1 Corinthians - 1 कुरिन्थियों 15 | View All

1. हे भाइयों, मैं तुम्हें वही सुसमाचार बताता हूं जो पहिले सुना चुका हूं, जिसे तुम ने अंगीकार भी किया था और जिस में तुम स्थिर भी हो।

1. And I make known to you, brethren, the good news that I proclaimed to you, which also ye did receive, in which also ye have stood,

2. उसी के द्वारा तुम्हारा उद्धार भी होता है, यदि उस सुसमाचार को जो मैं ने तुम्हें सुनाया था स्मरण रखते हो; नहीं तो तुम्हारा विश्वास करना व्यर्थ हुआ।

2. through which also ye are being saved, in what words I proclaimed good news to you, if ye hold fast, except ye did believe in vain,

3. इसी कारण मैं ने सब से पहिले तुम्हें वही बात पहुंचा दी, जो मुझे पहुंची थी, कि पवित्रा शास्त्रा के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया।
यशायाह 53:8-9

3. for I delivered to you first, what also I did receive, that Christ died for our sins, according to the Writings,

4. ओर गाड़ा गया; और पवित्रा शास्त्रा के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठा।
भजन संहिता 16:10, होशे 6:2, योना 1:17

4. and that he was buried, and that he hath risen on the third day, according to the Writings,

5. और कैफा को तब बारहों को दिलाई दिया।

5. and that he appeared to Cephas, then to the twelve,

6. फिर पांच सौ से अधिक भाइयों को एक साथ दिखाई दिया, जिन में से बहुतेरे अब तक वर्तमान हैं पर कितने सो गए।

6. afterwards he appeared to above five hundred brethren at once, of whom the greater part remain till now, and certain also did fall asleep;

7. फिर याकूब को दिखाई दिया तक सब प्रेरितों को दिखाई दिया।

7. afterwards he appeared to James, then to all the apostles.

8. और सब के बाद मुझ को भी दिखाई दिया, जो मानो अधूरे दिनों का जन्मा हूं।

8. And last of all -- as to the untimely birth -- he appeared also to me,

9. क्योंकि मैं प्ररितों में सब से छोटा हूं, बरन प्ररित कहलाने के योग्य भी नहीं, क्योंकि मैं ने परमेश्वर की कलीसिया को सताया था।

9. for I am the least of the apostles, who am not worthy to be called an apostle, because I did persecute the assembly of God,

10. परन्तु मैं जो कुछ भी हूं, परमेश्वर के अनुग्रह से हूं: और उसका अनुग्रह जो मुझ पर हुआ, वह व्यर्थ नहीं हुआद्ध परनतु मैं ने उन सब से बढ़कर परिश्रम भी किया: तौभी यह मेरी ओर से नहीं हुआ परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह से जो मुझ पर था।

10. and by the grace of God I am what I am, and His grace that [is] towards me came not in vain, but more abundantly than they all did I labour, yet not I, but the grace of God that [is] with me;

11. सो चाहे मैं हूं, चाहे वे हों, हम यही प्रचार करते हैं, और इसी पर तुम ने विश्वास भी किया।।

11. whether, then, I or they, so we preach, and so ye did believe.

12. सो जब कि मसीह का यह प्रचार किया जाता है, कि वह मरे हुओं में से जी उठा, तो तुम में से कितने क्योंकर कहते हैं, कि मरे हुओं का पुनरूत्थान है ही नहीं?

12. And if Christ is preached, that out of the dead he hath risen, how say certain among you, that there is no rising again of dead persons?

