Psalms - भजन संहिता 119 | View All

1. क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं!

1. ধন্য তাহারা, যাহারা আচরণে সিদ্ধ, যাহারা সদাপ্রভুর ব্যবস্থা-পথে চলে।

2. क्या ही धन्य हैं वे जो उसकी चितौनियों को मानते हैं, और पूर्ण मन से उसके पास आते हैं!

2. ধন্য তাহারা, যাহারা তাঁহার সাক্ষ্যকলাপ পালন করে; যাহারা সর্ব্বান্তঃকরণে তাঁহার অন্বেষণ করে।

3. फिर वे कुटिलता का काम नहीं करते, वे उसके मार्गों में चलते हैं।

3. আবার তাহারা অন্যায় করে না, তাহারা তাঁহার সকল পথে গমন করে।

4. तू ने अपने उपदेश इसलिये दिए हैं, कि वे यत्न से माने जाएं।

4. তুমি আপন নিদেশমালা আদেশ করিয়াছ, যেন আমরা যত্নপূর্ব্বক তাহা পালন করি।

5. भला होता कि तेरी विधियों के मानने के लिये मेरी चालचलन दृढ़ हो जाए!

5. আহা! আমার পথ সকল সুস্থির হউক, যেন আমি তোমার বিধিকলাপ পালন করি।

6. तब मैं तेरी सब आज्ञाओं की ओर चित्त लगाए रहूंगा, और मेरी आशा न टूटेगी।

6. তখন আমি লজ্জিত হইব না, যখন তোমার আজ্ঞা সকলের প্রতি দৃষ্টি রাখি।

7. जब मैं तेरे धर्ममय नियमों को सीखूंगा, तब तेरा धन्यवाद सीधे मन से करूंगा।

7. যখন তোমার ধর্ম্মময় শাসনকলাপ শিক্ষা করি, তখন আমি সরল চিত্তে তোমার স্তব করিব।

8. मैं तेरी विधियों को मानूंगा: मुझे पूरी रीति से न तज!

8. আমি তোমার বিধিকলাপ পালন করিব; আমাকে একেবারে পরিত্যাগ করিও না।

9. जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से।

9. যুবক কেমন করিয়া নিজ পথ বিশুদ্ধ করিবে? তোমার বাক্যানুসারে সাবধান হইয়াই করিবে।

10. मैं पूरे मन से तेरी खोज मे लगा हूं; मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे!

10. আমি সর্ব্বান্তঃকরণে তোমার অন্বেষণ করিয়াছি, আমাকে তোমার আজ্ঞা-পথ ছাড়িয়া ঘুরিয়া বেড়াইতে দিও না।

11. मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरूद्ध पाप न करूं।

11. তোমার বচন আমি হৃদয়মধ্যে সঞ্চয় করিয়াছি, যেন তোমার বিরুদ্ধে পাপ না করি।

12. हे यहोवा, तू धन्य है; मुझे अपनी विधियां सिखा!

12. ধন্য তুমি, হে সদাপ্রভু, আমাকে তোমার বিধিকলাপ শিক্ষা দেও।

13. तेरे सब कहे हुए नियमों का वर्णन, मैं ने अपने मुंह से किया है।

13. আমি ওষ্ঠাধরে বর্ণনা করিয়াছি তোমার মুখের সমস্ত শাসন।

14. मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानों सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूं।

14. আমি তোমার সাক্ষ্য-পথে আমোদ করিয়াছি, যেমন ধনসমূহে লোকে আমোদ করে।

15. मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूंगा।

15. আমি তোমার নিদেশমালা ধ্যান করিব, তোমার সকল পথের প্রতি দৃষ্টি রাখিব।

16. मैं तेरी विधियों से सुख पाऊंगा; और तेरे वचन को न भूलूंगा।।

16. আমি তোমার বিধিকলাপে হর্ষিত হইব, তোমার বাক্য ভুলিয়া যাইব না।

17. अपने दास का उपकार कर, कि मैं जीवित रहूं, और तेरे वचन पर चलता रहूं।

17. তোমার দাসের মঙ্গল কর, যেন আমি বাঁচি, তাহা হইলে আমি তোমার বাক্য পালন করিব।

18. मेरी आंखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकूं।

18. আমার নয়ন খুলিয়া দেও, যেন আমি দর্শন করি, তোমার ব্যবস্থায় আশ্চর্য্য আশ্চর্য্য বিষয় দেখি।

19. मैं तो पृथ्वी पर परदेशी हूं; अपनी आज्ञाओं को मुझ से छिपाए न रख!

19. আমি পৃথিবীতে প্রবাসী, আমা হইতে তোমার আজ্ঞা সকল লুকাইও না।

20. मेरा मन तेरे नियमों की अभिलाषा के कारण हर समय खेदित रहता है।

20. আমার প্রাণ আকাঙ্ক্ষায় ক্ষুণ্ণ হয় তোমার শাসনকলাপের জন্য, সর্ব্ব সময়ে।

21. तू ने अभिमानियों को, जो शापित हैं, घुड़का है, वे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटके हुए हैं।

21. তুমি সেই শাপগ্রস্ত অহঙ্কারীদিগকে ভর্ৎসনা করিয়াছ, যাহারা তোমার আজ্ঞা পথ ছাড়িয়া ঘুরিয়া বেড়ায়।

22. मेरी नामधराई और अपमान दूर कर, क्योंकि मैं तेरी चितौनियों को पकड़े हूं।

22. আমা হইতে দুর্নাম ও অপমান দূর কর, কেননা আমি তোমার সাক্ষ্যকলাপ পালন করিয়াছি।

23. हाकिम भी बैठे हुए आपास में मेरे विरूद्ध बातें करते थे, परन्तु तेरा दास तेरी विधियों पर ध्यान करता रहा।

23. জনাধ্যক্ষেরাও বসিয়া আমার বিপক্ষে কথা কহিয়াছেন; তোমার এই দাস তোমার বিধি ধ্যান করে।

24. तेरी चितौनियां मेरा सुखमूल और मेरे मन्त्री हैं।।

24. তোমার সাক্ষ্যকলাপ আমার হর্ষজনক, সেগুলি আমার মন্ত্রণাদায়ক সুহৃৎ।

25. मैं धूल में पड़ा हूं; तू अपने वचन के अनुसार मुझ को जिला!

25. আমার প্রাণ ধূলিতে সংলগ্ন, তোমার বাক্যানুসারে আমাকে সঞ্জীবিত কর।

26. मैं ने अपनी चालचलन का तुझ से वर्णन किया है और तू ने मेरी बात मान ली है; तू मुझ को अपनी विधियां सिखा!

