Deuteronomy - व्यवस्थाविवरण 28 | View All

1. यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की सब आज्ञाएं, जो मैं आज तुझे सुनाता हूं, चौकसी से पूरी करने का चित्त लगाकर उसकी सुने, तो वह तुझे पृथ्वी की सब जातियों में श्रेष्ठ करेगा।

1. আমি তোমাকে অদ্য যে সকল আজ্ঞা আদেশ করিতেছি, যত্নপূর্ব্বক সেই সকল পালন করিবার জন্য যদি তুমি আপন ঈশ্বর সদাপ্রভুর রবে মনোযোগ সহকারে কর্ণপাত কর, তবে তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু পৃথিবীস্থ সমস্ত জাতির উপরে তোমাকে উন্নত করিবেন;

2. फिर अपने परमेश्वर यहोवा की सुनने के कारण ये सब आर्शीवाद तुझ पर पूरे होंगे।

2. আর তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর রবে কর্ণপাত করিলে এই সকল আশীর্ব্বাদ তোমার উপরে বর্ত্তিবে ও তোমাকে আশ্রয় করিবে।

3. धन्य हो तू नगर में, धन्य हो तू खेत में।

3. তুমি নগরে আশীর্ব্বাদযুক্ত হইবে ও ক্ষেত্রে আশীর্ব্বাদযুক্ত হইবে।

4. धन्य हो तेरी सन्तान, और तेरी भूमि की उपज, और गाय और भेड़- बकरी आदि पशुओं के बच्चे।
लूका 1:42

4. তোমার শরীরের ফল, তোমার ভূমির ফল, তোমার পশুর ফল, তোমার গোরুদের বৎস ও তোমার মেষীদের শাবক আশীর্ব্বাদযুক্ত হইবে।

5. धन्य हो तेरी टोकरी और तेरी कठौती।

5. তোমার চুপড়ি ও তোমার ময়দার কাঠুয়া আশীর্ব্বাদযুক্ত হইবে।

6. धन्य हो तू भीतर आते समय, और धन्य हो तू बाहर जाते समय।

6. ভিতরে আসিবার সময়ে তুমি আশীর্ব্বাদযুক্ত হইবে, এবং বাহিরে যাইবার সময়ে তুমি আশীর্ব্বাদযুক্ত হইবে।

7. यहोवा ऐसा करेगा कि तेरे शत्रु जो तुझ पर चढ़ाई करेंगे वे तुझ से हार जाएंगे; वे एक मार्ग से तुझ पर चढ़ाई करेंगे, परन्तु तेरे साम्हने से सात मार्ग से होकर भाग जाएंगे।

7. তোমার যে শত্রুগণ তোমার বিরুদ্ধে উঠে, তাহাদিগকে সদাপ্রভু তোমার সম্মুখে আঘাত করাইবেন; তাহারা এক পথ দিয়া তোমার বিরুদ্ধে আসিবে, কিন্তু সাত পথ দিয়া তোমার সম্মুখ হইতে পলায়ন করিবে।

8. तेरे खत्तों पर और जितने कामों में तू हाथ लगाएगा उन सभों पर यहोवा आशीष देगा; इसलिये जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उस में वह तुझे आशीष देगा।

8. সদাপ্রভু আজ্ঞা করিয়া তোমার গোলাঘর সম্বন্ধে ও তুমি যে কোন কার্য্যে হস্তক্ষেপ কর, তৎসম্বন্ধে আশীর্ব্বাদকে তোমার সহচর করিবেন; এবং তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু তোমাকে যে দেশ দিতেছেন, তথায় তোমাকে আশীর্ব্বাদ করিবেন।

9. यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं को मानते हुए उसके मार्गों पर चले, तो वह अपनी शपथ के अनुसार तुझै अपनी पवित्रा प्रजा करके स्थिर रखेगा।

9. সদাপ্রভু আপন দিব্যানুসারে তোমাকে আপন পবিত্র প্রজা বলিয়া স্থাপন করিবেন; কেবল তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর আজ্ঞা পালন ও তাঁহার পথে গমন করিতে হইবে।

10. और पृथ्वी के देश देश के सब लोग यह देखकर, कि तू यहोवा का कहलाता है, तुझ से डर जाएंगे।

10. আর পৃথিবীস্থ সমস্ত জাতি দেখিতে পাইবে যে, তোমার উপরে সদাপ্রভুর নাম কীর্ত্তিত হইয়াছে, এবং তাহারা তোমা হইতে ভীত হইবে।

11. और जिस देश के विषय यहोवा ने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर तुझे देने को कहा, था उस में वह तेरी सन्तान की, और भूमि की उपज की, और पशुओं की बढ़ती करके तेरी भलाई करेगा।

