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1. सो हे दोष लगानेवाले, तू कोई क्यों न हो; तू निरूत्तर है! क्योंकि जिस बात में तू दूसरे पर दोष लगाता है, उसी बात में अपने आप को भी दोषी ठहराता है, इसलिये कि तू जो दोष लगाता है, आप ही वही काम करता है।
1. Therefore you are without excuse, O man, whoever you are who judge. For in that which you judge another, you condemn yourself. For you who judge practice the same things.
2. और हम जातने हैं, कि ऐसे ऐसे काम करनेवालों पर परमेश्वर की ओर से ठीक ठीक दण्ड की आज्ञा होती है।
2. We know that the judgment of God is according to truth against those who practice such things.
3. और हे मनुष्य, तू जो ऐसे ऐसे काम करनेवालों पर दोष लगाता है, और आप वे ही काम करता है; क्या यह समझता है, कि तू परमेश्वर की दण्ड की आज्ञा से बच जाएगा?
3. Do you think this, O man who judges those who practice such things, and do the same, that you will escape the judgment of God?
4. क्या तू उस की कृपा, और सहनशीलता, और धीरजरूपी धन को तुच्छ जानता है? और कया यह नहीं समझता, कि परमेश्वर की कृपा तुझे मन फिराव को सिखाती है?
4. Or do you despise the riches of his goodness, forbearance, and patience, not knowing that the goodness of God leads you to repentance?
5. पर अपनी कठोरता और हठीले मन के अनुसार उसके क्रोध के दिन के लिये, जिस में परमेश्वर का सच्चा न्याय प्रगट होगा, अपने निमित्त क्रोध कमा रहा है।
5. But according to your hardness and unrepentant heart you are treasuring up for yourself wrath in the day of wrath, revelation, and of the righteous judgment of God;
6. वह हर एक को उसके कामों के अनुसार बदला देगा।भजन संहिता 62:12, नीतिवचन 24:12
6. who 'will pay back to everyone according to their works:'
7. जो सुकर्म में स्थिर रहकर महिमा, और आदर, और अमरता की खोज में है, उन्हें अनन्त जीवन देगा।
7. to those who by patience in well-doing seek for glory and honor and incorruptibility, eternal life;
8. पर जो विवादी हैं, और सत्य को नहीं मानते, बरन अधर्म को मानते हैं, उन पर क्रोध और कोप पड़ेगा।
8. but to those who are self-seeking, and don't obey the truth, but obey unrighteousness, will be wrath and indignation,
9. और क्लेश और संकट हर एक मनुष्य के प्राण पर जो बुरा करता है, पहिले यहूदी पर फिर यूनानी पर।
9. oppression and anguish, on every soul of man who works evil, on the Jew first, and also on the Greek.
10. पर महिमा और आदर ओर कल्याण हर एक को मिलेगा, जो भला करता है, पहिले यहूदी को फिर यूनानी को।
10. But glory and honor and peace to every man who works good, to the Jew first, and also to the Greek.
11. क्योंकि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता।व्यवस्थाविवरण 10:17, 2 इतिहास 19:7
11. For there is no partiality with God.
12. इसलिये कि जिन्हों ने बिना व्यवस्था पाए पाप किया, वे बिना व्यवस्था के नाश भी होंगे, और जिन्हों ने व्यवस्था पाकर पाप किया, उन का दण्ड व्यवस्था के अनुसार होगा।
12. For as many as have sinned without law will also perish without the law. As many as have sinned under the law will be judged by the law.
13. (क्योंकि परमेश्वर के यहां व्यवस्था के सुननेवाले धर्मी नहीं, पर व्यवस्था पर चलनेवाले धर्मी ठहराए जाएंगे।
13. For it isn't the hearers of the law who are righteous before God, but the doers of the law will be justified
14. फिर जब अन्यजाति लोग जिन के पास व्यवस्था नहीं, स्वभाव ही से व्यवस्था की बातों पर चलते हैं, तो व्यवस्था उन के पास न होने पर भी वे अपने लिये आप ही व्यवस्था हैं।
14. (for when Gentiles who don't have the law do by nature the things of the law, these, not having the law, are a law to themselves,
15. वे व्यवस्था की बातें अपने हृदयों में लिखी हुई दिखने हैं और उन के विवेक भी गवाही देते हैं, और उन की चिन्ताएं परस्पर दोष लगाती, या उन्हें निर्दोष ठहराती है।)
15. in that they show the work of the law written in their hearts, their conscience testifying with them, and their thoughts among themselves accusing or else excusing them)
16. जिस दिन परमेश्वर मेरे सुसमाचार के अनुसार यीशु मसीह के द्वारा मनुष्यों की गुप्त बातों का न्याय करेगा।।
16. in the day when God will judge the secrets of men, according to my gospel, by Jesus Christ.
