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1. सो हे पवित्रा भाइयों तुम जो स्वर्गीय बुलाहट में भागी हो, उस प्रेरित और महायाजक यीशु पर जिसे हम अंगीकार करते हैं ध्यान करो।
1. অতএব, হে পবিত্র ভ্রাতৃগণ, স্বর্গীয় আহ্বানের অংশিগণ, তোমরা আমাদের ধর্ম্ম-প্রতিজ্ঞার প্রেরিত ও মহাযাজকের প্রতি, যীশুর প্রতি, দৃষ্টি রাখ;
2. जो अपने नियुक्त करनेवाले के लिये विश्वासयोग्य था, जैसा मूसा भी उसके सारे घर में था।गिनती 12:7
2. মোশি যেমন তাঁহার সমস্ত গৃহের মধ্যে ছিলেন, তেমনি তিনিও আপন নিয়োগকর্ত্তার কাছে বিশ্বস্ত ছিলেন।
3. क्योंकि वह मूसा से इतना बढ़कर महिमा के योग्य समझा गया है, जितना कि घर बनानेवाला घर से बढ़कर आदर रखता है।
3. বস্তুতঃ গৃহের সংস্থাপক যে পরিমাণে গৃহ অপেক্ষা অধিক সমাদর পান, সেই পরিমাণে ইনি মোশি অপেক্ষা অধিক গৌরবের যোগ্যপাত্র বলিয়া গণিত হইয়াছেন।
4. क्योंकि हर एक घर का कोई न कोई बनानेवाला होता है, पर जिस ने सब कुछ बनाया वह परमेश्वर है।
4. কেননা প্রত্যেক গৃহ কাহারও দ্বারা সংস্থাপিত হয়, কিন্তু যিনি সকলই সংস্থাপন করিয়াছেন, তিনি ঈশ্বর।
5. मूसा तो उसके सारे घर में सेवक की नाई विश्वासयोग्य रहा, कि जिन बातों का वर्णन होनेवाला था, उन की गवाही दे।गिनती 12:7
5. আর মোশি তাঁহার সমস্ত গৃহের মধ্যে সেবকবৎ বিশ্বস্ত ছিলেন; যাহা যাহা পরে বক্তব্য ছিল, সেই সকলের বিষয় সাক্ষ্য দিবার নিমিত্তই ছিলেন;
6. पर मसीह पुत्रा की नाई उसके घर का अधिकारी है, और उसका घर हम हैं, यदि हम साहस पर, और अपनी आशा के घमण्ड पर अन्त तक दृढ़ता से स्थिर रहें।
6. কিন্তু খ্রীষ্ট তাঁহার গৃহের উপরে পুত্রবৎ [বিশ্বস্ত]; আর যদি আমরা আমাদের সাহস ও আমাদের প্রত্যাশার শ্লাঘা শেষ পর্য্যন্ত দৃঢ়রূপে ধারণ করি, তবে তাঁহার গৃহ আমরাই।
7. सो जैसा पवित्रा आत्मा कहता है, कि यदि आज तुम उसका शब्द सुनो।भजन संहिता 95:7-11
7. অতএব, পবিত্র আত্মা যেমন বলেন, “অদ্য যদি তোমরা তাঁহার রব শ্রবণ কর,
8. तो अपने मन को कठोर न करो, जैसा कि क्रोध दिलाने के समय और परीक्षा के दिन जंगल में किया था।निर्गमन 17:7, गिनती 20:2-5
8. তবে আপন আপন হৃদয় কঠিন করিও না, যেমন সেই বিদ্রোহস্থানে, প্রান্তরের মধ্যে সেই পরীক্ষার দিবসে ঘটিয়াছিল;
9. जहां तुम्हारे बापदादों ने मुझे जांचकर परखा और चालीस वर्ष तक मेरे काम देखे।
9. তথায় তোমাদের পিতৃপুরুষেরা বিচার করিয়া আমার পরীক্ষা লইল, এবং চল্লিশ বৎসর কাল আমার কার্য্য দেখিল;
10. इस कारण मैं उस समय के लोगों से रूठा रहा, और कहा, कि इन के मन सदा भटकते रहते हैं, और इन्हों ने मेरे मार्गों को नहीं पहिचाना।
