2 Corinthians - 2 कुरिन्थियों 11 | View All

1. यदि तुम मेरी थोड़ी मूर्खता सह लेते तो क्या ही भला होता; हां, मेरी सह भी लेते हो।

1. I wish ye could bear with me a little in [my] folly and indeed bear with me.

2. क्योंकि मैं तुम्हारे विषय मे ईश्वरीय धुन लगाए रहता हूं, इसलिये कि मैं ने एक ही पुरूष से तुम्हारी बात लगाई है, कि तुम्हें पवित्रा कुंवारी की नाई मसीह को सौंप दूं।

2. For I am jealous over you with the jealousy of God, for I have espoused you to one husband, that I may present [you as] a chaste virgin to the Christ.

3. परन्तु मैं डरता हूं कि जैसे सांप ने अपनी चतुराई से हव्वा को बहकाया, वैसे ही तुम्हारे मन उस सीधाई और पवित्राता से जो मसीह के साथ होनी चाहिए कहीं भ्रष्ट न किए जाएं।
उत्पत्ति 3:13

3. But I fear that as the serpent deceived Eve through his craftiness, so your senses should be corrupted in some way, and ye should fall from the simplicity that is in the Christ.

4. यदि कोई तुम्हारे पास आकर, किसी दूसरे यीशु को प्रचार करे, जिस का प्रचार हम ने नहीं किया: या कोई और आत्मा तुम्हें मिले; जो पहिले न मिला था; या और कोई सुसमाचार जिसे तुम ने पहिले न माना था, तो तुम्हारा सहना ठीक होता।

4. Therefore if anyone comes preaching another Jesus whom we have not preached or [if] ye receive another spirit from that which ye have received or another gospel from that which ye have accepted, ye bear well with [it].

5. मैं तो समझता हमं, कि मैं किसी बात में बड़े से बड़े प्रेरितों से कम नहीं हूं।

5. I reckon that I have not been inferior in any way to those grandiose apostles.

6. यदि मैं व्क्तवय में अनाड़ी हूं, तौभी ज्ञान में नहीं; बरन हम ने इस को हर बात में सब पर तुम्हारे लिये प्रगट किया है।

6. But though [I am] rude in speech, yet not in knowledge, but we have been thoroughly made manifest among you in all things.

7. क्या इस में मैं ने कुछ पाप किया; कि मैं ने तुम्हें परमेश्वर का सुसमाचार सेंत मेंत सुनाया; और अपने आप को नीचा किया, कि तुम ऊंचे हो जाओ?

7. Have I committed an offence in humbling myself that ye might be exalted because I have preached to you the gospel of God freely?

8. मैं ने और कलीसियाओं को लूटा अर्थात् मैं ने उन से मजदूरी ली, ताकि तुम्हारी सेवा करूं।

8. I deprived the other churches, taking wages [of them], to do you service.

9. ओर जब तुम्हारे साथ था, और मुझे घटी हुई, तो मैं ने किसी पर भार नहीं दिया, क्योंकि भाइयों ने, मकिदुनिया से आकर मेरी घटी को परी की: और मैं ने हर बात में अपने आप को तुम पर भार होने से रोका, और रोके रहूंगा।

9. And when I was present with you and had need, I was not a burden to any [of you], for that which was lacking to me was supplied by the brethren which came from Macedonia; and in all [things] I have kept myself from being burdensome unto you, and [so] will I keep [myself].

10. यदि मसीह की सच्चाई मुझ में है, तो अखया देश में कोई मुझे इस घमण्ड से न रोकेगा।

10. It is the truth of Christ in me that this glory shall not be sealed up unto me in the regions of Achaia.

11. किस लिये? क्या इसलिये कि मैं तुम से प्रेम नहीं रखता? परमेश्वर यह जानता है।

11. Why? because I do not love you? God knows.

12. परन्तु जो मैं करता हूं, वही करता रहूंगा; कि जो लोग दांव ढूंढ़ते हैं, उन्हें मैं दांव पाने दूं, ताकि जिस बात में वे घमण्ड करते हैं, उस में वे हमारे ही समान ठहरें।

12. But what I do, I will continue to do that I may take away the occasion from those who desire it to be found like unto us in that in which they glory.

13. क्योंकि ऐसे लोग झूठे प्रेरित, और छल से काम करनेवाले, और मसीह के प्रेरितों का रूप धरनेवाले हैं।

13. For these false apostles are deceitful workers, transforming themselves into apostles of Christ.

14. और यह कुछ अचम्भे की बात नहीं क्योंकि शैतान आप भी ज्योतिमर्य स्वर्गदूत का रूप धारण करता है।

14. And it is no marvel, for Satan himself transforms himself into an angel of light.

15. सो यदि उसके सेवक भी धर्म के सेवकों का सा रूप धरें, तो कुछ बड़ी बात नहीं परन्तु उन का अन्त उन के कामों के अनुसार होगा।

15. Therefore [it is] no great thing if his ministers transform themselves as ministers of righteousness, whose end shall be according to their works.

