Psalms - भजन संहिता 22 | View All

1. हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया? तू मेरी पुकार से और मेरी सहायत करने से क्यों दूर रहता है? मेरा उद्धार कहां है?
1 पतरस 1:11, मत्ती 27:46, मरकुस 15:34, मरकुस 9:12, लूका 24:7

1. To the Chief Musician; set to [the tune of] Aijeleth Hashshahar [the hind of the morning dawn]. A Psalm of David. MY GOD, my God, why have You forsaken me? Why are You so far from helping me, and from the words of my groaning? [Matt. 27:46.]

2. हे मेरे परमेश्वर, मैं दिन को पुकारता हूं परन्तु तू उत्तर नहीं देता; और रात को भी मैं चुप नहीं रहता।

2. O my God, I cry in the daytime, but You answer not; and by night I am not silent or find no rest.

3. परन्तु हे तू जो इस्राएल की स्तुति के सिहांसन पर विराजमान है, तू तो पवित्रा है।

3. But You are holy, O You Who dwell in [the holy place where] the praises of Israel [are offered].

4. हमारे पुरखा तुझी पर भरोसा रखते थे; वे भरोसा रखते थे, और तू उन्हें छुड़ाता था।

4. Our fathers trusted in You; they trusted (leaned on, relied on You, and were confident) and You delivered them.

5. उन्हों ने तेरी दोहाई दी और तू ने उनको छुड़ाया वे तुझी पर भरोसा रखते थे और कभी लज्जित न हुए।।
रोमियों 5:5

5. They cried to You and were delivered; they trusted in, leaned on, and confidently relied on You, and were not ashamed or confounded or disappointed.

6. परन्तु मैं तो कीड़ा हूं, मनुष्य नहीं; मनुष्यों में मेरी नामधराई है, और लोगों में मेरा अपमान होता है।

6. But I am a worm, and no man; I am the scorn of men, and despised by the people. [Matt. 27:39-44.]

7. वह सब जो मुझे देखते हैं मेरा ठट्ठा करते हैं, और ओंठ बिचकाते और यह कहते हुए सिर हिलाते हैं,
मत्ती 27:39, मरकुस 15:29, लूका 23:35, मत्ती 26:24, मत्ती 27:43

7. All who see me laugh at me and mock me; they shoot out the lip, they shake the head, saying, [Matt. 27:43.]

8. कि अपने को यहोवा के वश में कर दे वही उसको छुड़ाए, वह उसको उबारे क्योंकि वह उस से प्रसन्न है।
मत्ती 27:39, मरकुस 15:29, लूका 23:35, मत्ती 26:24, मत्ती 27:43

8. He trusted and rolled himself on the Lord, that He would deliver him. Let Him deliver him, seeing that He delights in him! [Matt. 27:39, 43; Mark 15:29, 30; Luke 23:35.]

9. परन्तु तू ही ने मुझे गर्भ से निकाला; जब मैं दूधपिउवा बच्च था, तब ही से तू ने मुझे भरोसा रखना सिखलाया।

9. Yet You are He Who took me out of the womb; You made me hope and trust when I was on my mother's breasts.

10. मैं जन्मते ही तुझी पर छोड़ दिया गया, माता के गर्भ ही से तू मेरा ईश्वर है।

10. I was cast upon You from my very birth; from my mother's womb You have been my God.

11. मुझ से दूर न हो क्योंकि संकट निकट है, और कोई सहायक नहीं।

11. Be not far from me, for trouble is near and there is none to help.

12. बहुत से सांढ़ों ने मुझे घेर लिया है, बाशान के बलवन्त सांढ़ मेरे चारों ओर मुझे घेरे हुए है।

12. Many [foes like] bulls have surrounded me; strong bulls of Bashan have hedged me in. [Ezek. 39:18.]

13. वह फाड़ने और गरजनेवाले सिंह की नाईं मुझ पर अपना मुंह पसारे हुए है।।

13. Against me they opened their mouths wide, like a ravening and roaring lion.

14. मैं जल की नाईं बह गया, और मेरी सब हडि्डयों के जोड़ उखड़ गए: मेरा हृदय मोम हो गया, वह मेरी देह के भीतर पिघल गया।

14. I am poured out like water, and all my bones are out of joint. My heart is like wax; it is softened [with anguish] and melted down within me.

15. मेरा बल टूट गया, मैं ठीकरा हो गया; और मेरी जीभ मेरे तालू से चिपक गई; और तू मुझे मारकर मिट्टी में मिला देता है।
यूहन्ना 19:28

15. My strength is dried up like a fragment of clay pottery; [with thirst] my tongue cleaves to my jaws; and You have brought me into the dust of death. [John 19:28.]

