Luke - लूका 11 | View All

1. फिर वह किसी जगह प्रार्थना कर रहा था: और जब वह प्रार्थना कर चुका, तो उसके चेलों में से एक ने उस से कहा; हे प्रभु, जैसे यूहन्ना ने अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखलाया वैसे ही हमें भी तू सिखा दे।

1. এক সময়ে তিনি কোন স্থানে প্রার্থনা করিতেছিলেন; যখন শেষ করিলেন, তাঁহার শিষ্যদের মধ্যে এক জন তাঁহাকে কহিলেন, প্রভু, আমাদিগকে প্রার্থনা করিতে শিক্ষা দিউন, যেমন যোহনও আপন শিষ্যদিগকে শিক্ষা দিয়াছিলেন।

2. उस ने उन से कहा; जब तुम प्रार्थना करो, तो कहो; हे पिता, तेरा नाम पवित्रा माना जाए, तेरा राज्य आए।

2. তিনি তাঁহাদিগকে কহিলেন, তোমরা যখন প্রার্থনা কর, তখন বলিও, পিতঃ, তোমার নাম পবিত্র বলিয়া মান্য হউক। তোমার রাজ্য আইসুক।

3. हमारी दिन भर की रोटी हर दिन हमें दिया कर।

3. আমাদের প্রয়োজনীয় খাদ্য প্রতিদিন আমাদিগকে দেও।

4. और हमारे पापों को क्षमा कर, क्योंकि हम भी अपने हर एक अपराधी को क्षमा करते हैं, और हमें परीक्षा में न ला।।

4. আর আমাদের পাপ সকল ক্ষমা কর; কেননা আমরাও আপনাদের প্রত্যেক অপরাধীকে ক্ষমা করি। আর আমাদিগকে পরীক্ষাতে আনিও না।

5. और उस ने उन से कहा, तुम में से कौन है कि उसका एक मित्रा हो, और वह आधी रात को उसके पास आकर उस से कहे, कि हे मित्रा; मुझे तीन रोटियां दे।

5. আর তিনি তাঁহাদিগকে কহিলেন, তোমাদের মধ্যে কাহারও যদি বন্ধু থাকে, আর সে যদি মধ্যরাত্রে তাহার নিকটে গিয়া বলে, ‘বন্ধু, আমাকে তিনখানা রুটী ধার দেও,

6. क्योंकि एक यात्री मित्रा मेरे पास आया है, और उसके आगे रखने के लिये मेरे पास कुछ नहीं है।

6. কেননা আমার এক বন্ধু পথে যাইতে যাইতে আমার কাছে আসিয়াছেন, তাঁহার সম্মুখে রাখিবার আমার কিছুই নাই;’

7. और वह भीतर से उत्तर दे, कि मुझे दुख न दे; अब तो द्वार बन्द है, और मेरे बालक मेरे पास बिछौने पर हैं, इसलिये मैं उठकर तुझे दे नहीं सकता?

7. তাহা হইলে সেই ব্যক্তি ভিতরে থাকিয়া কি এমন উত্তর দিবে, ‘আমাকে কষ্ট দিও না, এখন দ্বার বদ্ধ, এবং আমার সন্তানেরা আমার কাছে শুইয়া আছে, আমি উঠিয়া তোমাকে দিতে পারি না’?

8. मैं तुम से कहता हूं, यदि उसका मित्रा होने पर भी उसे उठकर न दे, तौभी उसके लज्जा छोड़कर मांगने के कारण उसे जितनी आवश्यकता हो उतनी उठकर देगा।

8. আমি তোমাদিগকে বলিতেছি, সে যদ্যপি বন্ধু বলিয়া উঠিয়া তাহা না দেয়, তথাপি উহার আগ্রহ প্রযুক্ত উঠিয়া উহার যত প্রয়োজন, তাহা দিবে।

9. और मैं तुम से कहता हूं; कि मांगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूंढ़ों तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा।

9. আর আমি তোমাদিগকে বলিতেছি, যাচ্ঞা কর, তোমাদিগকে দেওয়া যাইবে; অন্বেষণ কর, পাইবে; দ্বারে আঘাত কর, তোমাদের জন্য খুলিয়া দেওয়া যাইবে।

10. क्योंकि जो कोई मांगता है, उसे मिलता है; और जो ढूंढ़ता है, वह पाता है; और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा।

10. কেননা যে কেহ যাচ্ঞা করে, সে গ্রহণ করে, এবং যে অন্বেষণ করে, সে পায়; আর যে দ্বারে আঘাত করে, তাহার জন্য খুলিয়া দেওয়া যাইবে।

11. तुम में से ऐसा कौन पिता होगा, कि जब उसका पुत्रा रोटी मांगे, तो उसे पत्थर दे: या मछली मांगे, तो मछली के बदले उसे सांप दे?