16. मैं फिर कहता हूं, कोई मुझे मूर्ख न समझे; नहीं तो मूर्ख ही समझकर मेरी सह लो, ताकि थोड़ा सा मैं भी घमण्ड करूं।

16. I say again, Let no one think me a fool if otherwise, receive me as a fool, that I may yet glory a little.

17. इस बेधड़क घमण्ड से बोलने में जो कुछ मैं कहता हूं वह प्रभू की आज्ञा के अनुसार नहीं पर मानों मूर्खता से ही कहता हूं।

17. That which I speak, I speak [it] not according to the Lord, but as it were foolishly, in this confidence of glory.

18. जब कि बहुत लोग शरीर के अनुसार घमण्ड करते हैं, तो मैं भी घमण्ड करूंगा।

18. Seeing that many glory after the flesh, I will glory also.

19. तुम तो समझदार होकर आनन्द से मूर्खों की सह लेते हो।

19. For ye suffer fools gladly, seeing ye [yourselves] are wise.

20. क्योंकि जब तुम्हें कोई दास बना लेता है, या खा जाता है, या फसा लेता है, या अपने आप को बड़ा बनाता है, या तुम्हारे मुंह पर थप्पड़ मारता है, तो तुम सह लेते हो।

20. For ye suffer it if anyone brings you into bondage, if anyone devours [you], if anyone takes [of you], if anyone exalts himself, if anyone smites you on the face.

21. मेरा कहता अनादर की रीति पर है, मानो कि हम निर्बल से थे; परन्तु जिस किसी बात में कोई हियाव करता है (मैं मूर्खता से कहता हूं) तो मैं भी हियाव करता हूं।

21. I speak as concerning the reproach, as though we had been weak. Howbeit in that in which another is bold, (I speak foolishly), I am bold also.

22. क्या वे ही इब्रानी हैं? मैं भी हूं: क्या वे ही इब्राहीम के वंश के हैं? मैं भी हूं: क्या वे ही मसीह के सेवक हैं?

22. Are they Hebrews? so [am] I. Are they Israelites? so am I. Are they the seed of Abraham? so [am] I.

23. (मैं पागल की नाई कहता हूं) मैं उन से बढ़कर हूं! अधिक परिश्रम करने में; बार बार कैद होने में; कोड़े खाते में; बार बार मृत्यु के जोखिमों में।

23. Are they ministers of Christ? (I speak as a fool) I [am] more, in labours more abundant, in stripes above measure, in prisons more frequent, in deaths often.

24. पांच बार मैं ने यहूदियों के हाथ से उन्तालीस उन्तालीस कोड़े खाए।

24. Of the Jews five times I received forty [stripes] less one.

25. तीन बार मैं ने बेंतेें खाई; एक बार पत्थरवाह किया गया; तीन बार जहाज जिन पर मैं चढ़ा था, टूट गए; एक राज दिन मैं ने समुद्र में काटा।

25. Three times I was beaten with rods, once I was stoned; three times I suffered shipwreck, night and day I have been in the deep;

26. मैं बार बार यात्राओं में; नदियों के जोखिमों में; डाकुओं के जोखिमों में; अपने जातिवालों से जोखिमों में; अन्यजातियों से जोखिमों में; नगरों में के जाखिमों में; जंगल के जोखिमों में; समुद्र के जाखिमों में; झूठे भाइयों के बीच जोखिमों में;

26. [in] journeyings often, [in] perils of waters, [in] perils of robbers, [in] perils by those of my nation, [in] perils of the Gentiles, [in] perils in the city, [in] perils in the wilderness, [in] perils in the sea, [in] perils among false brethren;

27. परिश्रम और कष्ट में; बार बार जागते रहने में; भूख- पियास में; बार बार उपवास करते में; जाड़े में; उघाड़े रहने में।

27. in labour and travail, in many watches, in hunger and thirst, in many fasts, in cold and nakedness.

28. और और बातों को छोड़कर जिन का वर्णन मैं नहीं करता सब कलीसियाओं की चिन्ता प्रतिदिन मुझे दबाती है।

28. Beside those things that are without, my daily combat is the welfare of all the churches.

29. किस की निर्बलता से मैं निर्बल नहीं होता? किस के ठोकर खाने से मेरा जी नहीं दुखता?

29. Who is sick, and I am not sick? who stumbles, and I burn not?

30. यदि घमण्उ करना अवश्य है, तो मैं अपनी निर्बलता की बातों पर करूंगा।

30. If I must needs glory, I will glory of the things which concern my weakness.

31. प्रभु यीशु का परमेश्वर और पिता जो सदा धन्य है, जानता है, कि मैं झूठ नहीं बोलता।

31. The God and Father of our Lord Jesus Christ, who is blessed for evermore, knows that I do not lie.

32. दमिश्क में अरितास राजा की ओर से जो हाकिम था, उस ने मेरे पकड़ने को दमिस्त्रििकशयों के नगर पर पहरा बैठा रखा था।

32. In Damascus the governor under Aretas the king kept the city of the Damascenes with a garrison, desirous to apprehend me;

33. और मैं टोकरे में खिड़की से होकर भीत पर से उतारा गया, और उसके हाथ से बच निकला।।

33. and through a window in a basket I was let down by the wall and escaped his hands.:



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