Psalms - भजन संहिता 102 | View All

1. हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन; मेरी दोहाई तुझ तक पहुंचे!

1. For David himself. Bless the Lord, O my soul: and let all that is within me bless his holy name.

2. मेरे संकट के दिन अपना मुख मुझ से न छिपा ले; अपना कान मेरी ओर लगा; जिस समय मैं पुकारूं, उसी समय फुर्ती से मेरी सुन ले!

2. Bless the Lord, O my soul, and never forget all he hath done for thee.

3. क्योंकि मेरे दिन धुएं की नाईं उड़े जाते हैं, और मेरी हडि्डयां लुकटी के समान जल गई हैं।

3. Who forgiveth all thy iniquities: who healeth all thy diseases.

4. मेरा मन झुलसी हुई घास की नाईं सूख गया है; और मैं अपनी रोटी खाना भूल जाता हूं।
याकूब 1:10-11

4. Who redeemeth thy life from destruction: who crowneth thee with mercy and compassion.

5. कहरते कहरते मेरा चमड़ा हडि्डयों में सट गया है।

5. Who satisfieth thy desire with good things: thy youth shall be renewed like the eagle's.

6. मैं जंगल के धनेश के समान हो गया हूं, मैं उजड़े स्थानों के उल्लू के समान बन गया हूं।

6. The Lord doth mercies, and judgment for all that suffer wrong.

7. मैं पड़ा पड़ा जागता रहता हूं और गौरे के समान हो गया हूं जो छत के ऊपर अकेला बैठता है।

7. He hath made his ways known to Moses: his wills to the children of Israel.

8. मेरे शत्रु लगातार मेरी नामधराई करते हैं, जो मेरे विराध की धुन में बावले हो रहे हैं, वे मेरा नाम लेकर शपथ खाते हैं।

8. The ford is compassionate and merciful: longsuffering and plenteous in mercy.

9. क्योंकि मैं ने रोटी की नाईं राख खाईं और आंसू मिलाकर पानी पीता हूं।

9. He will not always be angry: nor will he threaten for ever.

10. यह तेरे क्रोध और कोप के कारण हुआ है, क्योंकि तू ने मुझे उठाया, और फिर फेंक दिया है।

10. He hath not dealt with us according to our sins: nor rewarded us according to our iniquities.

11. मेरी आयु ढलती हुई छाया के समान है; और मैं आप घास की नाईं सूख चला हूं।।
याकूब 1:10-11

11. For according to the height of the heaven above the earth: he hath strengthened his mercy towards them that fear him.

12. परन्तु हे यहोवा, तू सदैव विराजमान रहेगा; और जिस नाम से तेरा स्मरण होता है, वह पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहेगा।

12. As far as the east is from the west, so far hath he removed our iniquities from us.

13. तू उठकर सिरयोन पर दया करेगा; क्योंकि उस पर अनुग्रह करने का ठहराया हुअ समय आ पहुंचा है।

13. As a father hath compassion on his children, so hath the Lord compassion on them that fear him:

14. क्योंकि तेरे दास उसके पत्थरों को चाहते हैं, और उसकी धूलि पर तरस खाते हैं।

14. For he knoweth our frame. He remembereth that we are dust:

15. इसलिये अन्यजातियां यहोवा के नाम का भय मानेंगी, और पृथ्वी के सब राजा तेरे प्रताप से डरेंगे।

15. Man's days are as grass, as the flower of the field so shall he flourish.

16. क्योंकि यहोवा ने सिरयोन को फिर बसाया है, और वह अपनी महिमा के साथ दिखाई देता है;

16. For the spirit shall pass in him, and he shall not be: and he shall know his place no more.

17. वह लाचार की प्रार्थना की ओर मुंह करता है, और उनकी प्रार्थना को तुच्छ नहीं जानता।

17. But the mercy of the Lord is from eternity and unto eternity upon them that fear him: And his justice unto children's children,

18. यह बात आनेवाली पीढ़ी के लिये लिखी जाएगी, और एक जाति जो सिरजी जाएगी वही याह की स्तुति करेगी।

18. To such as keep his covenant, And are mindful of his commandments to do them.

19. क्योंकि यहोवा ने अपने ऊंचे और पवित्रा स्थान से दृष्टि करके स्वर्ग से पृथ्वी की ओर देखा है,

19. The Lord hath prepared his throne in heaven: and his kingdom shall rule over all.

20. ताकि बन्धुओं का कराहना सुने, और घात होनवालों के बन्धन खोले;

20. Bless the Lord, all ye his angels: you that are mighty in strength, and execute his word, hearkening to the voice of his orders.

21. और सिरयोन में यहोवा के नाम का वर्णन किया जाए, और यरूशलेम में उसकी स्तुति की जाए;

21. Bless the Lord, all ye his hosts: you ministers of his that do his will.

22. यह उस समय होगा जब देश देश, और राज्य राज्य के लोग यहोवा की उपासना करने को इकट्ठे होंगे।।

22. Bless the Lord, all his works: in every place of his dominion, O my soul, bless thou the Lord.



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