34. और जब जब मूसा भीतर यहोवा से बात करने को उसके साम्हने जाता तब तब वह उस ओढ़नी को निकलते समय तक उतारे हुए रहता था; फिर बाहर आकर जो जो आज्ञा उसे मिलती उन्हें इस्त्राएलियों से कह देता था।2 कुरिन्थियों 3:7-16 और यहद मृत्यु की यह वाचा जिस के अक्षर पत्थरों पर खोद गए थे, यहां तक तेजोमय हुई, कि मूसा के मुंह पर के तेज के कराण जो घटता भी जाता था, इस्त्राएल उसके मुंह पर दृष्टि नहीं कर सकते थे।तो आत्मा की वाचा और भी तेजोमय क्यों न होगी?क्योंकि जब दोषी ठहरानेवाली वाचा तेजोमय थी, तो धर्मी ठहरानेवाली वाचा और भी तेजोमय क्यों न होगी?और जो तेजोमय था, वह भी उस तेज के कारण जो उस से बढ़कर तेजामय था, कुछ तेजोमय न ठहरा।क्योंकि जब वह जो घटता जाता था तेजोमय था, तो वह जो स्थिर रहेगा, और भी तेजोमय क्यों न होगा?सो ऐसी आशा रखकर हम हियाव के साथ बोलते हैं।और मूसर की नाईं नहीं, जिस ने अपने मुंह पर परदा डाला था ताकि इस्त्राएली उस घटनेवाली वस्तु के अन्त को न देखें।परन्तु वे मतिमन्द हो गए, क्योंकि आज तक पुराने नियम के पढ़ते समय उन के हृदयों पर वही परदा पड़ा रहता है; पर वह मसीह में उठ जाता है।और आज तक जब कभी मूसा की पुस्तक पढ़ी जाती है, तो उन के हृदय पर परदा पड़ा रहता है।परन्तु जब कभी उन का हृदय प्रभु की ओर फिरेगा, तब वह परदा उठ जाएगा।