11. আর সদাপ্রভু তোমাকে যে দেশ দিতে তোমার পিতৃপুরুষদের কাছে দিব্য করিয়াছেন, সেই দেশে তিনি মঙ্গলার্থেই তোমার শরীরের ফলে, তোমার পশুর ফলে ও তোমার ভূমির ফলে তোমাকে ঐশ্বর্য্যশালী করিবেন।

12. यहोवा तेरे लिये अपने आकाशरूपी उत्तम भण्डार को खोलकर तेरी भूमि पर समय पर मेंह बरसाया करेगा, और तेरे सारे कामों पर आशीष देगा; और तू बहुतेरी जातियों को उधार देगा, परन्तु किसी से तुझे उधार लेना न पड़ेगा।

12. যথাকালে তোমার ভূমির জন্য বৃষ্টি দিতে ও তোমার হস্তের সমস্ত কর্ম্মে আশীর্ব্বাদ করিতে সদাপ্রভু আপনার আকাশরূপ মঙ্গল-ভাণ্ডার খুলিয়া দিবেন; এবং তুমি অনেক জাতিকে ঋণ দিবে, কিন্তু আপনি ঋণ লইবে না।

13. और यहोवा तुझ को पुंछ नहीं, किन्तु सिर ही ठहराएगा, और तू नीचे नहीं, परन्तु ऊपर ही रहेगा; यदि परमेश्वर यहोवा की आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं, तू उनके मानने में मन लगाकर चौकसी करे;

13. আর সদাপ্রভু তোমাকে মস্তকস্বরূপ করিবেন, পুচ্ছস্বরূপ করিবেন না; তুমি অবনত না হইয়া কেবল উন্নত হইবে; কেবল তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর এই যে সকল আজ্ঞা যত্নপূর্ব্বক পালন করিতে আমি তোমাকে অদ্য আদেশ করিতেছি, এই সকলেতে কর্ণপাত করিতে হইবে;

14. और जिन वचनों की मैं आज तुझे आज्ञा देता हूं उन में से किसी से दहिने वा बाएं मुड़के पराये देवताओं के पीछे न हो ले, और न उनकी सेवा करे।।

14. আর অদ্য আমি তোমাদিগকে যে সকল কথা আজ্ঞা করিতেছি, অন্য দেবগণের সেবা করণার্থে তাহাদের অনুগামী হইবার জন্য তোমাকে সেই সকল কথার দক্ষিণে কি বামে ফিরিতে হইবে না।

15. परन्तु यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की बात न सुने, और उसकी सारी आज्ञाओं और विधियों के पालने में जो मैं आज सुनाता हूं चौकसी नहीं करेगा, तो ये सब शाप तुझ पर आ पड़ेंगे।

15. কিন্তু যদি তুমি আপন ঈশ্বর সদাপ্রভুর রবে কর্ণপাত না কর, আমি অদ্য তোমাকে তাঁহার যে সমস্ত আজ্ঞা ও বিধি আদেশ করিতেছি, যত্নপূর্ব্বক সেই সকল পালন না কর, তবে এই সমস্ত অভিশাপ তোমার প্রতি বর্ত্তিবে ও তোমাকে আশ্রয় করিবে।

16. अर्थात् शापित हो तू नगर में, शापित हो तू खेत में।

16. তুমি নগরে শাপগ্রস্ত হইবে ও ক্ষেত্রে শাপগ্রস্ত হইবে।

17. शापित हो तेरी टोकरी और तेरी कठौती।

17. তোমার চুপড়ি ও তোমার ময়দার কাঠুয়া শাপগ্রস্ত হইবে।

18. शापित हो तेरी सन्तान, और भूमि की उपज, और गायों और भेड़- बकरियों के बच्चे।

18. তোমার শরীরের ফল, তোমার ভূমির ফল এবং তোমার গোরুর বৎস ও তোমার মেষীদের শাবক শাপগ্রস্ত হইবে।

19. शापित हो तू भीतर आते समय, और शापित हो तू बाहर जाते समय।

19. ভিতরে আসিবার সময়ে তুমি শাপগ্রস্ত হইবে, ও বাহিরে যাইবার সময়ে তুমি শাপগ্রস্ত হইবে।

20. फिर जिस जिस काम में तू हाथ लगाए, उस में यहोवा तब तक तुझ को शाप देता, और भयातुरं करता, और धमकी देता रहेगा, जब तक तू मिट न जाए, और शीघ्र नष्ट न हो जाए; यह इस कारण होगा कि तू यहोवा को त्यागकर दुष्ट काम करेगा।