11. তোমাদের মধ্যে এমন পিতা কে, যাহার পুত্র রুটী চাহিলে তাহাকে পাথর দিবে। কিম্বা মাছ চাহিলে মাছের পরিবর্ত্তে সাপ দিবে?

12. या अण्डा मांगे तो उसे बिच्छू दे?

12. কিম্বা ডিম চাহিলে তাহাকে বৃশ্চিক দিবে?

13. सो जब तुम बुरे होकर अपने लड़केबालों को अच्छी वस्तुऐ देना जानते हो, तो स्वर्गीय पिता अपने मांगनेवालों को पवित्रा आत्मा क्यों न देगा।।

13. অতএব তোমরা মন্দ হইয়াও যদি তোমাদের সন্তানদিগকে উত্তম উত্তম দ্রব্য দান করিতে জান, তবে ইহা কত অধিক নিশ্চয় যে, স্বর্গস্থ পিতা, যাহারা তাঁহার কাছে যাচ্ঞা করে, তাহাদিগকে পবিত্র আত্মা দান করিবেন।

14. फिर उस ने एक गूंगी दुष्टात्मा को निकाला: जब दुष्टात्मा निकल गई, तो गूंगा बोलने लगा; और लोगों ने अचम्भा किया।

14. আর তিনি একটা ভূত ছাড়াইয়াছিলেন, সে গোঁগা। ভূত বাহির হইলে সেই গোঁগা কথা কহিতে লাগিল; তাহাতে লোকেরা আশ্চর্য্য জ্ঞান করিল।

15. परन्तु उन में से कितनों ने कहा, यह तो शैतान नाम दुष्टात्माओं के प्रधान की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।

15. কিন্তু তাহাদের মধ্যে কেহ কেহ বলিল, এ ব্যক্তি ভূতগণের অধিপতি বেল্‌সবূলের দ্বারা ভূত ছাড়ায়।

16. औरों ने उस की परीक्षा करने के लिये उस से आकाश का एक चिन्ह मांगा।

16. আর কেহ কেহ পরীক্ষা ভাবে তাঁহার কাছে আকাশ হইতে কোন চিহ্ন চাহিল।

17. परन्तु उस ने, उन के मन की बातें जानकर, उन से कहा; जिस जिस राज्य में फूट होती है, वह राज्य उजड़ जाता है: और जिस घर में फूट होती है, वह नाश हो जाता है।
1 शमूएल 16:7

17. কিন্তু তিনি তাহাদের মনের ভাব জানিয়া তাহাদিগকে কহিলেন, যে কোন রাজ্য আপনার বিপক্ষে ভিন্ন হয়, তাহা উচ্ছিন্ন হয়, এবং গৃহ গৃহের বিপক্ষ হইলে পতিত হয়।

18. और यदि शैतान अपना ही विरोधी हो जाए, तो उसका राज्य क्योंकर बना रहेगा? क्योंकि तुम मेरे विषय में तो कहते हो, कि यह शैतान की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है।

18. আর শয়তানও যদি আপনার বিপক্ষে ভিন্ন হয়, তবে তাহার রাজ্য কি প্রকারে স্থির থাকিবে? কেননা তোমরা বলিতেছ, আমি বেল্‌সবূলের দ্বারা ভূত ছাড়াই।

19. भला यदि मैं शैतान की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूं, तो तुम्हारी सन्तान किस की सहायता से निकालते हैं? इसलिये वे ही तुम्हारा न्याय चुकाएंगे।

19. আর আমি যদি বেল্‌সবূলের দ্বারা ভূত ছাড়াই, তবে তোমাদের সন্তানেরা কাহার দ্বারা ছাড়ায়? এই জন্য তাহারাই তোমাদের বিচারকর্ত্তা হইবে।

20. परन्तु यदि मैं परमेश्वर की सामर्थ से दुष्टात्माओं को निकालता हूं, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुंचा।

