Leviticus - लैव्यव्यवस्था 18 | View All

1. फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

1. আর সদাপ্রভু মোশিকে কহিলেন,

2. इस्त्राएलियों से कह, कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।

2. তুমি ইস্রায়েল-সন্তানগণকে কহ, তাহাদিগকে এই কথা বল, আমি সদাপ্রভু তোমাদের ঈশ্বর।

3. तुम मि देश के कामों के अनुसार जिस में तुम रहते थे न करना; और कनान देश के कामों के अनुसार भी जहां मैं तुम्हें ले चलता हूं न करना; और न उन देशों की विधियों पर चलना।

3. তোমরা যেখানে বাস করিয়াছ, সেই মিসর দেশের আচারানুযায়ী আচরণ করিও না; এবং যে কনান দেশে আমি তোমাদিগকে লইয়া যাইতেছি, তথাকারও আচারানুযায়ী আচরণ করিও না, ও তাহাদের বিধি অনুসারে চলিও না।

4. मेरे ही नियमों को मानना, और मेरी ही विधियों को मानते हुए उन पर चलना। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।

4. তোমরা আমারই শাসন সকল মান্য করিও, আমারই বিধি সকল পালন করিও, এবং সেই পথে চলিও; আমি সদাপ্রভু তোমাদের ঈশ্বর।

5. इसलिये तुम मेरे नियमों और मेरी विधियों को निरन्तर मानना; जो मनुष्य उनको माने वह उनके कारण जीवित रहेगा। मैं यहोवा हूं।
मत्ती 19:17, लूका 10:28, रोमियों 7:10, रोमियों 10:5, गलातियों 3:12

5. অতএব তোমরা আমার বিধি সকল ও আমার শাসন সকল পালন করিবে; যে কেহ এই সকল পালন করে, সে এই সকলের দ্বারা বাঁচিবে; আমি সদাপ্রভু।

6. तुम में से कोई अपनी किसी निकट कुटुम्बिन का तन उघाड़ने को उसके पास न जाए। मैं यहोवा हूं।

6. তোমরা কেহ আত্মীয় কোন ব্যক্তির আবরণীয় অনাবৃত করিবার জন্য তাহার নিকটে যাইও না; আমি সদাপ্রভু।

7. अपनी माता का तन जो तुम्हारे पिता का तन है न उघाड़ना; वह तो तुम्हारी माता है, इसलिये तुम उसका तन न उघाड़ना।
1 कुरिन्थियों 5:1

7. তুমি আপন পিতার আবরণীয় অর্থাৎ আপন মাতার আবরণীয় অনাবৃত করিও না; সে তোমার মাতা; তাহার আবরণীয় অনাবৃত করিও না।

8. अपनी सौतेली माता का भी तन न उघाड़ना; वह तो तुम्हारे पिता ही का तन है।
1 कुरिन्थियों 5:1

8. তোমার পিতৃভার্য্যার আবরণীয় অনাবৃত করিও না।

9. अपनी बहिन चाहे सगी हो चाहे सौतेली हो, चाहे वह घर में उत्पन्न हुई हो चाहे बाहर, उसका तन न उघाड़ना।

9. তাহা তোমার পিতার আবরণীয়। তোমার ভগিনী, তোমার পিতৃকন্যা কিম্বা তোমার মাতৃকন্যা, গৃহজাতা হউক কিম্বা অন্যত্র জাতা হউক, তাহাদের আবরণীয় অনাবৃত করিও না।

10. अपनी पोती वा अपनी नतिनी का तन न उघाड़ना, उनकी देह तो मानो तुम्हारी ही है।

10. তোমার পৌত্রীর কিম্বা দৌহিত্রীর আবরণীয় অনাবৃত করিও না; কেননা তাহা তোমারই আবরণীয়।

11. तुम्हारी सोतेली बहिन जो तुम्हारे पिता से उत्पन्न हुई, वह तुम्हारी बहिन है, इस कारण उसका तन न उघाड़ना।

11. তোমার বিমাতৃকন্যার আবরণীয়, যে তোমার পিতা হইতে জন্মিয়াছে, যে তোমার ভগিনী, তাহার আবরণীয় অনাবৃত করিও না।

12. अपनी फूफी का तन न उघाड़ना; वह तो तुम्हारे पिता की निकट कुटुम्बिन है।

12. তোমার পিতৃষ্বসার আবরণীয় অনাবৃত করিও না, সে তোমার পিতার আত্মীয়া।

13. अपनी मौसी का तन न उघाड़ना; क्योंकि वह तुम्हारी माता की निकट कुटुम्बिन है।

13. তোমার মাতৃষ্বসার আবরণীয় অনাবৃত করিও না, সে তোমার মাতার আত্মীয়া।

14. अपने चाचा का तन न उघाड़ना, अर्थात् उसकी स्त्री के पास न जाना; वह तो तुम्हारी चाची है।

14. তোমার পিতৃব্যের আবরণীয় অনাবৃত করিও না, তাহার পত্নীর নিকট গমন করিও না, সে তোমার পিতৃব্যা।

15. अपनी बहू का तन न उघाड़ना वह तो तुम्हारे बेटे की स्त्री है, इस कारण तुम उसका तन न उघाड़ना।

15. তোমার পুত্রবধূর আবরণীয় অনাবৃত করিও না, সে তোমার পুত্রের ভার্য্যা, তাহার আবরণীয় অনাবৃত করিও না।

16. अपनी भौजी का तन न उघाड़ना; वह तो तुम्हारे भाई ही का तन है।
मत्ती 14:3-4, मरकुस 6:18