20. যে পর্য্যন্ত তোমার সংহার ও হঠাৎ বিনাশ না হয়, তাবৎ যে কোন কার্য্যে তুমি হস্তক্ষেপ কর, সেই কার্য্যে সদাপ্রভু তোমার উপরে অভিশাপ, উদ্বেগ ও ভর্ৎসনা প্রেরণ করিবেন; ইহার কারণ তোমার দুষ্ট কার্য্য সকল, যদ্দ্বারা তুমি আমাকে পরিত্যাগ করিয়াছ।

21. और यहोवा ऐसा करेगा कि मरी तुझ में फैलकर उस समय तक लगी रहेगी, जब तक जिस भूमि के अधिकारी होने के लिये तू जा रहा है उस से तेरा अन्त न हो जाए।

21. তুমি যে দেশ অধিকার করিতে যাইতেছ, সেই দেশ হইতে যাবৎ উচ্ছিন্ন না হও, তাবৎ সদাপ্রভু তোমাকে মহামারীর আশ্রয় করিবেন।

22. यहोवा तुझ को क्षयरोग से, और ज्वर, और दाह, और बड़ी जलन से, और तलवार से, और झुलस, और गेरूई से मारेगा; और ये उस समय तक तेरा पीछा किये रहेंगे, तब तक तू सत्यानाश न हो जाए।

22. সদাপ্রভু ক্ষয়রোগ, জ্বর, জ্বালা, প্রচণ্ড উত্তাপ ও খড়গ এবং শস্যের শোষ ও ম্লানি দ্বারা তোমাকে আঘাত করিবেন; তোমার বিনাশ না হওয়া পর্য্যন্ত সে সকল তোমার অনুধাবন করিবে।

23. और तेरे सिर के ऊपर आकाश पीतल का, और तेरे पांव के तले भूमि लोहे की हो जाएगी।

23. আর তোমার মস্তকের উপরিস্থিত আকাশ পিত্তল, ও নিম্নস্থিত ভূমি লৌহস্বরূপ হইবে।

24. यहोवा तेरे देश में पानी के बदले बालू और धूलि बरसाएगा; वह आकाश से तुझ पर यहां तक बरसेगी कि तू सत्यानाश हो जाएगा।

24. সদাপ্রভু তোমার দেশে জলের পরিবর্ত্তে ধূলি ও বালি বর্ষণ করিবেন; যে পর্য্যন্ত তোমার বিনাশ না হয়, তাবৎ তাহা আকাশ হইতে নামিয়া তোমার উপরে পড়িবে।

25. यहोवा तुझ को शत्रुओं से हरवाएगा; और तू एक मार्ग से उनका साम्हना करने को जाएगा, परन्तु सात मार्ग से होकर उनके साम्हने से भाग जाएगा; और पृथ्वी के सब राज्यों में मारा मारा फिरेगा।

25. সদাপ্রভু তোমার শত্রুদের সম্মুখে তোমাকে আঘাত করাইবেন; তুমি এক পথ দিয়া তাহাদের বিরুদ্ধে যাইবে, কিন্তু সাত পথ দিয়া তাহাদের সম্মুখ হইতে পলায়ন করিবে; এবং পৃথিবীর সমস্ত রাজ্যের মধ্যে ভাসিয়া বেড়াইবে।

26. और तेरी लोथ आकाश के भांति भांति के पक्षियों, और धरती के पशुओं का आहार होगी; और उनका कोई हाँकनेवाला न होगा।

26. আর তোমার শব খেচর পক্ষীসমূহের ও ভূচর পশুগণের ভক্ষ্য হইবে; কেহ তাহাদিগকে খেদাইয়া দিবে না।

27. यहोवा तुझ को मि के से फोड़े, और बवासीर, और दाद, और खुजली से ऐसा पीड़ित करेगा, कि तू चंगा न हो सकेगा।

27. সদাপ্রভু তোমাকে মিস্রীয় স্ফোটক, এবং মহামারীর স্ফোটক, পামা ও খুজলি, এই সকল রোগ দ্বারা এমন আঘাত করিবেন যে, তুমি আরোগ্য পাইতে পারিবে না।

28. यहोवा तुझे पागल और अन्धा कर देगा, और तेरे मन को अत्यन्त घबरा देगा;

28. সদাপ্রভু উন্মাদ, অন্ধতা ও চিত্তের স্তব্ধতাদ্বারা তোমাকে আঘাত করিবেন।

29. और जैसे अन्धा अन्धियारे में टटोलता है वैसे ही तू दिन दुपहरी में टटोलता फिरेगा, और तेरे काम काज सुफल न होंगे; और तू सदैव केवल अन्धेर सहता और लुटता ही रहेगा, और तेरा कोई छुड़ानेवाला न होगा।

