Genesis - उत्पत्ति 42 | View All

1. पूरे दो बरस के बीतने पर फिरौन ने यह स्वप्न देखा, कि वह नील नदी के किनारे पर खड़ा है।

1. Now Jacob saw that there was grain in Egypt, and Jacob said unto his sons, Why do ye look one upon another?

2. और उस नदी में से सात सुन्दर और मोटी मोटी गायें निकलकर कछार की घास चरने लगीं।
प्रेरितों के काम 7:12

2. And he said, Behold, I have heard that there is grain in Egypt: get you down thither, and buy for us from thence; that we may live, and not die.

3. और, क्या देखा, कि उनके पीछे और सात गायें, जो कुरूप और दुर्बल हैं, नदी से निकली; और दूसरी गायों के निकट नदी के तट पर जा खड़ी हुई।

3. And Joseph's ten brethren went down to buy grain from Egypt.

4. तब ये कुरूप और दुर्बल गायें उन सात सुन्दर और मोटी मोटी गायों को खा गई। तब फिरौन जाग उठा।

4. But Benjamin, Joseph's brother, Jacob sent not with his brethren; for he said, Lest peradventure harm befall him.

5. और वह फिर सो गया और दूसरा स्वप्न देखा, कि एक डंठी में से सात मोटी और अच्छी अच्छी बालें निकलीं।
प्रेरितों के काम 7:11

5. And the sons of Israel came to buy among those that came: for the famine was in the land of Canaan.

6. और, क्या देखा, कि उनके पीछे सात बालें पतली और पुरवाई से मुरझाई हुई निकलीं।

6. And Joseph was the governor over the land; he it was that sold to all the people of the land. And Joseph's brethren came, and bowed down themselves to him with their faces to the earth.

7. और इन पतली बालों ने उन सातों मोटी और अन्न से भरी हुई बालों को निगल लिया। तब फिरौन जागा, और उसे मालूम हुआ कि यह स्वप्न ही था।

7. And Joseph saw his brethren, and he knew them, but made himself strange unto them, and spake roughly with them; and he said unto them. Whence come ye? And they said, From the land of Canaan to buy food.

8. भोर को फिरौन का मन व्याकुल हुआ; और उस ने मि के सब ज्योतिषियों, और पण्डितों को बुलवा भेजा; और उनको अपने स्वप्न बताएं; पर उन में से कोई भी उनका फल फिरौन से न कह सहा।

8. And Joseph knew his brethren, but they knew not him.

9. तब पिलानेहारों का प्रधान फिरौन से बोल उठा, कि मेरे अपराध आज मुझे स्मरण आए:

9. And Joseph remembered the dreams which he dreamed of them, and said unto them, Ye are spies; to see the nakedness of the land ye are come.

10. जब फिरौन अपने दासों से क्रोधित हुआ था, और मुझे और पकानेहारों के प्रधान को कैद कराके जल्लादों के प्रधान के घर के बन्दीगृह में डाल दिया था;

10. And they said unto him, Nay, my lord, but to buy food are thy servants come.

11. तब हम दोनों ने, एक ही रात में, अपने अपने होनहार के अनुसार स्वप्न देखा;

11. We are all one man's sons; we are true men, thy servants are no spies.

12. और वहां हमारे साथ एक इब्री जवान था, जो जल्लादों के प्रधान का दास था; सो हम ने उसको बताया, और उस ने हमारे स्वप्नों का फल हम से कहा, हम में से एक एक के स्वप्न का फल उस ने बता दिया।

12. And he said unto them, Nay, but to see the nakedness of the land ye are come.

13. और जैसा जैसा फल उस ने हम से कहा था, वैसा की हुआ भी, अर्थात् मुझ को तो मेरा पद फिर मिला, पर वह फांसी पर लटकाया गया।

13. And they said, We thy servants are twelve brethren, the sons of one man in the land of Canaan; and, behold, the youngest is this day with our father, and one is not.