16. क्योंकि कुत्तों ने मुझे घेर लिया है; कुकर्मियों की मण्डली मेरी चरों ओर मुझे घेरे हुए है; वह मेरे हाथ और मेरे पैर छेदते हैं।
फिलिप्पियों 3:2, मत्ती 26:24, मत्ती 27:35, मरकुस 15:24, लूका 23:34, यूहन्ना 19:24

16. For [like a pack of] dogs they have encompassed me; a company of evildoers has encircled me, they pierced my hands and my feet. [Isa. 53:7; John 19:37.]

17. मैं अपनी सब हडि्डयां गिन सकता हूं; वे मुझे देखते और निहारते हैं;

17. I can count all my bones; [the evildoers] gaze at me. [Luke 23:27, 35.]

18. वे मेरे वस्त्रा आपस में बांटते हैं, और मेरे पहिरावे पर चिट्ठी डालते हैं।

18. They part my clothing among them and cast lots for my raiment (a long, shirtlike garment, a seamless undertunic). [John 19:23, 24.])

19. परन्तु हे यहोवा तू दूर न रह! हे मेरे सहायक, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर!

19. But be not far from me, O Lord; O my Help, hasten to aid me!

20. मेरे प्राण को तलवार से बचा, मेरे प्राण को कुत्ते के पंजे से बचा ले!
फिलिप्पियों 3:2

20. Deliver my life from the sword, my dear life [my only one] from the power of the dog [the agent of execution].

21. मुझे सिंह के मुंह से बचा, हां, जंगती सांढ़ों के सींगो में से तू ने मुझे बचा लिया है।।
2 तीमुथियुस 4:17

21. Save me from the lion's mouth; for You have answered me [kindly] from the horns of the wild oxen.

22. मैं अपन भाइयों के साम्हने तेरे नाम का प्रचार करूंगा; सभा के बीच में तेरी प्रशंसा करूंगा।
इब्रानियों 2:11-12

22. I will declare Your name to my brethren; in the midst of the congregation will I praise You. [John 20:17; Rom. 8:29; Heb. 2:12.]

23. हे यहोवा के डरवैयों उसकी स्तुति करो! हे याकूब के वंश, तुम उसका भय मानो!
प्रकाशितवाक्य 19:5

23. You who fear (revere and worship) the Lord, praise Him! All you offspring of Jacob, glorify Him. Fear (revere and worship) Him, all you offspring of Israel.

24. क्योंकि उस ने दु:खी को तुच्छ नहीं जाना और न उस से घृणा करता है, ओर न उस से अपना मुख छिपाता है; पर जब उस ने उसकी दोहाई दी, तब उसकी सुन ली।।

24. For He has not despised or abhorred the affliction of the afflicted; neither has He hidden His face from him, but when he cried to Him, He heard.

25. बड़ी सभा में मेरा स्तुति करना तेरी ही ओर से होता है; मैं अपने प्रण को उस से भय रखनेवालों के साम्हने पूरा करूंगा

25. My praise shall be of You in the great congregation. I will pay to Him my vows [made in the time of trouble] before them who fear (revere and worship) Him.

26. नम्र लोग भोजन करके तृप्त होंगे; जो यहोवा के खोजी हैं, वे उसकी स्तुति करेंगे। तुम्हारे प्राण सर्वदा जीवित रहें!

26. The poor and afflicted shall eat and be satisfied; they shall praise the Lord--they who [diligently] seek for, inquire of and for Him, and require Him [as their greatest need]. May your hearts be quickened now and forever!

27. पृथ्वी के सब दूर दूर देशों के लोग उसको स्मरण करेंगे और उसकी ओर फिरेंगे; और जाति जाति के सब कुल तेरे साम्हने दण्डवत् करेंगे।

27. All the ends of the earth shall remember and turn to the Lord, and all the families of the nations shall bow down and worship before You,

28. क्योंकि राज्य यहोवा की का है, और सब जातियों पर वही प्रभुता करता है।।
प्रकाशितवाक्य 11:15, प्रकाशितवाक्य 19:6

28. For the kingship and the kingdom are the Lord's, and He is the ruler over the nations.

29. पृथ्वी के सब हृष्टपुष्ट लोग भोजन करके दण्डवत् करेंगे; वह सब जितने मिट्टी में मिल जाते हैं और अपना अपना प्राण नहीं बचा सकते, वे सब उसी के साम्हने घुटने टेकेंगे।

29. All the mighty ones upon earth shall eat [in thanksgiving] and worship; all they that go down to the dust shall bow before Him, even he who cannot keep himself alive.

30. एक वंश उसकी सेवा करेगा; दूसरा पीढ़ी से प्रभु का वर्णन किया जाएगा।

30. Posterity shall serve Him; they shall tell of the Lord to the next generation.

31. वह आएंगे और उसके धर्म के कामों को एक वंश पर जो उत्पन्न होगा यह कहकर प्रगट करेंगे कि उस ने ऐसे ऐसे अद्भुत काम किए।।

31. They shall come and shall declare His righteousness to a people yet to be born--that He has done it [that it is finished]! [John 19:30.]



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