29. অন্ধ যেমন অন্ধকারে হাঁতড়িয়া বেড়ায়, তদ্রূপ তুমি মধ্যাহ্নকালে হাঁতড়িয়া বেড়াইবে, ও আপন পথে কৃতকার্য্য হইবে না, এবং সর্ব্বদা কেবল উপদ্রুত ও লুন্ঠিত হইবে, কেহ তোমাকে নিস্তার করিবে না।

30. तू स्त्री से ब्याह की बात लगाएगा, परन्तु दूसरा पुरूष उसको भ्रष्ट करेगा; घर तू बनाएगा, परन्तु उस में बसने न पाएगा; दाख की बारी तू लगाएगा, परन्तु उसके फल खाने न पाएगा।

30. তোমার প্রতি কন্যার বাগ্‌দান হইবে, কিন্তু অন্য পুরুষ তাহাতে উপগত হইবে; তুমি গৃহ নির্ম্মাণ করিবে, কিন্তু তাহাতে বাস করিতে পাইবে না; দ্রাক্ষাক্ষেত্র প্রস্তুত করিবে, কিন্তু তাহার ফল ভোগ করিবে না।

31. तेरा बैल तेरी आंखों के साम्हने मारा जाएगा, और तू उसका मांस खाने न पाएगा; तेरा गदहा तेरी आंख के साम्हने लूट में चला जाएगा, और तुझे फिर न मिलेगा; तेरी भेड़- बकरियां तेरे शत्रुओं के हाथ लग जाएंगी, और तेरी ओर से उनका कोई छुडानेवाला न होगा।

31. তোমার গোরু তোমার সম্মুখে হত হইবে, আর তুমি তাহার মাংস ভোজন করিতে পাইবে না; তোমার গর্দ্দভ তোমার সাক্ষাতে সবলে অপহৃত হইবে, তাহা তোমাকে ফিরাইয়া দেওয়া যাইবে না; তোমার মেষপাল তোমার শত্রুগণকে দত্ত হইবে, তোমার পক্ষে নিস্তারকর্ত্তা কেহ থাকিবে না।

32. तेरे बेटे- बेटियां दूसरे देश के लोगों के हाथ लग जाएंगे, और उनके लिये चाव से देखते देखते तेरी आंखे रह जाएंगी; और तेरा कुछ बस न चलेगा।

32. তোমার পুত্রকন্যাগণ অন্য এক জাতিকে দত্ত হইবে, ও সমস্ত দিন তাহাদের অপেক্ষায় চাহিতে চাহিতে তোমার চক্ষু ক্ষীণ হইবে, এবং তোমার হস্তের কোন শক্তি থাকিবে না।

33. तेरी भूमि की उपज और तेरी सारी कमाई एक अनजाने देश के लोगे खा जाएंगे; और सर्वदा तू केवल अन्धेर सहता और पीसा जाता रहेगा;

33. তোমার অজ্ঞাত এক জাতি তোমার ভূমির ফল ও তোমার শ্রমের সমস্ত ফল ভোগ করিবে; এবং তুমি সর্ব্বদা কেবল উপদ্রুত ও চূর্ণ হইবে;

34. यहां तक कि तू उन बातों के कारण जो अपनी आंखों से देखेगा पागल हो जाएगा।

34. আর তোমার চক্ষু যাহা দেখিবে, তৎপ্রযুক্ত তুমি উন্মত্ত হইবে।

35. यहोवा तेरे घुटनों और टांगों में, वरन नख से शिख तक भी असाध्य फोड़े निकालकर तुझ को पीड़ित करेगा।
प्रकाशितवाक्य 16:2

35. সদাপ্রভু তোমার জানু, জংঘা ও পায়ের তলা হইতে মাথার তালু পর্য্যন্ত অপ্রতীকার্য্য দুষ্ট স্ফোটক দ্বারা আঘাত করিবেন।

36. यहोवा तुझ को उस राजा समेत, जिस को तू अपने ऊपर ठहराएगा, तेरी और तेरे पूर्वजों से अनजानी एक जाति के बीच पहुंचाएगा; और उसके मध्य में रहकर तू काठ और पत्थर के दूसरे देवताओं की उपासना और पूजा करेगा।

36. সদাপ্রভু তোমাকে এবং যে রাজাকে তুমি আপনার উপরে নিযুক্ত করিবে, তাহাকে তোমার অজ্ঞাত এবং তোমার পিতৃপুরুষদের অজ্ঞাত এক জাতির কাছে লইয়া যাইবেন; সেইস্থানে তুমি অন্য দেবগণের, কাষ্ঠ ও প্রস্তরের, সেবা করিবে।