26. আমি আপন পথসমূহের কথা বলিলাম, আর তুমি আমাকে উত্তর দিয়াছ, তোমার বিধিকলাপ আমাকে শিক্ষা দেও।

27. अपने उपदेशों का मार्ग मुझे बता, तब मैं तेरे आश्यर्चकर्मों पर ध्यान करूंगा।

27. তোমার নিদেশ-পথ আমাকে বুঝাইয়া দেও, আমি তোমার আশ্চর্য্য কর্ম্ম সকল ধ্যান করিব।

28. मेरा जीवन उदासी के मारे गल चला है; तू अपने वचन के अनुसार मुझे सम्भल!

28. আমার প্রাণ দুঃখে গলিয়া পড়িতেছে, তোমার বাক্যানুসারে আমাকে উঠাও।

29. मुझ को झूठ के मार्ग से दूर कर; और करूणा करके अपनी व्यवस्था मुझे दे।

29. আমা হইতে মিথ্যার পথ দূর কর, কৃপা করিয়া তোমার ব্যবস্থা আমাকে দেও।

30. मैं ने सच्चाई का मार्ग चुन लिया है, तेरे नियमों की ओर मैं चित्त लगाए रहता हूं।

30. আমি বিশ্বস্ততার পথ মনোনীত করিয়াছি, আমি তোমার শাসনকলাপ সম্মুখে রাখিয়াছি।

31. मैं तेरी चितौनियों में लवलीन हूं, हे यहोवा, मेरी आशा न तोड़!

31. আমি তোমার সাক্ষ্যসমূহে আসক্ত; সদাপ্রভু, আমাকে লজ্জিত করিও না।

32. जब तू मेरा हियाव बढ़ाएगा, तब मैं तेरी आज्ञाओ के मार्ग में दौडूंगा।।
2 कुरिन्थियों 6:11

32. আমি তোমার আজ্ঞা-পথে দৌড়িব, কেননা তুমি আমার হৃদয় প্রশস্ত করিতেছ।

33. हे यहोवा, मुझे अपनी विधियों का मार्ग दिखा दे; तब मैं उसे अन्त तक पकड़े रहूंगा।

33. সদাপ্রভু, তোমার বিধি-পথ আমাকে দেখাও, আর আমি শেষ পর্য্যন্ত তাহা পালন করিব।

34. मुझे समझ दे, तब मैं तेरी व्यवस्था को पकड़े रहूंगा और पूर्ण मन से उस पर चलूंगा।

34. আমাকে বিবেচনা দেও, আমি তোমার ব্যবস্থা মানিব, সর্ব্বান্তঃকরণে তাহা পালন করিব।

35. अपनी आज्ञाओं के पथ में मुझ को चला, क्योंकि मैं उसी से प्रसन्न हूं।

35. তোমার আজ্ঞা-পথে আমাকে গমন করাও, কারণ তাহাতেই আমার প্রীতি।

36. मेरे मन को लोभ की ओर नहीं, अपनी चितौनियों ही की ओर फेर दे।

36. তোমার সাক্ষ্যকলাপের প্রতি আমার হৃদয় ফিরাও, লোভের প্রতি ফিরাইও না।

37. मेरी आंखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे; तू अपने मार्ग में मुझे जिला।

37. অলীকতা দর্শন হইতে আমার চক্ষু ফিরাও, তোমার পথে আমাকে সঞ্জীবিত কর।

38. तेरा वचन जो तेरे भय माननेवालों के लिये है, उसको अपने दास के निमित्त भी पूरा कर।

38. তোমার দাসের পক্ষে সফল কর তোমার বচন, যাহা তোমার প্রতি ভয় সম্বন্ধীয়।

39. जिस नामधराई से मैं डरता हूं, उसे दूर कर; क्योंकि तेरे नियम उत्तम हैं।

39. দূর কর আমার দুর্নাম, যাহার বিষয় আমি ভয় করি, কেননা তোমার শাসনকলাপ উত্তম।

40. देख, मैं तेरे उपदेशों का अभिलाषी हूं; अपने धर्म के कारण मुझ को जिला।

40. দেখ, আমি তোমার নিদেশ সকলের আকাঙ্ক্ষা করিয়া আসিতেছি, তোমার ধর্ম্মশীলতায় আমাকে সঞ্জীবিত কর।

41. हे यहोवा, तेरी करूणा और तेरा किया हुआ उद्धार, तेरे वचन के अनुसार, मुझ को भी मिले;

41. আমার প্রতি তোমার দয়া বর্ত্তুক, হে সদাপ্রভু, তোমার বচনানুসারে তোমার পরিত্রাণ বর্ত্তুক।

42. तब मैं अपनी नामधराई करनेवालों को कुछ उत्तर दे सकूंगा, क्योंकि मेरा भरोसा, तेरे वचन पर है।

42. তবে আমি আমার দুর্নামকারীকে উত্তর দিতে পারিব, কেননা আমি তোমার বাক্যে নির্ভর করিতেছ।

43. मुझे अपने सत्य वचन कहने से न रोक क्योंकि मेरी आशा तेरे नियमों पर है।

43. আর আমার মুখ হইতে সত্যের বাক্য নিঃশেষে হরণ করিও না, কেননা আমি তোমার শাসনকলাপের অপেক্ষা করিতেছি।

44. तब मैं तेरी व्यवस्था पर लगातार, सदा सर्वदा चलता रहूंगा;

44. আমি সতত তোমার ব্যবস্থা পালন করিব, যুগে যুগে চিরকাল করিব।

45. और मैं चोड़े स्थान में चला फिरा करूंगा, क्योंकि मैं ने तेरे उपदेशों की सुधि रखी है।

45. আর আমি প্রশস্ত স্থানে গতায়াত করিব, কেননা আমি তোমার নিদেশ সকলের অন্বেষণ করিয়াছি।

46. और मैं तेरी चितौनियों की चर्चा राजाओं के साम्हने भी करूंगा, और संकोच न करूंगा;
रोमियों 1:16

46. আমি রাজগণের সাক্ষাতেও তোমার সাক্ষ্যকলাপের কথা বলিব, আর আমি লজ্জিত হইব না।

47. क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं के कारण सुखी हूं, और मैं उन से प्रीति रखता हूं।

47. আমি তোমার আজ্ঞাসমূহে আমোদ করিব, সে সকল আমি ভালবাসি।

48. मैं तेरी आज्ञाओं की ओर जिन में मैं प्रीति रखता हूं, हाथ फैलाऊंगा और तेरी विधियों पर ध्यान करूंगा।।