20. কিন্তু আমি যদি ঈশ্বরের অঙ্গুলি দ্বারা ভূত ছাড়াই, তবে সুতরাং ঈশ্বরের রাজ্য তোমাদের কাছে আসিয়া পড়িয়াছে।

21. जब बलवन्त मनुष्य हथियार बान्धे हुए अपने घर की रखवाली करता है, तो उस की संपत्ति बची रहती है।

21. সেই বলবান্‌ ব্যক্তি যখন অস্ত্রশস্ত্রে সজ্জিত থাকিয়া আপন বাটী রক্ষা করে, তখন তাহার সম্পত্তি নিরাপদে থাকে।

22. पर जब उस से बढ़कर कोई और बलवन्त चढ़ाई करके उसे जीत लेता है, तो उसके वे हथियार जिन पर उसका भरोसा था, छीन लेता है और उस की संपत्ति लूटकर बांट देता है।

22. কিন্তু যিনি তাহা হইতে অধিক বলবান্‌, তিনি আসিয়া যখন তাহাকে পরাজয় করেন, তখন তাহার সর্ব্বাঙ্গরক্ষক যে সজ্জায় তাহার ভরসা ছিল, তাহা হরণ করিয়া লন, ও তাহার লুটদ্রব্য বিতরণ করেন।

23. जो मेरे साथ नहीं बटोरता वह बिथराता है।

23. যে আমার সপক্ষ নয়, সে আমার বিপক্ষ, এবং যে আমার সহিত কুড়ায় না, সে ছড়াইয়া ফেলে।

24. जब अशुद्ध आत्मा मनुष्य में से निकल जाती है तो सूखी जगहों में विश्राम ढूंढ़ती फिरती है; और जब नहीं पाती तो कहती है; कि मैं अपने उसी घर में जहां से निकली थी लौट जाऊंगी।

24. যখন অশুচি আত্মা মনুষ্য হইতে বাহির হইয়া যায়, তখন জলবিহীন নানা স্থান দিয়া ভ্রমণ করতঃ বিশ্রামের অন্বেষণ করে; কিন্তু না পাইয়া বলে, আমি যেখান হইতে বাহির হইয়া আসিয়াছি, আমার সেই গৃহে ফিরিয়া যাই।

25. औश्र आकर उसे झाड़ा- बुहारा और सजाढाया पाती है।

25. পরে আসিয়া তাহা মার্জ্জিত ও শোভিত দেখে।

26. तब वह आकर अपने से और बुरी सात आत्माओं को अपने साथ ले आती है, और वे उस में पैठकर वास करती हैं, और उस मनुष्य की पिछली दशा पहिले से भी बुरी हो जाती है।।

26. তখন সে গিয়া আপনা হইতে দুষ্ট অপর সাতটা আত্মাকে সঙ্গে লইয়া আইসে, এবং তাহারা সেই স্থানে প্রবেশ করিয়া বাস করে; তাহাতে সেই মনুষ্যের প্রথম দশা হইতে শেষ দশা আরও মন্দ হয়।

27. जब वह ये बातें कह ही रहा था तो भीड़ में से किसी स्त्री ने ऊंचे शब्द से कहा, धन्य वह गर्भ जिस में तू रहा; और वे स्तन, जो तू ने चूसे।

27. তিনি এই সকল কথা কহিতেছেন, এমন সময়ে ভিড়ের মধ্য হইতে কোন একটী স্ত্রীলোক উচ্চৈঃস্বরে তাঁহাকে বলিল, ধন্য সেই গর্ভ, যাহা আপনাকে ধারণ করিয়াছিল, আর সেই স্তন, যাহার দুগ্ধ আপনি পান করিয়াছিলেন।

28. उस ने कहा, हां; परन्तु धन्य वे हैं, जो परमेश्वर का वचन सुनते और मानते हैं।।

28. তিনি কহিলেন, সত্য, কিন্তু বরং ধন্য তাহারাই, যাহারা ঈশ্বরের বাক্য শুনিয়া পালন করে।

29. जब बड़ी भीड़ इकट्ठी होती जाती थी तो वह कहने लगा; कि इस युग के लोग बुरे हैं; वे चिन्ह ढूंढ़ते हैं; पर यूनुस के चिन्ह को छोड़ कोई और चिन्ह उन्हें न दिया जाएगा।

