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World English Bible
Wycliffe Bible (1395)
Young's Literal Translation (1898)
Cross Reference Bible
1. क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं!
1. Alleluia. Blessed are the blameless in the way, who walk in the law of the Lord.
2. क्या ही धन्य हैं वे जो उसकी चितौनियों को मानते हैं, और पूर्ण मन से उसके पास आते हैं!
2. Blessed are they that search out His testimonies; they will diligently seek Him with the whole heart.
3. फिर वे कुटिलता का काम नहीं करते, वे उसके मार्गों में चलते हैं।
3. For they that work iniquity have not walked in His ways.
4. तू ने अपने उपदेश इसलिये दिए हैं, कि वे यत्न से माने जाएं।
4. You have commanded [us] diligently to keep Your precepts.
5. भला होता कि तेरी विधियों के मानने के लिये मेरी चालचलन दृढ़ हो जाए!
5. O that my ways were directed to keep Your statutes.
6. तब मैं तेरी सब आज्ञाओं की ओर चित्त लगाए रहूंगा, और मेरी आशा न टूटेगी।
6. Then shall I not be ashamed, when I have respect to all Your commandments.
7. जब मैं तेरे धर्ममय नियमों को सीखूंगा, तब तेरा धन्यवाद सीधे मन से करूंगा।
7. I will give You thanks with uprightness of heart, when I have learned the judgments of Your righteousness.
8. मैं तेरी विधियों को मानूंगा: मुझे पूरी रीति से न तज!
8. I will keep Your statutes; O do not utterly forsake me!
9. जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से।
9. How shall a young man direct his way? By keeping Your words.
10. मैं पूरे मन से तेरी खोज मे लगा हूं; मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे!
10. With my whole heart have I diligently sought You; cast me not away from Your commandments.
11. मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरूद्ध पाप न करूं।
11. I have hidden Your oracles in my heart, that I might not sin against You.
12. हे यहोवा, तू धन्य है; मुझे अपनी विधियां सिखा!
12. Blessed are You, O Lord; teach me Your statutes.
13. तेरे सब कहे हुए नियमों का वर्णन, मैं ने अपने मुंह से किया है।
13. With my lips have I declared all the judgments of Your mouth.
14. मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानों सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूं।
14. I have delighted in the way of Your testimonies, [as much] as in all riches.
15. मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूंगा।
15. I will meditate on Your commandments, and consider Your ways.
16. मैं तेरी विधियों से सुख पाऊंगा; और तेरे वचन को न भूलूंगा।।
16. I will meditate on Your statutes; I will not forget Your words.
17. अपने दास का उपकार कर, कि मैं जीवित रहूं, और तेरे वचन पर चलता रहूं।
17. Render a recompense to Your servant; [so] shall I live, and keep Your words.
18. मेरी आंखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकूं।
18. Unveil my eyes, and I shall perceive the wondrous things of Your law.
19. मैं तो पृथ्वी पर परदेशी हूं; अपनी आज्ञाओं को मुझ से छिपाए न रख!
19. I am a stranger in the earth; hide not Your commandments from me.
20. मेरा मन तेरे नियमों की अभिलाषा के कारण हर समय खेदित रहता है।
20. My soul has longed exceedingly for Your judgments at all times.
21. तू ने अभिमानियों को, जो शापित हैं, घुड़का है, वे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटके हुए हैं।
21. You have rebuked the proud; cursed are they that turn aside from Your commandments.
22. मेरी नामधराई और अपमान दूर कर, क्योंकि मैं तेरी चितौनियों को पकड़े हूं।
22. Remove from me reproach and contempt; for I have sought out Your testimonies.
23. हाकिम भी बैठे हुए आपास में मेरे विरूद्ध बातें करते थे, परन्तु तेरा दास तेरी विधियों पर ध्यान करता रहा।
23. For princes sat and spoke against me; but Your servant was meditating on Your statutes.
24. तेरी चितौनियां मेरा सुखमूल और मेरे मन्त्री हैं।।
24. For Your testimonies are my meditation, and Your statutes are my counselors.
25. मैं धूल में पड़ा हूं; तू अपने वचन के अनुसार मुझ को जिला!
25. My soul has cleaved to the ground; revive me according to Your word.
26. मैं ने अपनी चालचलन का तुझ से वर्णन किया है और तू ने मेरी बात मान ली है; तू मुझ को अपनी विधियां सिखा!