48. আমি তোমার আজ্ঞা সকলের কাছে অঞ্জলি উঠাইব, সে সকল আমি ভালবাসি, আমি তোমার বিধিকলাপ ধ্যান করিব।

49. जो वचन तू ने अपने दास को दिया है, उसे स्मरण कर, क्योंकि तू ने मुझे आशा दी है।

49. তোমার দাসের পক্ষে সেই বাক্য স্মরণ কর, যদ্দ্বারা তুমি আমাকে প্রত্যাশাযুক্ত করিয়াছ।

50. मेरे दु:ख में मुझे शान्ति उसी से हुई है, क्योंकि तेरे वचन के द्वारा मैं ने जीवन पाया है।

50. দুঃখের সময়ে ইহাই আমার সান্ত্বনা, তোমার বচন আমাকে সঞ্জীবিত করিয়াছে।

51. अभिमानियों ने मुझे अत्यन्त ठट्ठे में उड़ाया है, तौभी मैं तेरी व्यवस्था से नहीं हटा।

51. অহঙ্কারিগণ আমাকে অতিশয় বিদ্রূপ করিয়াছে, তোমার ব্যবস্থা হইতে আমি বিমুখ হই নাই।

52. हे यहोवा, मैं ने तेरे प्राचीन नियमों को स्मरण करके शान्ति पाई है।

52. সদাপ্রভু, আমি তোমার পূর্ব্বকালের শাসনকলাপ স্মরণ করিয়াছি, আর সান্ত্বনা পাইয়াছি।

53. जो दुष्ट तेरी व्यवस्था को छोड़े हुए हैं, उनके कारण मैं सन्ताप से जलता हूं।

53. দুষ্টদের বিষয়ে আমার ক্রোধ জ্বলিয়া উঠিল, কেননা তাহারা তোমার ব্যবস্থা ত্যাগ করে।

54. जहां मैं परदेशी होकर रहता हूं, वहां तेरी विधियां, मेरे गीत गाने का विषय बनी हैं।

54. তোমার বিধিকলাপ হইয়াছে আমার গীত আমার প্রবাস-গৃহে।

55. हे यहोवा, मैं ने रात को तेरा नाम स्मरण किया और तेरी व्यवस्था पर चला हूं।

55. সদাপ্রভু, আমি রাত্রিকালে তোমার নাম স্মরণ করিয়াছি, ও তোমার ব্যবস্থা পালন করিয়াছি।

56. यह मुझ से इस कारण हुआ, कि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए था।।

56. আমি ইহাই পাইয়াছি, তোমার নির্দেশ সকল পালন করিয়াছি।

57. यहोवा मेरा भाग है; मैं ने तेरे वचनों के अनुसार चलने का निश्चय किया है।

57. সদাপ্রভু আমার অধিকার; আমি বলিয়াছি, আমি তোমার বাক্য সকল পালন করিব।

58. मैं ने पूरे मन से तुझे मनाया है; इसलिये अपने वचन के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर।

58. আমি সর্ব্বান্তঃকরণে তোমার মুখের প্রসন্নতা চেষ্টা করিয়াছি; তোমার বচনানুসারে আমার প্রতি কৃপা কর।

59. मैं ने अपनी चालचलन को सोचा, और तेरी चितौनियों का मार्ग लिया।

59. আমি নিজ পথসমূহ বিবেচনা করিলাম, ও তোমার সাক্ষ্যকলাপের প্রতি আমার চরণ ফিরাইলাম।

60. मैं ने तेरी आज्ञाओं के मानने में विलम्ब नहीं, फुर्ती की है।

60. আমি সত্বর হইলাম, বিলম্ব করিলাম না, তোমার আজ্ঞা সকল পালন করিবার জন্য।

61. मैं दुष्टों की रस्सियों से बन्ध गया हूं, तौभी मैं तेरी व्यवस्था को नहीं भूला।

61. দুষ্টগণের রজ্জু আমাকে জড়াইয়াছে, আমি তোমার ব্যবস্থা ভুলিয়া যাই নাই।

62. तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं आधी रात को तेरा धन्यवाद करने को उठूंगा।

62. আমি মধ্যরাত্রে তোমার স্তব করিতে উঠিব, তোমার ধর্ম্মময় শাসনমালার জন্য।

63. जितने तेरा भय मानते और तेरे उपदेशों पर चलते हैं, उनका मैं संगी हूं।

63. আমি সেই সকলের সখা, যাহারা তোমাকে ভয় করে, এবং যাহারা তোমার নিদেশ সকল পালন করে।

64. हे यहोवा, तेरी करूणा पृथ्वी में भरी हुई है; तू मुझे अपनी विधियां सिखा!

64. তোমার দয়াতে, হে সদাপ্রভু, পৃথিবী পরিপূর্ণ, আমাকে তোমার বিধিকলাপ শিক্ষা দেও।

65. हे यहोवा, तू ने अपने वचन के अनुसार अपने दास के संग भलाई की है।

65. তুমি আপন দাসের প্রতি মঙ্গল ব্যবহার করিয়াছ, হে সদাপ্রভু, তোমার বাক্যানুসারে করিয়াছ।

66. मुझे भली विवेक- शक्ति और ज्ञान दे, क्योंकि मैं ने तेरी आज्ञाओं का विश्वास किया है।

66. উত্তম বিচার ও জ্ঞান আমাকে শিখাও, কেননা আমি তোমার আজ্ঞাসমূহে বিশ্বাস করিয়া আসিতেছি।

67. उस से पहिले कि मैं दु:खित हुआ, मैं भटकता था; परन्तु अब मैं तेरे वचन को मानता हूं।

67. দুঃখার্ত্ত হইবার পূর্ব্বে আমি ভ্রান্ত ছিলাম, কিন্তু এখন তোমার বচন পালন করিতেছি।

68. तू भला है, और भला करता भी है; मुझे अपनी विधियां सिखा।

68. তুমি মঙ্গলময় ও মঙ্গলকারী, তোমার বিধিকলাপ আমাকে শিক্ষা দেও।

69. अभिमानियों ने तो मेरे विरूद्ध झूठ बात गढ़ी है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों को पूरे मन से पकड़े रहूंगा।

69. অহঙ্কারিগণ আমার বিরুদ্ধে মিথ্যা কথা রচনা করিয়াছে, আমি সর্ব্বান্তঃকরণে তোমার নিদেশ সকল পালন করিব।

