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Young's Literal Translation (1898)
Cross Reference Bible
1. दोष मत लगाओ, कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए।
1. Judge not, that you be not judged.
2. क्योंकि जिस प्रकार तुम दोष लगाते हो, उसी प्रकार तुम पर भी दोष लगाया जाएगा; और जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा।
2. For with what judgment you judge, you shall be judged: and with what measure you mete, it shall be measured to you again.
3. तू क्यों अपने भाई की आंख के तिनके को देखता है, और अपनी आंख का लट्ठा तुझे नहीं सूझता? और जब तेरी ही आंख मे लट्ठा है, तो तू अपने भाई से क्योंकर कह सकता है, कि ला मैं तेरी आंख से तिनका निकाल दूं।
3. And why behold you the mote that is in your brother's eye, but consider not the beam that is in your own eye?
4. हे कपटी, पहले अपनी आंख में से लट्ठा निकाल ले, तक तू अपने भाई की आंख का तिनका भली भांति देखकर निकाल सकेगा।।
4. Or how will you say to your brother, Let me pull out the mote out of your eye; and, behold, a beam is in your own eye?
5. पवित्रा वस्तु कुत्तों को न दो, और अपने मोती सूअरों के आगे मत डालो; ऐसा न हो कि वे उन्हें पांवों तले रौंदें और पलटकर तुम को फाड़ डालें।।
5. You hypocrite, first cast out the beam out of your own eye; and then shall you see clearly to cast out the mote out of your brother's eye.
6. मोंगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूंढ़ो, तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा।
6. Give not that which is holy to the dogs, neither cast you your pearls before swine, lest they trample them under their feet, and turn again and rend you.
7. क्योंकि जो कोई मांगता है, उसे मिलता है; और जो ढूंढ़ता है, वह पाता है? और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा।
7. Ask, and it shall be given you; seek, and you shall find; knock, and it shall be opened to you:
8. तुम में से ऐसा कौन मनुष्य है, कि यदि उसका पुत्रा उस से रोटी मांगे, तो वह उसे पत्थर दे?
8. For every one that asks receives; and he that seeks finds; and to him that knocks it shall be opened.
9. वा मछली मांगे, तो उसे सांप दे?
9. Or what man is there of you, whom if his son ask bread, will he give him a stone?
10. सो जब तुम बुरे होकर, अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने मांगनेवालों को अच्छी वस्तुएं क्यों न देगा?
10. Or if he ask a fish, will he give him a serpent?
11. इस कारण जो कुछ तुम चाहते हो, कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो; क्योंकि व्यवस्था और भविष्यद्वक्तओं की शिक्षा यही है।।
11. If you then, being evil, know how to give good gifts to your children, how much more shall your Father which is in heaven give good things to them that ask him?
12. सकेत फाटक से प्रवेश करो, क्योंकि चौड़ा है वह फाटक और चाकल है वह मार्ग जो विनाश को पहुंचाता है; और बहुतेरे हैं जो उस से प्रवेश करते हैं।
12. Therefore all things whatever you would that men should do to you, do you even so to them: for this is the law and the prophets.
13. क्योंकि सकेत है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन को पहुंचाता है, और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं।।
13. Enter you in at the strait gate: for wide is the gate, and broad is the way, that leads to destruction, and many there be which go in thereat:
14. क्योंकि सकेत है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन को पहुंचाता है, और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं।
14. Because strait is the gate, and narrow is the way, which leads to life, and few there be that find it.
15. झूठे भविष्यद्वक्ताओं से सावधान रहो, जो भेड़ों के भेष में तुम्हारे पास आते हैं, परन्तु अन्तर में फाड़नेवाले भेड़िए हैं।यहेजकेल 22:27
15. Beware of false prophets, which come to you in sheep's clothing, but inwardly they are ravening wolves.
16. उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे क्या झाड़ियों से अंगूर, वा ऊंटकटारों से अंजीर तोड़ते हैं?
16. You shall know them by their fruits. Do men gather grapes of thorns, or figs of thistles?
17. इसी प्रकार हर एक अच्छा पेड़ अच्छा फल लाता है और निकम्मा पेड़ बुरा फल लाता है।
17. Even so every good tree brings forth good fruit; but a corrupt tree brings forth evil fruit.
18. अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं ला सकता, और न निकम्मा पेड़ अच्छा फल ला सकता है।
18. A good tree cannot bring forth evil fruit, neither can a corrupt tree bring forth good fruit.
19. जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में डाला जाता है।
19. Every tree that brings not forth good fruit is hewn down, and cast into the fire.
20. सो उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे।
20. Why by their fruits you shall know them.
21. जो मुझ से, हे प्रभु, हे प्रभु कहता है, उन में से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है।
21. Not every one that said to me, Lord, Lord, shall enter into the kingdom of heaven; but he that does the will of my Father which is in heaven.
22. उस दिन बहुतेरे मुझ से कहेंगे; हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत अचम्भे के काम नहीं किए?यिर्मयाह 14:14, यिर्मयाह 27:15
22. Many will say to me in that day, Lord, Lord, have we not prophesied in your name? and in your name have cast out devils? and in your name done many wonderful works?
23. तब मैं उन से खुलकर कह दूंगा कि मैं ने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करनेवालों, मेरे पास से चले जाओ।भजन संहिता 6:8
23. And then will I profess to them, I never knew you: depart from me, you that work iniquity.
24. इसलिये जो कोई मेरी ये बातें सुनकर उन्हें मानता है वह उस बुद्विमान मनुष्य की नाई ठहरेगा जिस ने अपना घर चटान पर बनाया।
24. Therefore whoever hears these sayings of mine, and does them, I will liken him to a wise man, which built his house on a rock:
25. और मेंह बरसा और बाढ़ें आईं, और आन्धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं, परन्तु वह नहीं गिरा, क्योंकि उस की नेव चटान पर डाली गई थी।
25. And the rain descended, and the floods came, and the winds blew, and beat on that house; and it fell not: for it was founded on a rock.
26. परन्तु जो कोई मेरी ये बातें सुनता है और उन पर नहीं चलता वह उस निर्बुद्धि मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिस ने अपना घर बालू पर बनाया।
26. And every one that hears these sayings of mine, and does them not, shall be likened to a foolish man, which built his house on the sand:
27. और मेंह बरसा, और बाढ़ें आईं, और आन्धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं और वह गिरकर सत्यानाश हो गया।।यहेजकेल 13:10-12
27. And the rain descended, and the floods came, and the winds blew, and beat on that house; and it fell: and great was the fall of it.
28. जब यीशु ये बातें कह चुका, तो ऐसा हुआ कि भीड़ उसके उपदेश से चकित हुई।
28. And it came to pass, when Jesus had ended these sayings, the people were astonished at his doctrine:
29. क्योंकि वह उन के शास्त्रियों के समान नहीं परन्तु अधिकारी की नाई उन्हें उपदेश देता था।।
29. For he taught them as one having authority, and not as the scribes.