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1. निदान, उस पहिली वाचा में भी सेवा के नियम थे; और ऐसा पवित्रास्थान जो इस जगत का था।
1. That first plan contained directions for worship, and a specially designed place of worship.
2. अर्थात् एक तम्बू बनाया गया, पहिले तम्बू में दीवट, और मेज, और भेंट की रोटियां थी; और वह पवित्रास्थान कहलाता है।निर्गमन 25:23-30, निर्गमन 26:1-30
2. A large outer tent was set up. The lampstand, the table, and 'the bread of presence' were placed in it. This was called 'the Holy Place.'
3. और दूसरे परदे के पीछे वह तम्बू था, जो परम पवित्रास्थान कहलाता है।निर्गमन 26:31-33
3. Then a curtain was stretched, and behind it a smaller, inside tent set up. This was called 'the Holy of Holies.'
4. उस में सोने की धूपदानी, और चारों ओर सोने से मढ़ा हुआ वाचा का संदूक और इस में मन्ना से भरा हुआ सोने का मर्तबान और हारून की छड़ी जिस में फूल फल आ गए थे और वाचा की पटियां थीं।निर्गमन 16:33, निर्गमन 25:10-16, निर्गमन 30:1-6, गिनती 17:8-10, व्यवस्थाविवरण 10:3-5
4. In it were placed the gold incense altar and the gold-covered ark of the covenant containing the gold urn of manna, Aaron's rod that budded, the covenant tablets,
5. और उसके ऊपर दोनों तेजोमय करूब थे, जो प्रायश्चित्त के ढकने पर छाया किए हुए थे: इन्हीं का एक एक करके बखान करने का अभी अवसर नहीं है।निर्गमन 25:18-22
5. and the angel-wing-shadowed mercy seat. But we don't have time to comment on these now.
6. जब ये वस्तुएं इस रीति से तैयार हो चुकी, तक पहिले तम्बू में तो याजक हर समय प्रवेश करके सेवा के काम निबाहते हैंगिनती 18:2-6
6. After this was set up, the priests went about their duties in the large tent.
7. पर दूसरे में केवल महायाजक वर्ष भर में एक ही बार जाता है; और बिना लोहू लिये नहीं जाता; जिसे वह अपने लिये और लोगों की भूल चूक के लिये चढ़ावा चढ़ाता है।निर्गमन 30:10, लैव्यव्यवस्था 16:2, लैव्यव्यवस्था 16:14, लैव्यव्यवस्था 16:15
7. Only the high priest entered the smaller, inside tent, and then only once a year, offering a blood sacrifice for his own sins and the people's accumulated sins.
8. इस से पवित्रा आत्मा यही दिखाता है, कि जब तक पहिला तम्बू खड़ा है, तब तक पवित्रास्थान का मार्ग प्रगट नहीं हुआ।
8. This was the Holy Spirit's way of showing with a visible parable that as long as the large tent stands, people can't just walk in on God.
9. और यह तम्बू तो वर्तमान समय के लिये एक दृष्टान्त है; जिस में ऐसी भेंट और बलिदान चढ़ाए जाते हैं, जिन से आराधना करनेवालों के विवेक सिद्ध नहीं हो सकते।
9. Under this system, the gifts and sacrifices can't really get to the heart of the matter, can't assuage the conscience of the people,
10. इसलिये कि वे केवल खाने पीने की वस्तुओं, और भांति भांति के स्नान विधि के आधार पर शारीरिक नियम हैं, जो सुधार के समय तक के लिये नियुक्त किए गए हैं।।लैव्यव्यवस्था 11:2, लैव्यव्यवस्था 11:25, लैव्यव्यवस्था 15:18, गिनती 19:13
10. but are limited to matters of ritual and behavior. It's essentially a temporary arrangement until a complete overhaul could be made.
11. परन्तु जब मसीह आनेवाली अच्छी अच्छी वस्तुओं का महायाजक होकर आया, तो उस ने और भी बड़े और सिद्ध तम्बू से होकर जो हाथ का बनाया हुआ नहीं, अर्थात् सृष्टि का नहीं।
11. But when the Messiah arrived, high priest of the superior things of this new covenant, he bypassed the old tent and its trappings in this created world and went straight into heaven's 'tent'--the true Holy Place--once and for all.
12. और बकरों और बछड़ों के लोहू के द्वारा नहीं, पर अपने ही लोहू के द्वारा एक ही बार पवित्रा स्थान में प्रवेश किया, और अनन्त छुटकारा प्राप्त किया।लैव्यव्यवस्था 16:30-34
12. He also bypassed the sacrifices consisting of goat and calf blood, instead using his own blood as the price to set us free once and for all.
13. क्योंकि जब बकरों और बैलों का लोहू और कलोर की राख अपवित्रा लोगों पर छिड़के जाने से शरीर की शुद्धता के लिये पवित्रा करती है।लैव्यव्यवस्था 16:3, गिनती 19:9, गिनती 19:17-19
13. If that animal blood and the other rituals of purification were effective in cleaning up certain matters of our religion and behavior,
14. तो मसीह का लोहू जिस ने अपने आप को सनातन आत्मा के द्वारा परमेश्वर के साम्हने निर्दोष चढ़ाया, तुम्हारे विवेक को मरे हुए कामों से क्यों न शुद्ध करेगा, ताकि तुम जीवते परमेश्वर की सेवा करो।
14. think how much more the blood of Christ cleans up our whole lives, inside and out.
