Isaiah - यशायाह 14 | View All

1. यहोवा याकूब पर दया करेगा, और इस्राएल को फिर अपनाकर, उन्हीं के देश में बसाएगा, और परदेशी उन से मिल जाएंगे और अपने अपने को याकूब के घराने से मिला लेंगे।

1. FOR THE Lord will have mercy on Jacob [the captive Jews in Babylon] and will again choose Israel and set them in their own land; and foreigners [who are proselytes] will join them and will cleave to the house of Jacob (Israel). [Esth. 8:17.]

2. और देश देश के लोग उनको उन्हीं के स्थान में पहुंचाएंगे, और इस्राएल का घराना यहोवा की भूमि पर उनका अधिकारी होकर उनको दास और दासियां बनाएगा; क्योंकि वे अपने बंधुवाई में ले जानेवालों को बंधुआ करेंगे, और जो उन पर अत्याचार करते थे उन पर वे शासन करेंगे।।

2. And the peoples [of Babylonia] shall take them and bring them to their own country [of Judea] and help restore them. And the house of Israel will possess [the foreigners who prefer to stay with] them in the land of the Lord as male and female servants; and they will take captive [not by physical but by moral might] those whose captives they have been, and they will rule over their [former] oppressors. [Ezra 1.]

3. और जिस दिन यहोवा तुझे तेरे सन्ताप और घबराहट से, और उस कठिन श्रम से जो तुझ से लिया गया विश्राम देगा,

3. When the Lord has given you rest from your sorrow and pain and from your trouble and unrest and from the hard service with which you were made to serve,

4. उस दिन तू बाबुल के राजा पर ताना मारकर कहेगा कि परिश्रम करानेवाला कैसा नाश हो गया है, सुनहले मन्दिरों से भरी नगरी कैसी नाश हो गई है!

4. You shall take up this [taunting] parable against the king of Babylon and say, How the oppressor has stilled [the restless insolence]! The golden and exacting city has ceased!

5. यहोवा ने दुष्टों के सोंटे को और अन्याय से शासन करनेवालों के लठ को तोड़ दिया है,

5. The Lord has broken the staff of the wicked, the scepter of the [tyrant] rulers,

6. जिस से वे मनुष्यों को लगातार रोष से मारते रहते थे, और जाति जाति पर क्रोध से प्रभुता करते और लगातार उनके पीछे पड़े रहते थे।

6. Who smote the peoples in anger with incessant blows and trod down the nations in wrath with unrelenting persecution--[until] he who smote is persecuted and no one hinders any more.

7. अब सारी पृथ्वी को विश्राम मिला है, वह चैन से है; लोग ऊंचे स्वर से गा उठे हैं।

7. The whole earth is at rest and is quiet; they break forth into singing.

8. सनौवर और लबानोन के देवदार भी तुझ पर आनन्द करके कहते हैं, जब से तू गिराया गया तब से कोई हमें काटने को नहीं आया।

8. Yes, the fir trees and cypresses rejoice at you [O kings of Babylon], even the cedars of Lebanon, saying, Since you have been laid low, no woodcutter comes up against us.

9. पाताल के नीचे अधोलो में तुझ से मिलने के लिये हलचल हो रही है; वह तेरे लिये मुर्दों को अर्थात्पृथ्वी के सब सरदारों को जगाता है, और वह जाति जाति से सब राजाओं को उनके सिंहासन पर से उठा खड़ा करता है।

9. Sheol (Hades, the place of the dead) below is stirred up to meet you at your coming [O tyrant Babylonian rulers]; it stirs up the shades of the dead to greet you--even all the chief ones of the earth; it raises from their thrones [in astonishment at your humbled condition] all the kings of the nations.

10. वे सब तुझ से कहेंगे, क्या तू भी हमारी नाई निर्बल हो गया है? क्या तू हमारे समान ही बन गया?

