1 Corinthians - 1 कुरिन्थियों 11 | View All

1. तुम मेरी सी चाल चलो जैसा मैं मसीह की सी चाल चलता हूं।।

1. Be imitators of me, just as I also am of Christ.

2. हे भाइयों, मैं तुम्हें सराहता हूं, कि सब बातों में तुम मुझे स्मरण करते हो: और जो व्यवहार मैं ने तुम्हें सौंप दिए हैं, उन्हें धारण करते हो।

2. Now I praise you because you remember me in everything and hold firmly to the traditions, just as I delivered them to you.

3. सो मैं चाहता हूं, कि तुम यह जान लो, कि हर एक पुरूष का सिर मसीह है: और स्त्री का सिर पुरूष है: और मसीह का सिर परमेश्वर है।
उत्पत्ति 3:16

3. But I want you to understand that Christ is the head of every man, and the man is the head of a woman, and God is the head of Christ.

4. जो पुरूष सिर ढांके हुए प्रार्थना या भविष्यद्वाणी करता है, वह अपने सिर का अपमान करता है।

4. Every man who has [something] on his head while praying or prophesying disgraces his head.

5. परन्तु जो स्त्री उघाड़े सिर प्रार्थना या भविष्यद्ववाणी करती है, वह अपने सिर का अपमान करती है, क्योंकि वह मुण्डी होने के बराबर है।

5. But every woman who has her head uncovered while praying or prophesying disgraces her head, for she is one and the same as the woman whose head is shaved.

6. यदि स्त्री आढ़नी न ओढ़े, तो बाल भी कटा ले; यदि स्त्री के लिये बाल कटाना या मुण्डाना लज्जा की बात है, तो ओढ़नी ओढ़े।

6. For if a woman does not cover her head, let her also have her hair cut off; but if it is disgraceful for a woman to have her hair cut off or her head shaved, let her cover her head.

7. हां पुरूष को अपना सिर ढांकना उचित हनीं, क्योंकि वह परमेश्वर का स्वरूप और महिमा है; परन्तु स्त्री पुरूष की महिमा!
उत्पत्ति 1:27, उत्पत्ति 5:1, उत्पत्ति 9:6

7. For a man ought not to have his head covered, since he is the image and glory of God; but the woman is the glory of man.

8. क्योंकि पुरूष स्त्री से नहीं हुआ, परन्तु स्त्री से हुई है।
उत्पत्ति 2:21-23

8. For man does not originate from woman, but woman from man;

9. और पुरूष स्त्री के लिये नहीं सिरजा गया, परन्तु स्त्री पुरूष के लिये सिरजी गई है।
उत्पत्ति 2:18

9. for indeed man was not created for the woman's sake, but woman for the man's sake.

10. इसीलिये स्वर्गदूतों के कारण स्त्री को उचित है, कि अधिकार अपने सिर पर रखे।

10. Therefore the woman ought to have [a symbol of] authority on her head, because of the angels.

11. तौभी प्रभु में न तो स्त्री बिना पुरूष और न पुरूष बिना स्त्री के है।

11. However, in the Lord, neither is woman independent of man, nor is man independent of woman.

12. क्योंकि जैसे स्त्री पुरूष से है, वैसे ही पुरूष स्त्री के द्वारा है; परन्तु सब वस्तुएं परमेश्वर के द्वारा हैं।

12. For as the woman originates from the man, so also the man [has his birth] through the woman; and all things originate from God.

13. तुम आप ही विचार करो, क्या स्त्री को उघाड़े सिर परमेश्वर से प्रार्थना करना सोहना है?

13. Judge for yourselves: is it proper for a woman to pray to God [with her head] uncovered?

14. क्या स्वाभिविक रीति से भी तुम नहीं जानते, कि यदि पुरूष लम्बे बाल रखे, तो उसके लिये अपमान है।

14. Does not even nature itself teach you that if a man has long hair, it is a dishonor to him,

15. परन्तु यदि स्त्री लम्बे बाल रखे; तो उसके लिये शोभा है क्योंकि बाल उस को ओढ़नी के लिये दिए गए हैं।

15. but if a woman has long hair, it is a glory to her? For her hair is given to her for a covering.

16. परनतु यदि कोई विवाद करना चाहे, तो यह जाने कि न हमारी और न परमेश्वर की कलीसियों की ऐसी रीति है।।

16. But if one is inclined to be contentious, we have no other practice, nor have the churches of God.

17. परनतु यह आज्ञा देते हुए, मैं तुम्हें नहीं सराहता, इसलिये कि तुम्हारे इकट्ठे होने से भलाई नहीं, परन्तु हानि होती है।

17. But in giving this instruction, I do not praise you, because you come together not for the better but for the worse.

18. क्योंकि पहिले तो मैं यह सुनता हूं, कि जब तुम कलीसिया में इकट्ठे हाते हो, तो तुम में फूट होती है और मैं कुछ कुछ प्रतीति भी करता हूं।

18. For, in the first place, when you come together as a church, I hear that divisions exist among you; and in part I believe it.