26. I declared my ways, and You heard me; teach me Your statutes.
27. अपने उपदेशों का मार्ग मुझे बता, तब मैं तेरे आश्यर्चकर्मों पर ध्यान करूंगा।
27. Instruct me in the ways of Your statutes; and I will meditate on Your wondrous works.
28. मेरा जीवन उदासी के मारे गल चला है; तू अपने वचन के अनुसार मुझे सम्भल!
28. My soul has slumbered for sorrow; strengthen me with Your words.
29. मुझ को झूठ के मार्ग से दूर कर; और करूणा करके अपनी व्यवस्था मुझे दे।
29. Remove from me the way of iniquity; and be merciful to me by Your law.
30. मैं ने सच्चाई का मार्ग चुन लिया है, तेरे नियमों की ओर मैं चित्त लगाए रहता हूं।
30. I have chosen the way of truth; and have not forgotten Your judgments.
31. मैं तेरी चितौनियों में लवलीन हूं, हे यहोवा, मेरी आशा न तोड़!
31. I have cleaved to Your testimonies, O Lord; put me not to shame.
32. जब तू मेरा हियाव बढ़ाएगा, तब मैं तेरी आज्ञाओ के मार्ग में दौडूंगा।।2 कुरिन्थियों 6:11
32. I ran the way of Your commandments, when You enlarged my heart.
33. हे यहोवा, मुझे अपनी विधियों का मार्ग दिखा दे; तब मैं उसे अन्त तक पकड़े रहूंगा।
33. Teach me, O Lord, the way of Your statutes, and I will seek it out continually.
34. मुझे समझ दे, तब मैं तेरी व्यवस्था को पकड़े रहूंगा और पूर्ण मन से उस पर चलूंगा।
34. Instruct me, and I will search out Your law, and will keep it with my whole heart.
35. अपनी आज्ञाओं के पथ में मुझ को चला, क्योंकि मैं उसी से प्रसन्न हूं।
35. Guide me in the path of Your commandments; for I have delighted in it.
36. मेरे मन को लोभ की ओर नहीं, अपनी चितौनियों ही की ओर फेर दे।
36. Incline my heart to Your testimonies, and not to covetousness.
37. मेरी आंखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे; तू अपने मार्ग में मुझे जिला।
37. Turn away my eyes that I may not behold vanity; revive me in Your way.
38. तेरा वचन जो तेरे भय माननेवालों के लिये है, उसको अपने दास के निमित्त भी पूरा कर।
38. Confirm Your oracle to Your servant, that he may fear You.
39. जिस नामधराई से मैं डरता हूं, उसे दूर कर; क्योंकि तेरे नियम उत्तम हैं।
39. Take away my reproach which I have feared; for Your judgments are good.
40. देख, मैं तेरे उपदेशों का अभिलाषी हूं; अपने धर्म के कारण मुझ को जिला।
40. Behold, I have desired Your commandments; revive me in Your righteousness.
41. हे यहोवा, तेरी करूणा और तेरा किया हुआ उद्धार, तेरे वचन के अनुसार, मुझ को भी मिले;
41. And let Your mercy come upon me, O Lord; [even] Your salvation, according to Your word.
42. तब मैं अपनी नामधराई करनेवालों को कुछ उत्तर दे सकूंगा, क्योंकि मेरा भरोसा, तेरे वचन पर है।
42. And [so] I shall render an answer to them that reproach me; for I have trusted in Your words.
43. मुझे अपने सत्य वचन कहने से न रोक क्योंकि मेरी आशा तेरे नियमों पर है।
43. And take not the word of truth utterly out of my mouth; for I have hoped in Your judgments.
44. तब मैं तेरी व्यवस्था पर लगातार, सदा सर्वदा चलता रहूंगा;
44. So shall I keep Your law continually, [even] forever and ever.
45. और मैं चोड़े स्थान में चला फिरा करूंगा, क्योंकि मैं ने तेरे उपदेशों की सुधि रखी है।
45. I walked also at large; for I sought out Your commandments.
46. और मैं तेरी चितौनियों की चर्चा राजाओं के साम्हने भी करूंगा, और संकोच न करूंगा;रोमियों 1:16
46. And I spoke of Your testimonies before kings, and was not ashamed.
47. क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं के कारण सुखी हूं, और मैं उन से प्रीति रखता हूं।
