9. परन्तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखनेवालों के लिये तैयार की हैं।
यशायाह 52:15, यशायाह 64:4
9. কিন্তু, যেমন লেখা আছে, “চক্ষু যাহা দেখে নাই, কর্ণ যাহা শুনে নাই, এবং মনুষ্যের হৃদয়াকাশে যাহা উঠে নাই। যাহা ঈশ্বর, যাহারা তাঁহাকে প্রেম করে, তাহাদের জন্য প্রস্তুত করিয়াছেন।”