34. हे यरूशलेम ! हे यरूशलेम ! तू जो भविष्यद्वक्ताओं को मार डालती है, और जो तेरे पास भेजे गए उन्हें पत्थरवाह करती है; कितनी बार मैं ने यह चाहा, कि जैसे मुर्गी अपने बच्चों को अपने पंखो के नीचे इकट्ठे करती है, वैसे ही मैं भी तेरे बालकों को इकट्ठे करूं, पर तुम ने यह न चाहा।
34. যিরূশালেম, যিরূশালেম, তুমি ভাববাদিগণকে বধ করিয়া থাক, ও তোমার নিকটে যাহারা প্রেরিত হয়, তাহাদিগকে পাথর মারিয়া থাক! কুক্কুটী যেমন আপন শাবকদিগকে পক্ষের নীচে একত্র করে, আমি কত বার তেমনি তোমার সন্তানদিগকে একত্র করিতে ইচ্ছা করিয়াছি, কিন্তু তোমরা সম্মত হইলে না।