Isaiah - यशायाह 58 | View All

1. गला खोलकर पुकार, कुछ न रख छोड़, नरसिंगे का सा ऊंचा शब्द कर; मेरी प्रजा को उसका अपराध अर्थात् याकूब के घराने को उसका पाप जता दे।

1. মুক্তকণ্ঠে ঘোষণা কর, রব সংযত করিও না, তূরীর ন্যায় উচ্চধ্বনি কর; আমার প্রজাদিগকে তাহাদের অধর্ম্ম, যাকোবের কুলকে তাহাদের পাপ সকল জানাও।

2. वे प्रति दिन मेरे पास आते और मेरी गति बूझने की इच्छा ऐसी रखते हैं मानो वे धर्मी लोगे हैं जिन्हों ने अपने परमेश्वर के नियमों को नहीं टाला; वे मुझ से धर्म के नियम पूछते और परमेश्वर के निकट आने से प्रसन्न होते हैं।

2. তাহারা ত দিন দিন আমারই অন্বেষণ করে, আমার পথ জানিতে ভালবাসে; যে জাতি ধার্ম্মিকতার অনুষ্ঠান করে ও আপন ঈশ্বরের শাসন ত্যাগ করে নাই, এমন জাতির ন্যায় আমাকে ধর্ম্মশাসন সকলের বিষয়ে জিজ্ঞাসা করে, ঈশ্বরের নিকটে আসিতে ভালবাসে।

3. वे कहते हैं, क्या कारए है कि हम ने तो उपवास रखा, परन्तु तू ने इसकी सुधि नहीं ली? हम ने दु:ख उठाया, परन्तु तू ने कुछ ध्यान नहीं दिया? सुनो, उपवास के दिन तुम अपनी ही इच्छा पूरी करते हो और अपने सेवकों से कठिन कामों को कराते हो।

3. [আর বলে,] ‘আমরা উপবাস করিয়াছি, তুমি কেন দৃষ্টি কর না? আমরা আপন আপন প্রাণকে দুঃখ দিয়াছি, তুমি কেন তাহা জান না?’ দেখ, তোমাদের উপবাস-দিনে তোমরা সুখের চেষ্টা ও আপন আপন কর্ম্মচারীদের প্রতি দৌরাত্ম্য করিয়া থাক;

4. सुनो, तुम्हारे उपवास का फल यह होता है कि तुम आपस में लड़ते और झगड़ते और दुष्टता से घूंसे मारते हो। जैसा उपवास तुम आजकर रखते हो, उस से तुम्हारी प्रार्थना ऊपर नहीं सुनाई देगी।

4. দেখ, তোমরা বিবাদ ও কলহের জন্য, এবং দুষ্টতার মুষ্টি দ্বারা আঘাত করিবার জন্য উপবাস করিয়া থাক; অদ্যকার ন্যায় উপবাস করিলে তোমরা ঊর্দ্ধলোকে আপনাদের রব শুনাইতে পারিবে না।

5. जिस उपवास से मैं प्रसन्न होता हूं अर्थात् जिस में मनुष्य स्वयं को दीन करे, क्या तुम इस प्रकार करते हो? क्या सिर को झाऊ की नाईं झुकाना, अपने नीचे टाट बिछाना, और राख फैनाने ही को तुम उपवास और यहोवा को प्रसन्न करने का दिन कहते हो?
मत्ती 6:16

5. আমার মনোনীত উপবাস কি এই প্রকার? মনুষ্যের আপন প্রাণকে দুঃখ দিবার দিন কি এই প্রকার? নলের ন্যায় মস্তক হেঁট করা এবং চট ও ভস্ম পাতিয়া বসা, তুমি কি ইহাকেই উপবাস এবং সদাপ্রভুর প্রসন্নতার দিন বল? আমার মনোনীত উপবাস কি এই নয়?

6. जिस उपवास से मैं प्रसन्न होता हूं, वह क्या यह नहीं, कि, अन्याय से बनाए हुए दासों, और अन्धेर सहनेवालों का जुआ तोड़कर उनको छुड़ा लेना, और, सब जुओं को टूकड़े टूकड़े कर देना?
लूका 4:18-19, प्रेरितों के काम 8:23

6. দুষ্ট তার গাঁট সকল খুলিয়া দেওয়া, যোঁয়ালির খিল মুক্ত করা, এবং দলিত লোকদিগকে স্বাধীন করিয়া ছাড়িয়া দেওয়া, ও প্রত্যেক যোঁয়ালি ভগ্ন করা কি নয়?

7. क्या वह यह नहीं है कि अपनी रोटी भूखों को बांट देना, अनाथ और मारे मारे फिरते हुओं को अपने घर ले आना, किसी को नंगा देखकर वस्त्रा पहिनाना, और अपने जातिभाइयों से अपने को न छिपाना?
मत्ती 25:35-36

7. ক্ষুধিত লোককে তোমার খাদ্য বন্টন করা, তাড়িত দুঃখীদিগকে গৃহে আশ্রয় দেওয়া, ইহা কি নয়? উলঙ্গকে দেখিলে তাহাকে বস্ত্র দান করা, তোমার নিজ মাংস হইতে আপনার গা না ঢাকা, ইহা কি নয়?