37. और उन सब जातियों में जिनके मध्य में यहोवा तुझ को पहुंचाएगा, वहां के लोगों के लिये तू चकित होने का, और दृष्टान्त और शाप का कारण समझा जाएगा।

37. আর সদাপ্রভু তোমাকে যে সকল জাতির মধ্যে লইয়া যাইবেন, তাহাদের কাছে তুমি বিস্ময়ের, প্রবাদের ও উপহাসের আস্পদ হইবে।

38. तू खेत में बीज तो बहुत सा ले जाएगा, परन्तु उपज थोड़ी ही बटोरेगा; क्योंकि टिडि्डयां उसे खा जाएंगी।

38. তুমি বহু বীজ বহিয়া ক্ষেত্রে লইয়া যাইবে, কিন্তু অল্প সংগ্রহ করিবে; কেননা পঙ্গপাল তাহা বিনষ্ট করিবে।

39. तू दाख की बारियां लगाकर उन मे काम तो करेगा, परन्तु उनकी दाख का मधु पीने न पाएगा, वरन फल भी तोड़ने न पाएगा; क्योंकि कीड़े उनको खा जाएंगे।

39. তুমি দ্রাক্ষাক্ষেত্র প্রস্তুত করিয়া তাহার পাইট করিবে, কিন্তু দ্রাক্ষারস পান করিতে কি দ্রাক্ষাফল চয়ন করিতে পাইবে না; কেননা কীটে তাহা খাইয়া ফেলিবে।

40. तेरे सारे देश में जलपाई के वृक्ष तो होंगे, परन्तु उनका तेल तू अपने शरीर में लगाने न पाएगा; क्योंकि वे झड़ जाएंगे।

40. তোমার সকল অঞ্চলে জিতবৃক্ষ হইবে, কিন্তু তুমি তৈল মর্দ্দন করিতে পাইবে না; কেননা তোমার জিতবৃক্ষের ফল ঝরিয়া পড়িবে।

41. तेरे बेटे- बेटियां तो उत्पन्न होंगे, परन्तु तेरे रहेंगे नहीं; क्योंकि वे बन्धुवाई में चले जाएंगे।

41. তুমি পুত্রকন্যাগণের জন্ম দিবে, কিন্তু তাহারা তোমার হইবে না; কেননা তাহারা বন্দি হইয়া যাইবে।

42. तेरे सब वृक्ष और तेरी भूमि की उपज टिडि्डयां खा जाएंगी।

42. পঙ্গপাল তোমার সমস্ত বৃক্ষ ও ভূমির ফল অধিকার করিবে।

43. जो परदेशी तेरे मध्य में रहेगा वह तुझ से बढ़ता जाएगा; और तू आप घटता चला जाएगा।

43. তোমার মধ্যবর্ত্তী বিদেশী তোমা হইতে উত্তর উত্তর উন্নত হইবে, ও তুমি উত্তর উত্তর অবনত হইবে।

44. वह तुझ को उधार देगा, परन्तु तू उसको उधार न दे सकेगा; वह तो सिर और तू पूंछ ठहरेगा।

44. সে তোমাকে ঋণ দিবে, কিন্তু তুমি তাহাকে ঋণ দিবে না; সে মস্তক স্বরূপ হইবে, ও তুমি পুচ্ছস্বরূপ হইবে।

45. तू जो अपने परमेश्वर यहोवा की दी हुई आज्ञाओं और विधियों के मानने को उसकी न सुनेगा, इस कारण ये सब शाप तुझ पर आ पड़ेंगे, और तेरे पीछे पड़े रहेंगे, और तुझ को पकड़ेंगे, और अन्त में तू नष्ट हो जाएगा।

45. এই সমস্ত অভিশাপ তোমার উপরে আসিবে, তোমার অনুধাবন করিয়া তোমার বিনাশ পর্য্যন্ত তোমাকে আশ্রয় করিবে; কেননা তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু তোমাকে যে সকল আজ্ঞা ও বিধি দিয়াছেন, তুমি সে সকল পালনার্থে তাঁহার রবে কর্ণপাত করিলে না।

46. और वे तुझ पर और तेरे वंश पर सदा के लिये बने रहकर चिन्ह और चमत्कार ठहरेंगे;

46. এ সমস্ত তোমার ও যুগে যুগে তোমার বংশের উপরে চিহ্ন ও অদ্ভুত লক্ষণস্বরূপ থাকিবে।

47. तू जो सब पदार्थ की बहुतायत होने पर भी आनन्द और प्रसन्नता के साथ अपने परमेश्वर यहोवा की सेवा नहीं करेगा,

