34. तेरे शरीर का दीया तेरी आंख है, इसलिये जब तेरी आंख निर्मल है, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला है; परन्तु जब वह बुरी है, तो तेरा शरीर भी अन्धेरा है।
34. The lamp of thy body, is thine eye: Whensoever, thine eye, may be, single, even the whole of thy body, is, lighted up; but, whensoever it may be, useless, even thy body, is darkened.