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1. वह फिर झील के किनारे उपदेश देने लगा: और ऐसी बड़ी भीड़ उसके पास इकट्ठी हो गई, कि वह झील में एक नाव पर चढ़कर बैठ गया और सारी भीड़ भूमि पर झील के किनारे खड़ी रही।
1. Again he began to teach beside the sea. Such a very large crowd gathered around him that he got into a boat on the sea and sat there, while the whole crowd was beside the sea on the land.
2. और वह उन्हें दृष्टान्तों में बहुत सी बातें सिखाने लगेा, और अपने उपदेश में उन से कहा।
2. He began to teach them many things in parables, and in his teaching he said to them:
3. सुनो: देखो, एक बोनेवाला, बीज बाने के लिये निकला!
3. Listen! A sower went out to sow.
4. और बोते समय कुछ तो मार्ग के किनारे गिरा और पक्षियों ने आकर उसे चुग लिया।
4. And as he sowed, some seed fell on the path, and the birds came and ate it up.
5. और कुछ पत्थरीली भूमि पर गिरा जहां उस की बहुत मिट्टी न मिली, और गहरी मिट्टी न मिलने के कारण जल्द उग आया।
5. Other seed fell on rocky ground, where it did not have much soil, and it sprang up quickly, since it had no depth of soil.
6. और जब सूर्य निकला, तो जल गया, और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गया।
6. And when the sun rose, it was scorched; and since it had no root, it withered away.
7. और कुछ तो झाड़ियों में गिरा, और झाड़ियों ने बढ़कर उसे दबा लिया, और वह फल न लाया।
7. Other seed fell among thorns, and the thorns grew up and choked it, and it yielded no grain.
8. परन्तु कुछ अच्छी भूमि पर गिरा; और वह उगा, और बढ़कर फलवन्त हुआ; और कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा और कोई सौ गुणा फल लाया।
8. Other seed fell into good soil and brought forth grain, growing up and increasing and yielding thirty and sixty and a hundredfold.
9. और उस ने कहा; जिस के पास सुनने के लिये कान हों वह सुन ले।।
9. And he said, Let anyone with ears to hear listen!
10. जब वह अकेला रह गया, तो उसके साथियों ने उन बारह समेत उस से इन दृष्टान्तों के विषय में पूछा।
10. When he was alone, those who were around him along with the twelve asked him about the parables.
11. उस ने उन से कहा, तुम को तो परमेश्वर के राज्य के भेद की समझ दी गई है, परन्तु बाहरवालों के लिये सब बातें दृष्टान्तों में होती हैं।
11. And he said to them, To you has been given the secret of the kingdom of God, but for those outside, everything comes in parables;
12. इसलिये कि वे देखते हुए देखें और उन्हें सुझाई न पड़े और सुनते हुए सुनें भी और न समझें; ऐसा न हो कि वे फिरें, और क्षमा किए जाएं।यशायाह 6:9-10
12. in order that 'they may indeed look, but not perceive, and may indeed listen, but not understand; so that they may not turn again and be forgiven.'
13. फिर उस ने उन से कहा; क्या तुम यह दृष्टान्त नहीं समझते? तो फिर और सब दृष्टान्तों को क्योंकर समझोगे?
13. And he said to them, Do you not understand this parable? Then how will you understand all the parables?
14. बानेवाला वचन बोता है।
14. The sower sows the word.
15. जो मार्ग के किनारे के हैं जहां वचन बोया जाता है, ये वे हैं, कि जब उन्हों ने सुना, तो शैतान तुरन्त आकर वचन को जो उन में बोया गया था, उठा ले जाता है।
15. These are the ones on the path where the word is sown: when they hear, Satan immediately comes and takes away the word that is sown in them.
16. और वैसे ही जो पत्थरीली भूमि पर बोए जाते हैं, ये वे हैं, कि जो वचन को सुनकर तुरन्त आनन्द से ग्रहण कर लेते हैं।
16. And these are the ones sown on rocky ground: when they hear the word, they immediately receive it with joy.
17. परन्तु अपने भीतर जड़ न रखते के कारण वे थोड़े भी दिनों के लिये रहते हैं; इस के बाद जब वचन के कारण उन पर क्लेश या उपद्रव होता है, तो वे तुरन्त ठोकर खाते हैं।
17. But they have no root, and endure only for a while; then, when trouble or persecution arises on account of the word, immediately they fall away.
18. और जो झाडियों में बोए गए ये वे हैं जिन्हों ने वचन सुना।
18. And others are those sown among the thorns: these are the ones who hear the word,
19. और संसार की चिन्ता, और धन का धोखा, और और वस्तुओं का लोभ उन में समाकर वचन को दबा देता है। और वह निष्फल रह जाता है।
19. but the cares of the world, and the lure of wealth, and the desire for other things come in and choke the word, and it yields nothing.
20. और जो अच्छी भूमि में बोए गए, ये वे हैं, जो वचन सुनकर ग्रहण करते और फल लाते हैं, कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा, और कोई सौ गुणा।।
20. And these are the ones sown on the good soil: they hear the word and accept it and bear fruit, thirty and sixty and a hundredfold.
