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1. यह कौन है जो एदोम देश के बोस्त्रा नगर से बैंजनी वस्त्रा पहिने हुए चला आता है, जो अति बलवान और भड़कीला पहिरावा पहिने हुए झूमता चला आता है? यह मैं ही हूं, जो धर्म से बोलता और पूरा उद्धार करने की शक्ति रखता हूं।मत्ती 16:27, मत्ती 9:6, मत्ती 12:6, प्रकाशितवाक्य 19:13
1. Who is this that comes from Edom, from Bozrah in garments stained crimson? Who is this so splendidly robed, marching in his great might? It is I, announcing vindication, mighty to save.
2. तेरा पहिरावा क्यों लाल है? और क्या कारण है कि तेरे वस्त्रा हौद में दाख रौंदनेवाले के समान हैं?
2. Why are your robes red, and your garments like theirs who tread the wine press?
3. मैं ने तो अकेले ही हौद में दाखें रौंदी हैं, और देश के लोगों में से किसी ने मेरा साथ नहीं दिया; हां, मैं ने अपने क्रोध में आकर उन्हें रौंदा और जलकर उन्हें लताड़ा; उनके लोहू के छींटे मेरे वस्त्रों पर पड़े हैं, इस से मेरा सारा पहिरावा धब्बेदार हो गया है।प्रकाशितवाक्य 14:20, प्रकाशितवाक्य 19:15
3. I have trodden the wine press alone, and from the peoples no one was with me; I trod them in my anger and trampled them in my wrath; their juice spattered on my garments, and stained all my robes.
4. क्योंकि पलटा लेने का दिन मेरे मन में था, और मेरी छुड़ाई हुई प्रजा का वर्ष आ पहुंचा है।
4. For the day of vengeance was in my heart, and the year for my redeeming work had come.
5. मैं ने खोजा, पर कोई सहायक न दिखाई पड़ा; मैं ने इस से अचम्भा भी किया कि कोई सम्भालनेवाला नहीं था; तब मैं ने अपने ही भुजबल से उद्धार किया, और मेरी जलजलाहट ही ने मुझे सम्हाला।
5. I looked, but there was no helper; I stared, but there was no one to sustain me; so my own arm brought me victory, and my wrath sustained me.
6. हां, मैं ने अपने क्रोध में आकर देश देश के लोगों को लताड़ा, अपनी जलजलाहट से मैं ने उन्हें मतवाला कर दिया, और उनके लोहू को भूमि पर बहा दिया।।
6. I trampled down peoples in my anger, I crushed them in my wrath, and I poured out their lifeblood on the earth.
7. जितना उपकार यहोवा ने हम लोगों का किया अर्थात् इस्राएल के घराने पर दया और अत्यन्त करूणा करके उस ने हम से जितनी भलाई, कि उस सब के अनुसार मैं यहोवा के करूणामय कामों का वर्णन और उसका गुणानुवाद करूंगा।
7. I will recount the gracious deeds of the LORD, the praiseworthy acts of the LORD, because of all that the LORD has done for us, and the great favor to the house of Israel that he has shown them according to his mercy, according to the abundance of his steadfast love.
8. क्योंकि उस ने कहा, निस्न्देह ये मेरी प्रजा के लोग हैं, ऐसे लड़के हैं जो धोखा नदेंगे; और वह उनका उद्धारकर्ता हो गया।
8. For he said, Surely they are my people, children who will not deal falsely; and he became their savior
9. उनके सारे संकट में उस ने भी कष्ट उठाया, और उसके सम्मुख रहनेवाले दूत ने उनका उद्धार किया; प्रेम और कोमलता से उस ने आप की उनको छुड़ाया; उस ने उन्हें उठाया और प्राचीनकाल से सदा उन्हें लिए फिरा।मत्ती 25:40-45
9. in all their distress. It was no messenger or angel but his presence that saved them; in his love and in his pity he redeemed them; he lifted them up and carried them all the days of old.