14. तब फिरौन ने यूसुफ को बुलवा भेजा। और वह झटपट बन्दीगृह से बाहर निकाला गया, और बाल बनवाकर, और वस्त्रा बदलकर फिरौन के साम्हने आया।

14. And Joseph said unto them, That is it that I spake unto you, saying, Ye are spies:

15. फिरौन ने यूसुफ से कहा, मैं ने एक स्वप्न देखा है, और उसके फल का बतानेवाला कोई भी नहीं; और मैं ने तेरे विषय में सुना है, कि तू स्वप्न सुनते ही उसका फल बता सकता है।

15. hereby ye shall be proved: by the life of Pharaoh ye shall not go forth hence, except your youngest brother come hither.

16. यूसुफ ने फिरौन से कहा, मै तो कुछ नहीं जानता : परमेश्वर ही फिरौन के लिये शुभ वचन देगा।

16. Send one of you, and let him fetch your brother, and ye shall be bound, that your words may be proved, whether there be truth in you: or else by the life of Pharaoh surely ye are spies.

17. फिर फिरौन यूसुफ से कहने लगा, मै ने अपने स्वप्न में देखा, कि मैं नील नदी के किनारे पर खड़ा हूं

17. And he put them all together into ward three days.

18. फिर, क्या देखा, कि नदी में से सात मोटी और सुन्दर सुन्दर गायें निकलकर कछार की घास चरने लगी।

18. And Joseph said unto them the third day, This do, and live: for I fear God:

19. फिर, क्या देखा, कि उनके पीछे सात और गायें निकली, जो दुबली, और बहुत कुरूप, और दुर्बल हैं; मै ने तो सारे मि देश में ऐसी कुडौल गायें कभी नहीं देखीं।

19. if ye be true men, let one of your brethren be bound in your prison-house; but go ye, carry grain for the famine of your houses:

20. और इन दुर्बल और कुडौल गायों ने उन पहली सातों मोटी मोटी गायों को खा लिया।

20. and bring your youngest brother unto me; so shall your words be verified, and ye shall not die. And they did so.

21. और जब वे उनको खा गई तब यह मालूम नहीं होता था कि वे उनको खा गई हैं, क्योंकि वे पहिले की नाई जैसी की तैसी कुडौल रहीं। तब मैं जाग उठा।

21. And they said one to another, We are verily guilty concerning our brother, in that we saw the distress of his soul, when he besought us, and we would not hear; therefore is this distress come upon us.

22. फिर मैं ने दूसरा स्वप्न देखा, कि एक ही डंठी में सात अच्छी अच्छी और अन्न से भरी हुई बालें निकलीं।

22. And Reuben answered them, saying, Spake I not unto you, saying, Do not sin against the child; and ye would not hear? therefore also, behold, his blood is required.

23. फिर, क्या देखता हूं, कि उनके पीछे और सात बालें छूछी छूछी और पतली और पुरवाई से मुरझाई हुई निकलीं।

23. And they knew not that Joseph understood them; for there was an interpreter between them.

24. और इन पतली बालों ने उन सात अच्छी अच्छी बालों को निगल लिया। इसे मैं ने ज्योतिषियों को बताया, पर इस का समझनेहारा कोई नहीं मिला।

24. And he turned himself about from them, and wept; and he returned to them, and spake to them, and took Simeon from among them, and bound him before their eyes.

25. तब यूसुफ ने फिरौन से कहा, फिरौन का स्वप्न एक ही है, परमेश्वर जो काम किया चाहता है, उसको उस ने फिरौन को जताया है।

25. Then Joseph commanded to fill their vessels with grain, and to restore every man's money into his sack, and to give them provisions for the way: and thus was it done unto them.

