John - यूहन्ना 16 | View All

1. ये बातें मैं ने तुम से इसलिये कहीं कि तुम ठोकर न खाओ।

1. These things have I spoken to you, that ye should not be offended.

2. वे तुम्हें आराधनालयों में से निकाल देंगे, वरन वह समय आता है, कि जो कोई तुम्हें मार डालेगा यह समझेगा कि मैं परमेश्वर की सेवा करता हूं।

2. They shall put you out of the synagogues: yes, the time cometh, that whoever killeth you, will think that he doeth God service.

3. और यह वे इसलिये करेंगे कि उन्हों ने न पिता को जाना है और न मुझे जानते हैं।

3. And these things will they do to you, because they have not known the Father, nor me.

4. परन्तु ये बातें मैं ने इसलिये तुम से कहीं, कि जब उन का समय आए तो तुम्हें स्मरण आ जाए, कि मैं ने तुम से पहिले ही कह दिया था: और मैं ने आरम्भ में तुम से ये बातें इसलिये नहीं कहीं क्योंकि मैं तुम्हारे साथ था।

4. But these things have I told you, that when the time shall come, ye may remember that I told you of them. And these things I said not to you at the beginning, because I was with you.

5. अब मैं अपने भेजनेवाले के पास जाता हूं और तुम में से कोई मुझ से नहीं पूछता, कि तू कहां जाता हैं?

5. But now I go to him that sent me, and none of you asketh me, Whither goest thou?

6. परन्तु मैं ने जो ये बातें तुम से कही हैं, इसलिये तुम्हारा मन शोक से भर गया।

6. But because I have said these things to you, sorrow hath filled your heart.

7. तौभी मैं तुम से सच कहता हूं, कि मेरा जाना तुम्हारे लिये अच्छा है, क्योंकि यदि मैं न जाऊं, तो वह सहायक तुम्हारे पास न आएगा, परन्तु यदि मैं जाऊंगा, तो उसे तुम्हारे पास भेज दूंगा।

7. Nevertheless, I tell you the truth: It is expedient for you that I depart; for if I go not away, the Comforter will not come to you; but if I depart, I will send him to you.

8. और वह आकर संसार को पाप और धार्मिकता और न्याय के विषय में निरूत्तर करेगा।
यशायाह 2:4

8. And when he is come, he will reprove the world of sin, and of righteousness, and of judgment:

9. पाप के विषय में इसलिये कि वे मुझ पर विश्वास नहीं करते।

9. Of sin, because they believe not on me;

10. और धार्मिकता के विषय में इसलिये कि मैं पिता के पास जाता हूं,

10. Of righteousness, because I go to my Father, and ye see me no more;

11. और तुम मुझे फिर न देखोगे: न्याय के विषय में इसलिये कि संसार का सरदार दोषी ठहराया गया है।

11. Of judgment, because the prince of this world is judged.

12. मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते।

12. I have yet many things to say to you, but ye cannot bear them now.

13. परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा।

13. But, when he, the Spirit of truth is come, he will guide you into all the truth: for he will not speak from himself; but whatever he shall hear, {that} will he speak: and he will show you things to come.

14. वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा।

14. He will glorify me: for he will receive of mine, and will show {it} to you.

15. जो कुछ पिता का है, वह सब मेरा है; इसलिये मैं ने कहा, कि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा।

15. All things that the Father hath are mine: therefore I said, that he will take of mine, and show {it} to you.

16. थोड़ी देर तुम मुझे न देखोगे, और फिर थोड़ी देर में मुझे देखोगे।

16. A little while, and ye shall not see me: and again, a little while, and ye shall see me, because I go to the Father.

17. तब उसके कितने चेलों ने आपस में कहा, यह क्या है, जो वह हम से कहता है, कि थोड़ी देर में तुम मुझे न देखोगे, और फिर थोड़ी देर में मुझे देखोगे? और यह इसलिये कि मैं कि मैं पिता के मास जाता हूं?

17. Then said {some} of his disciples among themselves, What is this that he saith to us, A little while, and ye shall not see me: and again, a little while, and ye shall see me: and, Because I go to the Father?

18. तब उन्हों ने कहा, यह थोड़ी देर जो वह कहता है, क्या बात है? हम नहीं जानते, कि क्या कहता है।

18. They said therefore, What is this that he saith, A little while? we cannot tell what he saith.

19. यीशु ने यह जानकर, कि वे मुझ से पूछना चाहते हैं, उन से कहा, क्या तुम आपस में मेरी इस बाते के विषय में पूछ पाछ करते हो, कि थोड़ी देर में तुम मुझे न देखोगे, और फिर थोड़ी देर में मुझे देखोगे।

19. Now Jesus knew that they were desirous to ask him, and said to them, Do ye inquire among yourselves of that which I said, A little while, and ye shall not see me: and again, a little while, and ye shall see me?