10. तौभी उन्हों ने बलवा किया और उसके पवित्रा आत्मा को खेदित किया; इस कारण वह पलटकर उनका शत्रु हो गया, और स्वयं उन से लड़ने लगा।प्रेरितों के काम 7:51, इफिसियों 4:30
10. But they rebelled and grieved his holy spirit; therefore he became their enemy; he himself fought against them.
11. तब उसके लोगों को उनके प्राचीन दिन अर्थात् मूसा के दिन स्मरण आए, वे कहने लगे कि जो अपनी भेड़ों को उनके चरवाहे समेत समुद्र में से निकाल लाया वह कहां है? जिस ने उनके बीच अपना पवित्रा आत्मा डाला, वह कहां है?इब्रानियों 13:20
11. Then they remembered the days of old, of Moses his servant. Where is the one who brought them up out of the sea with the shepherds of his flock? Where is the one who put within them his holy spirit,
12. जिस ने अपने प्रतापी भुजबल को मूसा के दहिने हाथ के साथ कर दिया, जिस ने उनके साम्हने जल को दो भाग करके अपना सदा का नाम कर लिया,
12. who caused his glorious arm to march at the right hand of Moses, who divided the waters before them to make for himself an everlasting name,
13. जो उनको गहिरे समुद्र में से ले चला; जैसा घोड़े को जंगल में वैसे ही उनको भी ठोकर न लगी, वह कहां है?
13. who led them through the depths? Like a horse in the desert, they did not stumble.
14. जैसे घरैलू पशु तराई में उतर जाता है, वेैसे ही यहोवा के आत्मा न उनको विश्राम दिया। इसी प्रकार से तू ने अपनी प्रजा की अगुवाई की ताकि अपना नाम महिमायुक्त बनाए।।
14. Like cattle that go down into the valley, the spirit of the LORD gave them rest. Thus you led your people, to make for yourself a glorious name.
15. स्वर्ग से, जो तेरा पवित्रा और महिमापूर्ण वासस्थान है, दृष्टि कर। तेरी जलन और पराक्रम कहां रहे? तेरी दया और करूणा मुझ पर से हट गई हैं।
15. Look down from heaven and see, from your holy and glorious habitation. Where are your zeal and your might? The yearning of your heart and your compassion? They are withheld from me.
16. निश्चय तू हमारा पिता है, यद्यपि इब्राहीम हमें नहीं पहिचानता, और इस्राएल हमें ग्रहण नहीं करता; तौभी, हे यहोवा, तू हमारा पिता और हमारा छुड़ानेवाला है; प्राचीनकाल से यही तेरा नाम है।यूहन्ना 8:41
16. For you are our father, though Abraham does not know us and Israel does not acknowledge us; you, O LORD, are our father; our Redeemer from of old is your name.
17. हे यहोवा, तू क्यों हम को अपने मार्गों से भटका देता, और हमारे मन ऐसे कठोर करता है कि हम तेरा भय नहीं मानते? अपने दास, अपने निज भाग के गोत्रों के निमित्त लौट आ।
17. Why, O LORD, do you make us stray from your ways and harden our heart, so that we do not fear you? Turn back for the sake of your servants, for the sake of the tribes that are your heritage.
18. तेरी पवित्रा प्रजा तो थोड़े ही काल तक मेरे पवित्रास्थान की अधिकारी रही; हमारे द्रोहियों ने उसे लताड़ दिया है।लूका 21:24, प्रकाशितवाक्य 11:2
18. Your holy people took possession for a little while; but now our adversaries have trampled down your sanctuary.
19. हम लोग तो ऐसे हो गए हैं, मानो तू ने हम पर कभी प्रभुता नहीं की, और उनके समान जो कभी तेरे न कहलाए।।
19. We have long been like those whom you do not rule, like those not called by your name.