10. All of them will [tauntingly] say to you, Have you also become weak as we are? Have you become like us?

11. तेरा विभव और तेरी सारंगियों को शब्द अधोलोक में उतारा गया है; कीड़े तेरा बिछौना और केचुए तेरा ओढ़ना हैं।।

11. Your pomp and magnificence are brought down to Sheol (the underworld), along with the sound of your harps; the maggots [which prey upon dead bodies] are spread out under you and worms cover you [O Babylonian rulers].

12. हे भोर के चमकनेवाले तारे तू क्योंकर आकाश से गिर पड़ा है? तू जो जाति जाति को हरा देता था, तू अब कैसे काटकर भूमि पर गिराया गया है?
लूका 10:18, प्रकाशितवाक्य 8:10

12. How have you fallen from heaven, O light-bringer and daystar, son of the morning! How you have been cut down to the ground, you who weakened and laid low the nations [O blasphemous, satanic king of Babylon!]

13. तू मन में कहता तो था कि मैं स्वर्ग पर चढूंगा; मैं अपने सिंहासन को ईश्वर के तारागण से अधिक ऊंचा करूंगा; और उत्तर दिशा की छोर पर सभा के पर्वत पर बिराजूंगा;
मत्ती 11:23, लूका 10:15

13. And you said in your heart, I will ascend to heaven; I will exalt my throne above the stars of God; I will sit upon the mount of assembly in the uttermost north.

14. मैं मेघों से भी ऊंचे ऊंचे स्थानों के ऊपर चढूंगा, मैं परमप्रधान के तुल्य हो जाऊंगा।

14. I will ascend above the heights of the clouds; I will make myself like the Most High.

15. परन्तु तू अधोलोक में उस गड़हे की तह तक उतारा जाएगा।
मत्ती 11:23, लूका 10:15

15. Yet you shall be brought down to Sheol (Hades), to the innermost recesses of the pit (the region of the dead).

16. जो तुझे देखेंगे तुझ को ताकते हुए तेरे विषय में सोच सोचकर कहेंगे, क्या यह वही पुरूष है जो पृथ्वी को चैन से रहने न देता था और राज्य राज्य में घबराहट डज्ञल देता था;

16. Those who see you will gaze at you and consider you, saying, Is this the man who made the earth tremble, who shook kingdoms?--

17. जो जगत को जंगल बनाता और उसके नगरों को ढा देता था, और अपने बंधुओं को घर जाने नहीं देता था?

17. Who made the world like a wilderness and overthrew its cities, who would not permit his prisoners to return home?

18. जाति जाति के सब राजा अपने अपने घर पर महिमा के साथ आराम से पड़े हैं;

18. All the kings of the nations, all of them lie sleeping in glorious array, each one in his own sepulcher.

19. परन्तु तू निकम्मी शाख की नाईं अपनी कबर में से फेंका गया; तू उन मारे हुओं की लोथों से घिरा है जो तलवार से बिधकर गड़हे में पत्थरों के बीच में लताड़ी हुई लोथ के समान पड़े है।

19. But you are cast away from your tomb like a loathed growth or premature birth or an abominable branch [of the family] and like the raiment of the slain; and you are clothed with the slain, those thrust through with the sword, who go down to the stones of the pit [into which carcasses are thrown], like a dead body trodden underfoot.

20. तू उनके साथ कब्र में न गाड़ा जाएगा, क्योंकि तू ने अपने देश को उजाड़ दिया, और अपनी प्रजा का घात किया है। कुकर्मियों के वंश का नाम भी कभी न लिया जाएगा।

20. You shall not be joined with them in burial, because you have destroyed your land and have slain your people. May the descendants of evildoers nevermore be named!

21. उनके पूर्वजों के अधर्म के कारण पुत्रों के घात की तैयारी करो, ऐसा न हो कि वे फिर उठकर पृथ्वी के अधिकारी हो जाएं, और जगत में बहुत से नगर बसाएं।।

21. Prepare a slaughtering place for his sons because of the guilt and iniquity of their fathers, so that they may not rise, possess the earth, and fill the face of the world with cities.

22. सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है कि मैं उनके विरूद्ध उठूंगा, और बाबुल का नाम और निशान मिटा डालूंगा, और बेटों- पोतों को काट डालूंगा, यहोवा की यही वाणी है।

22. And I will rise up against them, says the Lord of hosts, and cut off from Babylon name and remnant, and son and son's son, says the Lord.