29. পরে তাঁহার নিকটে উত্তর উত্তর অনেক লোকের সমাগম হইলে তিনি বলিতে লাগিলেন, এই কালের লোকেরা দুষ্ট, ইহারা চিহ্নের অন্বেষণ করে, কিন্তু যোনার চিহ্ন ছাড়া আর কোন চিহ্ন তাহাদিগকে দেওয়া যাইবে না।

30. जैसा यूनुस नीनवे के लोगों के लिये चिन्ह ठहरा, वैसा ही मनुष्य का पुत्रा भी इस युग के लोगों के लिये ठहरेगा।

30. কারণ যোনা যেমন নীনবীয়দের কাছে চিহ্নস্বরূপ হইয়াছিলেন, তেমনি মনুষ্যপুত্রও এই কালের লোকদের নিকটে হইবেন।

31. दक्खिन की रानी न्याय के दिन इस समय के मनुष्यों के साथ उठकर, उन्हें दोषी ठहराएगी, क्योंकि वह सुलैमान का ज्ञान सुनने को पृथ्वी की छोर से आई, और देखो यहां वह है जो सुलैमान से भी बड़ा है।
1 राजाओं 20:1-10, 2 इतिहास 9:1-12

31. দক্ষিণ দেশের রাণী বিচারে এই কালের লোকদের সহিত উঠিয়া ইহাদিগকে দোষী করিবেন, কেননা শলোমনের জ্ঞানের কথা শুনিবার জন্য তিনি পৃথিবীর প্রান্ত হইতে আসিয়াছিলেন; আর দেখ, শলোমন হইতেও মহান্‌ এক ব্যক্তি এখানে আছেন।

32. नीनवे के लोग न्याय के दिन इस समय के लोगों के साथ खड़े होकर, उन्हें दोषी ठहराएंगे; क्योंकि उन्हों ने यूनुस का प्रचार सुनकर मन फिराया और देखो, यहां वह है, जो यूनुस से भी बड़ा है।।
योना 3:8, योना 3:10

32. নীনবীয় লোকেরা বিচারে এই কালের লোকদের সহিত দাঁড়াইয়া ইহাদিগকে দোষী করিবে; কেননা তাহারা যোনার প্রচারে মন ফিরাইয়াছিল, আর দেখ, যোনা হইতে মহান্‌ এক ব্যক্তি এখানে আছেন।

33. कोई मनुष्य दीया बार के तलघरे में, या पैमाने के नीचे नहीं रखता, परन्तु दीवट पर रखता है कि भीतर आनेवाले उजियाला पाएं।

33. প্রদীপ জ্বালিয়া কেহ গুপ্ত কুঠরীতে কিম্বা কাঠার নীচে রাখে না, কিন্তু দীপাধারের উপরেই রাখে, যেন, যাহারা ভিতরে যায়, তাহারা আলো দেখিতে পায়।

34. तेरे शरीर का दीया तेरी आंख है, इसलिये जब तेरी आंख निर्मल है, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला है; परन्तु जब वह बुरी है, तो तेरा शरीर भी अन्धेरा है।

34. তোমার চক্ষুই শরীরের প্রদীপ; তোমার চক্ষু যখন সরল হয়, তখন তোমার সমুদয় শরীরও দীপ্তিময় হয়; কিন্তু চক্ষু মন্দ হইলে তোমার শরীরও অন্ধকারময় হয়।

35. इसलिये चौकस रहना, कि जो उजियाला तुझ में है वह अन्धेरा न हो जाए।

35. অতএব দেখিও, তোমার অন্তরে যে দীপ্তি আছে, তাহা অন্ধকার কি না।

36. इसलिये यदि तेरा सारा शरीर उजियाला हो, ओर उसका कोई भाग अन्धेरा न रहे, तो सब का सब ऐसा उलियाला होगा, जैसा उस समय होता है, जब दीया अपनी चमक से तुझे उजाला देता है।।

36. বাস্তবিক তোমার সমুদয় শরীর যদি দীপ্তিময় হয়, কোনও অংশ অন্ধকারময় না থাকে, তবে প্রদীপ যেমন নিজ তেজে তোমাকে দীপ্তি দান করে, তেমনি তোমার শরীর সম্পূর্ণরূপে দীপ্তিময় হইবে।