13. यदि मरे हुओं का पुनरूत्थान ही नहीं, तो मसीह भी नहीं जी उठा।

13. and if there be no rising again of dead persons, neither hath Christ risen;

14. और यदि मसीह भी नहीं जी उठा, तो हमारा प्रचार करना भी व्यर्थ है; और तुम्हारा विश्वास भी व्यर्थ है।

14. and if Christ hath not risen, then void [is] our preaching, and void also your faith,

15. बरन हम परमशॆवर के झूठे गवाह ठहरे; क्योंकि हम ने परमेश्वर के विषय में यह गवाही दी कि उस ने मसीह को जिला दिया यद्यपि नहीं जिलाया, यदि मरे हुए नहीं जी उठते।

15. and we also are found false witnesses of God, because we did testify of God that He raised up the Christ, whom He did not raise if then dead persons do not rise;

16. और यदि मुर्दे नहीं जी उठते, तो मसीह भी नहीं जी उठा।

16. for if dead persons do not rise, neither hath Christ risen,

17. और यदि मसीह नहीं जी उठा, तो तुम्हारा विश्वास व्यर्थ है; और तुम अब तक अपने पापों में फंसे हो।

17. and if Christ hath not risen, vain is your faith, ye are yet in your sins;

18. बरन जो मसीह मे सो गए हैं, वे भी नाश हुए।

18. then, also, those having fallen asleep in Christ did perish;

19. यदि हम केवल इसी जीवन में मसीह से आशा रखते हैं तो हम सब मनुष्यों से अधिक अभागे हैं।।

19. if in this life we have hope in Christ only, of all men we are most to be pitied.

20. परन्तु सचमुच मसीह मुर्दों में से जी उठा है, और जो सो गए हैं, उन में पहिला फल हुआ।

20. And now, Christ hath risen out of the dead -- the first-fruits of those sleeping he became,

21. क्योंकि जब मनुष्य के द्वारा मृत्यु आई; तो मनुष्य ही के द्वारा मरे हुओं का पुनरूत्थान भी आया।
उत्पत्ति 3:17-19

21. for since through man [is] the death, also through man [is] a rising again of the dead,

22. और जैसे आदम में सब मरते हैं, वैसा ही मसीह में सब जिलाए जाएंगे।

22. for even as in Adam all die, so also in the Christ all shall be made alive,

23. परन्तु हर एक अपनी अपनी बारी से; पहिला फल मसीह; फिर मसीह के आने पर उसके लोग।

23. and each in his proper order, a first-fruit Christ, afterwards those who are the Christ's, in his presence,

24. इस के बाद अन्त होगा; उस समय वह सारी प्रधानता और सारा अधिकार और सामर्थ का अन्त करके राज्य को परमेश्वर पिता के हाथ में सौंप देगा।
दानिय्येल 2:44

24. then -- the end, when he may deliver up the reign to God, even the Father, when he may have made useless all rule, and all authority and power --

25. क्योंकि जब तक कि वह अपने बैरियों को अपने पांवों तले न ले आए, तब तक उसका राज्य करना अवश्य है।
भजन संहिता 110:1, यशायाह 32:1

25. for it behoveth him to reign till he may have put all the enemies under his feet --

26. सब से अन्तिम बैरी जो नाश किया जाएगा वह मृत्यु है।

26. the last enemy is done away -- death;

27. क्योंकि परमेश्वर ने सब कुछ उसके पांवों तले कर दिया है, परन्तु जब वह कहता है कि सब कुछ उसके आधीन कर दिया गया है तो प्रत्यक्ष है, कि जिस ने सब कुछ उसके आधीन कर दिया, वह आप अलग रहा।
भजन संहिता 8:6

27. for all things He did put under his feet, and, when one may say that all things have been subjected, [it is] evident that He is excepted who did subject the all things to him,

28. और जब सब कुछ उसके आधीन हो जाएगा, तो पुत्रा आप भी उसके आधीन हो जाएगा जिस ने सब कुछ उसके आधीन कर दिया; ताकि सब में परमेश्वर ही सब कुछ हो।।

28. and when the all things may be subjected to him, then the Son also himself shall be subject to Him, who did subject to him the all things, that God may be the all in all.

