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1. हे भाइयों, मैं तुम्हें वही सुसमाचार बताता हूं जो पहिले सुना चुका हूं, जिसे तुम ने अंगीकार भी किया था और जिस में तुम स्थिर भी हो।
1. Now I make known unto you, brethren, the gospel which I preached to you, which also you have received, and wherein you stand;
2. उसी के द्वारा तुम्हारा उद्धार भी होता है, यदि उस सुसमाचार को जो मैं ने तुम्हें सुनाया था स्मरण रखते हो; नहीं तो तुम्हारा विश्वास करना व्यर्थ हुआ।
2. By which also you are saved, if you hold fast after what manner I preached unto you, unless you have believed in vain.
3. इसी कारण मैं ने सब से पहिले तुम्हें वही बात पहुंचा दी, जो मुझे पहुंची थी, कि पवित्रा शास्त्रा के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया।यशायाह 53:8-9
3. For I delivered unto you first of all, which I also received: how that Christ died for our sins, according to the scriptures:
4. ओर गाड़ा गया; और पवित्रा शास्त्रा के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठा।भजन संहिता 16:10, होशे 6:2, योना 1:17
4. And that he was buried, and that he rose again the third day, according to the scriptures:
5. और कैफा को तब बारहों को दिलाई दिया।
5. And that he was seen by Cephas; and after that by the eleven.
6. फिर पांच सौ से अधिक भाइयों को एक साथ दिखाई दिया, जिन में से बहुतेरे अब तक वर्तमान हैं पर कितने सो गए।
6. Then he was seen by more than five hundred brethren at once: of whom many remain until this present, and some are fallen asleep.
7. फिर याकूब को दिखाई दिया तक सब प्रेरितों को दिखाई दिया।
7. After that, he was seen by James, then by all the apostles.
8. और सब के बाद मुझ को भी दिखाई दिया, जो मानो अधूरे दिनों का जन्मा हूं।
8. And last of all, he was seen also by me, as by one born out of due time.
9. क्योंकि मैं प्ररितों में सब से छोटा हूं, बरन प्ररित कहलाने के योग्य भी नहीं, क्योंकि मैं ने परमेश्वर की कलीसिया को सताया था।
9. For I am the least of the apostles, who am not worthy to be called an apostle, because I persecuted the church of God.
10. परन्तु मैं जो कुछ भी हूं, परमेश्वर के अनुग्रह से हूं: और उसका अनुग्रह जो मुझ पर हुआ, वह व्यर्थ नहीं हुआद्ध परनतु मैं ने उन सब से बढ़कर परिश्रम भी किया: तौभी यह मेरी ओर से नहीं हुआ परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह से जो मुझ पर था।
10. But by the grace of God, I am what I am; and his grace in me hath not been void, but I have laboured more abundantly than all they: yet not I, but the grace of God with me.
11. सो चाहे मैं हूं, चाहे वे हों, हम यही प्रचार करते हैं, और इसी पर तुम ने विश्वास भी किया।।
11. For whether I, or they, so we preach, and so you have believed.
12. सो जब कि मसीह का यह प्रचार किया जाता है, कि वह मरे हुओं में से जी उठा, तो तुम में से कितने क्योंकर कहते हैं, कि मरे हुओं का पुनरूत्थान है ही नहीं?
12. Now if Christ be preached, that he arose again from the dead, how do some among you say, that there is no resurrection of the dead?
13. यदि मरे हुओं का पुनरूत्थान ही नहीं, तो मसीह भी नहीं जी उठा।
13. But if there be no resurrection of the dead, then Christ is not risen again.
14. और यदि मसीह भी नहीं जी उठा, तो हमारा प्रचार करना भी व्यर्थ है; और तुम्हारा विश्वास भी व्यर्थ है।
14. And if Christ be not risen again, then is our preaching vain, and your faith is also vain.
15. बरन हम परमशॆवर के झूठे गवाह ठहरे; क्योंकि हम ने परमेश्वर के विषय में यह गवाही दी कि उस ने मसीह को जिला दिया यद्यपि नहीं जिलाया, यदि मरे हुए नहीं जी उठते।
15. Yea, and we are found false witnesses of God: because we have given testimony against God, that he hath raised up Christ; whom he hath not raised up, if the dead rise not again.
16. और यदि मुर्दे नहीं जी उठते, तो मसीह भी नहीं जी उठा।
16. For if the dead rise not again, neither is Christ risen again.
17. और यदि मसीह नहीं जी उठा, तो तुम्हारा विश्वास व्यर्थ है; और तुम अब तक अपने पापों में फंसे हो।
17. And if Christ be not risen again, your faith is vain, for you are yet in your sins.
18. बरन जो मसीह मे सो गए हैं, वे भी नाश हुए।
18. Then they also that are fallen asleep in Christ, are perished.
19. यदि हम केवल इसी जीवन में मसीह से आशा रखते हैं तो हम सब मनुष्यों से अधिक अभागे हैं।।