10. এই জন্য আমি এই জাতির প্রতি অসন্তুষ্ট হইলাম, আর কহিলাম, ইহারা সর্ব্বদা হৃদয়ে ভ্রান্ত হয়; আর তাহারা আমার পথ জ্ঞাত হইল না;
11. तब मैं ने क्रोध में आकर शपथ खाई, कि वे मेरे विश्राम में प्रवेश करने न पाएंगे।गिनती 14:21-23
11. তখন আমি আপন ক্রোধে এই শপথ করিলাম, ইহারা আমার বিশ্রামে প্রবেশ করিবে না।”
12. हे भाइयो, चौकस रहो, कि तुम में ऐसा बुरा और अविश्वासी न मन हो, जो जीवते परमेश्वर से दूर हट जाए।
12. ভ্রাতৃগণ, দেখিও, পাছে অবিশ্বাসের এমন মন্দ হৃদয় তোমাদের কাহারও মধ্যে থাকে যে, তোমরা জীবন্ত ঈশ্বর হইতে সরিয়া পড়।
13. बरन जिस दिन तक आज का दिन कहा जाता है, हर दिन एक दूसरे को समझाते रहो, ऐसा न हो, कि तुम में से कोई जन पाप के छल में आकर कठोर हो जाए।
13. বরং তোমরা দিন দিন পরস্পর চেতনা দেও, যাবৎ ‘অদ্য’ নামে আখ্যাত সময় থাকে, যেন তোমাদের মধ্যে কেহ পাপের প্রতারণায় কঠিনীভূত না হয়।
14. क्योंकि हम मसीह के भागी हुए हैं, यदि हम अपने प्रथम भरोसे पर अन्त तक दृढ़ता से स्थिर रहें।
14. কেননা আমরা খ্রীষ্টের সহভাগী হইয়াছি, যদি আদি হইতে আমাদের নিশ্চয়জ্ঞান শেষ পর্য্যন্ত দৃঢ় করিয়া ধারণ করি।
15. जैसा कहा जाता है, कि यदि आज तुम उसका शब्द सुनो, तो अपने मनों को कठोर न करो, जैसा कि क्रोध दिलाने के समय किया था।
15. ফলতঃ উক্ত আছে, “অদ্য যদি তোমরা তাঁহার রব শ্রবণ কর, তবে আপন আপন হৃদয় কঠিন করিও না, যেমন সেই বিদ্রোহস্থানে।”
16. भला किन लोगों ने सुनकर क्रोध दिलाया? क्या उन सब ने नहीं जो मूसा के द्वारा मिसर से निकले थे?गिनती 14:1-35
16. বল দেখি, কাহারা শুনিয়া বিদ্রোহ করিয়াছিল? মোশি দ্বারা মিসর হইতে আনীত সমস্ত লোক কি নয়?
17. और वह चालीस वर्ष तक किन लोगों से रूठा रहा? क्या उन्हीं से नहीं, जिन्हों ने पाप किया, और उन की लोथें जंगल में पड़ी रहीं?गिनती 14:29
17. কাহাদের প্রতিই বা তিনি চল্লিশ বৎসর অসন্তুষ্ট ছিলেন? তাহাদের প্রতি কি নয়, যাহারা পাপ করিয়াছিল, যাহাদের শব প্রান্তরে পতিত হইল?
18. और उस ने किन से शपथ खाई, कि तुम मेरे विश्राम में प्रवेश करने न पाओगे: केवल उन से जिन्हों ने आज्ञा न मानी?गिनती 14:22-23
18. তিনি কাহাদের বিরুদ্ধেই বা এই শপথ করিয়াছিলেন যে, “ইহারা আমার বিশ্রামে প্রবেশ করিবে না,” অবাধ্যদের বিরুদ্ধে কি নয়?
19. सो हम देखते हैं, कि वे अविश्वास के कारण प्रवेश न कर सके।।
19. ইহাতে আমরা দেখিতে পাইতেছি যে, অবিশ্বাস প্রযুক্তই তাহারা প্রবেশ করিতে পারিল না।