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1. मैं धीरज से यहोवा की बाट जोहता रहा; और उस ने मेरी ओर झुककर मेरी दोहाई सुनी।
1. আমি ধৈর্য্যসহ সদাপ্রভুর অপেক্ষা করিতে ছিলাম, তিনি আমার প্রতি মনোযোগ করিয়া আমার আর্ত্তনাদ শুনিলেন।
2. उस ने मुझे सत्यानाश के गड़हे और दलदल की कीच में से उबारा, और मुझ को चट्टान पर खड़ा करके मेरे पैरों को दृढ़ किया है।
2. তিনি বিনাশের গর্ত্ত হইতে, পঙ্কময় ভূমি হইতে, আমাকে তুলিলেন, তিনি শৈলের উপরে আমার চরণ রাখিলেন, আমার পাদসঞ্চার দৃঢ় করিলেন।
3. और उस ने मुझे एक नया गीत सिखाया जो हमारे परमेश्वर की स्तुति का है। बहुतेरे यह देखकर डरेंगे, और यहोवा पर भरोसा रखेंगे।।प्रकाशितवाक्य 5:9, प्रकाशितवाक्य 14:3
3. তিনি আমার মুখে নূতন গীত, আমাদের ঈশ্বরের স্তব দিলেন; অনেকে ইহা দেখিবে, ভীত হইবে, ও সদাপ্রভুতে বিশ্বাস করিবে।
4. क्या ही धन्य है वह पुरूष, जो यहोवा पर भरोसा करता है, और अभिमानियों और मिथ्या की ओर मुड़नेवालों की ओर मुंह न फेरता हो।
4. ধন্য সেই জন, যে সদাপ্রভুকে আপন বিশ্বাসভূমি করে, এবং তাহাদের দিকে না ফিরে, যাহারা অহঙ্কারী ও মিথ্যাপথে ভ্রমণ করে।
5. हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू ने बहुत से काम किए हैं! जो आश्चर्यकर्म और कल्पनाएं तू हमारे लिये करता है वह बहुत सी हैं; तेरे तुल्य कोई नहीं! मैं तो चाहता हूं की खोलकर उनकी चर्चा करूं, परन्तु उनकी गिनती नहीं हो सकती।।
5. সদাপ্রভু, আমার ঈশ্বর, তুমিই বাহুল্যরূপে সাধন করিয়াছ, আমাদের পক্ষে তোমার আশ্চর্য্য কার্য্য সকল ও তোমার সঙ্কল্প সকল; তোমার তুল্য কেহ নাই; আমি সে সকল বলিতাম ও বর্ণনা করিতাম, কিন্তু সে সকল গণনা করা যায় না।
6. मेलबलि और अन्नबलि से तू प्रसन्न नहीं होता तू ने मेरे कान खोदकर खोले हैं। होमबलि और पापबलि तू ने नहीं चाहा।इफिसियों 5:2, इब्रानियों 10:5-10
6. বলিদানে ও নৈবেদ্যে তুমি প্রীত নহ, তুমি আমার কর্ণযুগল ছিদ্রিত করিয়াছ; তুমি হোম ও পাপের নিমিত্ত বলিদান চাহ নাই;
7. तब मैं ने कहा, देख, मैं आया हूं; क्योंकि पुस्तक में मेरे विषय ऐसा ही लिखा हुआ है।
7. তখন আমি কহিলাম, দেখ, আমি আসিয়াছি; গ্রন্থখানিতে আমার বিষয় লিখিত আছে ।
8. हे मेरे परमेश्वर मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्न हूं; और तेरी व्यवस्था मेरे अन्त:करण में बनी है।।
8. হে আমার ঈশ্বর, তোমার অভীষ্ট সাধনে আমি প্রীত, আর তোমার ব্যবস্থা আমার অন্তরে আছে।
9. मैं ने बड़ी सभा में धर्म के शुभ समाचार का प्रचार किया है; देख, मैं ने अपना मुंह बन्द नहीं किया हे यहोवा, तू इसे जानता है।
9. আমি মহাসমাজে ধর্ম্মশীলতার মঙ্গলবার্ত্তা প্রচার করিয়াছি; দেখ, আমার ওষ্ঠাধর রুদ্ধ করি না; হে সদাপ্রভু, তুমি ইহা জ্ঞাত আছ।
10. मैं ने तेरा धर्म मन ही में नहीं रखा; मैं ने तेरी सच्चाई और तेरे किए हुए उधार की चर्चा की है; मैं ने तेरी करूणा और सत्यता बड़ी सभा से गुप्त नहीं रखी।।
10. আমি তোমার ধর্ম্মশীলতা নিজ হৃদয়মধ্যে সঙ্গোপন করি নাই, তোমার বিশ্বস্ততা ও তোমার পরিত্রাণ প্রচার করিয়াছি; তোমার দয়া ও সত্য মহাসমাজ হইতে গুপ্ত রাখি নাই।
11. हे यहोवा, तू भी अपनी बड़ी दया मुझ पर से न हटा ले, तेरी करूणा और सत्यता से निरन्तर मेरी रक्षा होती रहे!