16. তোমার ভ্রাতৃপত্নীর আবরণীয় অনাবৃত করিও না; তাহা তোমার ভ্রাতার আবরণীয়।

17. किसी स्त्री और उसकी बेटी दोनों का तन न उघाड़ना, और उसकी पोती को वा उसकी नतिनी को अपनी स्त्री करके उसका तन न उघाड़ना; वे तो निकट कुटुम्बिन है; ऐसा करना महापाप है।

17. কোন স্ত্রীর ও তাহার কন্যার আবরণীয় অনাবৃত করিও না, এবং আবরণীয় অনাবৃত করিবার জন্য তাহার পৌত্রীকে বা দৌহিত্রীকে লইও না; তাহারা পরস্পর আত্মীয়া; এ কুকর্ম্ম।

18. और अपनी स्त्री की बहिन को भी अपनी स्त्री करके उसकी सौत न करना, कि पहली के जीवित रहते हुए उसका तन भी उघाड़े।

18. আর স্ত্রীর সপত্নী হইবার জন্য তাহার জীবৎকালে আবরণীয় অনাবৃত করণার্থে তাহার ভগিনীকে বিবাহ করিও না।

19. फिर जब तक कोई स्त्री अपने ऋतु के कारण अशुद्ध रहे तब तक उसके पास उसका तन उघाड़ने को न जाना।

19. এবং কোন স্ত্রীর অশৌচকালে তাহার আবরণীয় অনাবৃত করিতে তাহার নিকটে যাইও না।

20. फिर अपने भाई बन्धु की स्त्री से कुकर्म करके अशुद्ध न हो जाना।

20. আর তুমি আপন স্বজাতীয়ের স্ত্রীতে গমন করিয়া আপনাকে অশুচি করিও না।

21. और अपने सन्तान में से किसी को मोलेक के लिये होम करके न चढ़ाना, और न अपने परमेश्वर के नाम को अपवित्रा ठहराना; मैं यहोवा हूं।

21. আর তোমার বংশজাত কাহাকেও মোলক দেবের উদ্দেশে অগ্নির মধ্য দিয়া গমন করাইও না, এবং তোমার ঈশ্বরের নাম অপবিত্র করিও না; আমি সদাপ্রভু।

22. स्त्रीगमन की रीति पुरूषगमन न करना; वह तो घिनौना काम है।
रोमियों 1:27

22. স্ত্রীর ন্যায় পুরুষের সহিত সংসর্গ করিও না, তাহা ঘৃণার্হ কর্ম্ম।

23. किसी जाति के पशु के साथ पशुगमन करके अशुद्ध न हो जाना, और न कोई स्त्री पशु के साम्हने इसलिये खड़ी हो कि उसके संग कुकर्म करे; यह तो उल्टी बात है।।

23. আর তুমি কোন পশুর সহিত শয়ন করিয়া আপনাকে অশুচি করিও না; এবং কোন স্ত্রী কোন পশুর সহিত শয়ন করিতে তাহার সম্মুখে দাঁড়াইবে না; ইহা বিপরীত কর্ম্ম।

24. ऐसा ऐसा कोई भी काम करके अशुद्ध न हो जाना, क्योंकि जिन जातियों को मैं तुम्हारे आगे से निकालने पर हूं वे ऐसे ऐसे काम करके अशुद्ध हो गई है;

24. তোমরা এ সমস্ত দ্বারা আপনাদিগকে অশুচি করিও না; কেননা যে যে জাতিকে আমি তোমাদের সম্মুখ হইতে দূর করিব, তাহারা এই সমস্ত দ্বারা অশুচি হইয়াছে; এবং দেশও অশুচি হইয়াছে;

25. और उनका देश भी अशुद्ध हो गया है, इस कारण मैं उस पर उसके अधर्म का दण्ड देता हूं, और वह देश अपने निवासियों को उगल देता है।

25. অতএব আমি উহার অপরাধ উহাকে ভোগ করাইব, এবং দেশ আপন নিবাসীদিগকে উদগীরণ করিবে।

26. इस कारण तुम लोग मेरी विधियों और नियमों को निरन्तर मानना, और चाहे देशी चाहे तुम्हारे बीच रहनेवाला परदेशी हो तुम में से कोई भी ऐसा घिनौना काम न करे;

26. অতএব তোমরা আমার বিধি ও আমার শাসন সকল পালন করিও; স্বদেশীয় কিম্বা তোমাদের মধ্যে প্রবাসকারী বিদেশীয় হউক, তোমরা ঐ সকল ঘৃণার্হ ক্রিয়ার মধ্যে কোন কার্য্য করিও না।

27. क्योंकि ऐसे सब घिनौने कामों को उस देश के मनुष्य तो तुम से पहिले उस में रहते थे वे करते आए हैं, इसी से वह देश अशुद्ध हो गया है।

27. কেননা তোমাদের পূর্ব্বে যাহারা ছিল, ঐ দেশের সেই লোকেরা এইরূপ ঘৃণার্হ ক্রিয়া করাতে দেশ অশুচি হইয়াছে।

28. अब ऐसा न हो कि जिस रीति से जो जाति तुम से पहिले उस देश में रहती थी उसको उस ने उगल दिया, उसी रीति जब तुम उसको अशुद्ध करो, तो वह तुम को भी उगल दे।

28. —সেই দেশ যেমন তোমাদের পূর্ব্ববর্ত্তী ঐ জাতিকে উদগীরণ করিল, তদ্রূপ যেন তোমাদের কর্ত্তৃক অশুচি হইয়া তোমাদিগকেও উদগীরণ না করে।

29. जितने ऐसा कोई घिनौना काम करें वे सब प्राणी अपने लोगों में से नाश किए जाएं।

29. কেননা যে কেহ ঐ সকলের মধ্যে কোন ঘৃণার্হ ক্রিয়া করে, সেই প্রাণী আপন লোকদের মধ্য হইতে উচ্ছিন্ন হইবে।



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