29. हे सारे पलिश्तीन तू इसलिये आनन्द न कर, कि तेरे मारनेवाले की लाठी टूट गई, क्योंकि सर्प की जड़ से एक काला नाग उत्पन्न होगा, और उसका फल एक उड़नेवाला और तेज विषवाला अग्निसर्प होगा।
29. Do not rejoice, Philistia, any of thee, In that the rod of him that smote thee, is broken, For, out of the root of the serpent, shall come forth, a viper, And his fruit be a fiery dragon that flieth.