1 Corinthians - 1 कुरिन्थियों 10 | View All

1. हे भाइयों, मैं नहीं चाहता, कि तुम इस बात से अज्ञात रहो, कि हमारे सब बापदादे बादल के नीचे थे, और सब के सब समुद्र के बीच से पार हो गए।
निर्गमन 13:21-22, निर्गमन 14:22-29

1. And, brothers, I do not want you to be ignorant that all our fathers were under the cloud, and all passed through the sea.

2. और सब ने बादल में, और समुद्र में, मूसा का बपितिस्मा लिया।

2. And all were baptized to Moses in the cloud and in the sea,

3. और सब ने एक ही आत्मिक भोजन किया।
निर्गमन 16:4, निर्गमन 16:35, व्यवस्थाविवरण 8:3, भजन संहिता 78:24-29

3. and all ate the same spiritual food,

4. और सब ने एक ही आत्मिक जल पीया, क्योंकि वे उस आत्मिक चटान से पीते थे, जो उन के साथ- साथ चलती थी; और वह चटान मसीह था।
निर्गमन 17:6, गिनती 20:11, भजन संहिता 78:15

4. and all drank the same spiritual drink; for they drank of the spiritual Rock that followed them, and that Rock was Christ.

5. परन्तु परमेश्वर उन में के बहुतेरों से प्रसन्न न हुआ, इसलिये वे जंगल में ढेर हो गए।
गिनती 14:16, गिनती 14:23, गिनती 14:29-30, भजन संहिता 78:31

5. But with many of them God was not well pleased, for they were scattered in the wilderness.

6. ये बातें हमारे लिये दृष्टान्त ठहरी, कि जैसे उन्हों ने लालच किया, वैसे हम बुरी वस्तुओं का लालच न करें।
गिनती 11:4, गिनती 11:34, भजन संहिता 106:14

6. And these things were our examples, that we should not be lusters after evil, as they also lusted.

7. और न तुम मूरत पूजनेवाले बनों; जैसे कि उन में से कितने बन गए थे, जैसा लिखा है, कि लोग खाने- पीने बैठे, और खेलने- कूदने उठे।

7. Nor should we be idolaters, even as some of them, as it is written: 'The people sat down to eat and drink, and rose up to play.'

8. और न हम व्यभिचार करें; जैसा उन में से कितनों ने किया: एक दिन में तेईस हजार मर गये।
गिनती 25:1, गिनती 25:9

8. Nor let us commit fornication, as some of them fornicated, and twenty-three thousand fell in one day.

9. और न हम प्रभु को परखें; जैसा उन में से कितनों ने किया, और सांपों के द्वारा नाश किए गए।
निर्गमन 23:20-21, गिनती 21:5-6

9. Nor let us tempt Christ, as some of them also tempted Him and were destroyed by serpents.

10. और नतुम कुड़कुड़ाए, जिस रीति से उन में से कितने कुड़कुड़ाए, और नाश करनेवाले के द्वारा नाश किए गए।
गिनती 14:2, गिनती 14:36, गिनती 16:41-49, भजन संहिता 106:25-27

10. Nor murmur as some of them also murmured and were destroyed by the destroyer.

11. परन्तु ये सब बातें, जो उन पर पड़ी, दृष्टान्त की रीति पर भी: और वे हमारी चितावनी के लिये जो जगत के अन्तिम समय में रहते हैं लिखी गईं हैं।

11. And all these things happened to them as examples; and it is written for our warning on whom the ends of the world have come.

12. इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे; कि कहीं गिर न पड़ें।

12. So let him who thinks he stands take heed lest he fall.

13. तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, बरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको।।
व्यवस्थाविवरण 7:9

13. No temptation has taken you but what is common to man; but God is faithful, who will not allow you to be tempted above what you are able, but with the temptation also will make a way to escape, so that you may be able to bear it.

14. इस कारण, हे मेरे प्यारों मूर्त्ति पूजा से बचे रहो।

14. Therefore, my dearly beloved, flee from idolatry.

15. मैं बुद्धिमान जानकर, तुम से कहता हूं: जो मैं कहता हूं, उसे तुम परखो।

15. I speak as to wise men; you judge what I say.

16. वह धन्यवाद का कटोरा, जिस पर हम धन्यवाद करते हैं, क्या मसीह के लोहू की सहभागिता नहीं? वह रोटी जिसे हम तोड़ते हैं, क्या मसीह की देह की सहभागिता नहीं?

16. The cup of blessing which we bless, is it not the communion of the blood of Christ? The bread which we break, is it not the communion of the body of Christ?

