14. यह इसलिये हुआ है कि जल के पास के सब वृक्षों में से कोई अपनी ऊंचाई न बढ़ाए, न अपनी फुनगी को बादलों तक पहुंचाए, और उन में से जितने जल पाकर दृढ़ हो गए हैं वे ऊंचे होने के कारण सिर न उठाएं; क्योंकि वे भी सब के सब कबर में गड़े हुए मनुष्यों के समान मृत्यु के वश करके अधोलोक में डाल दिए जाएंगे।
14. to the end that none of all the trees by the waters exalt themselves in their stature, neither set their top among the thick boughs, nor that their mighty ones stand up in their height, {cf15i even} all that drink water: for they are all delivered unto death, to the nether parts of the earth, in the midst of the children of men, with them that go down to the pit.