47. যেহেতুক সর্ব্বপ্রকার সম্পত্তির বাহুল্যপ্রযুক্ত তুমি আনন্দপূর্ব্বক প্রফুল্লচিত্তে আপন ঈশ্বর সদাপ্রভুর দাসত্ব করিতে না;

48. इस कारण तुझ को भूखा, प्यासा, नंगा, और सब पदार्थों से रहित होकर अपने उन शत्रुओं की सेवा करनी पड़ेगी जिन्हें यहोवा तेरे विरूद्ध भेजेगा; और जब तक तू नष्ट न हो जाए तब तक वह तेरी गर्दन पर लेहे का जूआ डाल रखेगा।

48. এই জন্য সদাপ্রভু তোমার বিরুদ্ধে যে শত্রুগণকে পাঠাইবেন, তুমি ক্ষুধায়, তৃষ্ণায়, উলঙ্গতায়, ও সকল বিষয়ের অভাব ভোগ করিতে করিতে তাহাদের দাসত্ব করিবে; এবং যে পর্য্যন্ত তিনি তোমার বিনাশ না করেন, সে পর্য্যন্ত তোমার গ্রীবাতে লৌহের যোঁয়ালি দিয়া রাখিবেন।

49. यहोवा तेरे विरूद्ध दूर से, वरन पृथ्वी के छोर से वेग उड़नेवाले उकाब सी एक जाति को चढ़ा लाएगा जिसकी भाषा को तू न समझेगा;

49. সদাপ্রভু তোমার বিরুদ্ধে অতি দূর হইতে, পৃথিবীর প্রান্ত হইতে এক জাতিকে আনিবেন; যেমন ঈগল পক্ষী উড়িয়া আইসে, [সে সেইরূপ আসিবে]; সেই জাতির ভাষা তুমি বুঝিতে পারিবে না।

50. उस जाति के लोगों का व्यवहार क्रूर होगा, वे न तो बूढ़ों का मुंह देखकर आदर करेंगे, और न बालकों पर दया करेंगे;

50. সেই জাতি ভয়ঙ্কর-বদন, সে বৃদ্ধের মুখাপেক্ষা করিবে না, ও বালকের প্রতি কৃপা করিবে না।

51. और वे तेरे पशुओं के बच्चे और भूमि की उपज यहां तक खा जांएगे कि तू नष्ट हो जाएगा; और वे तेरे लिये न अन्न, और न नया दाखमधु, और न टटका तेल, और न बछड़े, न मेम्ने छोड़ेंगे, यहां तक कि तू नाश हो जाएगा।

51. আর যে পর্য্যন্ত তোমার বিনাশ না হইবে, তাবৎ সে তোমার পশুর ফল ও তোমার ভূমির ফল ভোজন করিবে; যাবৎ সে তোমার বিনাশ সাধন না করিবে, তাবৎ তোমার জন্য শস্য, দ্রাক্ষারস কিম্বা তৈল, তোমার গোরুর বৎস কিম্বা তোমার মেষীর শাবক অবশিষ্ট রাখিবে না।

52. और वे तेरे परमेश्वर यहोवा के दिये हुए सारे देश के सब फाटकों के भीतर तुझे घेर रखेंगे; वे तेरे सब फाटकों के भीतर तुझे उस समय तक घेरेंगे, जब तक तेरे सारे देश में तेरी ऊंची ऊंची और दृढ़ शहरपनाहें जिन पर तू भरोसा करेगा गिर न जाएं।

52. আর তোমার সমস্ত দেশে যে সকল উচ্চ ও সুরক্ষিত প্রাচীরে তুমি বিশ্বাস করিতে, সে সকল যাবৎ ভূমিসাৎ না হইবে, তাবৎ সে তোমার সমস্ত নগর-দ্বারে তোমাকে অবরোধ করিবে; তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর দত্ত তোমার সমস্ত দেশে সমস্ত নগরদ্বারে সে তোমাকে অবরোধ করিবে।

53. तब घिर जाने और उस सकेती के समय जिस में तेरे शत्रु तुझ को डालेंगे, तू अपने निज जन्माए बेटे- बेटियों का मांस जिन्हें तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को देगा खाएगा।

53. আর যখন তোমার শত্রুগণ কর্ত্তৃক তুমি অবরুদ্ধ ও ক্লিষ্ট হইবে, তখন তুমি আপন শরীরের ফল, তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর দত্ত নিজ পুত্রকন্যাদিগের মাংস, ভোজন করিবে।

54. और तुझ में जो पुरूष कोमल और अति सुकुमार हो वह भी अपने भाई, और अपनी प्राणप्यारी, और अपने बचे हुए बालकों को क्रूर दृष्टि से देखेगा;