26. वे सात अच्छी अच्छी गायें सात वर्ष हैं; और वे सात अच्छी अच्छी बालें भी सात वर्ष हैं; स्वप्न एक ही है।

26. And they laded their asses with their grain, and departed thence.

27. फिर उनके पीछे जो दुर्बल और कुडौल गायें निकलीं, और जो सात छूछी और पुरवाई से मुरझाई हुई बालें निकाली, वे अकाल के सात वर्ष होंगे।

27. And as one of them opened his sack to give his ass provender in the lodging-place, he espied his money; and, behold, it was in the mouth of his sack.

28. यह वही बात है, जो मैं फिरौन से कह चुका हूं, कि परमेश्वर जो काम किया चाहता है, उसे उस ने फिरौन को दिखाया है।

28. And he said unto his brethren, My money is restored; and, lo, it is even in my sack: and their heart failed them, and they turned trembling one to another, saying, What is this that God hath done unto us?

29. सुन, सारे मि देश में सात वर्ष तो बहुतायत की उपज के होंगे।

29. And they came unto Jacob their father unto the land of Canaan, and told him all that had befallen them, saying,

30. उनके पश्चात् सात वर्ष अकाल के आयेंगे, और सारे मि देश में लोग इस सारी उपज को भूल जायेंगे; और अकाल से देश का नाश होगा।

30. The man, the lord of the land, spake roughly with us, and took us for spies of the country.

31. और सुकाल (बहुतायत की उपज) देश में फिर स्मरण न रहेगा क्योंकि अकाल अत्यन्त भयंकर होगा।

31. And we said unto him, We are true men; and we are no spies:

32. और फिरौन ने जो यह स्वप्न दो बार देखा है इसका भेद यही है, कि यह बात परमेश्वर की ओर से नियुक्त हो चुकी है, और परमेश्वर इसे शीघ्र ही पूरा करेगा।

32. we are twelve brethren, sons of our father; one is not, and the youngest is this day with our father in the land of Canaan.

33. इसलिये अब फिरौन किसी समझदार और बुद्धिमान् पुरूष को ढूंढ़ करके उसे मि देश पर प्रधानमंत्री ठहराए।

33. And the man, the lord of the land, said unto us, Hereby shall I know that ye are true men: leave one of your brethren with me, and take [grain for] the famine of your houses, and go your way;

34. फिरौन यह करे, कि देश पर अधिकारियों को नियुक्त करे, और जब तक सुकाल के सात वर्ष रहें तब तक वह मि देश की उपज का पंचमांश लिया करे।

34. and bring your youngest brother unto me: then shall I know that ye are no spies, but that ye are true men: so will I deliver you your brother, and ye shall traffic in the land.

35. और वे इन अच्छे वर्षों में सब प्रकार की भोजनवस्तु इकट्ठा करें, और नगर नगर में भण्डार घर भोजन के लिये फिरौन के वश में करके उसकी रक्षा करें।

35. And it came to pass as they emptied their sacks, that, behold, every man's bundle of money was in his sack: and when they and their father saw their bundles of money, they were afraid.

36. और वह भोजनवस्तु अकाल के उन सात वर्षों के लिये, जो मि देश में आएंगे, देश के भोजन के निमित्त रखी रहे, जिस से देश उस अकाल से स्त्यानाश न हो जाए।

36. And Jacob their father said unto them, Me have ye bereaved of my children: Joseph is not, and Simeon is not, and ye will take Benjamin away: all these things are against me.

37. यह बात फिरौन और उसके सारे कर्मचारियों को अच्छी लगी।

37. And Reuben spake unto his father, saying, Slay my two sons, if I bring him not to thee: deliver him into my hand, and I will bring him to thee again.

38. सो फिरौन ने अपने कर्मचारियों से कहा, कि क्या हम को ऐसा पुरूष जैसा यह है, जिस में परमेश्वर का आत्मा रहता है, मिल सकता है ?

38. And he said, My son shall not go down with you; for his brother is dead, and he only is left: if harm befall him by the way in which ye go, then will ye bring down my gray hairs with sorrow to Sheol.



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