3. हे भाइयो, तुम्हारे विषय में हमें हर समय परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहिए, और यह उचित भी है इसलिये कि तुम्हारा विश्वास बहुत बढ़ता जाता है, और तुम सब को प्रेम आपस में बहुत ही होता जाता है।
3. We are bound, to be giving thanks, unto God, continually, concerning you, brethren, even as it is, meet; because your faith groweth exceedingly, and the love of each one of you all one to another aboundeth,