29. नहीं तो जो लोग मरे हुओं के लिये बपतिस्मा लेते हैं, वे क्या करेंगे? यदि मुर्दे जी उठते ही नहीं? तो फिर क्यों उन के लिये बपतिस्मा लेते हैं?

29. Seeing what shall they do who are baptized for the dead, if the dead do not rise at all? why also are they baptized for the dead?

30. और हम भी क्यों हर घड़ी जाखिम में पड़े रहते हैं?

30. why also do we stand in peril every hour?

31. हे भाइयो, मुझे उस घमण्ड की सोंह जो हमारे मसीह यीशु में मैं तुम्हारे विषय में करता हूं, कि मैं प्रति दिन मरता हूं।

31. Every day do I die, by the glorying of you that I have in Christ Jesus our Lord:

32. यदि मैं मनुष्य की रीति पर इफिसुस में बन- पशुओं से लड़ा, तो मुझे क्या लाभ हुआ? यदि मुर्दे जिलाए नहीं जाएंगे, तो आओ, खाए- पीए, क्योंकि कल तो मर ही जाएंगे।
यशायाह 22:13, यशायाह 56:12

32. if after the manner of a man with wild beasts I fought in Ephesus, what the advantage to me if the dead do not rise? let us eat and drink, for to-morrow we die!

33. धोखा न खाना, बुरी संगति अच्छे चरित्रा को बिगाड़ देती है।

33. Be not led astray; evil communications corrupt good manners;

34. धर्म के लिये जाग उठो और पाप न करो; क्योंकि कितने ऐसे हैं जो परमेश्वर को नहीं जानते, मैं तुम्हें लज्जित करते के लिये यह कहता हूं।।

34. awake up, as is right, and sin not; for certain have an ignorance of God; for shame to you I say [it].

35. अब कोई यह कहेगा, कि मुर्दे किस रीति से जी उठते हैं, और किसी देह के साथ आते हैं?

35. But some one will say, 'How do the dead rise?

36. हे निर्बुद्वि, जो कुछ तु बोता है, जब तक वह न मरे जिलाया नहीं जाता।

36. unwise! thou -- what thou dost sow is not quickened except it may die;

37. ओर जेा तू बोता है, यह वह देह नहीं जो उत्पन्न होनेवाली है, परन्तु निरा दाना है, चाहे गेहूं का, चाहे किसी और अनाज का।

37. and that which thou dost sow, not the body that shall be dost thou sow, but bare grain, it may be of wheat, or of some one of the others,

38. परन्तु परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार उस को देह देता है; और हर एक बीज को उस की विशेष देह।
उत्पत्ति 1:11

38. and God doth give to it a body according as He willed, and to each of the seeds its proper body.

39. सब शरीर एक सरीखे नहीं, परन्तु मनुष्यों का शरीर और है, पशुओं का शरीर और है; पक्षियों का शरीर और है; मछिलियों का शरीर और है।

39. All flesh [is] not the same flesh, but there is one flesh of men, and another flesh of beasts, and another of fishes, and another of birds;

40. स्वर्गीय देह है, और पार्थिव देह भी है: परन्तु स्वर्गीयह देहों का तेज और हैं, और पार्थिव का और।

40. and [there are] heavenly bodies, and earthly bodies; but one [is] the glory of the heavenly, and another that of the earthly;

41. सूर्य का तेज और है, चान्द का तेज और है, और तारागणों का तेज और है, (क्योंकि एक तारे से दूसरे तारे के तेज मे अन्तर है)।

41. one glory of sun, and another glory of moon, and another glory of stars, for star from star doth differ in glory.