19. क्यांकि विधर्म भी तुम में अवश्य होंगे, इसलिये कि जो लागे तुम में खरे निकले हैं, वे प्रगट हो जांए।
व्यवस्थाविवरण 13:3

19. For there must also be factions among you, so that those who are approved may become evident among you.

20. सो तुम जो एक जगह में इकट्ठे होते हो तो यह प्रभु भोज खाने के लिये नहीं।

20. Therefore when you meet together, it is not to eat the Lord's Supper,

21. क्योंकि खाने के समय एक दूसरे से पहिले अपना भोज खा लेता है, सो कोई तो भूखा रहता है, और कोई मतवाला हो जाता है।

21. for in your eating each one takes his own supper first; and one is hungry and another is drunk.

22. क्या खाने पीने के लिये तुम्हारे घर नहीं? या परमेश्वर की कलीसिया को तुच्छ जानते हो, और जिन के पास नहीं है उन्हें लज्जित करते हो? मैं तुम से क्या कहूं? क्या इस बात में तुम्हारी प्रशंसा करूं? मैं प्रशंसा नहीं करता।

22. What! Do you not have houses in which to eat and drink? Or do you despise the church of God and shame those who have nothing? What shall I say to you? Shall I praise you? In this I will not praise you.

23. क्योंकि यह बात मुझे प्रभु से पहुंची, और मैं ने तुम्हें भी पहुंचा दी; कि प्रभु यीशु ने जिस रात पकड़वाया गया रोटी ली।

23. For I received from the Lord that which I also delivered to you, that the Lord Jesus in the night in which He was betrayed took bread;

24. और धन्यवाद करके उसे तोड़ी, और कहा; कि यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।

24. and when He had given thanks, He broke it and said, 'This is My body, which is for you; do this in remembrance of Me.'

25. इसी रीति से उस ने बियारी के पीछे कटोरा भी लिया, और कहा; यह कटोरा मेरे लोहू में नई वाचा है: जब कभी पीओ, तो मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।
निर्गमन 24:8, यिर्मयाह 31:31, यिर्मयाह 32:40, जकर्याह 9:11

25. In the same way [He took] the cup also after supper, saying, 'This cup is the new covenant in My blood; do this, as often as you drink [it], in remembrance of Me.'

26. क्योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते, और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो।

26. For as often as you eat this bread and drink the cup, you proclaim the Lord's death until He comes.

27. इसलिये जो कोई अनुचित रीति से प्रभु की रोटी खाए, या उसके कटोरे में से पीए, वह प्रभु की देह और लोहू का अपराधी ठहरेगा।

27. Therefore whoever eats the bread or drinks the cup of the Lord in an unworthy manner, shall be guilty of the body and the blood of the Lord.

28. इसलिये मनुष्य अपने आप को जांच ले और इसी रीति से इस रोटी में से खाए, और इस कटोरे में से पीए।

28. But a man must examine himself, and in so doing he is to eat of the bread and drink of the cup.

29. क्योंकि जो खाते- पीते समय प्रभु की देह को न पहिचाने, वह इस खाने और पीने से अपने ऊपर दण्ड लाता है।

29. For he who eats and drinks, eats and drinks judgment to himself if he does not judge the body rightly.

30. इसी कारण तुम में से बहुत से निर्बल और रोगी हैं, और बहुत से सो भी गए।

30. For this reason many among you are weak and sick, and a number sleep.

31. यदि हम अपने आप में जांचते, तो दण्ड न पाते।

31. But if we judged ourselves rightly, we would not be judged.

32. परन्तु प्रभु हमें दण्ड देकर हमारी ताड़ना करता है इसलिये कि हम संसार के साथ दोषी न ठहरें।

32. But when we are judged, we are disciplined by the Lord so that we will not be condemned along with the world.

33. इसलिये, हे मेरे भाइयों, जब तुम खाने के लिये इकट्ठे होते हो, तो एक दूसरे के लिये ठहरा करो।

33. So then, my brethren, when you come together to eat, wait for one another.

34. यदि कोई भूखा हो, तो अपने घर में खा ले जिस से तुम्हार इकट्ठा होना दण्ड का कारण न हो: और शेष बातों को मैं आकर ठीक कर दूंगा।।

34. If anyone is hungry, let him eat at home, so that you will not come together for judgment. The remaining matters I will arrange when I come.



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