6. हे भाइयों, मैं ने इन बातों में तुम्हारे लिये अपनी और अपुल्लोस की चर्चा, दृष्टान्त की रीति पर की है, इसलिये कि तुम हमारे द्वारा यह सीखो, कि लिखे हुए से आगे न बढ़ना, और एक के पक्ष में और दूसरे के विरोध में गर्व न करना।
6. All I'm doing right now, friends, is showing how these things pertain to Apollos and me so that you will learn restraint and not rush into making judgments without knowing all the facts. It's important to look at things from God's point of view. I would rather not see you inflating or deflating reputations based on mere hearsay.