Exodus - निर्गमन 23 | View All

1. झूठी बात न फैलाना। अन्यायी साक्षी होकर दुष्ट का साथ न देना।

1. Do not let a false statement go further; do not make an agreement with evil-doers to be a false witness.

2. बुराई करने के लिये न तो बहुतों के पीछे हो लेना; और न उनके पीछे फिरके मुक में में न्याय बिगाड़ने को साक्षी देना;

2. Do not be moved to do wrong by the general opinion, or give the support of your words to a wrong decision:

3. और कंगाल के मुक में में उसका भी पक्ष न करना।।

3. But, on the other hand, do not be turned from what is right in order to give support to a poor man's cause.

4. यदि तेरे शत्रु का बैल वा गदहा भटकता हुआ तुझे मिले, तो उसे उसके पास अवश्य फेर ले आना।
मत्ती 5:44

4. If you come across the ox or the ass of one who is no friend to you wandering from its way, you are to take it back to him.

5. फिर यदि तू अपने बैरी के गदहे को बोझ के मारे दबा हुआ देखे, तो चाहे उसको उसके स्वामी के लिये छुड़ाने के लिये तेरा मन न चाहे, तौभी अवश्य स्वामी का साथ देकर उसे छुड़ा लेना।।
मत्ती 5:44

5. If you see the ass of one who has no love for you bent down to the earth under the weight which is put on it, you are to come to its help, even against your desire.

6. तेरे लोगों में से जो दरिद्र हों उसके मुक मे में न्याय न बिगाड़ना।

6. Let no wrong decisions be given in the poor man's cause.

7. झूठे मुक मे से दूर रहना, और निर्दोष और धर्मी को घात न करना, क्योंकि मैं दुष्ट को निर्दोष न ठहराऊंगा।

7. Keep yourselves far from any false business; never let the upright or him who has done no wrong be put to death: for I will make the evil-doer responsible for his sin.

8. घूस न लेना, क्योंकि घूस देखने वालों को भी अन्धा कर देता, और धर्मियों की बातें पलट देता है।

8. Take no rewards in a cause: for rewards make blind those who have eyes to see, and make the decisions of the upright false.

9. परदेशी पर अन्धेर न करना; तुम तो परदेशी के मन की बातें जानते हो, क्योंकि तुम भी मि देश में परदेशी थे।।

9. Do not be hard on the man from a strange country who is living among you; for you have had experience of the feelings of one who is far from the land of his birth, because you yourselves were living in Egypt, in a strange land.

10. छ: वर्ष तो अपनी भूमि में बोना और उसकी उपज इकट्ठी करना;

10. For six years put seed into your fields and get in the increase;

11. परन्तु सातवें वर्ष में उसको पड़ती रहने देना और वैसा ही छोड़ देना, तो तेरे भाई बन्धुओं में के दरिद्र लोग उस से खाने पाएं, और जो कुछ उन से भी बचे वह बनैले पशुओं के खाने के काम में आए। और अपनी दाख और जलपाई की बारियों को भी ऐसे ही करना।

11. But in the seventh year let the land have a rest and be unplanted; so that the poor may have food from it: and let the beasts of the field take the rest. Do the same with your vine-gardens and your olive-trees.

12. छ: दिन तक तो अपना काम काज करना, और सातवें दिन विश्राम करना; कि तेरे बैल और गदहे सुस्ताएं, और तेरी दासियों के बेटे और परदेशी भी अपना जी ठंडा कर सकें।

12. For six days do your work, and on the seventh day keep the Sabbath; so that your ox and your ass may have rest, together with the son of your servant and the man from a strange land living among you.

13. और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है उस में सावधान रहना; और दूसरे देवताओं के नाम की चर्चा न करना, वरन वे तुम्हारे मुंह से सुनाई भी न दें।

13. Take note of all these things which I have said to you, and let not the names of other gods come into your minds or from your lips.

14. प्रति वर्ष तीन बार मेरे लिये पर्ब्ब मानना।

14. Three times in the year you are to keep a feast to me.

15. अखमीरी रोटी का पर्ब्ब मानना; उस में मेरी आज्ञा के अनुसार अबीब महीने के नियत समय पर सात दिन तक अखमीरी रोटी खाया करना, क्योंकि उसी महीने में तुम मि से निकल आए। और मुझ को कोई छूछे हाथ अपना मुंह न दिखाए।

15. You are to keep the feast of unleavened bread; for seven days let your bread be without leaven, as I gave you orders, at the regular time in the month Abib (for in it you came out of Egypt); and let no one come before me without an offering:

16. और जब तेरी बोई हुई खेती की पहिली उपज तैयार हो, तब कटनी का पर्ब्ब मानना। और वर्ष के अन्त में जब तू परिश्रम के फल बटोर के ढेर लगाए, तब बटोरन का पर्ब्ब मानना।

16. And the feast of the grain-cutting, the first-fruits of your planted fields: and the feast at the start of the year, when you have got in all the fruit from your fields.

17. प्रति वर्ष तीनों बार तेरे सब पुरूष प्रभु यहोवा को अपना मुंह दिखाएं।।

17. Three times in the year let all your males come before the Lord God.

18. मेरे बलिपशु का लोहू खमीरी रोटी के संग न चढ़ाना, और न मेरे पर्ब्ब के उत्तम बलिदान में से कुछ बिहान तक रहने देना।

18. Do not give the blood of my offering with leavened bread; and do not let the fat of my feast be kept all night till the morning.