70. उनका मन मोटा हो गया है, परन्तु मैं तेरी व्यवस्था के कारण सुखी हूं।

70. উহাদের অন্তঃকরণ মেদের ন্যায় স্থূল; কিন্তু আমি তোমার ব্যবস্থায় আমোদ করি।

71. मुझे जो दु:ख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है, जिस से मैं तेरी विधियों को सीख सकूं।

71. আমি যে দুঃখার্ত্ত হইয়াছি, এ আমার পক্ষে উত্তম, যেন আমি তোমার বিধি শিখিতে পাই।

72. तेरी दी हुई व्यवस्था मेरे लिये हजारों रूपयों और मुहरों से भी उत्तम है।।

72. তোমার মুখের ব্যবস্থা আমার পক্ষে উত্তম, সহস্র সহস্র স্বর্ণ ও রৌপ্যমুদ্রা অপেক্ষা উত্তম।

73. तेरे हाथों से मैं बनाया और रचा गया हूं; मुझे समझ दे कि मैं तेरी आज्ञाओं को सीखूं।

73. তোমার হস্ত আমার গঠন ও স্থিতি করিয়াছে; আমাকে বিবেচনা দেও, যেন তোমার আজ্ঞা সকল শিখিতে পারি।

74. तेरे डरवैये मुझे देखकर आनन्दित होंगे, क्योंकि मैं ने तेरे वचन पर आशा लगाई है।

74. যাহারা তোমাকে ভয় করে, তাহারা আমাকে দেখিয়া আনন্দিত হইবে, কারণ আমি তোমার বাক্যে প্রত্যাশা করিয়াছি।

75. हे यहोवा, मैं जान गया कि तेरे नियम धर्ममय हैं, और तू ने अपने सच्चाई के अनुसार मुझे दु:ख दिया है।

75. হে সদাপ্রভু, আমি জানি, তোমার শাসনকলাপ ধর্ম্মময়, আর তুমি বিশ্বস্ততায় আমাকে দুঃখ দিয়াছ।

76. मुझे अपनी करूणा से शान्ति दे, क्योंकि तू ने अपने दास को ऐसा ही वचन दिया है।

76. আহা! তোমার দয়া আমার সান্ত্বনাজনক হউক, তোমার দাসের প্রতি তোমার বচনানুসারে হউক।

77. तेरी दया मुझ पर हो, तब मैं जीवित रहूंगा; क्योंकि मैं तेरी व्यवस्था से सुखी हूं।

77. আমার প্রতি তোমার করুণা বর্ত্তুক, যেন আমি বাঁচি; কেননা তোমার ব্যবস্থা আমার হর্ষজনক।

78. अभिमानियों की आशा टूटे, क्योंकि उन्हों ने मुझे झूठ के द्वारा गिरा दिया है; परन्तु मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा।

78. অহঙ্কারিগণ লজ্জিত হউক, কেননা তাহারা মিথ্যা বলিয়া আমার সর্ব্বনাশ করিয়াছে; কিন্তু আমি তোমার নিদেশমালা ধ্যান করিতেছি।

79. जो तेरा भय मानते हैं, वह मेरी ओर फिरें, तब वे तेरी चितौनियों को समझ लेंगे।

79. যাহারা তোমাকে ভয় করে, তাহারা আমার প্রতি ফিরুক, আর তাহারা তোমার সাক্ষ্যকলাপ বুঝিবে।

80. मेरा मन तेरी विधियों के मानने में सिद्ध हो, ऐसा न हो कि मुझे लज्जित होना पड़े।।

80. আমার চিত্ত তোমার বিধিতে সিদ্ধ হউক, যেন আমি লজ্জিত না হই।

81. मेरा प्राण तेरे उद्धार के लिये बैचेन है; परन्तु मुझे तेरे वचन पर आशा रहती है।

81. তোমার পরিত্রাণের প্রতীক্ষায় আমার প্রাণ ক্ষীণ হয়, আমি তোমার বাক্যের অপেক্ষা করি।

82. मेरी आंखें तेरे वचन के पूरे होने की बाट जोहते जोहते रह गईं है; और मैं कहता हूं कि तू मुझे कब शान्ति देगा?

82. তোমার বচনের প্রতীক্ষায় আমার চক্ষু ক্ষীণ হয়, আমি বলি, তুমি কখন আমাকে সান্ত্বনা করিবে?

83. क्योंकि मैं धूएं में की कुप्पी के समान हो गया हूं, तौभी तेरी विधियों को नहीं भूला।

83. কারণ আমি ধূমস্থ কুপার সদৃশ হইয়াছি; তথাপি তোমার বিধি ভুলিয়া যাই নাই।

84. तेरे दास के कितने दिन रह गए हैं? तू मेरे पीछे पड़े हुओं को दण्ड कब देगा?

84. তোমার দাসের দিন কত? কবে আমার তাড়নাকারিগণের বিচার করিবে?

85. अभिमानी जो तरी व्यवस्था के अनुसार नहीं चलते, उन्हों ने मेरे लिये गड़हे खोदे हैं।

85. অহঙ্কারিগণ আমার নিমিত্ত গর্ত্ত খুঁড়িয়াছে, তাহারা তোমার ব্যবস্থানুগামী নয়।

86. तेरी सब आज्ञाएं विश्वासयोग्य हैं; वे लोग झूठ बोलते हुए मेरे पीछे पड़े हैं; तू मेरी सहायता कर!

86. তোমার সমস্ত আজ্ঞা বিশ্বসনীয়; লোকে মিথ্যা বলিয়া আমাকে তাড়না করে; আমার সাহায্য কর।

87. वे मुझ को पृथ्वी पर से मिटा डालने ही पर थे, परन्तु मैं ने तेरे उपदेशों को नहीं छोड़ा।

87. উহারা পৃথিবীতে আমাকে প্রায় নিঃশেষ করিয়াছিল, কিন্তু আমি তোমার নিদেশমালা ত্যাগ করি নাই।

88. अपनी करूणा के अनुसार मुझ को जिला, तब मैं तेरी दी हुई चितौनी को मानूंगा।।

88. তোমার দয়ানুসারে আমাকে সঞ্জীবিত কর, তাহাতে আমি তোমার মুখের সাক্ষ্য পালন করিব।

89. हे यहोवा, तेरा वचन, आकाश में सदा तक स्थिर रहता है।

89. অনন্তকালের নিমিত্ত, হে সদাপ্রভু, তোমার বাক্য স্বর্গে সংস্থাপিত।

90. तेरी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है; तू ने पृथ्वी को स्थिर किया, इसलिये वह बनी है।