19. If in this life only we have hope in Christ, we are of all men most miserable.
20. परन्तु सचमुच मसीह मुर्दों में से जी उठा है, और जो सो गए हैं, उन में पहिला फल हुआ।
20. But now Christ is risen from the dead, the firstfruits of them that sleep:
21. क्योंकि जब मनुष्य के द्वारा मृत्यु आई; तो मनुष्य ही के द्वारा मरे हुओं का पुनरूत्थान भी आया।उत्पत्ति 3:17-19
21. For by a man came death, and by a man the resurrection of the dead.
22. और जैसे आदम में सब मरते हैं, वैसा ही मसीह में सब जिलाए जाएंगे।
22. And as in Adam all die, so also in Christ all shall be made alive.
23. परन्तु हर एक अपनी अपनी बारी से; पहिला फल मसीह; फिर मसीह के आने पर उसके लोग।
23. But every one in his own order: the firstfruits Christ, then they that are of Christ, who have believed in his coming.
24. इस के बाद अन्त होगा; उस समय वह सारी प्रधानता और सारा अधिकार और सामर्थ का अन्त करके राज्य को परमेश्वर पिता के हाथ में सौंप देगा।दानिय्येल 2:44
24. Afterwards the end, when he shall have delivered up the kingdom to God and the Father, when he shall have brought to nought all principality, and power, and virtue.
25. क्योंकि जब तक कि वह अपने बैरियों को अपने पांवों तले न ले आए, तब तक उसका राज्य करना अवश्य है।भजन संहिता 110:1, यशायाह 32:1
25. For he must reign, until he hath put all his enemies under his feet.
26. सब से अन्तिम बैरी जो नाश किया जाएगा वह मृत्यु है।
26. And the enemy death shall be destroyed last: For he hath put all things under his feet. And whereas he saith,
27. क्योंकि परमेश्वर ने सब कुछ उसके पांवों तले कर दिया है, परन्तु जब वह कहता है कि सब कुछ उसके आधीन कर दिया गया है तो प्रत्यक्ष है, कि जिस ने सब कुछ उसके आधीन कर दिया, वह आप अलग रहा।भजन संहिता 8:6
27. All things are put under him; undoubtedly, he is excepted, who put all things under him.
28. और जब सब कुछ उसके आधीन हो जाएगा, तो पुत्रा आप भी उसके आधीन हो जाएगा जिस ने सब कुछ उसके आधीन कर दिया; ताकि सब में परमेश्वर ही सब कुछ हो।।
28. And when all things shall be subdued unto him, then the Son also himself shall be subject unto him that put all things under him, that God may be all in all.
29. नहीं तो जो लोग मरे हुओं के लिये बपतिस्मा लेते हैं, वे क्या करेंगे? यदि मुर्दे जी उठते ही नहीं? तो फिर क्यों उन के लिये बपतिस्मा लेते हैं?
29. Otherwise what shall they do that are baptized for the dead, if the dead rise not again at all? why are they then baptized for them?
30. और हम भी क्यों हर घड़ी जाखिम में पड़े रहते हैं?
30. Why also are we in danger every hour?
31. हे भाइयो, मुझे उस घमण्ड की सोंह जो हमारे मसीह यीशु में मैं तुम्हारे विषय में करता हूं, कि मैं प्रति दिन मरता हूं।
31. I die daily, I protest by your glory, brethren, which I have in Christ Jesus our Lord.
32. यदि मैं मनुष्य की रीति पर इफिसुस में बन- पशुओं से लड़ा, तो मुझे क्या लाभ हुआ? यदि मुर्दे जिलाए नहीं जाएंगे, तो आओ, खाए- पीए, क्योंकि कल तो मर ही जाएंगे।यशायाह 22:13, यशायाह 56:12
32. If (according to man) I fought with beasts at Ephesus, what doth it profit me, if the dead rise not again? Let us eat and drink, for tomorrow we shall die.
33. धोखा न खाना, बुरी संगति अच्छे चरित्रा को बिगाड़ देती है।
33. Be not seduced: Evil communications corrupt good manners.
34. धर्म के लिये जाग उठो और पाप न करो; क्योंकि कितने ऐसे हैं जो परमेश्वर को नहीं जानते, मैं तुम्हें लज्जित करते के लिये यह कहता हूं।।
34. Awake, ye just, and sin not. For some have not the knowledge of God, I speak it to your shame.
35. अब कोई यह कहेगा, कि मुर्दे किस रीति से जी उठते हैं, और किसी देह के साथ आते हैं?
35. But some man will say: How do the dead rise again? or with what manner of body shall they come?
36. हे निर्बुद्वि, जो कुछ तु बोता है, जब तक वह न मरे जिलाया नहीं जाता।
36. Senseless man, that which thou sowest is not quickened, except it die first.
37. ओर जेा तू बोता है, यह वह देह नहीं जो उत्पन्न होनेवाली है, परन्तु निरा दाना है, चाहे गेहूं का, चाहे किसी और अनाज का।
37. And that which thou sowest, thou sowest not the body that shall be; but bare grain, as of wheat, or of some of the rest.
