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1. दारा के राज्य के दूसरे वर्ष के आठवें महीने में जकर्याह भविष्यद्वक्ता के पास जो बेरेक्याह का पुत्रा और इद्दॊ का पोता था, यहोवा का यह वचन पहुंचा:मत्ती 23:25
1. In the eighth month, in the second year of Darius, the word of the LORD came to the prophet Zechariah, the son of Berechiah, son of Iddo, saying,
2. यहोवा तुम लोगों के पुरखाओं से बहुत ही क्रोधित हुआ था।
2. The LORD was very angry with your fathers.
3. इसलिये तू इन लोगों से कह, सेनाओं का यहोवा यों कहता है: तुम मेरी ओर फिरो, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है, तब मैं तुम्हारी ओर फिरूंगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।याकूब 4:8
3. Therefore say to them, Thus declares the LORD of hosts: Return to me, says the LORD of hosts, and I will return to you, says the LORD of hosts.
4. अपने पुरखाओं के समान न बनो, उन से तो अगले भविष्यद्वक्ता यह पुकार पुकारकर कहते थे कि सेनाओं का यहोवा यों कहता है, अपने बुरे मार्गों से, और अपने बुरे कामों से फिरो; परन्तु उन्हों ने न तो सुना, और न मेरी ओर ध्यान दिया, यहोवा की यही वाणी है।
4. Do not be like your fathers, to whom the former prophets cried out, 'Thus says the LORD of hosts, Return from your evil ways and from your evil deeds.' But they did not hear or pay attention to me, declares the LORD.
5. तुम्हारे पुरखा कहां रहे? और भविष्यद्वक्ता क्या सदा जीवित रहते हैं?
5. Your fathers, where are they? And the prophets, do they live forever?
6. परन्तु मेरे वचन और मेरी आज्ञाएं जिन को मैं ने अपने दास नबियों को दिया था, क्या वे तुम्हारे पुरखाओं पर पूरी न हुई? तब उन्हों ने मन फिराया और कहा, सेनाओं के यहोवा ने हमारे चालचलन और कामों के अनुसार हम से जैसा व्यवहार करने को कहा था, वैसा ही उस ने हम को बदला दिया है।।प्रकाशितवाक्य 10:7, प्रकाशितवाक्य 11:18
6. But my words and my statutes, which I commanded my servants the prophets, did they not overtake your fathers? So they repented and said, As the LORD of hosts purposed to deal with us for our ways and deeds, so has he dealt with us.'
7. दारा के दूसरे वर्ष के शबात नाम ग्यारहवें महीने के चौबीसवें दिन को जकर्याह नबी के पास जो बेरेक्याह का पुत्रा और इद्दॊ का पोता था, यहोवा का वचन यों पहुंचा:
7. On the twenty-fourth day of the eleventh month, which is the month of Shebat, in the second year of Darius, the word of the LORD came to the prophet Zechariah, the son of Berechiah, son of Iddo, saying,
8. मैं ने रात को स्वप्न में क्या देखा कि एक पुरूष लाल घोड़े पर चढ़ा हुआ उन मेंहदियों के बीच खड़ा है जो नीचे स्थान में हैं, और उसके पीछे लाल और सुरंग और श्वेत घोड़े भी खड़े हैं।प्रकाशितवाक्य 6:2-4-5, प्रकाशितवाक्य 19:11
8. I saw in the night, and behold, a man riding on a red horse! He was standing among the myrtle trees in the glen, and behind him were red, sorrel, and white horses.
9. तब मैं ने कहा, हे मेरे प्रभु ये कौन हैं? तब जो दूत मुझ से बातें करता था, उस ने मुझ से कहा, मैं तुझे बताऊंगा कि ये कौन हैं।
9. Then I said, 'What are these, my lord?' The angel who talked with me said to me, 'I will show you what they are.'
10. फिर जो पुरूष मेंहदियों के बीच खड़ा था, उस ने कहा, यह वे हैं जिन को यहोवा ने पृथ्वी पर सैर अर्थात् धूमने के लिये भेजा है।
10. So the man who was standing among the myrtle trees answered, 'These are they whom the LORD has sent to patrol the earth.'