90. তোমার বিশ্বস্ততা পুরুষে পুরুষে স্থায়ী; তুমি পৃথিবীকে স্থাপন করিয়াছ, তাহা স্থির রহিয়াছে।

91. वे आज के दिन तक तेरे नियमों के अनुसार ठहरे हैं; क्योंकि सारी सृष्टि तेरे अधीन है।

91. অদ্যাপি তোমার শাসনানুসারে সকলই স্থির রহিয়াছে, কেননা সমস্তই তোমার দাস।

92. यदि मैं तेरी व्यवस्था से सुखी न होता, तो मैं दु:ख के समय नाश हो जाता।

92. যদি তোমার ব্যবস্থা আমার হর্ষজনক না হইত, তবে ইতিপূর্ব্বে আমি আপন দুঃখে বিনষ্ট হইতাম।

93. मैं तेरे उपदेशों को कभी न भूलूंगा; क्योंकि उन्हीं के द्वारा तू ने मुझे जिलाया है।

93. আমি তোমার নিদেশমালা কখনও ভুলিয়া যাইব না, কারণ তদ্দ্বারা তুমি আমাকে সঞ্জীবিত করিয়াছ।

94. मैं तेरा ही हूं, तू मेरा उद्धार कर; क्योंकि मैं तेरे उपदेशों की सुधि रखता हूं।

94. আমি তোমারই, আমাকে পরিত্রাণ কর; কারণ আমি তব নিদেশমালার অন্বেষণ করিয়াছি।

95. दुष्ट मेरा नाश करने के लिये मेरी घात में लगे हैं; परन्तु मैं तेरी चितौनियों पर ध्यान करता हूं।

95. দুষ্টগণ আমাকে বিনষ্ট করিবার জন্য আমার অপেক্ষা করিয়াছে; আমি তোমার সাক্ষ্যকলাপ আলোচনা করিব।

96. जितनी बातें पूरी जान पड़ती हैं, उन सब को तो मैं ने अधूरी पाया है, परन्तु तेरी आज्ञा का विस्तार बड़ा है।।

96. আমি সমস্ত সিদ্ধির অন্ত দেখিয়াছি; তোমার আজ্ঞা অতিশয় প্রশস্ত।

97. अहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूं! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है।

97. আমি তোমার ব্যবস্থা কেমন ভালবাসি! তাহা সমস্ত দিন আমার ধ্যানের বিষয়।

98. तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है, क्योंकि वे सदा मेरे मन में रहती हैं।

98. তোমার আজ্ঞা সকল আমাকে শত্রুগণ অপেক্ষা জ্ঞানবান করে; কারণ সেই সকল চিরকাল আমার।

99. मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है।

99. আমার সমস্ত গুরু অপেক্ষা আমি জ্ঞানবান, কেননা আমি তোমার সাক্ষ্যকলাপ ধ্যান করি।

100. मैं पुरनियों से भी समझदार हूं, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए हूं।

100. প্রাচীন লোক হইতেও আমি বুদ্ধিমান, কারণ আমি তোমার নিদেশ সকল পালন করিয়াছি।

101. मैं ने अपने पांवों को हर एक बुरे रास्ते से रोक रखा है, जिस से मैं तेरे वचन के अनुसार चलूं।

101. আমি সমস্ত কুপথ হইতে আপন চরণ নিবৃত্ত করিয়াছি, যেন আমি তোমার বাক্য পালন করি।

102. मैं तेरे नियमों से नहीं हटा, क्योंकि तू ही ने मुझे शिक्षा दी है।

102. আমি তোমার শাসনপথ হইতে ফিরি নাই, কারণ তুমিই আমাকে শিক্ষা দিয়াছ।

103. तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं!

103. তোমার বচন সকল আমার তালুতে কেমন মিষ্ট লাগে! তাহা আমার মুখে মধু হইতেও মধুর!

104. तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूं, इसलिये मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं।।

104. তোমার নিদেশমালা দ্বারা আমার বুদ্ধিলাভ হয়, তাই আমি সমুদয় মিথ্যাপথ ঘৃণা করি।

105. तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है।

105. তোমার বাক্য আমার চরণের প্রদীপ, আমার পথের আলোক।

106. मैं ने शपथ खाई, और ठाना भी है कि मैं तेरे धर्मपय नियमों के अनुसार चलूंगा।

106. আমি শপথ করিয়াছি, স্থির করিয়াছি, তোমার ধর্ম্মময় শাসনকলাপ পালন করিব।

107. मैं अत्यन्त दु:ख में पड़ा हूं; हे यहोवा, अपने वचन के अनुसार मुझे जिला।

107. আমি অতিশয় দুঃখার্ত্ত; হে সদাপ্রভু, তোমার বাক্যানুসারে আমাকে সঞ্জীবিত কর।

108. हे यहोवा, मेरे वचनों को स्वेच्छाबलि जानकर ग्रहण कर, और अपने नियमों को मुझे सिखा।

108. সদাপ্রভু, বিনয় করি, আমার স্বেচ্ছায় দত্ত মুখের উপহার সকল গ্রাহ্য কর, ও তোমার শাসনকলাপ আমাকে শিক্ষা দেও।

109. मेरा प्राण निरन्तर मेरी हथेली पर रहता है, तौभी मैं तेरी व्यवस्था को भूल नहीं गया।

109. আমার প্রাণ নিরন্তর আমার করতলে, তথাপি আমি তোমার ব্যবস্থা ভুলিয়া যাই নাই।

110. दुष्टों ने मेरे लिये फन्दा लगाया है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों के मार्ग से नहीं भटका।

110. দুষ্টগণ আমার নিমিত্ত ফাঁদ পাতিয়াছে, কিন্তু আমি তোমার নিদেশপথ হইতে বিপথগামী হই না।

111. मैं ने तेरी चितौनियों को सदा के लिये अपना निज भाग कर लिया है, क्योंकि वे मेरे हृदय के हर्ष का कारण है।

111. তোমার সাক্ষ্যকলাপ আমি চিরতরে অধিকার করিয়াছি, কারণ সে সকল আমার চিত্তের হর্ষজনক।

112. मैं ने अपने मन को इस बात पर लगाया है, कि अन्त तक तेरी विधियों पर सदा चलता रहूं।

112. আমি তোমার বিধিকলাপ পালন করিতে মনকে লওয়াইয়াছি, চিরকালের জন্য, শেষ পর্য্যন্ত।

113. मैं दुचित्तों से तो बैर रखता हूं, परन्तु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूं।

113. আমি দ্বিমনাদিগকে ঘৃণা করি, কিন্তু তোমার ব্যবস্থা ভালবাসি

114. तू मेरी आड़ और ढ़ाल है; मेरी आशा तेरे वचन पर है।

114. তুমি আমার অন্তরাল ও আমার ঢাল; আমি তোমার বাক্যে প্রত্যাশা রাখি।

115. हे कुकर्मियों, मुझ से दूर हो जाओ, कि मैं अपने परमेश्वर की आज्ञाओं को पकड़े रहूं।

115. দুরাচারগণ, আমার নিকট হইতে দূর হও; আমি আপন ঈশ্বরের আজ্ঞা সকল পালন করিব।

116. हे यहोवा, अपने वचन के अनुसार मुझे सम्भाल, कि मैं जीवित रहूं, और मेरी आशा को न तोड़!