37. जब वह बातें कर रहा था, तो किसी फरीसी ने उस से बिनती की, कि मेरे यहां भेजन कर; और वह भीतर जाकर भोजन करने बैठा।

37. তিনি কথা কহিতেছেন, এমন সময়ে এক জন ফরীশী তাঁহাকে ভোজনের নিমন্ত্রণ করিল; আর তিনি ভিতরে গিয়া ভোজনে বসিলেন।

38. फरीसी ने यह देखकर अचम्भा दिया कि उस ने भोजन करने से पहिले स्नान नहीं किया।

38. ফরীশী দেখিয়া আশ্চর্য্য জ্ঞান করিল যে, ভোজনের অগ্রে তিনি স্নান করেন নাই।

39. प्रभु ने उस से कहा, हे फरीसियों, तुम कटोरे और थाली को ऊपर ऊपर तो मांजते हो, परन्तु तुम्हारे भीतर अन्धेर और दुष्टता भरी है।

39. কিন্তু প্রভু তাহাকে কহিলেন, তোমরা ফরীশীরা ত পানপাত্র ও ভোজনপাত্র বাহিরে পরিষ্কার করিয়া থাক, কিন্তু তোমাদের ভিতরে দৌরাত্ম্য ও দুষ্টতা ভরা।

40. हे निर्बुद्धियों, जिस ने बाहर का भाग बनाया, क्या उस ने भीतर का भाग नहीं बनाया?

40. নির্ব্বোধেরা, যিনি বাহিরের ভাগ নির্ম্মাণ করিয়াছেন, তিনি কি ভিতরের ভাগও নির্ম্মাণ করেন নাই?

41. परन्तु हां, भीतरवाली वस्तुओं को दान कर दो, तो देखो, सब कुछ तुम्हारे लिये शुद्ध हो जाएगा।।

41. বরং ভিতরে যাহা যাহা আছে, তাহা দান কর, আর দেখ, তোমাদের পক্ষে সকলই শুচি।

42. पर हे फरीसियों, तुम पर हाय ! तुम पोदीने और सुदाब का, और सब भांति के साग- पात का दसवां अंश देते हो, परन्तु न्याय को और परमेश्वर के प्रेम को टाल देते हो: चाहिए तो था कि इन्हें भी करते रहते और उन्हें भी न छोड़ते।
लैव्यव्यवस्था 27:30

42. কিন্তু হা ফরীশীরা, ধিক্‌ তোমাদিগকে, কেননা তোমরা পোদিনা, আরুদ ও সকল প্রকার শাকের দশমাংশ দান করিয়া থাক, আর ন্যায়বিচার ও ঈশ্বর-প্রেম উপেক্ষা করিয়া থাক; কিন্তু এ সকল পালন করা, এবং ঐ সকল পরিত্যাগ না করা, তোমাদের উচিত ছিল।

43. हे फरीसियों, तुम पर हाय ! तुम आराधनालयों में मुख्य मुख्य आसन और बाजारों में नमस्कार चाहते हो।

43. হা ফরীশীরা, ধিক্‌ তোমাদিগকে, কেননা তোমরা সমাজ-গৃহে প্রধান আসন, ও হাট বাজারে লোকদের মঙ্গলবাদ ভালবাস।

44. हाय तुम पर ! क्योंकि तुम उन छिपी कब्रों के समान हो, जिन पर लोग चलते हैं, परन्तु नहीं जानते।।

44. ধিক্‌ তোমাদিগকে, কারণ তোমরা এমন গুপ্ত কবরের তুল্য, যাহার উপর দিয়া লোকে না জানিয়া যাতায়াত করে।

45. तब एक व्यवस्थापक ने उस को उत्तर दिया, कि हे गुरू, इन बातों के कहने से तू हमारी निन्दा करता है।

45. তখন ব্যবস্থাবেত্তাদের এক জন উত্তর করিয়া তাঁহাকে কহিল, হে গুরু, এ কথা বলিয়া আপনি আমাদেরও অপমান করিতেছেন।

46. उस ने कहा; हे व्यवस्थापकों, तुम पर भी हाय ! तुम ऐसे बोझ जिन को उठाना कठिन है, मनुष्यों पर लादते हो परन्तु तुम आप उन बोझों को अपनी एक उंगली से भी नहीं छूते।

