Romans - रोमियों 10 | View All

1. हे भाइयो, मेरे मन की अभिलाषा और उन के लिये परमेश्वर से मेरी प्रार्थना है, कि वे उद्धार पाएं।

1. Brothers, truly my heart's pleasure and supplication to God on behalf of Israel is for it to be saved.

2. क्योंकि मैं उन की गवाही देता हूं, कि उन को परमेश्वर के लिये धुन रहती है, परन्तु बुद्धिमानी के साथ नहीं।

2. For I testify to them that they have zeal to God, but not according to knowledge.

3. क्योंकि वे परमेश्वर की धार्मिकता से अनजान होकर, और अपनी धार्मिकता स्थापन करने का यत्न करके, परमेश्वर की धार्मिकता के आधीन न हुए।

3. For being ignorant of the righteousness of God, and seeking to establish their own righteousness, they did not submit to the righteousness of God.

4. क्योंकि हर एक विश्वास करनेवाले के लिये धार्मिकता के निमित्त मसीह व्यवस्था का अन्त है।

4. For Christ is the end of Law for righteousness to everyone that believes.

5. क्योंकि मूसा ने यह लिखा है, कि जो मनुष्य उस धार्मिकता पर जो व्यवस्था से है, चलता है, वह इसी कारण जीवित रहेगा।
लैव्यव्यवस्था 18:5

5. For Moses writes of the righteousness which is of the Law: 'The man doing these things shall live by them.' Lev. 18:5

6. परन्तु जो धार्मिकता विश्वास से है, वह यों कहती है, कि तू अपने मन में यह न कहना कि स्वर्ग पर कौन चढ़ेगा? (अर्थात् मसीह को उतार लाने के लिये!)
व्यवस्थाविवरण 9:4, व्यवस्थाविवरण 30:12-14

6. But the righteousness of faith says this: 'Do not say in your heart, Who will go up into Heaven?' (that is, to bring down Christ);

7. या गहिराव में कौन उतरेगा? (अर्थात् मसीह को मरे हुओं में से जिलाकर ऊपर लाने के लिये!)

7. or, 'Who will go down into the abyss?' (that is, to bring Christ up from the dead.)

8. परन्तु क्या कहती है? यह, कि वचन तेरे निकट है, तेरे मुंह में और तेरे मन में है; यह वही विश्वास का वचन है, जो हम प्रचार करते हैं।

8. But what does it say? 'The Word is near you, in your mouth and in your heart' (that is, the Word of faith which we proclaim) Deuteronomy 30:12-14.

9. कि यदि तू अपने मुंह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे, कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा।

9. Because if you confess the Lord Jesus with your mouth, and believe in your heart that God raised Him from the dead, you will be saved.

10. क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुंह से अंगीकार किया जाता है।

10. For with the heart one believes unto righteousness, and with the mouth one confesses unto salvation.

11. क्योंकि पवित्रा शास्त्रा यह कहता है कि जो कोई उस पर विश्वास करेगा, वह लज्जित न होगा।
यशायाह 28:16

11. For the Scripture says, 'Everyone believing on Him will not be put to shame.' Isa. 28:16

12. यहूदियों और यूनानियों में कुछ भेद नहीं, इसलिये कि वह सब का प्रभु है; और अपने सब नाम लेनेवालों के लिये उदार है।

12. For there is no difference both of Jew and of Greek, for the same Lord of all is rich toward all the ones calling on Him.

13. क्योंकि जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।
योएल 2:32

13. For everyone, 'whoever may call on the name of the Lord will be saved.' Joel 2:32

14. फिर जिस पर उन्हों ने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम क्योंकर लें? और जिस की नहीं सुनी उस पर क्योंकर विश्वास करें?

14. How then may they call on One into whom they have not believed? And how may they believe One of whom they have not heard? And how may they hear without preaching?

15. और प्रचारक बिना क्योंकर सुनें? और यदि भेजे न जाएं, तो क्योंकर प्रचार करें? जैसा लिखा है, कि उन के पांव क्या ही सोहावने हैं, जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं।
यशायाह 52:7, नहूम 1:15

15. And how may they preach if they are not sent? Even as it has been written, 'How beautiful' 'the feet of those preaching the gospel of peace, of those preaching the gospel of good things.' Isa. 52:7

16. परन्तु सब ने उस सुसमाचार पर कान न लगाया: यशायाह कहता है, कि हे प्रभु, किस ने हमारे समाचार की प्रतीति की है?
यशायाह 53:1

16. But not all obeyed the gospel, for Isaiah says, 'Lord, who has believed our report?' Isa. 53:1

17. सो विश्वास सुनने से, और सुनना मसीह के वचन से होता है।

17. Then faith is of hearing, and hearing through the Word of God.

18. परन्तु मैं कहता हूं, क्या उन्हों ने नहीं सुना? सुना तो सही क्योंकि लिखा है कि उन के स्वर सारी पृथ्वी पर, और उन के वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं।
भजन संहिता 19:4

18. But I say, Did they not hear? Yes, rather, 'into all the earth their voice went out, and to the ends of the world their words.' LXX-Psa. 18:5; MT-Psa. 19:4

19. फिर मैं कहता हूं। क्या इस्त्राएली नहीं जानते थे? पहिले तो मूसा कहता है, कि मैं उन के द्वारा जो जाति नहीं, तुम्हारे मन में जलन उपजाऊंगा, मैं एक मूढ़ जाति के द्वारा तुम्हें रिस दिलाऊंगा।
व्यवस्थाविवरण 32:21

19. But I say, Did not Israel know? First, Moses says, 'I will provoke you to jealousy by a non-nation, by an unwise nation I will anger you.' Deut. 32:21

20. फिर यशायाह बड़े हियाव के साथ कहता है, कि जो मुझे नहीं ढूंढ़ते थे, उन्हों ने मुझे पा लिया: और जो मुझे पूछते भी न थे, उन पर मैं प्रगट हो गया।
यशायाह 65:1-2

20. But Isaiah is very bold and says, 'I was found by those not seeking Me; I became known to those not inquiring after Me.' Isa. 65:1

21. परन्तु इस्त्राएल के विषय में वह यह कहता है कि मैं सारे दिन अपने हाथ एक आज्ञा न माननेवाली और विवाद करनेवाली प्रजा की ओर पसारे रहा।।
यशायाह 65:1-2

21. But to Israel He says, 'All the day I stretched out My hands to a disobeying and contradicting people.' Isa. 65:2



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