42. मुर्दों का जी उठना भी ऐसा ही है। शरीर नाशमान दशा में बोया जाता है, और अविनाशी रूप में जी उठता है।

42. So also [is] the rising again of the dead: it is sown in corruption, it is raised in incorruption;

43. वह अनादर के साथ बोया जाता है, और तेज के साथ जी उठता है; निर्बलता के साथ बोया जाता है; और सामर्थ के साथ जी उठता है।

43. it is sown in dishonour, it is raised in glory; it is sown in weakness, it is raised in power;

44. स्वाभाविक देह बोई जाती है, और आत्मिक देह जी उठती है: जब कि स्वाभाविक देह है, तो आत्मिक देह भी है।

44. it is sown a natural body, it is raised a spiritual body; there is a natural body, and there is a spiritual body;

45. ऐसा ही लिखा भी है, कि प्रथम मनुष्य, अर्थात् आदम, जीवित प्राणी बना और अन्तिम आदम, जीवनदायक आत्मा बना।
उत्पत्ति 2:7

45. so also it hath been written, 'The first man Adam became a living creature,' the last Adam [is] for a life-giving spirit,

46. परन्तु पहिले आत्मिक न था, पर स्वाभाविक था, इस के बाद आत्मिक हुआ।

46. but that which is spiritual [is] not first, but that which [was] natural, afterwards that which [is] spiritual.

47. प्रथम मनुष्य धरती से अर्थात् मिट्टी का था; दूसरा मनुष्य स्वर्गीय है।
उत्पत्ति 2:7

47. The first man [is] out of the earth, earthy; the second man [is] the Lord out of heaven;

48. जैसा वह मिट्टी का था वैसे ही और मिट्टी के हैं; और जैसा वह स्वर्गीय है, वैसे ही और भी स्वर्गीय हैं।

48. as [is] the earthy, such [are] also the earthy; and as [is] the heavenly, such [are] also the heavenly;

49. और जैसे हम ने उसका रूप जो मिट्टी का था धारण किया वैसे ही उस स्वर्गीय का रूप भी धारण करेंगे।।
उत्पत्ति 5:3

49. and, according as we did bear the image of the earthy, we shall bear also the image of the heavenly.

50. हे भाइयों, मैं यह कहता हूं कि मांस और लोहू परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते, और न विनाश अविनाशी का अधिकारी हो सकता है।

50. And this I say, brethren, that flesh and blood the reign of God is not able to inherit, nor doth the corruption inherit the incorruption;

51. देखे, मैं तुम से भेद की बात कहता हूं: कि हम सब तो नहीं सोएंगे, परन्तु सब बदल जाएंगे।

51. lo, I tell you a secret; we indeed shall not all sleep, and we all shall be changed;

52. और यह क्षण भर में, पलक मारते ही पिछली तुरही फूंकते ही होगा: कयोंकि तुरही फूंकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जांएगे, और हम बदल जाएंगे।

52. in a moment, in the twinkling of an eye, in the last trumpet, for it shall sound, and the dead shall be raised incorruptible, and we -- we shall be changed:

53. क्योंकि अवश्य है, कि वह नाशमान देह अविनाश को पहिन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहिन ले।

53. for it behoveth this corruptible to put on incorruption, and this mortal to put on immortality;

54. और जब यह नाशमान अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा, तक वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, कि जय ने मृत्यु को निगल लिया।
यशायाह 25:8

54. and when this corruptible may have put on incorruption, and this mortal may have put on immortality, then shall be brought to pass the word that hath been written, 'The Death was swallowed up -- to victory;

55. हे मृत्यु तेरी जय कहां रहीं?
होशे 13:14

55. where, O Death, thy sting? where, O Hades, thy victory?'

56. हे मृत्यु तेरा डंक कहां रहा? मृत्यु का डंक पाप है; और पाप का बल ब्यवस्था है।

56. and the sting of the death [is] the sin, and the power of the sin the law;

57. परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्त करता है।

57. and to God -- thanks, to Him who is giving us the victory through our Lord Jesus Christ;

58. सो हे मेरे प्रिय भाइयो, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्योंकि यह जानते हो, कि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है।।
2 इतिहास 15:7

58. so that, my brethren beloved, become ye stedfast, unmovable, abounding in the work of the Lord at all times, knowing that your labour is not vain in the Lord.



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