47. And I meditated on Your commandments, which I loved exceedingly.
48. मैं तेरी आज्ञाओं की ओर जिन में मैं प्रीति रखता हूं, हाथ फैलाऊंगा और तेरी विधियों पर ध्यान करूंगा।।
48. And I lifted up my hands to Your commandments which I loved; and I meditated in Your statutes.
49. जो वचन तू ने अपने दास को दिया है, उसे स्मरण कर, क्योंकि तू ने मुझे आशा दी है।
49. Remember Your words to Your servant, upon which You have made me hope.
50. मेरे दु:ख में मुझे शान्ति उसी से हुई है, क्योंकि तेरे वचन के द्वारा मैं ने जीवन पाया है।
50. This has comforted me in my affliction; for Your word has revived me.
51. अभिमानियों ने मुझे अत्यन्त ठट्ठे में उड़ाया है, तौभी मैं तेरी व्यवस्था से नहीं हटा।
51. The proud have transgressed exceedingly; but I swerved not from Your law.
52. हे यहोवा, मैं ने तेरे प्राचीन नियमों को स्मरण करके शान्ति पाई है।
52. I remembered Your judgment of old, O Lord; and was comforted.
53. जो दुष्ट तेरी व्यवस्था को छोड़े हुए हैं, उनके कारण मैं सन्ताप से जलता हूं।
53. Despair took hold upon me, because of the sinners who forsake Your law.
54. जहां मैं परदेशी होकर रहता हूं, वहां तेरी विधियां, मेरे गीत गाने का विषय बनी हैं।
54. Your statutes were my sons in the place of my sojourning.
55. हे यहोवा, मैं ने रात को तेरा नाम स्मरण किया और तेरी व्यवस्था पर चला हूं।
55. I remembered Your name, O Lord, in the night, and kept Your law.
56. यह मुझ से इस कारण हुआ, कि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए था।।
56. This I had, because I diligently sought Your statutes.
57. यहोवा मेरा भाग है; मैं ने तेरे वचनों के अनुसार चलने का निश्चय किया है।
57. You are my portion, O Lord; I said that I would keep Your law.
58. मैं ने पूरे मन से तुझे मनाया है; इसलिये अपने वचन के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर।
58. I besought Your favor with my whole heart; have mercy upon me according to Your word.
59. मैं ने अपनी चालचलन को सोचा, और तेरी चितौनियों का मार्ग लिया।
59. I thought on Your ways, and turned my feet to Your testimonies.
60. मैं ने तेरी आज्ञाओं के मानने में विलम्ब नहीं, फुर्ती की है।
60. I prepared myself, (and was not terrified) to keep Your commandments.
61. मैं दुष्टों की रस्सियों से बन्ध गया हूं, तौभी मैं तेरी व्यवस्था को नहीं भूला।
61. The snares of sinners entangled me; but I forgot not Your law.
62. तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं आधी रात को तेरा धन्यवाद करने को उठूंगा।
62. At midnight I arose, to give thanks to You for the judgments of Your righteousness.
63. जितने तेरा भय मानते और तेरे उपदेशों पर चलते हैं, उनका मैं संगी हूं।
63. I am a companion of all them that fear You, and of them that keep Your commandments.
64. हे यहोवा, तेरी करूणा पृथ्वी में भरी हुई है; तू मुझे अपनी विधियां सिखा!
64. O Lord, the earth is full of Your mercy; teach me Your statutes.
65. हे यहोवा, तू ने अपने वचन के अनुसार अपने दास के संग भलाई की है।
65. You have wrought kindly with Your servant, O Lord, according to Your word.
66. मुझे भली विवेक- शक्ति और ज्ञान दे, क्योंकि मैं ने तेरी आज्ञाओं का विश्वास किया है।
66. Teach me kindness, instruction, and knowledge; for I have believed Your commandments.
67. उस से पहिले कि मैं दु:खित हुआ, मैं भटकता था; परन्तु अब मैं तेरे वचन को मानता हूं।
67. Before I was afflicted, I transgressed; therefore have I kept Your word.
68. तू भला है, और भला करता भी है; मुझे अपनी विधियां सिखा।
68. Good are You, O Lord; therefore in Your goodness teach me Your statutes.
69. अभिमानियों ने तो मेरे विरूद्ध झूठ बात गढ़ी है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों को पूरे मन से पकड़े रहूंगा।
69. The injustice of the proud has been multiplied against me; but I will search out Your commandments with all my heart.