17. इसलिये, कि एक ही रोटी है सो हम भी जो बहुत हैं, एक देह हैं: क्योंकि हम सब उसी एक रोटी में भागी होते हैं।

17. For we, the many, are one bread and one body; for we are all partakers of that one bread.

18. जो शरीर के भाव से इस्त्राएली हैं, उन को देखो: क्या बलिदानों के खानेवाले वेदी के सहभागी नहीं?
लैव्यव्यवस्था 7:6, लैव्यव्यवस्था 7:15

18. Behold Israel after the flesh. Are not those who eat of the sacrifices also partakers of the altar?

19. फिर मैं क्या कहता हूं? क्या यह कि मूरत का बलिदान कुछ है, या मूरत कुछ है?

19. What then do I say? That the idol is anything, or that an idolatrous sacrifice is anything?

20. नहीं, बरन यह, कि अन्यजाति जो बलिदान करते हैं, वे परमेश्वर के लिये नहीं, परन्तु दुष्टात्माओं के लिये बलिदान करते हैं: और मैं नहीं चाहता, कि तुम दुष्टात्माओं के सहभागी हो।
व्यवस्थाविवरण 32:17, भजन संहिता 106:37

20. But I say that the things which the nations sacrifice, they sacrifice to demons and not to God. And I do not desire that you should have fellowship with demons.

21. तुम प्रभु के कटोरे, और दुष्टात्माओं के कटोरे दानों में से नहीं पी सकते! तुम प्रभु की मेज और दुष्टात्माओं की मेज दानों के साझी नहीं हो सकते।
मलाकी 1:7, मलाकी 1:12

21. You cannot drink the cup of the Lord and the cup of demons; you cannot be partakers of the Lord's table and of a table of demons.

22. क्या हम प्रभु को रिस दिलाते हैं? क्या हम उस से शक्तिमान हैं?
व्यवस्थाविवरण 32:21

22. Or do we provoke the Lord to jealousy? Are we stronger than He?

23. सब वस्तुएं मेरे लिये उचित तो हैं, परन्तु सब लाभ की नहीं: सब वस्तुएं मेरे लिये उचित तो हैं, परन्तु सब वस्तुओं से उन्नित नहीं।

23. All things are lawful to me, but not all things profit. All things are lawful to me, but not all things build up.

24. कोई अपनी ही भलाई को न ढूंढे, बरन औरों की।

24. Let no one seek his own, but each one another's.

25. जो कुछ कस्साइयों के यहां बिकता है, वह खाओ और विवेक के कारण कुछ न पूछो।

25. Eat whatever is sold in the meat market, asking no question for conscience' sake;

26. क्योकि पृथ्वी और उसकी भरपूरी प्रभु की है।
भजन संहिता 24:1, भजन संहिता 50:12, भजन संहिता 89:11

26. for the earth is the Lord's, and the fullness of it.'

27. और यदि अविश्वायिों में से कोई तुम्हें नेवता दे, और तुम जाना चाहो, तो जो कुछ तुम्हारे साम्हने रखा जाए वही खाओ: और विवेक के कारण कुछ न पूछो।

27. If any of those who do not believe invite you to a feast, and if you are disposed to go, eat whatever is set before you, asking no questions for conscience' sake.

28. परन्तु यदि कोई तुम से कहे, यह तो मूरत को बलि की हुई वस्तु है, तो उसी बतानेवाले के कारण, और विवेक के कारण न खाओ।

28. But if anyone says to you, This is slain in sacrifice to idols, do not eat for the sake of him who showed it, and for conscience' sake; 'for the earth is the Lord's, and the fullness of it';

29. मेरा मतलब, तेरा विवेक नहीं, परन्तु उस दूसरे का। भला, मेरी स्वतंत्राता दूसरे के विचार से क्यों परखी जाए:

29. conscience, I say, not your own, but the other's. For why is my liberty judged by another's conscience?

30. यदि मैं धन्यवाद करके साझी होता हूं, तो जिस पर मैं धन्यवाद करता हूं, उसके कारण मेरी बदनामीं क्यों होती है?

30. For if I by grace am a partaker, why am I evil spoken of for that for which I give thanks?

31. सो तुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्वर की महीमा के लिये करो।

31. Therefore whether you eat or drink, or whatever you do, do all to the glory of God.

32. तुम न यहूदियों, न यूनानियों, और न परमेश्वर की कलीसिया के लिये ठोकर का कारण बनो।

32. Give no offense, either to the Jews, or to the Greeks or to the church of God;

33. जैसा मैं भी सब बातों में सब को प्रसन्न रखता हूं, और अपना नहीं, परन्तु बहुतों का लाभ ढूंढ़ता हूं, कि वे उद्धार पाएं।

33. even as I please all men in all things, not seeking my own profit, but the profit of the many, so that they may be saved.



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