46. তিনি কহিলেন, হা ব্যবস্থাবেত্তারা, ধিক্‌ তোমাদিগকেও, কেননা তোমরা মনুষ্যদের উপরে দুর্ব্বহ বোঝা চাপাইয়া দিয়া থাক, কিন্তু আপনারা একটী অঙ্গুলি দিয়া সেই সকল বোঝা স্পর্শ কর না।

47. हाय तुम पर ! तुम उन भविष्यद्वक्तओं की कब्रें बनाते हो, जिन्हें तुम्हारे बाप- दादों ने मार डाला था।

47. ধিক্‌ তোমাদিগকে, কেননা তোমরা ভাববাদীদের কবর গাঁথিয়া থাক, আর তোমাদের পিতৃপুরুষেরা তাঁহাদিগকে বধ করিয়াছিল।

48. सो तुम गवाह हो, और अपने बाप- दादों के कामों में सम्मत हो; क्योंकि उन्हों ने तो उन्हें मार डाला और तुम उन की कब्रें बनाते हो।

48. সুতরাং তোমরা সাক্ষী হইতেছ, এবং তোমাদের পিতৃপুরুষদের কর্ম্মের অনুমোদন করিতেছ; কেননা তাহারা তাঁহাদিগকে বধ করিয়াছিল, আর তোমরা তাঁহাদের কবর গাঁথিয়া থাক।

49. इसलिये परमेश्वर की बुद्धि ने भी कहा है, कि मैं उन के पास भविष्यद्वक्ताओं और प्रेरितों को भेजूंगी: और वे उन में से कितनों को मार डालेंगे, और कितनों को सताएंगे।

49. এই কারণ ঈশ্বরের প্রজ্ঞাও কহিলেন, আমি তাহাদের নিকটে ভাববাদী ও প্রেরিতদিগকে প্রেরণ করিব, আর তাহাদিগের মধ্যে তাহারা কাহাকে কাহাকেও বধ করিবে, ও তাড়না করিবে,

50. ताकि जितने भविष्यद्वक्ताओं का लोहू जगत की उत्पत्ति से बहाया गया है, सब का लेखा, इस युग के लोगों से लिया जाए।

50. যেন জগতের পত্তনাবধি যত ভাববাদীর রক্তপাত হইয়াছে, তাহার প্রতিশোধ এই কালের লোকদের কাছে লওয়া যায়

51. हाबील की हत्या से लेकर जकरयाह की हत्या तक जो वेदी और मन्दिर के बीच में घात किया गया: मैं तुम से सच कहता हूं; उसका लेखा इसी समय के लोगों से लिया जाएगा।
उत्पत्ति 4:8, 2 इतिहास 24:20-21

51. —হেবলের রক্ত অবধি সেই সখরিয়ের রক্ত পর্য্যন্ত, যিনি যজ্ঞবেদি ও মন্দিরের মধ্যস্থানে নিহত হইয়াছিলেন —হাঁ, আমি তোমাদিগকে বলিতেছি, এই কালের লোকদের কাছে তাহার প্রতিশোধ লওয়া যাইবে।

52. हाय तुम व्यवस्थापकों पर ! कि तुम ने ज्ञान की कुंजी ले तो ली, परन्तु तुम ने आपही प्रवेश नहीं किया, और प्रवेश करनेवालों को भी रोक दिया।

52. হা ব্যবস্থাবেত্তারা, ধিক্‌ তোমাদিগকে, কেননা তোমরা জ্ঞানের চাবি হরণ করিয়া লইয়াছ; আপনারা প্রবেশ করিলে না, এবং যাহারা প্রবেশ করিতেছিল, তাহাদিগকেও বাধা দিলে।

53. जब वह वहां से निकला, तो शास्त्री और फरीसी बहुत पीछे पड़ गए और छेड़ने लगे, कि वह बहुत सी बातों की चर्चा करे।

53. তিনি সেখান হইতে বাহির হইয়া আসিলে অধ্যাপক ও ফরীশীগণ তাঁহাকে অত্যন্ত পীড়াপীড়ি করিতে, ও নানা বিষয়ে কথা বলাইবার জন্য উত্তেজনা করিতে লাগিল,

54. और उस की घात में लगे रहे, कि उसके मुंह की कोई बात पकड़ें।।

54. তাঁহার মুখের কথা ধরিবার জন্য ফাঁদ পাতিয়া রহিল।



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