70. उनका मन मोटा हो गया है, परन्तु मैं तेरी व्यवस्था के कारण सुखी हूं।
70. Their heart has been curdled like milk; but I have meditated on Your law.
71. मुझे जो दु:ख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है, जिस से मैं तेरी विधियों को सीख सकूं।
71. [It is] good for me that You have afflicted me; that I might learn Your statutes.
72. तेरी दी हुई व्यवस्था मेरे लिये हजारों रूपयों और मुहरों से भी उत्तम है।।
72. The law of Your mouth is better to me than thousands of [coins of] gold and silver.
73. तेरे हाथों से मैं बनाया और रचा गया हूं; मुझे समझ दे कि मैं तेरी आज्ञाओं को सीखूं।
73. Your hands have made me, and fashioned me; instruct me, that I may learn Your commandments.
74. तेरे डरवैये मुझे देखकर आनन्दित होंगे, क्योंकि मैं ने तेरे वचन पर आशा लगाई है।
74. They that fear You will see me and rejoice; for I have hoped in Your words.
75. हे यहोवा, मैं जान गया कि तेरे नियम धर्ममय हैं, और तू ने अपने सच्चाई के अनुसार मुझे दु:ख दिया है।
75. I know, O Lord, that Your judgments are righteousness, and [that] You in truthfulness have afflicted me.
76. मुझे अपनी करूणा से शान्ति दे, क्योंकि तू ने अपने दास को ऐसा ही वचन दिया है।
76. Let, I pray, Your mercy be to comfort me, according to Your word to Your servant.
77. तेरी दया मुझ पर हो, तब मैं जीवित रहूंगा; क्योंकि मैं तेरी व्यवस्था से सुखी हूं।
77. Let Your compassions come to me, that I may live; for Your law is my meditation.
78. अभिमानियों की आशा टूटे, क्योंकि उन्हों ने मुझे झूठ के द्वारा गिरा दिया है; परन्तु मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा।
78. Let the proud be ashamed; for they transgressed against me unjustly; but I will meditate on Your commandments.
79. जो तेरा भय मानते हैं, वह मेरी ओर फिरें, तब वे तेरी चितौनियों को समझ लेंगे।
79. Let those that fear You, and those that know Your testimonies, turn to me.
80. मेरा मन तेरी विधियों के मानने में सिद्ध हो, ऐसा न हो कि मुझे लज्जित होना पड़े।।
80. Let my heart be blameless regarding Your statutes, that I may not be ashamed.
81. मेरा प्राण तेरे उद्धार के लिये बैचेन है; परन्तु मुझे तेरे वचन पर आशा रहती है।
81. My soul faints for Your salvation; I have hoped in Your words.
82. मेरी आंखें तेरे वचन के पूरे होने की बाट जोहते जोहते रह गईं है; और मैं कहता हूं कि तू मुझे कब शान्ति देगा?
82. My eyes failed [from searching] for Your word, saying, When will You comfort me?
83. क्योंकि मैं धूएं में की कुप्पी के समान हो गया हूं, तौभी तेरी विधियों को नहीं भूला।
83. For I have become as a bottle in the frost; [yet] I have not forgotten Your statutes.
84. तेरे दास के कितने दिन रह गए हैं? तू मेरे पीछे पड़े हुओं को दण्ड कब देगा?
84. How many are the days of Your servant? When will You execute judgment for me on them that persecute me?
85. अभिमानी जो तरी व्यवस्था के अनुसार नहीं चलते, उन्हों ने मेरे लिये गड़हे खोदे हैं।
85. Transgressors told me [idle tales]; but not according to Your law, O Lord.
86. तेरी सब आज्ञाएं विश्वासयोग्य हैं; वे लोग झूठ बोलते हुए मेरे पीछे पड़े हैं; तू मेरी सहायता कर!
86. All Your commandments are truth; they persecuted me unjustly; help me!
87. वे मुझ को पृथ्वी पर से मिटा डालने ही पर थे, परन्तु मैं ने तेरे उपदेशों को नहीं छोड़ा।