54. যখন সমস্ত নগরদ্বারে শত্রুগণকর্ত্তৃক তুমি অবরুদ্ধ ও ক্লিষ্ট হইবে, তখন তোমার মধ্যে যে পুরুষ কোমল ও অতিশয় সুখভোগী, আপন ভ্রাতার, বক্ষঃস্থিতা ভার্য্যার ও অবশিষ্ট সন্তানদের প্রতি তাহার এমন চক্ষু টাটাইবে যে,

55. और वह उन में से किसी को भी अपने बालकों के मांस में से जो वह आप खाएगा कुछ न देगा, क्योंकि घिर जाने और उस सकेती में, जिस में तेरे शत्रु तेरे सारे फाटकों के भीतर तुझे घेर डालेंगे, उसके पास कुछ न रहेगा।

55. সে তাহাদের কাহাকেও আপন সন্তানদের মাংসের কিছুই দিবে না; তাহার কিছুমাত্র অবশিষ্ট না থাকা প্রযুক্ত সে তাহাদিগকে খাইবে।

56. और तुझ में जो स्त्री यहां तक कोमल और सुकुमार हो कि सुकुमारपन के और कोमलता के मारे भूमि पर पांव धरते भी डरती हो, वह भी अपने प्राणप्रिय पति, और बेटे, और बेटी को,

56. যখন সমস্ত নগর-দ্বারে শত্রুগণকর্ত্তৃক তুমি অবরুদ্ধ ও ক্লিষ্ট হইবে, তখন যে স্ত্রী কোমলতা ও সুখভোগ প্রযুক্ত আপন পদতল ভূমিতে রাখিতে সাহস করিত না, তোমার মধ্যবর্ত্তিনী এমন কোমলাঙ্গী ও সুখভোগিনী মহিলার চক্ষু আপন বক্ষঃস্থিত স্বামীর, আপন পুত্রের ও কন্যার উপরে, এমন কি,

57. अपनी खेरी, वरन अपने जने हुए बच्चों को क्रूर दृष्टि से देखेगी, क्योंकि घिर जाने और सकेती के समय जिस में तेरे शत्रु तुझे तेरे फाटकों के भीतर घेरकर रखेंगे, वह सब वस्तुओं की घटी के मारे उन्हें छिप के खाएगी।

57. আপনার দুই পায়ের মধ্য হইতে নির্গত গর্ভপুষ্পের ও আপনার প্রসবিত শিশুদের উপরে টাটাইবে; কারণ সমস্তের অভাব প্রযুক্ত সে ইহাদিগকে গোপনে খাইবে।

58. यदि तू इन व्यवस्था के सारे वचनों के पालने में, जो इस पुस्तक में लिखें है, चौकसी करके उस आदरनीय और भययोग्य नाम का, जो यहोवा तेरे परमेश्वर का है भय न माने,

58. তুমি যদি এই পুস্তকে লিখিত ব্যবস্থার সমস্ত কথা যত্নপূর্ব্বক পালন না কর; এইরূপে যদি “তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু” এই গৌরবান্বিত ও ভয়াবহ নামকে ভয় না কর;

59. तो यहोवा तुझ को और तेरे वंश को अनोखे अनोखे दण्ड देगा, वे दुष्ट और बहुत दिन रहनेवाले रोग और भारी भारी दण्ड होंगे।

59. তবে সদাপ্রভু তোমাকে ও তোমার বংশকে আশ্চর্য্য আঘাত করিবেন; ফলতঃ বহুকালস্থায়ী মহাঘাত ও বহুকালস্থায়ী ব্যথাজনক রোগ দ্বারা আঘাত করিবেন।

60. और वह मि के उन सब रोगों को फिर तेरे ऊपर लगा देगा, जिन से तू भय खाता था; और वे तुझ में लगे रहेंगे।

60. আর তুমি যাহা হইতে উদ্বিগ্ন হইতে, সেই মিস্রীয় সমস্ত ব্যাধি আবার তোমার উপরে আনিবেন; সে সকল তোমার সঙ্গের সাথী হইবে।

61. और जितने रोग आदि दण्ड इस व्यवस्था की पुस्तक में नहीं लिखे हैं, उन सभों को भी यहोवा तुझ को यहां तक लगा देगा, कि तू सत्यानाश हो जाएगा।

61. আর‍ও যাহা এই ব্যবস্থাপুস্তকে লিখিত নাই, এমন প্রত্যেক রোগ ও আঘাত সদাপ্রভু তোমার বিনাশ না হওয়া পর্য্যন্ত তোমার উপরে আনিবেন।

62. और तू जो अपने परमेश्वर यहोवा की न मानेगा, इस कारण आकाश के तारों के समान अनगिनित होने की सन्ती तुझ में से थोड़े ही मनुष्य रह जाएंगे।