116. তোমার বচনানুসারে আমাকে ধারণ কর, তাহাতে বাঁচিব, আমাকে নিজ আশার সম্বন্ধে লজ্জিত হইতে দিও না।

117. मुझे थांभ रख, तब मैं बचा रहूंगा, और निरन्तर तेरी विधियों की ओर चित्त लगाए रहूंगा!

117. আমাকে ধরিয়া রাখ, তাহাতে পরিত্রাণ পাইব, আর তোমার বিধিকলাপ সর্ব্বদা মান্য করিব।

118. जितने तेरी विधियों के मार्ग से भटक जाते हैं, उन सब को तू तुच्छ जानता है, क्योंकि उनकी चतुराई झूठ है।

118. তুমি তাহাদের সকলকে হেয়জ্ঞান করিয়াছ, যাহারা তোমার বিধি-পথ হইতে ভ্রমে চলে; কেননা তাহাদের প্রবঞ্চনা অসার।

119. तू ने पृथ्वी के सब दुष्टों को धातु के मैल के समान दूर किया है; इस कारण मैं तेरी चितौनियों में प्रीति रखता हूं।

119. তুমি পৃথিবীর সমস্ত দুষ্টকে মলবৎ দূর করিয়া থাক, তাই আমি তোমার সাক্ষ্যকলাপ ভালবাসি।

120. तेरे भय से मेरा शरीर कांप उठता है, और मैं तेरे नियमों से डरता हूं।।

120. তোমার ভয়ে আমার শরীর রোমাঞ্চিত হয়, তোমার শাসনকলাপে আমি ভীত।

121. मैं ने तो न्याय और धर्म का काम किया है; तू मुझे अन्धेर करनेवालों के हाथ में न छोड़।

121. আমি ন্যায়বিচার ও ধর্ম্মাচরণ করিয়াছি, আমাকে উপদ্রবীদের হস্তে সমর্পণ করিও না।

122. अपने दास की भलाई के लिये जामिन हो, ताकि अभिमानी मुझ पर अन्धेर न करने पांए।

122. তুমি মঙ্গলের জন্য নিজ দাসের প্রতিভূ হও, অহঙ্কারীরা আমার প্রতি উপদ্রব না করুক।

123. मेरी आंखें तुझ से उद्धार पाने, और तेरे धर्ममय वचन के पूरे होने की बाट जोहते जोहते रह गई हैं।

123. আমার চক্ষু ক্ষীণ হইতেছে, তোমার পরিত্রাণের জন্য, ও তোমার ধর্ম্মময় বচনের জন্য।

124. अपने दास के संग अपनी करूणा के अनुसार बर्ताव कर, और अपनी विधियां मुझे सिखा।

124. তোমার দয়ানুসারে তোমার দাসের সহিত ব্যবহার কর, আর তোমার বিধিকলাপ আমাকে শিক্ষা দেও।

125. मैं तेरा दास हूं, तू मुझे समझ दे कि मैं तेरी चितौनियों को समझूं।

125. আমি তোমার দাস, আমাকে বুদ্ধি দেও, যেন তোমার সাক্ষ্য সকল বুঝিতে পারি।

126. वह समय आया है, कि यहोवा काम करे, क्योंकि लोगों ने तेरी व्यवस्था को तोड़ दिया है।

126. সদাপ্রভুর কার্য্য করিবার সময় হইল, [কেননা] লোকে তোমার ব্যবস্থা খণ্ডন করিয়াছে।

127. इस कारण मैं तेरी आज्ञाओं को सोने से वरन कुन्दन से भी अधिक प्रिय मानता हूं।

127. তজ্জন্য আমি তোমার আজ্ঞা সকল ভালবাসি, স্বর্ণ হইতে, নির্ম্মল স্বর্ণ হইতেও ভালবাসি।

128. इसी कारण मैं तेरे सब उपदेशों को सब विषयों में ठीक जानता हूं; और सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं।।

128. তজ্জন্য আমি সর্ব্ব বিষয়ে তোমার সমুদয় নিদেশ ন্যায্য জ্ঞান করি, সমস্ত মিথ্যাপথ ঘৃণা করি।

129. तेरी चितौनियां अनूप हैं, इस कारण मैं उन्हें अपने जी से पकड़े हुए हूं।

129. তোমার সাক্ষ্যকলাপ আশ্চর্য্য, এই জন্য আমার প্রাণ সে সকল পালন করে।

130. तेरी बातों के खुलने से प्राकाश होता है; उस से भोले लोग समझ प्राप्त करते हैं।

130. তব বাক্যসমূহের বিকাশ আলোক প্রদান করে, তাহা অমায়িকদিগকে বুদ্ধিমান করে।

131. मैं मुंह खोलकर हांफने लगा, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं का प्यासा था।

131. আমি মুখ খুলিয়া শ্বাস ফেলিতেছিলাম, কেননা তোমার আজ্ঞা সকলের আকাঙ্ক্ষা করিতেছিলাম।

132. जैसी तेरी रीति अपने नाम की प्रीति रखनेवालों से है, वैसे ही मेरी ओर भी फिरकर मुझ पर अनुग्रह कर।

132. আমার প্রতি ফির, ও আমার প্রতি কৃপা কর, যেমন তোমার নামপ্রিয়দের প্রতি করিয়া থাক।

133. मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे।

133. তোমার বচনে আমার পাদবিক্ষেপ স্থির রাখ, কোন অধর্ম্ম আমার উপরে কর্ত্তৃত্ব না করুক।