87. They nearly made an end of me in the earth; but I forsook not Your commandments.
88. अपनी करूणा के अनुसार मुझ को जिला, तब मैं तेरी दी हुई चितौनी को मानूंगा।।
88. Revive me according to Your mercy; so shall I keep the testimonies of Your mouth.
89. हे यहोवा, तेरा वचन, आकाश में सदा तक स्थिर रहता है।
89. Your word, O Lord, abides in heaven forever.
90. तेरी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है; तू ने पृथ्वी को स्थिर किया, इसलिये वह बनी है।
90. Your truth [endures] to all generations; You have founded the earth, and it abides.
91. वे आज के दिन तक तेरे नियमों के अनुसार ठहरे हैं; क्योंकि सारी सृष्टि तेरे अधीन है।
91. The day continues by Your arrangement; for all things are Your servants.
92. यदि मैं तेरी व्यवस्था से सुखी न होता, तो मैं दु:ख के समय नाश हो जाता।
92. Were it not that Your law is my meditation, then I should have perished in my affliction.
93. मैं तेरे उपदेशों को कभी न भूलूंगा; क्योंकि उन्हीं के द्वारा तू ने मुझे जिलाया है।
93. I will never forget Your statutes; for with them You have revived me.
94. मैं तेरा ही हूं, तू मेरा उद्धार कर; क्योंकि मैं तेरे उपदेशों की सुधि रखता हूं।
94. I am Yours, save me; for I have sought out Your statutes.
95. दुष्ट मेरा नाश करने के लिये मेरी घात में लगे हैं; परन्तु मैं तेरी चितौनियों पर ध्यान करता हूं।
95. Sinners laid wait for me to destroy me; [but] I understood Your testimonies.
96. जितनी बातें पूरी जान पड़ती हैं, उन सब को तो मैं ने अधूरी पाया है, परन्तु तेरी आज्ञा का विस्तार बड़ा है।।
96. I have seen an end of all perfection; [but] Your commandment is very broad.
97. अहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूं! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है।
97. How I have loved Your law, O Lord! It is my meditation all the day.
98. तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है, क्योंकि वे सदा मेरे मन में रहती हैं।
98. You have made me wiser than my enemies [in] Your commandment; for it is mine forever.
99. मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है।
99. I have more understanding than all my teachers; for Your testimonies are my meditation.
100. मैं पुरनियों से भी समझदार हूं, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए हूं।
100. I understand more that the aged; because I have sought out Your commandments.
101. मैं ने अपने पांवों को हर एक बुरे रास्ते से रोक रखा है, जिस से मैं तेरे वचन के अनुसार चलूं।
101. I have kept back my feet from every evil way, that I might keep Your words.
102. मैं तेरे नियमों से नहीं हटा, क्योंकि तू ही ने मुझे शिक्षा दी है।
102. I have not departed from Your judgments; for You have instructed me.
103. तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं!
103. How sweet are Your oracles to my taste! More so than honey to my mouth!
104. तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूं, इसलिये मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं।।
104. I gain understanding by Your commandments; therefore I have hated every way of unrighteousness.
105. तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है।
105. Your law is a lamp unto my feet, and a light unto my paths.
106. मैं ने शपथ खाई, और ठाना भी है कि मैं तेरे धर्मपय नियमों के अनुसार चलूंगा।
106. I have sworn and determined to keep the judgments of Your righteousness.
107. मैं अत्यन्त दु:ख में पड़ा हूं; हे यहोवा, अपने वचन के अनुसार मुझे जिला।
107. I have been very greatly afflicted, O Lord; revive me, according to Your word.
108. हे यहोवा, मेरे वचनों को स्वेच्छाबलि जानकर ग्रहण कर, और अपने नियमों को मुझे सिखा।
108. Accept, O Lord, the freewill offerings of my mouth, and teach me Your judgments.
109. मेरा प्राण निरन्तर मेरी हथेली पर रहता है, तौभी मैं तेरी व्यवस्था को भूल नहीं गया।
109. My soul is continually in Your hands; and I have not forgotten Your law.
110. दुष्टों ने मेरे लिये फन्दा लगाया है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों के मार्ग से नहीं भटका।
110. Sinners spread a snare for me; but I erred not from Your commandments.
111. मैं ने तेरी चितौनियों को सदा के लिये अपना निज भाग कर लिया है, क्योंकि वे मेरे हृदय के हर्ष का कारण है।
111. I have inherited Your testimonies forever; for they are the joy of my heart.
112. मैं ने अपने मन को इस बात पर लगाया है, कि अन्त तक तेरी विधियों पर सदा चलता रहूं।
112. I have inclined my heart to perform Your statutes forever, in return [for Your mercies].
113. मैं दुचित्तों से तो बैर रखता हूं, परन्तु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूं।
113. I have hated transgressors; but I have loved Your law.
114. तू मेरी आड़ और ढ़ाल है; मेरी आशा तेरे वचन पर है।
114. You are my helper and my supporter; I have hoped in Your words.
115. हे कुकर्मियों, मुझ से दूर हो जाओ, कि मैं अपने परमेश्वर की आज्ञाओं को पकड़े रहूं।
115. Depart from me, You evildoers; for I will search out the commandments of my God.
116. हे यहोवा, अपने वचन के अनुसार मुझे सम्भाल, कि मैं जीवित रहूं, और मेरी आशा को न तोड़!
