Ecclesiastes - सभोपदेशक 1 | View All

1. यरूशलेम के राजा, दाऊद के पुत्रा और उपदेशक के वचन।

1. The words of Kohelet the son of David, king in Yerushalayim:

2. उपदेशक का यह वचन है, कि व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है।
रोमियों 8:20

2. Pointless! Pointless!- says Kohelet- Utterly meaningless! Nothing matters!

3. उस सब परिश्रम से जिसे मनुष्य धरती पर करता है, उसको क्या लाभ प्राप्त होता है?

3. What does a person gain from all his labor at which he toils under the sun?

4. एक पीढ़ी जाती है, और दूसरी पीढ़ी आती है, परन्तु पृथ्वी सर्वदा बनी रहती है।

4. Generations come, generations go, but the earth remains forever.

5. सूर्य उदय होकर अस्त भी होता है, और अपने उदय की दिशा को वेग से चला जाता है।

5. The sun rises, the sun sets; then it speeds to its place and rises there.

6. वायु दक्खिन की ओर बहती है, और उत्तर की ओर घूमती जाती है; वह घूमती और बहती रहती है, और अपने चक्करों में लौट आती है।

6. The wind blows south, then it turns north; the wind blows all around and keeps returning to its rounds.

7. सब नदियां समुद्र में जा मिलती हैं, तौभी समुद्र भर नहीं जाता; जिस स्थान से नदियां निकलती हैं; उधर ही को वे फिर जाती हैं।

7. All the rivers flow to the sea, yet the sea is not full; to the place where the rivers flow, there they keep on flowing.

8. सब बातें परिश्रम से भरी हैं; मनुष्य इसका वर्णन नहीं कर सकता; न तो आंखें देखने से तृप्त होती हैं, और न कान सुनने से भरते हैं।

8. Everything is wearisome, more than one can express; the eye is not satisfied with seeing, the ear not filled up with hearing.

9. जो कुछ हुआ था, वही फिर होगा, और जो कुछ बन चुका है वही फिर बनाया जाएगा; और सूर्य के नीचे कोई बात नई नहीं है।

9. What has been is what will be, what has been done is what will be done, and there is nothing new under the sun.

10. क्या ऐसी कोई बात है जिसके विषय में लोग कह सकें कि देख यह नई है? यह तो प्राचीन युगों में वर्तमान थी।

10. Is there something of which it is said, 'See, this is new'? It existed already in the ages before us.

11. प्राचीन बातों का कुछ स्मरण नहीं रहा, और होनेवाली बातों का भी स्मरण उनके बाद होनेवालों को न रहेगा।।

11. No one remembers the people of long ago; and those to come will not be remembered by those who come after them.

12. मैं उपदेशक यरूशलेम में इस्राएल का राजा था।

12. I, Kohelet, have been king over Isra'el in Yerushalayim.

13. और मैं ने अपना मन लगाया कि जो कुछ सूर्य के नीचे किया जाता है, उसका भेद बुद्धि से सोच सोचकर मालूम करूं; यह बड़े दु:ख का काम है जो परमेश्वर ने मनुष्यों के लिये ठहराया है कि वे उस में लगें।

13. I wisely applied myself to seek out and investigate everything done under heaven. What a bothersome task God has given humanity to keep us occupied!

14. मैं ने उन सब कामों को देखा जो सूर्य के नीचे किए जाते हैं; देखो वे सब व्यर्थ और मानो वायु को पकड़ना है।

14. I have seen all the activities that are done under the sun, and it's all pointless, feeding on wind.

15. जो टेढ़ा है, वह सीधा नहीं हो सकता, और जितनी वस्तुओं में घटी है, वे गिनी नहीं जातीं।।

15. What is crooked can't be straightened; what is not there can't be counted.

16. मैं ने मन में कहा, देख, जितने यरूशलेम में मुझ से पहिले थे, उन सभों से मैं ने बहुत अधिक बुद्धि प्राप्त की है; और मुझ को बहुत बुद्धि और ज्ञान मिल गया है।

16. I said to myself, 'Look, I have acquired much wisdom, more than anyone ruling Yerushalayim before me.' Yes, I experienced a great deal of wisdom and knowledge;

17. और मैं ने अपना मन लगाया कि बुद्धि का भेद लूं और बावलेपन और मूर्खता को भी जान लूं। मुझे जान पड़ा कि यह भी वायु को पकड़ना है।।

17. yet when I applied myself to understanding wisdom and knowledge, as well as stupidity and folly, I came to see that this too was merely feeding on wind.

18. क्योंकि बहुत बुद्धि के साथ बहुत खेद भी होता है, और जो अपना ज्ञान बढ़ाता है वह अपना दु:ख भी बढ़ाता है।।

18. For in much wisdom is much grief; the more knowledge, the more suffering.



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