134. मुझे मनुष्यों के अन्धेर से छुड़ा ले, तब मैं तेरे उपदेशों को मानूंगा।

134. মনুষ্যের উপদ্রব হইতে আমাকে মুক্ত কর, তাহাতে আমি তোমার নিদেশমালা পালন করিব।

135. अपने दास पर अपने मुख का प्रकाश चमका दे, और अपनी विधियां मुझे सिखा।

135. তোমার দাসের প্রতি তোমার মুখ উজ্জ্বল কর, এবং তোমার বিধি সকল আমাকে শিক্ষা দেও।

136. मेरी आंखों से जल की धारा बहती रहती है, क्योंकि लोग तेरी व्यवस्था को नहीं मानते।।

136. আমার চক্ষু হইতে জলধারা বহিতেছে, কারণ লোকে তোমার ব্যবস্থা পালন করে না।

137. हे यहोवा तू धर्मी है, और तेरे नियम सीधे हैं।
प्रकाशितवाक्य 16:5-7, प्रकाशितवाक्य 19:2

137. হে সদাপ্রভু, তুমি ধর্ম্মময় ও তোমার শাসন সকল ন্যায্য।

138. तू ने अपनी चितौनियों को धर्म और पूरी सत्यता से कहा है।

138. তুমি ধর্ম্মশীলতায়, এবং অতীব বিশ্বস্ততায় তোমার সাক্ষ্যকলাপ আদেশ করিয়াছ।

139. मैं तेरी धुन में भस्म हो रहा हूं, क्योंकि मेरे सतानेवाले तेरे वचनों को भूल गए हैं।

139. আমার উদ্যোগ আমাকে গ্রাস করিয়াছে, কারণ আমার বিপক্ষগণ তোমার বাক্য সকল ভুলিয়া গিয়াছে।

140. तेरा वचन पूरी रीति से ताया हुआ है, इसलिये तेरा दास उस में प्रीति रखता है।

140. তোমার বচন অতীব পরীক্ষাসিদ্ধ, তাই তোমার দাস তাহা ভালবাসে।

141. मैं छोटा और तुच्छ हूं, तौभी मैं तेरे उपदेशों को नही भूलता।

141. আমি ক্ষুদ্র ও অবজ্ঞাত, [কিন্তু] আমি তোমার নিদেশ সকল ভুলিয়া যাই নাই।

142. तेरा धर्म सदा का धर्म है, और तेरी व्यवस्था सत्य है।

142. তোমার ধর্ম্মশীলতা চিরস্থায়ী ধর্ম্মশীলতা, আর তোমার ব্যবস্থা সত্য।

143. मैं संकट और सकेती में फंसा हूं, परन्तु मैं तेरी आज्ञाओं से सुखी हूं।

143. সঙ্কট ও দুর্দ্দশা আমাকে পাইয়া বসিয়াছে, [তথাপি] তোমার আজ্ঞা সকল আমার হর্ষজনক।

144. तेरी चितौनियां सदा धर्ममय हैं; तू मुझ को समझ दे कि मैं जीवित रहूं।।

144. তোমার সাক্ষ্যকলাপ অনন্তকাল ধর্ম্মময়; আমাকে বুদ্ধি দেও, তাহাতে আমি বাঁচিব।

145. मैं ने सारे मन से प्रार्थना की है, हे यहोवा मेरी सुन लेना! मैं तेरी विधियों को पकड़े रहूंगा।

145. আমি সর্ব্বান্তঃকরণে ডাকিয়াছি; হে সদাপ্রভু, আমাকে উত্তর দেও, আমি তোমার বিধিকলাপ পালন করিব।

146. मैं ने तुझ से प्रार्थना की है, तू मेरा उद्धार कर, और मैं तेरी चितौनियों को माना करूंगा।

146. আমি তোমাকে ডাকিয়াছি; আমাকে পরিত্রাণ কর, তাহাতে আমি তোমার সাক্ষ্যকলাপ পালন করিব।

147. मैं ने पौ फटने से पहिले दोहाई दी; मेरी आशा तेरे वचनों पर थी।

147. আমি প্রভাতের অগ্রেও আর্ত্তনাদ করিলাম, আমি তোমার বাক্যসমূহের অপেক্ষাতে ছিলাম।

148. मेरी आंखें रात के एक एक पहर से पहिले खुल गईं, कि मैं तेरे वचन पर ध्यान करूं।

148. আমার চক্ষু রাত্রিযামের পূর্ব্বে উন্মীলিত ছিল, যেন তোমার বচন ধ্যান করিতে পারি।

149. अपनी करूणा के अनुसार मेरी सुन ले; हे यहोवा, अपनी रीति के अनुसार मुझे जीवित कर।

149. তোমার দয়ানুসারে আমার রব শুন; হে সদাপ্রভু, তোমার শাসনানুসারে আমাকে সঞ্জীবিত কর।

150. जो दुष्टता में धुन लगाते हैं, वे निकट आ गए हैं; वे तेरी व्यवस्था से दूर हैं।

150. কুকর্ম্মের অনুগামীরা নিকটবর্ত্তী; তাহারা তোমার ব্যবস্থা হইতে দূরবর্ত্তী।

151. हे यहोवा, तू निकट है, और तेरी सब आज्ञाएं सत्य हैं।

151. হে সদাপ্রভু, তুমিই নিকটবর্ত্তী, আর তোমার সমস্ত আজ্ঞা সত্য।

152. बहुत काल से मैं तेरी चितौनियों को जानता हूं, कि तू ने उनकी नेव सदा के लिये डाली है।।

152. আমি তোমার সাক্ষ্যকলাপের দ্বারা পূর্ব্বাবধি জানি, তুমি চিরতরে সে সমস্ত স্থাপন করিয়াছ।

153. मेरे दु:ख को देखकर मुझे छुड़ा ले, क्योंकि मैं तेरी व्यवस्था को भूल नहीं गया।

153. আমার দুঃখ দেখ, আমাকে উদ্ধার কর, কেননা আমি তোমার ব্যবস্থা ভুলিয়া যাই নাই।

154. मेरा मुक मा लड़, और मुझे छुड़ा ले; अपने वचन के अनुसार मुझ को जिला।

154. আমার বিবাদ নিষ্পত্তি কর, আমাকে মুক্ত কর, তোমার বচনানুসারে আমাকে সঞ্জীবিত কর।

155. दुष्टों को उद्धार मिलना कठिन है, क्योंकि वे तेरी विधियों की सुधि नहीं रखते।

155. পরিত্রাণ দুষ্টগণ হইতে দূরবর্ত্তী, কারণ তাহারা তোমার বিধি সকলের অন্বেষণ করে না।