116. Uphold me according to Your word, and revive me; and make me not ashamed of my hope.
117. मुझे थांभ रख, तब मैं बचा रहूंगा, और निरन्तर तेरी विधियों की ओर चित्त लगाए रहूंगा!
117. Help me, and I shall be saved; and I will meditate on Your statutes continually.
118. जितने तेरी विधियों के मार्ग से भटक जाते हैं, उन सब को तू तुच्छ जानता है, क्योंकि उनकी चतुराई झूठ है।
118. You have rejected all that depart from Your statutes; for their inner thoughts are unrighteousness.
119. तू ने पृथ्वी के सब दुष्टों को धातु के मैल के समान दूर किया है; इस कारण मैं तेरी चितौनियों में प्रीति रखता हूं।
119. I have reckoned all the sinners of the earth as transgressors; therefore have I loved Your testimonies.
120. तेरे भय से मेरा शरीर कांप उठता है, और मैं तेरे नियमों से डरता हूं।।
120. Penetrate my flesh with Your fear; for I am afraid of Your judgments.
121. मैं ने तो न्याय और धर्म का काम किया है; तू मुझे अन्धेर करनेवालों के हाथ में न छोड़।
121. I have done judgment and justice; deliver me not up to them that injure me.
122. अपने दास की भलाई के लिये जामिन हो, ताकि अभिमानी मुझ पर अन्धेर न करने पांए।
122. Receive Your servant for good; let not the proud accuse me falsely.
123. मेरी आंखें तुझ से उद्धार पाने, और तेरे धर्ममय वचन के पूरे होने की बाट जोहते जोहते रह गई हैं।
123. My eyes have failed for Your salvation, and for the word of Your righteousness.
124. अपने दास के संग अपनी करूणा के अनुसार बर्ताव कर, और अपनी विधियां मुझे सिखा।
124. Deal with Your servant according to Your mercy, and teach me Your statutes.
125. मैं तेरा दास हूं, तू मुझे समझ दे कि मैं तेरी चितौनियों को समझूं।
125. I am Your servant; instruct me, and I shall know Your testimonies.
126. वह समय आया है, कि यहोवा काम करे, क्योंकि लोगों ने तेरी व्यवस्था को तोड़ दिया है।
126. [It is] time for the Lord to work; they have utterly broken Your law.
127. इस कारण मैं तेरी आज्ञाओं को सोने से वरन कुन्दन से भी अधिक प्रिय मानता हूं।
127. Therefore have I loved Your commandments more than gold, or topaz.
128. इसी कारण मैं तेरे सब उपदेशों को सब विषयों में ठीक जानता हूं; और सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं।।
128. Therefore I directed myself [according] to all Your commandments; I have hated every unjust way.
129. तेरी चितौनियां अनूप हैं, इस कारण मैं उन्हें अपने जी से पकड़े हुए हूं।
129. Your testimonies are wonderful; therefore my soul has sought them out.
130. तेरी बातों के खुलने से प्राकाश होता है; उस से भोले लोग समझ प्राप्त करते हैं।
130. The manifestation of Your words will enlighten, and instruct the simple.
131. मैं मुंह खोलकर हांफने लगा, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं का प्यासा था।
131. I opened my mouth, and drew breath; for I earnestly longed after Your commandments.
132. जैसी तेरी रीति अपने नाम की प्रीति रखनेवालों से है, वैसे ही मेरी ओर भी फिरकर मुझ पर अनुग्रह कर।