11. तब उन्हों ने यहोवा के उस दूत से जो मेंहदियों के बीच खड़ा था, कहा, हम ने पृथ्वी पर सैर किया है, और क्या देखा कि सारी पृथ्वी में शान्ति और चैन है।
11. And they answered the angel of the LORD who was standing among the myrtle trees, and said, 'We have patrolled the earth, and behold, all the earth remains at rest.'
12. तब यहोवा के दूत ने कहा, हे सेनाओं के यहोवा, तू जो यरूशलेम और यहूदा के नगरों पर सत्तर वर्ष से क्रोधित है, सो तू उन पर कब तक दया न करेगा?प्रकाशितवाक्य 6:10
12. Then the angel of the LORD said, 'O LORD of hosts, how long will you have no mercy on Jerusalem and the cities of Judah, against which you have been angry these seventy years?'
13. और यहोवा ने उत्तर में उस दूत से जो मुझ से बातें करता था, अच्छी अच्छी और शान्ति की बातें कहीं।
13. And the LORD answered gracious and comforting words to the angel who talked with me.
14. तब जो दूत मुझ से बातें करता था, उस ने मुझ से कहा, तू पुकारकर कह कि सेनाओं का यहोवा यों कहता है, मुझे यरूशलेम और सिरयोन के लिये बड़ी जलन हुई है।
14. So the angel who talked with me said to me, 'Cry out, Thus says the LORD of hosts: I am exceedingly jealous for Jerusalem and for Zion.
15. और जो जातियां सुख से रहती हैं, उन से मैं क्रोधित हूं; क्योंकि मैं ने तो थोड़ा से क्रोध किया था, परन्तु उन्हों ने विपत्ति को बढ़ा दिया।
15. And I am exceedingly angry with the nations that are at ease; for while I was angry but a little, they furthered the disaster.
16. इस कारण यहोवा यों कहता है, अब मैं दया करके यरूशलेम को लौट आया हूं; मेरा भवन उस में बनेगा, और यरूशलेम पर नापने की डोरी डाली जाएगी, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।
16. Therefore, thus says the LORD, I have returned to Jerusalem with mercy; my house shall be built in it, declares the LORD of hosts, and the measuring line shall be stretched out over Jerusalem.
17. फिर यह भी पुकारकर कह कि सेनाओं का यहोवा यों कहता है, मेरे नगर फिर उत्तम वस्तुओं से भर जाएंगे, और यहोवा फिर सिरयोन को शान्ति देगा; और यरूशलेम को फिर अपना ठहराएगा।।
17. Cry out again, Thus says the LORD of hosts: My cities shall again overflow with prosperity, and the LORD will again comfort Zion and again choose Jerusalem.''
18. फिर मैं ने जो आंखें उठाई, तो क्या देखा कि चार सींग हैं।
18. And I lifted my eyes and saw, and behold, four horns!
19. तब जो दूत मुझ से बातें करता था, उस से मैं ने पूछा, ये क्या हैं? उस ने मुझ से कहा, ये वे ही सींग हैं, जिन्हों ने यहूदा और इस्राएल और यरूशलेम को तितर- बितर किया है।
19. And I said to the angel who talked with me, 'What are these?' And he said to me, 'These are the horns that have scattered Judah, Israel, and Jerusalem.'
20. फिर यहोवा ने मुझे चार लोहार दिखाए।
20. Then the LORD showed me four craftsmen.
21. तब मैं ने पूछा, ये क्या करने को आए हैं? उस ने कहा, ये वे ही सींग हैं, जिन्हों ने यहूदा को ऐसा तितर- बितर किया कि कोई सिर न उठा सका; परन्तु ये लोग उन्हें भगाने के लिये और उन जातियों के सींगों को काट डालने के लिये आए हैं जिन्हों ने यहूदा के देश को तितर- बितर करने के लिये उनके विरूद्ध अपने अपने सींग उठाए थे।।
21. And I said, 'What are these coming to do?' He said, 'These are the horns that scattered Judah, so that no one raised his head. And these have come to terrify them, to cast down the horns of the nations who lifted up their horns against the land of Judah to scatter it.'