23. मैं उसको साही की मान्द और जल की झीलें कर दूंगा, और मैं उसे सत्यानाश के झाडू से झाड़ डालूंगा, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।।

23. I will also make it a possession of the hedgehog and porcupine, and of marshes and pools of water, and I will sweep it with the broom of destruction, says the Lord of hosts.

24. सेनाओं के यहोवा ने यह शपथ खाई है, नि:सन्देह जैसा मैं ने ठाना है, वैसा ही हो जाएगा, और जैसी मैं ने युक्ति की है, वैसी ही पूरी होगी,

24. The Lord of hosts has sworn, saying, Surely, as I have thought and planned, so shall it come to pass, and as I have purposed, so shall it stand--

25. कि मैं अश्शूर को अपने ही देश में तोड़ दूंगा, और अपने पहाड़ों पर उसे कुचल डालूंगा; तब उसका जूआ उनकी गर्दनों पर से और उसका बोझ उनके कंधों पर से उतर जाएगा।

25. That I will break the Assyrian in My land, and upon My mountains I will tread him underfoot. Then shall the [Assyrian's] yoke depart from [the people of Judah], and his burden depart from their shoulders.

26. यही युक्ति सारी पृथ्वी के लिये ठहराई गई है; और यह वही हाथ है जो सब जातियों पर बढ़ा हुआ है।

26. This is the [Lord's] purpose that is purposed upon the whole earth [regarded as conquered and put under tribute by Assyria]; and this is [His omnipotent] hand that is stretched out over all the nations.

27. क्योंकि सेनाओं के यहोवा ने युक्ति की है और कौन उसका टाल सकता है? उसका हाथ बढ़ाया गया है, उसे कौन रोक सकता है?

27. For the Lord of hosts has purposed, and who can annul it? And His hand is stretched out, and who can turn it back?

28. जिस वर्ष में आहाज राजा मर गया उसी वर्ष यह भारी भविष्यद्वाणी हुई:

28. In the year that King Ahaz [of Judah] died there came this mournful, inspired prediction (a burden to be lifted up):

29. हे सारे पलिश्तीन तू इसलिये आनन्द न कर, कि तेरे मारनेवाले की लाठी टूट गई, क्योंकि सर्प की जड़ से एक काला नाग उत्पन्न होगा, और उसका फल एक उड़नेवाला और तेज विषवाला अग्निसर्प होगा।

29. Rejoice not, O Philistia, all of you, because the rod [of Judah] that smote you is broken; for out of the serpent's root shall come forth an adder [King Hezekiah of Judah], and its [the serpent's] offspring will be a fiery, flying serpent. [II Kings 18:1, 3, 8.]

30. तब कंगालों के जेठे खाएंगे और दरिद्र लोग निडर बैठने पाएंगे, परन्तु मैं तेरे वंश को भूख से मार डालूंगा, और तेरे बचे हुए लोग घात किए जाएंगे।

30. And the firstborn of the poor and the poorest of the poor [of Judah] shall feed on My meadows, and the needy will lie down in safety; but I will kill your root with famine, and your remnant shall be slain.

31. हे फाटक, तू हाय हाय कर; हे नगर, तू चिल्ला; हे पलिश्तीन तू सब का सब पिघल जा! क्योंकि उत्तर से एक धूआं उठेगा और उसकी सेना में से कोई पीछे न रहेगा।।

31. Howl, O gate! Cry, O city! Melt away, O Philistia, all of you! For there is coming a smoke out of the north, and there is no straggler in his ranks and none stands aloof [in Hezekiah's battalions].

32. तब अन्यजातियों के दूतों को क्या उत्तर दिया जाएगा? यह कि यहोवा ने सिरयोन की नेव डाली है, और उसकी प्रजा के दीन लोग उस में शरण लेंगे।।

32. What then shall one answer the messengers of the [Philistine] nation? That the Lord has founded Zion, and in her shall the poor and afflicted of His people trust and find refuge.



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