19. अपनी भूमि की पहिली उपज का पहिला भाग अपने परमेश्वर यहोवा के भवन में ले आना। बकरी का बच्चा उसकी माता के दूध में न पकाना।।

19. The best of the first-fruits of your land are to be taken into the house of the Lord your God. The young goat is not to be cooked in its mother's milk.

20. सुन, मैं एक दूत तेरे आगे आगे भेजता हूं जो मार्ग में तेरी रक्षा करेगा, और जिस स्थान को मै ने तैयार किया है उस में तुझे पहुंचाएगा।
मत्ती 11:10, मरकुस 1:2, लूका 7:27, यूहन्ना 14:11, प्रेरितों के काम 7:38-39, 1 कुरिन्थियों 10:9

20. See, I am sending an angel before you, to keep you on your way and to be your guide into the place which I have made ready for you.

21. उसके साम्हने सावधान रहना, और उसकी मानना, उसका विरोध न करना, क्योंकि वह तुम्हारा अपराध क्षमा न करेगा; इसलिये कि उस में मेरा नाम रहता है।
यूहन्ना 14:11, प्रेरितों के काम 7:38-39

21. Give attention to him and give ear to his voice; do not go against him; for your wrongdoing will not be overlooked by him, because my name is in him.

22. और यदि तू सचमुच उसकी माने और जो कुछ मैं कहूं वह करे, तो मै तेरे शत्रुओं का शत्रु और तेरे द्रोहियों का द्रोही बनूंगा।
1 पतरस 2:9

22. But if you truly give ear to his voice, and do whatever I say, then I will be against those who are against you, fighting those who are fighting you.

23. इस रीति मेरा दूत तेरे आगे आगे चलकर तुझे एमोरी, हित्ती, परज्जी, कनानी, हिब्बी, और यबूसी लोगों के यहां पहुंचाएगा, और मैं उनको सत्यनाश कर डालूंगा।

23. And my angel will go before you, guiding you into the land of the Amorite and the Hittite and the Perizzite and the Canaanite and the Hivite and the Jebusite, and they will be cut off by my hand.

24. उनके देवताओं को दण्डवत् न करना, और न उनकी उपासना करना, और न उनके से काम करना, वरन उन मूरतों को पूरी रीति से सत्यानाश कर डालना, और उन लोगों की लाटों के टुकडे टुकडे कर देना।

24. Do not go down on your faces and give worship to their gods, or do as they do; but overcome them completely, and let their pillars be broken down.

25. और तुम अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना करना, तब वह तेरे अन्न जल पर आशीष देगा, और तेरे बीच में से रोग दूर करेगा।

25. And give worship to the Lord your God, who will send his blessing on your bread and on your water; and I will take all disease away from among you.

26. तेरे देश में न तो किसी का गर्भ गिरेगा और न कोई बांझ होगी; और तेरी आयु मैं पूरी करूंगा।

26. All your animals will give birth without loss, not one will be without young in all your land; I will give you a full measure of life.

27. जितने लोगों के बीच तू जायेगा उन सभों के मन में मै अपना भय पहिले से ऐसा समवा दूंगा कि उनको व्याकुल कर दूंगा, और मैं तुझे सब शत्रुओं की पीठ दिखाऊंगा।

27. I will send my fear before you, putting to flight all the people to whom you come; all those who are against you will go in flight, turning their backs before you.

28. और मैं तुझ से पहिले बर्रों को भेजूंगा जो हिब्बी, कनानी, और हित्ती लोगों को तेरे साम्हने से भगा के दूर कर देंगी।

28. I will send hornets before you, driving out the Hivite and the Canaanite and the Hittite before your face.

29. मैं उनको तेरे आगे से एक ही वर्ष में तो न निकाल दूंगा, ऐसा न हो कि देश उजाड़ हो जाए, और बनैले पशु बढ़कर तुझे दु:ख देने लगें।

29. I will not send them all out in one year, for fear that their land may become waste, and the beasts of the field be increased overmuch against you.

30. जब तक तू फूल फलकर देश को अपने अधिकार में न कर ले तब तक मैं उन्हें तेरे आगे से थोड़ा थोड़ा करके निकालता रहूंगा।

30. Little by little I will send them away before you, till your numbers are increased and you take up your heritage in the land.

31. मैं लाल समुद्र से लेकर पलिश्तियों के समुद्र तक और जंगल से लेकर महानद तक के देश को तेरे वश में कर दूंगा; मैं उस देश के निवासियों को भी तेरे वश में कर दूंगा, और तू उन्हें अपने साम्हने से बरबस निकालेगा।

31. I will let the limits of your land be from the Red Sea to the sea of the Philistines, and from the waste land to the river Euphrates: for I will give the people of those lands into your power; and you will send them out before you.

32. तू न तो उन से वाचा बान्धना और न उनके देवताओं से।

32. Make no agreement with them or with their gods.

33. वे तेरे देश में रहने न पाएं, ऐसा न हो कि वे तुझ से मेरे विरूद्ध पाप कराएं; क्योंकि यदि तू उनके देवताओं की उपासना करे, तो यह तेरे लिये फंदा बनेगा।।

33. Let them not go on living in your land, or they will make you do evil against me: for if you give worship to their gods, it will certainly be a cause of sin to you.



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