8. कोई अकेला रहता और उसका कोई नहीं है; न उसके बेटा है, न भाई है, तौभी उसके परिश्रम का अन्त नहीं होता; न उसकी आंखें धन से सन्तुष्ट होती हैं, और न वह कहता है, मैं किस के लिये परिश्रम करता और अपने जीवन को सुखरहित रखता हूं? यह भी व्यर्थ और निरा दु:खभरा काम है।
8. There is one {alone}, and {there is} not a second; yes, he hath neither child nor brother: yet {is there} no end of all his labor; neither is his eye satisfied with riches; neither {saith he}, For whom do I labor, and bereave my soul of good? This {is} also vanity, yes, it {is} a grievous labor.