62. তাহাতে আকাশের তারার ন্যায় বহুসংখ্যক ছিলে যে তোমরা, তোমার অল্পসংখ্যক অবশিষ্ট থাকিবে; কেননা তুমি আপন ঈশ্বর সদাপ্রভুর রবে কর্ণপাত করিতে না।

63. और जैसे अब यहोवा की तुम्हारी भलाई और बढ़ती करने से हर्ष होता है, वैसे ही तब उसको तुम्हें नाश वरन सत्यानाश करने से हर्ष होगा; और जिस भूमि के अधिकारी होने को तुम जा रहे हो उस पर से तुम उखाड़े जाओगे।

63. আর তোমাদের মঙ্গল ও বৃদ্ধি করিতে যেমন সদাপ্রভু তোমাদের সম্বন্ধে আনন্দ করিতেন, সেইরূপ তোমাদের বিনাশ ও লোপ করিতে সদাপ্রভু তোমাদের সম্বন্ধে আনন্দ করিবেন; এবং তুমি যে দেশ অধিকার করিতে যাইতেছ, তথা হইতে তোমরা উন্মূলিত হইবে।

64. और यहोवा तुझ को पृथ्वी के इस छोर से लेकर उस छोर तक के सब देशों के लोगों में तित्तर बित्तर करेगा; और वहां रहकर तू अपने और अपने पुरखाओं के अनजाने काठ और पत्थर के दूसरे देवताओं की उपासना करेगा।

64. আর সদাপ্রভু তোমাকে পৃথিবীর এক প্রান্ত হইতে অপর প্রান্ত পর্য্যন্ত সমস্ত জাতির মধ্যে ছিন্নিভন্ন করিবেন; সেই স্থানে তুমি আপনার ও আপন পিতৃপুরুষদের অজ্ঞাত অন্য দেবগণের, কাষ্ঠ ও প্রস্তরের, সেবা করিবে।

65. और उन जातियों में तू कभी चैन न पाएगा, और न तेरे पांव को ठिकाना मिलेगा; क्योंकि वहां यहोवा ऐसा करेगा कि तेरा हृदय कांपता रहेगा, और तेरी आंखे धुंधली पड़ जाएगीं, और तेरा मन कलपता रहेगा;

65. আর তুমি সেই জাতিগণের মধ্যে কিছু সুখ পাইবে না, ও তোমার পদতলের জন্য বিশ্রামস্থান থাকিবে না, কিন্তু সদাপ্রভু সেই স্থানে তোমাকে হৃৎকম্প, চক্ষুর ক্ষীণতা ও প্রাণের শুষ্কতা দিবেন।

66. और तुझ को जीवन का नित्य सन्देह रहेगा; और तू दिन रात थरथराता रहेगा, और तेरे जीवन का कुछ भरोसा न रहेगा।

66. আর তোমার জীবন তোমার দৃষ্টিতে সংশয়ে দোলায়মান হইবে, এবং তুমি দিবারাত্র শঙ্কা করিবে, ও আপন জীবনের বিষয়ে তোমার বিশ্বাস থাকিবে না।

67. तेरे मन में जो भय बना रहेगा, उसके कारण तू भोर को आह मारके कहेगा, कि सांझ कब होगी! और सांझ को आह मारके कहेगा, कि भोर कब होगा।

67. তুমি হৃদয়ে যে শঙ্কা করিবে ও চক্ষুতে যে ভয়ঙ্কর দৃশ্য দেখিবে, তৎপ্রযুক্ত প্রাতঃকালে বলিবে, হায় হায়, কখন্‌ সন্ধ্যা হইবে? এবং সন্ধ্যাকালে বলিবে, হায় হায়, কখন্‌ প্রাতঃকাল হইবে?

68. और यहोवा तुझ को नावों पर चढ़ाकर मि में उस मार्ग से लौटा देगा, जिसके विषय में मैं ने तुझ से कहा था, कि वह फिर तेरे देखने में न आएगा; और वहंा तुम अपने शत्रुओं के हाथ दास- दासी होने के लिये बिकाऊ तो रहोगे, परन्तु तुम्हारा कोई ग्राहक न होगा।।

68. আর যে পথের বিষয়ে আমি তোমাকে বলিয়াছি, তুমি তাহা আর দেখিবে না, সদাপ্রভু সেই মিসর দেশের পথে জাহাজে করিয়া তোমাকে পুনর্ব্বার লইয়া যাইবেন; এবং সেই স্থানে তোমরা দাসদাসীরূপে আপন শত্রুদের কাছে বিক্রীত হইতে চাহিবে; কিন্তু কেহ তোমাদিগকে ক্রয় করিবে না।



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