21. और उस ने उन से कहा; क्या दिये को इसलिये लाते हैं कि पैमाने या खाट के निचे रखा जाए? क्या इसलिये नहीं, कि दीवट पर रखा जाए?
21. He said to them, Is a lamp brought in to be put under the bushel basket, or under the bed, and not on the lampstand?
22. क्योंकि कोई वस्तु छिपी नहीं, परन्तु इसलिये कि प्रगट हो जाए;
22. For there is nothing hidden, except to be disclosed; nor is anything secret, except to come to light.
23. और न कुछ गुप्त है पर इसलिये कि प्रगट हो जाए। यदि किसी के सुनने के कान हों, तो सुन ले।
23. Let anyone with ears to hear listen!
24. फिर उस ने उन से कहा; चौकस रहो, कि क्या सुनते हो? जिस नाप से तुम नापते हो उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा, और तुम को अधिक दिय जाएगा।
24. And he said to them, Pay attention to what you hear; the measure you give will be the measure you get, and still more will be given you.
25. क्योंकि जिस के पास है, उस को दिया जाएगा; परन्तु जिस के पास नहीं है उस से वह भी जो उसके पास है; ले लिया जाएगा।।
25. For to those who have, more will be given; and from those who have nothing, even what they have will be taken away.
26. फिर उस ने कहा; परमेश्वर का राजय ऐसा है, जैसे कोई मनुष्य भूमि पर बीज छींटे।
26. He also said, The kingdom of God is as if someone would scatter seed on the ground,
27. और रात को सोए, और दिन को जागे और वह बीच ऐसे उगे और बढ़े कि वह न जाने।
27. and would sleep and rise night and day, and the seed would sprout and grow, he does not know how.
28. पृथ्वी आप से आप फल लाती है पलिे अंकुर, तब बाल, और तब बालों में तैयार दाना।
28. The earth produces of itself, first the stalk, then the head, then the full grain in the head.
29. परन्तु जब दाना पक जाता है, तब वह तुरन्त हंसिया लगाता है, क्योंकि कटनी आ पहुंची है।।योएल 3:13
29. But when the grain is ripe, at once he goes in with his sickle, because the harvest has come.
30. फिर उस ने कहा, हम परमेश्वर के राज्य की उपमा किस से दें, और किस दृष्टान्त से उसका वर्णन करें?
30. He also said, With what can we compare the kingdom of God, or what parable will we use for it?
31. वह राई के दाने के समान हैं; कि जब भूमि में बोया जाता है तो भूमि के सब बीजों से छोटा होता है।
31. It is like a mustard seed, which, when sown upon the ground, is the smallest of all the seeds on earth;
32. परन्तु जब बोया गया, तो उगकर सब साग पात से बड़ा हो जाता है, और उसकी ऐसी बड़ी डालियां निकलती हैं, कि आकाश के पक्षी उसकी छाया में बसेरा कर सकते हैं।।यहेजकेल 17:22-23, यहेजकेल 31:6, दानिय्येल 4:12
32. yet when it is sown it grows up and becomes the greatest of all shrubs, and puts forth large branches, so that the birds of the air can make nests in its shade.
33. और वह उन्हें इस प्रकार के बहुत से दृष्टान्त दे देकर उन की समझ के अनुसार वचन सुनाता था।
33. With many such parables he spoke the word to them, as they were able to hear it;
34. और बिना दृष्टान्त कहे उन से कुछ भी नहीं कहता था; परन्तु एकान्त में वह अपने निज चेलों को सब बातों का अर्थ बताता था।।
34. he did not speak to them except in parables, but he explained everything in private to his disciples.
35. उसी दिन जब सांझ हुई, तो उस ने उन से कहा; आओ, हम पार चलें,।
35. On that day, when evening had come, he said to them, Let us go across to the other side.
36. और वे भीड़ को छोड़कर जैसा वह था, वैसा की उसे नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी नावें थीं।
36. And leaving the crowd behind, they took him with them in the boat, just as he was. Other boats were with him.
37. तब बड़ी आन्धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी।
37. A great windstorm arose, and the waves beat into the boat, so that the boat was already being swamped.
38. और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब उन्हों ने उसे जगाकर उस से कहा; हे गुरू, क्या तुझे चिन्ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं?
38. But he was in the stern, asleep on the cushion; and they woke him up and said to him, Teacher, do you not care that we are perishing?
39. तब उस ने उठकर आन्धी को डांटा, और पानी से कहा; 'शान्त रह, थम जा' : और आन्धी थम गई और बड़ा चैन हो गया।
39. He woke up and rebuked the wind, and said to the sea, Peace! Be still! Then the wind ceased, and there was a dead calm.
40. और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं?
40. He said to them, Why are you afraid? Have you still no faith?
41. और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले; यह कौन है, कि आन्धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?यशायाह 52:14
41. And they were filled with great awe and said to one another, Who then is this, that even the wind and the sea obey him?