11. হে সদাপ্রভু, তুমিও আমা হইতে আপন করুণা রুদ্ধ করিও না; তব দয়া ও তব সত্য সতত আমাকে রক্ষা করুক।
12. क्योंकि मैं अनगिनत बुराइयों से घिरा हुआ हूं; मेरे अधर्म के कामों ने मुझे आ पकड़ा और मैं दृष्टि नहीं उठा सकता; वे गिनती में मेरे सिर के बालों से भी अधिक हैं; इसलिये मेरा हृदय टूट गया।।
12. কেননা অসংখ্য বিপদ আমাকে ঘেরিয়াছে; আমার অপরাধ সকল আমাকে ধরিয়াছে; আমি দেখিতে পাইতেছি না; আমার মস্তকের কেশ অপেক্ষাও সে সকল অধিক, আমার হৃদয় আমাকে ছাড়িয়াছে।
13. हे यहोवा, कृपा करके मुझे छुड़ा ले! हे यहोवा, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर!
13. সদাপ্রভু, অনুগ্রহ করিয়া আমাকে উদ্ধার কর, সদাপ্রভু, আমার সাহায্য করিতে সত্বর হও।
14. जो मेरे प्राण की खोज में हैं, वे सब लज्जित हों; और उनके मुंह काले हों और वे पीछे हटाए और निरादर किए जाएं जो मेरी हाति से प्रसन्न होते हैं।
14. তাহারা সকলেই লজ্জিত ও হতাশ হউক, যাহারা সংহার করিতে আমার প্রাণের অন্বেষণ করে, তাহারা ফিরিয়া যাউক, অপমানিত হউক, যাহারা আমার বিপদে প্রীত হয়।
15. जो मुझ से आहा, आहा, कहते हैं, वे अपनी लज्जा के मारे विस्मित हों।।
15. তাহারা আপনাদের লজ্জা প্রযুক্ত স্তম্ভিত হউক, যাহারা আমাকে বলে, অহো! অহো!
16. परन्तु जितने तुझे ढूंढ़ते हैं, वह सब तेरे कारण हर्षित औश्र आनन्दित हों; जो तेरा किया हुआ उद्धार चाहते हैं, वे निरन्तर कहते रहें, यहोवा की बड़ाई हो!
16. যাহারা তোমার অন্বেষণ করে, তাহারা সকলে তোমাতে আমোদ ও আনন্দ করুক; যাহারা তোমার পরিত্রাণ ভালবাসে, তাহারা সতত বলুক, সদাপ্রভু মহিমান্বিত হউন।
17. मैं तो दीन और दरिद्र हूं, तौभी प्रभु मेरी चिन्ता करता है। तू मेरा सहायक और छुड़ानेवाला है; हे मेरे परमेश्वर विलम्ब न कर।।
17. আমি দুঃখী ও দরিদ্র, প্রভুই আমার পক্ষে চিন্তা করেন; তুমি আমার সহায় ও আমার নিস্তার কর্ত্তা; হে আমার ঈশ্বর, বিলম্ব করিও না।