26. उसके याजकों ने मेरी व्यवस्था का अर्थ खींचखांचकर लगाया है, और मेरी पवित्रा वस्तुओं को अपवित्रा किया है; उन्हों ने पवित्रान्अपवित्रा का कुछ भेद नहीं माना, और न औरों को शुद्ध- अशुद्ध का भेद सिखाया है, और वे मेरे विश्रामदिनों के विषय में निश्चिन्त रहते हैं, जिस से मैं उनके बीच अपवित्रा ठहरता हूँ।
26. তথাকার যাজকগণ আমার ব্যবস্থার প্রতি দৌরাত্ম্য করিয়াছে, ও আমার পবিত্র বস্তু সকল অপবিত্র করিয়াছে, পবিত্র ও সামান্যের কিছু বিশেষ রাখে নাই, শুচি অশুচির কোন প্রভেদ শিক্ষা দেয় নাই, ও আমার বিশ্রামদিন সকলের প্রতি চক্ষু মুদিয়াছে, আর আমি তাহাদের মধ্যে অপবিত্রীকৃত হইতেছি।