132. Look upon me and have mercy upon me, after the manner of them that love Your name.
133. मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे।
133. Order my steps according to Your word; and let not any iniquity have dominion over me.
134. मुझे मनुष्यों के अन्धेर से छुड़ा ले, तब मैं तेरे उपदेशों को मानूंगा।
134. Deliver me from the false accusation of men; so will I keep Your commandments.
135. अपने दास पर अपने मुख का प्रकाश चमका दे, और अपनी विधियां मुझे सिखा।
135. Cause Your face to shine upon Your servant; and teach me Your statutes.
136. मेरी आंखों से जल की धारा बहती रहती है, क्योंकि लोग तेरी व्यवस्था को नहीं मानते।।
136. My eyes have been bathed in streams of water, because I kept not Your law.
137. हे यहोवा तू धर्मी है, और तेरे नियम सीधे हैं।प्रकाशितवाक्य 16:5-7, प्रकाशितवाक्य 19:2
137. Righteous are You, O Lord, and upright are Your judgments.
138. तू ने अपनी चितौनियों को धर्म और पूरी सत्यता से कहा है।
138. You have commanded righteousness and perfect truth, [as] Your testimonies.
139. मैं तेरी धुन में भस्म हो रहा हूं, क्योंकि मेरे सतानेवाले तेरे वचनों को भूल गए हैं।
139. Your zeal has quite wasted me; because my enemies have forgotten Your words.
140. तेरा वचन पूरी रीति से ताया हुआ है, इसलिये तेरा दास उस में प्रीति रखता है।
140. Your word [has been] very fully tried; and Your servant loves it.
141. मैं छोटा और तुच्छ हूं, तौभी मैं तेरे उपदेशों को नही भूलता।
141. I am young and despised; [yet] I have not forgotten Your statutes.
142. तेरा धर्म सदा का धर्म है, और तेरी व्यवस्था सत्य है।
142. Your righteousness is an everlasting righteousness, and Your law is truth.
143. मैं संकट और सकेती में फंसा हूं, परन्तु मैं तेरी आज्ञाओं से सुखी हूं।
143. Afflictions and distresses found me; [but] Your commandments [were] my meditation.
144. तेरी चितौनियां सदा धर्ममय हैं; तू मुझ को समझ दे कि मैं जीवित रहूं।।
144. Your testimonies [are] an everlasting righteousness; instruct me, and I shall live.
145. मैं ने सारे मन से प्रार्थना की है, हे यहोवा मेरी सुन लेना! मैं तेरी विधियों को पकड़े रहूंगा।
145. I cried with my whole heart; hear me, O Lord; I will search out Your statutes.
146. मैं ने तुझ से प्रार्थना की है, तू मेरा उद्धार कर, और मैं तेरी चितौनियों को माना करूंगा।
146. I cried to You; save me, and I will keep Your testimonies.
147. मैं ने पौ फटने से पहिले दोहाई दी; मेरी आशा तेरे वचनों पर थी।
147. I arose before the dawn, and cried; I hoped in Your words.
148. मेरी आंखें रात के एक एक पहर से पहिले खुल गईं, कि मैं तेरे वचन पर ध्यान करूं।
148. My eyes prevented the dawn, that I might meditate on Your oracles.
149. अपनी करूणा के अनुसार मेरी सुन ले; हे यहोवा, अपनी रीति के अनुसार मुझे जीवित कर।
149. Hear my voice, O Lord, according to Your mercy; revive me according to Your judgment.
150. जो दुष्टता में धुन लगाते हैं, वे निकट आ गए हैं; वे तेरी व्यवस्था से दूर हैं।
150. They have drawn near who persecuted me unlawfully; and they are far removed from Your law.
151. हे यहोवा, तू निकट है, और तेरी सब आज्ञाएं सत्य हैं।
151. You are near, O Lord; and all Your ways are truth.
152. बहुत काल से मैं तेरी चितौनियों को जानता हूं, कि तू ने उनकी नेव सदा के लिये डाली है।।
152. I have known of old concerning Your testimonies, that You have founded them forever.
153. मेरे दु:ख को देखकर मुझे छुड़ा ले, क्योंकि मैं तेरी व्यवस्था को भूल नहीं गया।
