9. तुम ने बहुत उपज की आशा रखी, परन्तु देखो थेड़ी ही है; और जब तुम उसे घर ले आए, तब मैं ने उसको उड़ा दिया। सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, ऐसा क्यों हुआ? क्या इसलिये नहीं, कि मेरा भवन उजाड़ पड़ा है और तुम में से प्रत्येक अपने अपने घर को दौड़ा चला जाता है?
9. তোমরা বাহুল্যের অপেক্ষা করিয়াছিলে, আর দেখ, অল্প পাইলে; এবং যাহা গৃহে আনিয়াছিলে, তাহার উপরে আমি ফুঁ দিলাম। বাহিনীগণের সদাপ্রভু কহেন, ইহার কারণ কি? কারণ এই যে, আমার গৃহ উৎসন্ন রহিয়াছে, তথাপি তোমরা প্রত্যেক জন আপন আপন গৃহে দৌড়িয়া যাইতেছ।