Isaiah - यशायाह 19 | View All

1. मि के विषय में भारी भविष्यवाणी। देखो, यहोवा शीघ्र उड़नेवाले बादल पर सवार होकर मि में आ रहा है;
प्रकाशितवाक्य 1:7

2. और मि की मूरतें उसके आने से थरथरा उठेंगी, और मिस्त्रियों का हृदय पानी- पानी हो जाएगा। और मैं मिस्त्रियों को एक दूसरे के विरूद्ध उभारूंगा, और वे आपस में लड़ेंगे, प्रत्येक अपने भाई से और हर एक अपने पड़ोसी से लड़ेगा, नगर नगर में और राज्य राज्य में युद्ध छिड़ेंगा;
मत्ती 24:7, मरकुस 13:8, लूका 21:10

3. और मिस्त्रियों की बुद्धि मारी जाएगी और मैं उनकी युक्तियों को व्यर्थ कर दूंगा; और वे अपनी मूरतों के पास और ओझेां और फुसफुसानेवाले टोन्हों के पास जा जाकर उन से पूछेंगे;

4. परन्तु मैं मिस्त्रियों को एक कठोर स्वामी के हाथ में कर दूंगा; और एक क्रूर राजा उन पर प्रभुता करेगा, प्रभु सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।।

5. और समुद्र का जल सूख जाएगा, और महानदी सूख कर खाली हो जाएगी;

6. और नाले बसाने लगेंगे, और मि की नहरें भी सूख जाएंगी, और नरकट और हूगले कुम्हला जाएंगे।

7. नील नदी के तीर पर के कछार की घास, और जो कुछ नील नदी के पास बोया जाएगा वह सूखकर नष्ट हो जाएगा, और उसका पता तक न लगेगा।

8. सब मछुवे जितने नील नदी में बंसी डालते हैं विलाप करेंगे और लम्बी लम्बी सासें लेंगे, और जो जल के ऊपर जाल फेंकते हैं वे निर्बल हो जाएंगे।

9. फिर जो लोग धुने हुए सन से काम करते हैं और जो सूत से बुनते हैं उनकी आशा टूट जाएगी।

10. मि के रईस तो निराश और उसके सब मजदूर उदास हो जाएंगे।।

11. निश्चय सोअन के सब हाकिम मूर्ख हैं; और फिरौन के बुद्धिमान मन्त्रियों की युक्ति पशु की सी ठहरी। फिर तुम फिरौन से कैसे कह सकते हो कि मैं बुद्धिमानों का पुत्रा और प्राचीन राजाओं की सन्तान हूं?

12. अब तेरे बुद्धिमान कहां है? सेनाओं के यहोवा ने मि के विषय जो युक्ति की है, उसको यदि वे जानते हों तो तुझे बताएं।
1 कुरिन्थियों 1:20

13. सोअन के हाकिम मूढ़ बन गए हैं, नोप के हाकिमों ने धोखा खाया है; और जिन पर मि के गोत्रों के प्रधान लोगों का भरोसा था उन्हों ने मि को भरमा दिया है।

14. यहोवा ने उस में भ्रमता उत्पन्न की है; उन्हों ने मि को उसके सारे कामों में वमन करते हुए मतवाले की नाई डगमगा दिया है।

15. और मि के लिये कोई ऐसा काम न रहेगा जो सिर वा पूंछ से अथवा प्रधान वा साधारण से हो सके।।

16. उस समय मिद्दी, स्त्रियों के समान हो जाएंगे, और सेनाओं का यहोवा जो अपना हाथ उन पर बढ़ाएगा उसके डर के मारे वे थरथराएंगे और कांप उठेंगे।

17. ओर यहूदा का देश मि के लिये यहां तक भय का कारण होगा कि जो कोई उसकी चर्चा सुनेगा वह थरथरा उठेगा; सेनाओं के यहोवा की उस युक्ति का यही फल होगा जो वह मि के विरूद्ध करता है।।

18. उस समय मि देश में पांच नगर होंगे जिनके लोग कनान की भाषा बोलेंगे और यहोवा की शपथ खायेंगे। उन में से एक का नाम नाशनगर रखा जाएगा।।

19. उस समय मि देश के बीच में यहोवा के लिये एक वेदी होगी, और उसके सिवाने के पास यहोवा के लिये एक खंभा खड़ा होगा।

20. वह मि देश में सेनाओं के यहोवा के लिये चिन्ह और साक्षी ठहरेगा; और जब वे अंधेर करनेवाले के कारण यहोवा की दोहाई देंगे, तब वह उनके पास एक उद्धारकर्ता और रक्षक भेजेगा, और उन्हें मुक्त करेगा।

21. तब यहोवा अपने आप को मिस्त्रियों पर प्रगट करेगा; और मिद्दी उस समय यहोवा को पहिचानेंगे और मेलबलि और अन्नबलि चढ़ाकर उसकी उपासना करेंगे, और यहोवा के लिये मन्नत मानकर पूरी भी करेंगे।

22. और यहोवा मिस्त्रियों को मारेगा, और मारेगा और चंगा भी करेगा, और वे यहोवा की ओर फिरेंगे और वह उनकी बिनती सुनकर उनको चंगा करेगा।।

23. उस समय मि से अश्शूर जाने का एक राजमार्ग होगा, और अश्शूरी मि में आएंगे और मिद्दी लोग अश्शूर को जाएंगे, और मिद्दी अश्शूरियों के संग मिलकर आराधना करेंगे।।

24. उस समय इस्राएल, मि और अश्शूर तीनों मिलकर पृथ्वी के लिये आशीष का कारण होंगे।

25. क्योंकि सेनाओं का यहोवा उन तीनों को यह कहकर आशीष देगा, धन्य हो मेरी प्रजा मि , और मेरा रख हुआ अश्शूर, और मेरा निज भाग इस्राएल।।



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