153. Look upon my affliction, and rescue me; for I have not forgotten Your law.
154. मेरा मुक मा लड़, और मुझे छुड़ा ले; अपने वचन के अनुसार मुझ को जिला।
154. Plead my cause, and ransom me; revive me because of Your word.
155. दुष्टों को उद्धार मिलना कठिन है, क्योंकि वे तेरी विधियों की सुधि नहीं रखते।
155. Salvation is far from sinners; for they have not searched out Your statutes.
156. हे यहोवा, तेरी दया तो बड़ी है; इसलिये अपने नियमों के अनुसार मुझे जिला।
156. Your mercies, O Lord, are many; revive me according to Your judgment.
157. मेरा पीछा करनेवाले और मेरे सतानेवाले बहुत हैं, परन्तु मैं तेरी चितौनियों से नहीं हटता।
157. Many are they that persecute me and oppress me; [but] I have not declined from Your testimonies.
158. मैं विश्वासघातियों को देखकर उदास हुआ, क्योंकि वे तेरे वचन को नहीं मानते।
158. I beheld men acting foolishly, and I pined away; for they kept not Your oracles.
159. देख, मैं तेरे नियमों से कैसी प्रीति रखता हूं! हे यहोवा, अपनी करूणा के अनुसार मुझ को जिला।
159. Behold, I have loved Your commandments, O Lord; revive me in Your mercy.
160. तेरा सारा वचन सत्य ही है; और तेरा एक एक धर्ममय नियम सदा काल तक अटल है।।
160. The beginning of Your words is truth; and all the judgments of Your righteousness [endure] forever.
161. हाकिम व्यर्थ मेरे पीछे पड़े हैं, परन्तु मेरा हृदय तेरे वचनों का भय मानता है।यूहन्ना 15:25
161. Princes persecuted me without a cause, but my heart feared because of Your words.
162. जैसे कोई बड़ी लूट पाकर हर्षित होता है, वैसे ही मैं तेरे वचन के कारण हर्षित हूं।
162. I will rejoice because of Your oracles, as one that finds much spoil.
163. झूठ से तो मैं बैर और घृणा रखता हूं, परन्तु तेरी व्यवस्था से प्रीति रखता हूं।
163. I hate and abhor unrighteousness; but I love Your law.
164. तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं प्रतिदिन सात बेर तेरी स्तुति करता हूं।
164. Seven times in a day have I praised You because of the judgments of Your righteousness.
165. तेरी व्यवस्था से प्रीति रखनेवालों को बड़ी शान्ति होती है; और उनको कुछ ठोकर नहीं लगती।1 यूहन्ना 2:10
165. Great peace have they that love Your law; and there is no stumbling block to them.
166. हे यहोवा, मैं तुझ से उद्धार पाने की आशा रखता हूं; और तेरी आज्ञाओं पर चलता आया हूं।
166. I have waited for Your salvation, O Lord, and have loved Your commandments.
167. मैं तेरी चितौनियों को जी से मानता हूं, और उन से बहुत प्रीति रखता आया हूं।
167. My soul has kept Your testimonies, and loved them exceedingly.
168. मैं तेरे उपदेशों और चितौनियों को मानता आया हूं, क्योंकि मेरी सारी चालचलन तेरे सम्मुख प्रगट है।।
168. I have kept Your commandments and Your testimonies; for all my ways are before You, O Lord.
169. हे यहोवा, मेरी दोहाई तुझ तक पहुंचे; तू अपने वचन के अनुसार मुझे समझ दे!
169. Let my supplication come near before You, O Lord; instruct me according to Your oracle.
170. मेरा गिड़गिड़ाना तुझ तक पहुंचे; तू अपने वचन के अनुसार मुझे छुड़ा ले।
170. Let my petition come in before You, O Lord; deliver me according to Your word.
171. मेरे मुंह से स्तुति निकला करे, क्योंकि तू मुझे अपनी विधियां सिखाता है।
171. Let my lips utter a hymn, when You shall have taught me Your statutes.
172. मैं तेरे वचन का गीत गाऊंगा, क्योंकि तेरी सब आज्ञाएं धर्ममय हैं।
172. Let my tongue utter Your oracles; for all Your commandments are righteous.
173. तेरा हाथ मेरी सहायता करने को तैयार रहता है, क्योंकि मैं ने तेरे उपदेशों को अपनाया है।
173. Let Your hand be [prompt] to save me; for I have chosen Your commandments.
174. हे यहोवा, मैं तुझ से उद्धार पाने की अभिलाषा करता हूं, मैं तेरी व्यवस्था से सुखी हूं।
174. I have longed after Your salvation, O Lord; and Your law is my meditation.
175. मुझे जिला, और मैं तेरी स्तुति करूंगा, तेरे नियमों से मेरी सहायता हो।
175. My soul shall live, and shall praise You; and Your judgments shall help me.
176. मैं खोई हुई भेड़ की नाईं भटका हूं; तू अपने दास को ढूंढ़ ले, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं को भूल नहीं गया।।
176. I have gone astray like a lost sheep; seek Your servant; for I have not forgotten Your commandments.