8. तब तेरा प्रकाश पौ फटने की नाईं चमकेगा, और तू शीघ्र चंगा हो जाएगा; तेरा धर्म तेरे आगे आगे चलेगा, यहोवा का तेज तेरे पीछे रक्षा करते चलेगा।
लूका 1:78-79, प्रकाशितवाक्य 21:11

8. ইহা করিলে অরুণের ন্যায় তোমার দীপ্তি প্রকাশ পাইবে, তোমার আরোগ্য শীঘ্রই অঙ্কুরিত হইবে; আর তোমার ধার্ম্মিকতা তোমার অগ্রগামী হইবে; সদাপ্রভুর প্রতাপ তোমার পশ্চাদ্বর্ত্তী হইবে।

9. तब तू पुकारेगा और यहोवा उत्तर देगा; तू दोहाई देगा और वह कहेगा, मैं यहां हूं। यदि तू अन्धेर करना और उंगली मटकाना, और, दुष्ट बातें बोलना छोड़ दे,

9. তৎকালে তুমি ডাকিবে ও সদাপ্রভু উত্তর দিবেন; তুমি আর্ত্তনাদ করিবে ও তিনি কহিবেন, এই যে আমি। যদি তুমি আপনার মধ্য হইতে যোঁয়ালি, অঙ্গুলিতর্জ্জন ও অধর্ম্মবাক্য দূর কর,

10. उदारता से भूखे की सहायता करे और दीन दु:खियों को सन्तुष्ट करे, तब अन्धियारे में तेरा प्रकाश चमकेगा, और तेरा घोर अन्धकार दोपहर का सा उजियाला हो जाएगा।

10. আর যদি ক্ষুধিত লোককে তোমার প্রাণের ইষ্ট ভক্ষ্য দেও, ও দুঃখার্ত্ত প্রাণীকে আপ্যায়িত কর, তবে অন্ধকারে তোমার দীপ্তি উদিত হইবে, ও তোমার তিমির মধ্যাহ্নের সমান হইবে।

11. और यहोवा तुझे लगातार लिए चलेगा, और काल के समय तुझे तृप्त और तेरी हडि्डयों को हरी भरी करेगा; और तू सींची हुई बारी और ऐसे सोते के समान होगा जिसका जल कभी नहीं सूखता।
यूहन्ना 7:38

11. আর সদাপ্রভু নিয়ত তোমাকে পথ প্রদর্শন করিবেন, মরুভূমিতে তোমার প্রাণ তৃপ্ত করিবেন, ও তোমার অস্থি সকল বলবান্‌ করিবেন, তাহাতে তুমি জলসিক্ত উদ্যানের ন্যায় হইবে, এবং এমন জলের উনুইর ন্যায় হইবে, যাহার জল শুকায় না।

12. और तेरे वंश के लोग बहुत काल के उजड़े हुए स्थानों को फिर बसाएंगे; तू पीढ़ी पीढ़ी की पड़ी हुई नेव पर घर उठाएगा; तेरा नाम टूटे हुए बाड़े का सुधारक और पथों का ठीक करनेवाला पड़ेगा।।

12. তোমার বংশীয় লোকেরা পুরাকালের উৎসন্ন স্থান সকল নির্ম্মাণ করিবে; তুমি বহু পুরুষ পূর্ব্বের ভিত্তিমূল সকলের উপরে গাঁথিয়া তুলিবে, এবং ভগ্নস্থান-সংস্কারক ও নিবাসার্থক পথসমূহের উদ্ধারক বলিয়া আখ্যাত হইবে।

13. यदि तू विश्रामदिन को अशुद्ध न करे अर्थात् मेरे उस पवित्रा दिन में अपनी इच्छा पूरी करने का यत्न न करे, और विश्रामदिन को आनन्द का दिन और यहोवा का पवित्रा किया हुआ दिन समझकर माने; यदि तू उसका सन्मान करके उस दिन अपने मार्ग पर न चले, अपनी इच्छा पूरी न करे, और अपनी ही बातें न बोले,

13. তুমি যদি বিশ্রামবার লঙ্ঘন হইতে আপন পা ফিরাও, যদি আমার পবিত্র দিনে নিজ অভিলাষের চেষ্টা না কর, যদি বিশ্রামবারকে আমোদদায়ক, ও সদাপ্রভুর পবিত্র দিনকে গৌরবান্বিত বল, এবং তোমার নিজ কার্য্য সাধন না করিয়া, নিজ অভিলাষ চেষ্টা না করিয়া, নিজ কথা না কহিয়া যদি তাহা গৌরবান্বিত কর, তবে তুমি সদাপ্রভুতে আমোদিত হইবে,

14. तो तू यहोवा के कारण सुखी होगा, और मैं तुझे देश के ऊंचे स्थानों पर चलने दूंगा; मैं तेरे मूलपुरूष याकूब के भाग की उपज में से तुझे खिलाऊंगा, क्योंकि यहोवा ही के मुख से यह वचन निकला है।।

14. এবং আমি তোমাকে পৃথিবীর উচ্চস্থলী সকলের উপর দিয়া আরোহণ করাইব, এবং তোমার পিতা যাকোবের অধিকার ভোগ করাইব, কারণ সদাপ্রভুর মুখ ইহা বলিয়াছে।



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