18. हे मेरे परमेश्वर, कान लगाकर सुन, आंख खोलकर हमारी उजड़ी हुई दशा और उस नगर को भी देख जो तेरा कहलाता है; क्योंकि हम जो तेरे साम्हने गिड़गिड़ाकर प्रार्थना करते हैं, सो अपने धर्म के कामों पर नहीं, वरन तेरी बड़ी दया ही के कामों पर भरोसा रखकर करते हैं।
18. O my God, incline(enclyne) thine ear, and hearken (at the least for thine own sake) open thine eyes: behold, how we be desolated, yea and the city also, which is called after thy name: for we do not cast our prayers before thee in our own righteousnesses, no, but only in thy great mercies.