156. हे यहोवा, तेरी दया तो बड़ी है; इसलिये अपने नियमों के अनुसार मुझे जिला।

156. হে সদাপ্রভু, তোমার করুণা বহুবিধ; তোমার শাসনকলাপানুসারে আমাকে সঞ্জীবিত কর।

157. मेरा पीछा करनेवाले और मेरे सतानेवाले बहुत हैं, परन्तु मैं तेरी चितौनियों से नहीं हटता।

157. আমার তাড়নাকারী ও বিপক্ষ অনেক, [তথাপি] আমি তোমার সাক্ষ্যকলাপ হইতে বিপথগামী হই নাই।

158. मैं विश्वासघातियों को देखकर उदास हुआ, क्योंकि वे तेरे वचन को नहीं मानते।

158. আমি বিশ্বাসঘাতকদগিকে দেখিয়া ঘৃণা করিলাম, কারণ তাহারা তোমার বচন পালন করে না।

159. देख, मैं तेरे नियमों से कैसी प्रीति रखता हूं! हे यहोवा, अपनी करूणा के अनुसार मुझ को जिला।

159. দেখ, আমি তোমার নিদেশ সকল কেমন ভালবাসি। সদাপ্রভু, তোমার দয়ানুসারে আমাকে সঞ্জীবিত কর।

160. तेरा सारा वचन सत्य ही है; और तेरा एक एक धर्ममय नियम सदा काल तक अटल है।।

160. তোমার বাক্যের সমষ্টি সত্য, তোমার ধর্ম্মময় প্রত্যেক শাসন চিরস্থায়ী।

161. हाकिम व्यर्थ मेरे पीछे पड़े हैं, परन्तु मेरा हृदय तेरे वचनों का भय मानता है।
यूहन्ना 15:25

161. অধ্যক্ষেরা অকারণে আমাকে তাড়না করিয়াছে, কিন্তু আমার মন তোমার বাক্যসমূহে ভীত হয়।

162. जैसे कोई बड़ी लूट पाकर हर्षित होता है, वैसे ही मैं तेरे वचन के कारण हर्षित हूं।

162. আমি তোমার বচনে আনন্দ করি, যেমন মহালুট পাইলে লোকে করে।

163. झूठ से तो मैं बैर और घृणा रखता हूं, परन्तु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूं।

163. আমি মিথ্যাকে দ্বেষ করি, ঘৃণা করি, তোমার ব্যবস্থাই ভালবাসি।

164. तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं प्रतिदिन सात बेर तेरी स्तुति करता हूं।

164. আমি দিনে সাত বার তোমার স্তব করি, তোমার ধর্ম্মময় শাসনকলাপের জন্য।

165. तेरी व्यवस्था से प्रीति रखनेवालों को बड़ी शान्ति होती है; और उनको कुछ ठोकर नहीं लगती।
1 यूहन्ना 2:10

165. যাহারা তোমার ব্যবস্থা ভালবাসে, তাহাদের পরম শান্তি, তাহাদের উছোট লাগে না।

166. हे यहोवा, मैं तुझ से उद्धार पाने की आशा रखता हूं; और तेरी आज्ञाओं पर चलता आया हूं।

166. সদাপ্রভু, আমি তোমার পরিত্রাণের প্রত্যাশা করিয়াছি, ও তোমার আজ্ঞা সকল পালন করিয়াছি।

167. मैं तेरी चितौनियों को जी से मानता हूं, और उन से बहुत प्रीति रखता आया हूं।

167. আমার প্রাণ তোমার সাক্ষ্যকলাপ পালন করিয়াছে, আমি সে সকল অতিশয় ভালবাসি।

168. मैं तेरे उपदेशों और चितौनियों को मानता आया हूं, क्योंकि मेरी सारी चालचलन तेरे सम्मुख प्रगट है।।

168. আমি তোমার নিদেশমালা ও সাক্ষ্যকলাপ পালন করিয়াছি; কারণ আমার সমস্ত পথ তোমার সম্মুখে।

169. हे यहोवा, मेरी दोहाई तुझ तक पहुंचे; तू अपने वचन के अनुसार मुझे समझ दे!

169. সদাপ্রভু, আমার কাকূক্তি তোমার নিকটে উপস্থিত হউক, তোমার বাক্যানুসারে আমাকে বুদ্ধি দেও।

170. मेरा गिड़गिड़ाना तुझ तक पहुंचे; तू अपने वचन के अनुसार मुझे छुड़ा ले।

170. আমার বিনতি তোমার সম্মুখে উপস্থিত হউক, তোমার বচনানুসারে আমাকে নিস্তার কর।

171. मेरे मुंह से स्तुति निकला करे, क्योंकि तू मुझे अपनी विधियां सिखाता है।

171. আমার ওষ্ঠাধর প্রশংসা করিবে, কারণ তুমি আমাকে তোমার বিধি সকল শিক্ষা দিতেছ।

172. मैं तेरे वचन का गीत गाऊंगा, क्योंकि तेरी सब आज्ञाएं धर्ममय हैं।

172. আমার জিহ্বা তোমার বচন কীর্ত্তন করিবে, যেহেতু তোমার সমস্ত আজ্ঞা ধর্ম্মময়।

173. तेरा हाथ मेरी सहायता करने को तैयार रहता है, क्योंकि मैं ने तेरे उपदेशों को अपनाया है।

173. তোমার হস্ত আমার সহকারী হউক; কেননা আমি তোমার নিদেশমালা মনোনীত করিয়াছি।

174. हे यहोवा, मैं तुझ से उद्धार पाने की अभिलाषा करता हूं, मैं तेरी व्यवस्था से सुखी हूं।

174. সদাপ্রভু, আমি তোমার পরিত্রাণের আকাঙ্ক্ষা করিয়াছি, এবং তোমার ব্যবস্থা আমার হর্ষজনক।

175. मुझे जिला, और मैं तेरी स्तुति करूंगा, तेरे नियमों से मेरी सहायता हो।

175. আমার প্রাণ জীবিত থাকুক, সে তোমার প্রশংসা করিবে, আর তোমার শাসনকলাপ আমার সহকারী হউক।

176. मैं खोई हुई भेड़ की नाईं भटका हूं; तू अपने दास को ढूंढ़ ले, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं को भूल नहीं गया।।

176. আমি হারাণ মেষের ন্যায় ভ্রান্ত হইয়াছি; নিজ দাসের অন্বেষণ কর; কেননা আমি তোমার আজ্ঞাকলাপ ভুলিয়া যাই নাই।



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