38. परन्तु परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार उस को देह देता है; और हर एक बीज को उस की विशेष देह।उत्पत्ति 1:11
38. But God giveth it a body as he will: and to every seed its proper body.
39. सब शरीर एक सरीखे नहीं, परन्तु मनुष्यों का शरीर और है, पशुओं का शरीर और है; पक्षियों का शरीर और है; मछिलियों का शरीर और है।
39. All flesh is not the same flesh: but one is the flesh of men, another of beasts, another of birds, another of fishes.
40. स्वर्गीय देह है, और पार्थिव देह भी है: परन्तु स्वर्गीयह देहों का तेज और हैं, और पार्थिव का और।
40. And there are bodies celestial, and bodies terrestrial: but, one is the glory of the celestial, and another of the terrestrial.
41. सूर्य का तेज और है, चान्द का तेज और है, और तारागणों का तेज और है, (क्योंकि एक तारे से दूसरे तारे के तेज मे अन्तर है)।
41. One is the glory of the sun, another the glory of the moon, and another the glory of the stars. For star differeth from star in glory.
42. मुर्दों का जी उठना भी ऐसा ही है। शरीर नाशमान दशा में बोया जाता है, और अविनाशी रूप में जी उठता है।
42. So also is the resurrection of the dead. It is sown in corruption, it shall rise in incorruption.
43. वह अनादर के साथ बोया जाता है, और तेज के साथ जी उठता है; निर्बलता के साथ बोया जाता है; और सामर्थ के साथ जी उठता है।
43. It is sown in dishonour, it shall rise in glory. It is sown in weakness, it shall rise in power.
44. स्वाभाविक देह बोई जाती है, और आत्मिक देह जी उठती है: जब कि स्वाभाविक देह है, तो आत्मिक देह भी है।
44. It is sown a natural body, it shall rise a spiritual body. If there be a natural body, there is also a spiritual body, as it is written:
45. ऐसा ही लिखा भी है, कि प्रथम मनुष्य, अर्थात् आदम, जीवित प्राणी बना और अन्तिम आदम, जीवनदायक आत्मा बना।उत्पत्ति 2:7
45. The first man Adam was made into a living soul; the last Adam into a quickening spirit.
46. परन्तु पहिले आत्मिक न था, पर स्वाभाविक था, इस के बाद आत्मिक हुआ।
46. Yet that was not first which is spiritual, but that which is natural; afterwards that which is spiritual.
47. प्रथम मनुष्य धरती से अर्थात् मिट्टी का था; दूसरा मनुष्य स्वर्गीय है।उत्पत्ति 2:7
47. The first man was of the earth, earthly: the second man, from heaven, heavenly.
48. जैसा वह मिट्टी का था वैसे ही और मिट्टी के हैं; और जैसा वह स्वर्गीय है, वैसे ही और भी स्वर्गीय हैं।
48. Such as is the earthly, such also are the earthly: and such as is the heavenly, such also are they that are heavenly.
49. और जैसे हम ने उसका रूप जो मिट्टी का था धारण किया वैसे ही उस स्वर्गीय का रूप भी धारण करेंगे।।उत्पत्ति 5:3
49. Therefore as we have borne the image of the earthly, let us bear also the image of the heavenly.
50. हे भाइयों, मैं यह कहता हूं कि मांस और लोहू परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते, और न विनाश अविनाशी का अधिकारी हो सकता है।
50. Now this I say, brethren, that flesh and blood cannot possess the kingdom of God: neither shall corruption possess incorruption.
51. देखे, मैं तुम से भेद की बात कहता हूं: कि हम सब तो नहीं सोएंगे, परन्तु सब बदल जाएंगे।
51. Behold, I tell you a mystery. We shall all indeed rise again: but we shall not all be changed.
52. और यह क्षण भर में, पलक मारते ही पिछली तुरही फूंकते ही होगा: कयोंकि तुरही फूंकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जांएगे, और हम बदल जाएंगे।
52. In a moment, in the twinkling of an eye, at the last trumpet: for the trumpet shall sound, and the dead shall rise again incorruptible: and we shall be changed.
53. क्योंकि अवश्य है, कि वह नाशमान देह अविनाश को पहिन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहिन ले।
53. For this corruptible must put on incorruption; and this mortal must put on immortality.
54. और जब यह नाशमान अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा, तक वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, कि जय ने मृत्यु को निगल लिया।यशायाह 25:8
54. And when this mortal hath put on immortality, then shall come to pass the saying that is written: Death is swallowed up in victory.
55. हे मृत्यु तेरी जय कहां रहीं?होशे 13:14
55. O death, where is thy victory? O death, where is thy sting?
56. हे मृत्यु तेरा डंक कहां रहा? मृत्यु का डंक पाप है; और पाप का बल ब्यवस्था है।
56. Now the sting of death is sin: and the power of sin is the law.
57. परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्त करता है।
57. But thanks be to God, who hath given us the victory through our Lord Jesus Christ.
58. सो हे मेरे प्रिय भाइयो, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्योंकि यह जानते हो, कि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है।।2 इतिहास 15:7
58. Therefore, my beloved brethren, be ye steadfast and unmoveable; always abounding in the work of the Lord, knowing that your labour is not in vain in the Lord.