17. यदि तू यहूदी कहलाता है, और व्यवस्था पर भरोसा रखता है, और परमेश्वर के विषय में घमण्ड करता है।
17. Indeed you bear the name of a Jew, and rest on the law, and glory in God,
18. और उस की इच्छा जानता और व्यवस्था की शिक्षा पाकर उत्तम उत्तम बातों को प्रिय जानता है।
18. and know his will, and approve the things that are excellent, being instructed out of the law,
19. और अपने पर भरोसा रखता है, कि मैं अन्धों का अगुवा, और अन्धकार में पड़े हुओं की ज्योति।
19. and are confident that you yourself are a guide of the blind, a light to those who are in darkness,
20. और बुद्धिहीनों का सिखानेवाला, और बालकों का उपदेशक हूं, और ज्ञान, और सत्य का नमूना, जो व्यवस्था में है, मुझे मिला है।
20. a corrector of the foolish, a teacher of babies, having in the law the form of knowledge and of the truth.
21. सो क्या तू जो औरों को सिखाता है, अपने आप को नहीं सिखाता? क्या तू चोरी न करने का उपदेश देता है, आप ही चोरी करता है?भजन संहिता 50:16-21
21. You therefore who teach another, don't you teach yourself? You who preach that a man shouldn't steal, do you steal?
22. तू जो कहता है, व्यभिचार न करना, क्या आप ही व्यभिचार करता है? तू जो मूरतों से घृणा करता है, क्या आप ही मन्दिरों को लूटता है।
22. You who say a man shouldn't commit adultery, do you commit adultery? You who abhor idols, do you rob temples?
23. तू जो व्यवस्था के विषय में घमण्ड करता है, क्या व्यवस्था न मानकर, परमेश्वर का अनादर करता है?
23. You who glory in the law, through your disobedience of the law do you dishonor God?
24. क्योंकि तुम्हारे कारण अन्यजातियों में परमेश्वर के नाम की निन्दा की जाती है जैसा लिखा भी है।यशायाह 52:5, यहेजकेल 36:20
24. For 'the name of God is blasphemed among the Gentiles because of you,' just as it is written.
25. यदि तू व्यवस्था पर चले, तो खतने से लाभ तो है, परन्तु यदि तू व्यवस्था को न माने, तो तेरा खतना बिन खतना की दशा ठहरा।यिर्मयाह 4:4, यिर्मयाह 9:25
25. For circumcision indeed profits, if you are a doer of the law, but if you are a transgressor of the law, your circumcision has become uncircumcision.
26. सो यदि खतनारहित मनुष्य व्यवस्था की विधियों को माना करे, तो क्या उस की बिन खतना की दशा खतने के बराबर न गिनी जाएगी?
26. If therefore the uncircumcised keep the ordinances of the law, won't his uncircumcision be accounted as circumcision?
27. और जो मनुष्य जाति के कारण बिन खतना रहा यदि वह व्यवस्था को पूरा करे, तो क्या तुझे जो लेख पाने और खतना किए जाने पर भी व्यवस्था को माना नहीं करता है, दोषी न ठहराएगा?
27. Won't the uncircumcision which is by nature, if it fulfills the law, judge you, who with the letter and circumcision are a transgressor of the law?
28. क्योंकि वह यहूदी नहीं, पर प्रगट में है, और देह में है।
28. For he is not a Jew who is one outwardly, neither is that circumcision which is outward in the flesh;
29. पर यहूदी वही है, जो मन में है; और खतना वही है, जो हृदय का और आत्मा में है; न कि लेख का: ऐसे की प्रशंसा मनुष्यों की ओर से नहीं, परन्तु परमेश्वर की ओर से होती है।।व्यवस्थाविवरण 30:6
29. but he is a Jew who is one inwardly, and circumcision is that of the heart, in the spirit not in the letter; whose praise is not from men, but from God.