15. और इसी कारण वह नई वाचा का मध्यस्थ है, ताकि उस मृत्यु के द्वारा जो पहिली वाचा के समय के अपराधों से छुटकारा पाने के लिये हुई है, बुलाए हुए लोग प्रतिज्ञा के अनुसार अनन्त मीरास को प्राप्त करें।
15. Through the Spirit, Christ offered himself as an unblemished sacrifice, freeing us from all those dead-end efforts to make ourselves respectable, so that we can live all out for God.
16. क्योंकि जहां वाचा बान्धी गई है वहां वाचा बान्धनेवाले की मृत्यु का समझ लेना भी अवश्य है।
16. Like a will that takes effect when someone dies, the new covenant was put into action at Jesus' death. His death marked the transition from the old plan to the new one, canceling the old obligations and accompanying sins, and summoning the heirs to receive the eternal inheritance that was promised them. He brought together God and his people in this new way.
17. क्योंकि ऐसी वाचा मरने पर पक्की होती है, और जब तक वाचा बान्धनेवाला जीवित रहता है, तब तक वाचा काम की नहीं होती।
17. (SEE 9:16)
18. इसी लिये पहिली वाचा भी बिना लोहू के नहीं बान्धी गई।
18. Even the first plan required a death to set it in motion.
19. क्योंकि जब मूसा सब लोगों को व्यवस्था की हर एक आज्ञा सुना चुका, तो उस ने बछड़ों और बकरों का लोहू लेकर, पानी और लाल ऊन, और जूफा के साथ, उस पुस्तक पर और सब लोगों पर छिड़क दिया।निर्गमन 24:3, लैव्यव्यवस्था 14:4, गिनती 19:6
19. After Moses had read out all the terms of the plan of the law--God's 'will'--he took the blood of sacrificed animals and, in a solemn ritual, sprinkled the document and the people who were its beneficiaries.
20. और कहा, कि यह उस वाचा का लोहू है, जिस की आज्ञा परमेश्वर ने तुम्हारे लिये दी है।निर्गमन 24:8
20. And then he attested its validity with the words, 'This is the blood of the covenant commanded by God.'
21. और इसी रीति से उस ने तम्बू और सेवा के सारे सामान पर लोहू छिड़का।लैव्यव्यवस्था 8:15, लैव्यव्यवस्था 8:19
21. He did the same thing with the place of worship and its furniture.
22. और व्यवस्था के अनुसार प्राय: सब वस्तुएं लोहू के द्वारा शुद्ध की जाती हैं; और बिना लोहू बहाए क्षमा नहीं होती।।लैव्यव्यवस्था 17:11
22. Moses said to the people, 'This is the blood of the covenant God has established with you.' Practically everything in a will hinges on a death. That's why blood, the evidence of death, is used so much in our tradition, especially regarding forgiveness of sins.
23. इसलिये अवश्य है, कि स्वर्ग में की वस्तुओं के प्रतिरूप इन के द्वारा शुद्ध किए जाएं; पर स्वर्ग में की वस्तुएं आप इन से उत्तम बलिदानों के द्वारा।
23. That accounts for the prominence of blood and death in all these secondary practices that point to the realities of heaven. It also accounts for why, when the real thing takes place, these animal sacrifices aren't needed anymore, having served their purpose.
24. क्योंकि मसीह ने उस हाथ के बनाए हुए पवित्रा स्थान में जो सच्चे पवित्रा स्थान का नमूना है, प्रवेश नहीं किया, पर स्वर्ग ही में प्रवेश किया, ताकि हमारे लिये अब परमेश्वर के साम्हने दिखाई दे।
24. For Christ didn't enter the earthly version of the Holy Place; he entered the Place Itself, and offered himself to God as the sacrifice for our sins.
25. यह नहीं कि वह अपने आप को बार बार चढ़ाए, जैसा कि महायाजक प्रति वर्ष दूसरे का लोहू लिये पवित्रास्थान में प्रवेश किया करता है।
25. He doesn't do this every year as the high priests did under the old plan with blood that was not their own;
26. नहीं तो जगत की उत्पत्ति से लेकर उस को बार बार दुख उठाना पड़ता; पर अब युग के अन्त में वह एक बार प्रगट हुआ है, ताकि अपने ही बलिदान के द्वारा पाप को दूर कर दे।
26. if that had been the case, he would have to sacrifice himself repeatedly throughout the course of history. But instead he sacrificed himself once and for all, summing up all the other sacrifices in this sacrifice of himself, the final solution of sin.
27. और जैसे मनुष्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है।उत्पत्ति 3:19
27. Everyone has to die once, then face the consequences.
28. वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ और जो लोग उस की बाट जोहते हैं, उन के उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप के दिखाई देगा।।लैव्यव्यवस्था 16:30-34, यशायाह 53:12
28. Christ's death was also a one-time event, but it was a sacrifice that took care of sins forever. And so, when he next appears, the outcome for those eager to greet him is, precisely, salvation.