का फल खाने में अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहने योग्य भी है, तब उस ने उस में से तोड़कर खाया; और अपने पति को भी दिया, और उस ने भी खाया।
रोमियों 5:12, 1 तीमुथियुस 2:14

6. And when the woman saw that the tree [was] good for food, and that it [was] desirable to the eyes, and a tree of covetousness to understand, she took of its fruit and ate and gave also unto her husband with her; and he ate.

7. तब उन दोनों की आंखे खुल गई, और उनको मालूम हुआ कि वे नंगे है; सो उन्हों ने अंजीर के पत्ते जोड़ जोड़ कर लंगोट बना लिये।

7. And the eyes of them both were opened, and they knew that they [were] naked; so they sewed fig leaves together and made themselves girdles.

8. तब यहोवा परमेश्वर जो दिन के ठंडे समय बाटिका में फिरता था उसका शब्द उनको सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्नी बाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्वर से छिप गए।

8. And they heard the voice of the LORD God walking in the garden in the cool of the day, and the man and his wife hid themselves from the presence of the LORD God among the trees of the garden.

9. तब यहोवा परमेश्वर ने पुकारकर आदम से पूछा, तू कहां है?

9. And the LORD God called unto the man and said unto him, Where [art] thou?

10. उस ने कहा, मैं तेरा शब्द बारी में सुनकर डर गया क्योंकि मैं नंगा था; इसलिये छिप गया।

10. And he replied, I heard thy voice in the garden, and I was afraid because I [was] naked; and I hid myself.

11. उस ने कहा, किस ने तुझे चिताया कि तू नंगा है? जिस वृक्ष का फल खाने को मै ने तुझे बर्जा था, क्या तू ने उसका फल खाया है?

11. And he said, Who told thee that thou [wast] naked? Hast thou eaten of the tree, of which I commanded thee not to eat?

12. आदम ने कहा जिस स्त्री को तू ने मेरे संग रहने को दिया है उसी ने उस वृक्ष का फल मुझे दिया, और मै ने खाया।

12. And the man said, The woman whom thou gavest [to be] with me, she gave me of the tree, and I ate.

13. तब यहोवा परमेश्वर ने स्त्री से कहा, तू ने यह क्या किया है? स्त्री ने कहा, सर्प ने मुझे बहका दिया तब मै ने खाया।
रोमियों 7:11, 2 कुरिन्थियों 11:3, 1 तीमुथियुस 2:14

13. Then the LORD God said unto the woman, What [is] this [that] thou hast done? And the woman said, The serpent beguiled me, and I ate.

14. तब यहोवा परमेश्वर ने सर्प से कहा, तू ने जो यह किया है इसलिये तू सब घरेलू पशुओं, और सब बनैले पशुओं से अधिक शापित है; तू पेट के बल चला करेगा, और जीवन भर मिट्टी चाटता रहेगा :

14. And the LORD God said unto the serpent, Because thou hast done this, thou [art] cursed above all beasts and above every animal of the field; upon thy belly shalt thou go, and dust shalt thou eat all the days of thy life;

15. और मै तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करूंगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।
लूका 10:19, रोमियों 16:20, इब्रानियों 2:14

15. and I will put enmity between thee and the woman and between thy seed and her seed; that [seed] shall bruise thy head, and thou shalt bruise his heel.

16. फिर स्त्री से उस ने कहा, मै तेरी पीड़ा और तेरे गर्भवती होने के दु:ख को बहुत बढ़ाऊंगा; तू पीड़ित होकर बालक उत्पन्न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा।
1 कुरिन्थियों 11:3, 1 कुरिन्थियों 13:34, इफिसियों 5:22, कुलुस्सियों 3:18

16. Unto the woman he said, I will greatly multiply thy sorrow and thy conception; in sorrow thou shalt bring forth sons; and thy desire [shall be] to thy husband, and he shall rule over thee.

17. और आदम से उस ने कहा, तू ने जो अपनी पत्नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मै ने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना उसको तू ने खाया है, इसलिये भूमि तेरे कारण शापित है: तू उसकी उपज जीवन भर दु:ख के साथ खाया करेगा :
इब्रानियों 6:8, रोमियों 8:20, 1 कुरिन्थियों 15:21

17. And unto Adam he said, Because thou hast hearkened unto the voice of thy wife and hast eaten of the tree of which I commanded thee, saying, Thou shalt not eat of it, cursed [shall be] the ground for thy sake; in sorrow shalt thou eat [of] it all the days of thy life;

18. और वह तेरे लिये कांटे और ऊंटकटारे उगाएगी, और तू खेत की उपज खाएगा ;
इब्रानियों 6:8

18. thorns also and thistles shall it bring forth to thee; and thou shalt eat the grass of the field;

19. और अपने माथे के पसीने की रोटी खाया करेगा, और अन्त में मिट्टी में मिल जाएगा; क्योंकि तू उसी में से निकाला गया है, तू मिट्टी तो है और मिट्टी ही में फिर मिल जाएगा।
रोमियों 5:12, इब्रानियों 9:27

19. in the sweat of thy face shalt thou eat bread until thou return unto the ground; for out of it wast thou taken, for dust thou [art], and unto dust shalt thou return.

20. और आदम ने अपनी पत्नी का नाम हव्वा रखा; क्योंकि जितने मनुष्य जीवित हैं उन सब की आदिमाता वही हुई।

20. And the man called his wife's name Eve because she was the mother of all living.

21. और यहोवा परमेश्वर ने आदम और उसकी पत्नी के लिये चमड़े के अंगरखे बनाकर उनको पहिना दिए।

21. Then the LORD God made coats of skins for Adam and his wife and clothed them.

22. फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, मनुष्य भले बुरे का ज्ञान पाकर हम में से एक के समान हो गया है: इसलिये अब ऐसा न हो, कि वह हाथ बढ़ाकर जीवन के वृक्ष का फल भी तोड़ के खा ले और सदा जीवित रहे।
प्रकाशितवाक्य 2:7, प्रकाशितवाक्य 22:2-14-19

22. And the LORD God said, Behold, the man is become as one of us, knowing good and evil; and now, lest he put forth his hand and take also of the tree of life and eat and live for ever,

23. तब यहोवा परमेश्वर ने उसको अदन की बाटिका में से निकाल दिया कि वह उस भूमि पर खेती करे जिस मे से वह बनाया गया था।

23. therefore the LORD God sent him forth from the garden of Eden to till the ground from which he was taken.

24. इसलिये आदम को उस ने निकाल दिया और जीवन के वृक्ष के मार्ग का पहरा देने के लिये अदन की बाटिका के पूर्व की ओर करूबों को, और चारों ओर घूमनेवाली ज्वालामय तलवार को भी नियुक्त कर दिया।।
प्रकाशितवाक्य 2:7

24. So he drove out the man; and he placed at the east of the garden of Eden Cherubim and a flaming sword which turned every way to keep the way of the tree of life.:



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