20. मैं तुम से सच सच कहता हूं; कि तुम रोओगे और विलाप करोगे, परन्तु संसार आनन्द करेगा: तुम्हें शोक होगा, परन्तु तुम्हारा शोक आनन्द बन जाएगा।

20. Verily, verily, I say to you, that ye will weep and lament, but the world will rejoice: and ye will be sorrowful, but your sorrow shall be turned into joy.

21. जब स्त्री जनने लगती है तो उस को शोक होता है, क्योंकि उस की दु:ख की घड़ी आ पहुंची, परन्तु जब वह बालक जन्म चुकी तो इस आनन्द से कि जगत में एक मनुष्य उत्पन्न हुआ, उस संकट को फिर स्मरण नहीं करती।
यशायाह 13:8, यशायाह 21:3, यशायाह 26:17, मीका 4:9

21. A woman when she is in travail hath sorrow, because her hour is come: but as soon as she is delivered of the child, she remembereth no more the anguish, for joy that a man is born into the world.

22. और तुम्हें भी अब तो शोक है, परन्तु मैं तुम से फिर मिलूंगा और तुम्हारे मन में आनन्द होगा; और तुम्हारा आनन्द कोई तुम से छीन न लेगा।
यशायाह 66:14

22. And ye now therefore have sorrow: but I will see you again, and your heart shall rejoice, and your joy no man taketh from you.

23. उस दिन तुम मुझ से कुछ न पूछोगे: मैं तुम से सच सच कहता हूं, यदि पिता से कुछ मांगोगे, तो वह मेरे नाम से तुम्हें देगा।

23. And in that day ye will ask me nothing: Verily, verily, I say to you, Whatever ye shall ask the Father in my name, he will give {it} you.

24. अब तक तुम ने मेरे नाम से कुछ नहीं मांगा; मांगो तो पाओगे ताकि तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।।

24. Hitherto ye have asked nothing in my name: ask, and ye shall receive, that your joy may be full.

25. मैं ने ये बातें तुम से दृष्टान्तों में कही हैं, परन्तु वह समय आता है, कि मैं तुम से दृष्टान्तों में और फिर नहीं कहूंगा परन्तु खोलकर तुम्हें पिता के विषय में बताऊंगा।

25. These things have I spoken to you in proverbs: but the time cometh when I shall no more speak to you in proverbs, but I shall show you plainly concerning the Father.

26. उस दिन तुम मेरे नाम से मांगोगे, और मैं तुम से यह नहीं कहता, कि मैं तुम्हारे लिये पिता से बिनती करूंगा।

26. At that day ye will ask in my name: and I say not to you, that I will pray the Father for you:

27. क्योंकि पिता तो आप ही तुम से प्रीति रखता है, इसलिये कि तुम ने मुझ से प्रीति रखी है, और यह भी प्रतीति की है, कि मैं पिता कि ओर से निकल आया।

27. For the Father himself loveth you, because ye have loved me, and have believed that I came from God.

28. मैं पिता से निकलकर जगत में आया हूं, फिर जगत को छोड़कर पिता के पास जाता हूं।

28. I came forth from the Father, and am come into the world: again, I leave the world, and go to the Father.

29. उसके चेलों ने कहा, देख, अब तो तू खोलकर कहता है, और कोई दृष्टान्त नहीं कहता।

29. His disciples said to him, Lo, now speakest thou plainly, and speakest no proverb.

30. अब हम जान गए, कि तू सब कुछ जानता है, और तुझे प्रयोजन नहीं, कि कोई तुझ से पूछे, इस से हम प्रतीति करते हैं, कि तू परमेश्वर से निकला है।

30. Now are we sure that thou knowest all things, and needest not that any man should ask thee: by this we believe that thou camest from God.

31. यह सुन यीशु ने उन से कहा, क्या तुम अब प्रतीति करते हो?

31. Jesus answered them, Do ye now believe?

32. देखो, वह घड़ी आती है वरन आ पहुंची कि तुम सब तित्तर बित्तर होकर अपना अपना मार्ग लोगे, और मुझे अकेला छोड़ दोगे, तौभी मैं अकेला नहीं क्योंकि पिता मेरे साथ है।
जकर्याह 13:7

32. Behold, the hour cometh, and is even now come, that ye shall be scattered every man to his own, and shall leave me alone: and yet I am not alone, because the Father is with me.

33. मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्ति मिले; संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया है।।

33. These things I have spoken to you, that in me ye may have peace. In the world ye will have tribulation, but be of good cheer: I have overcome the world.



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