Psalms - भजन संहिता 102 | View All

1. हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन; मेरी दोहाई तुझ तक पहुंचे!

1. A Prayer for the Humbled One when he is about to faint, and, before Yahweh, poureth out his grief. O Yahweh, hear thou my prayer, and let, my cry for help, unto thee, enter in.

2. मेरे संकट के दिन अपना मुख मुझ से न छिपा ले; अपना कान मेरी ओर लगा; जिस समय मैं पुकारूं, उसी समय फुर्ती से मेरी सुन ले!

2. Do not hide thy face from me, In the day when I am in distress, Bend down unto me thine ear, In the day when I call, speedily answer me.

3. क्योंकि मेरे दिन धुएं की नाईं उड़े जाते हैं, और मेरी हडि्डयां लुकटी के समान जल गई हैं।

3. For, consumed in smoke, are my days, And, my bones, like a burning mass, are scorched through;

4. मेरा मन झुलसी हुई घास की नाईं सूख गया है; और मैं अपनी रोटी खाना भूल जाता हूं।
याकूब 1:10-11

4. Smitten like herbage, so is my heart dried up, For I have forgotten to eat my food.

5. कहरते कहरते मेरा चमड़ा हडि्डयों में सट गया है।

5. At the noise of my groaning, my bone, hath cleaved, to my flesh:

6. मैं जंगल के धनेश के समान हो गया हूं, मैं उजड़े स्थानों के उल्लू के समान बन गया हूं।

6. I am like the pelican of the desert, I have become as an owl among ruins.

7. मैं पड़ा पड़ा जागता रहता हूं और गौरे के समान हो गया हूं जो छत के ऊपर अकेला बैठता है।

7. I have watched and am become, Like a bird sitting alone upon a housetop.

8. मेरे शत्रु लगातार मेरी नामधराई करते हैं, जो मेरे विराध की धुन में बावले हो रहे हैं, वे मेरा नाम लेकर शपथ खाते हैं।

8. All the day, have mine enemies, reproached me, And, they who are mad against me, by me, have sworn.

9. क्योंकि मैं ने रोटी की नाईं राख खाईं और आंसू मिलाकर पानी पीता हूं।

9. For, ashes like bread, have I eaten, And, my drink with my tears, have I mingled;

10. यह तेरे क्रोध और कोप के कारण हुआ है, क्योंकि तू ने मुझे उठाया, और फिर फेंक दिया है।

10. Because of thine indignation and thy wrath, For thou hast lifted me up, and cast me down.

11. मेरी आयु ढलती हुई छाया के समान है; और मैं आप घास की नाईं सूख चला हूं।।
याकूब 1:10-11

11. My days, are like a shadow extended, And, I, as green herbage, do wither.

12. परन्तु हे यहोवा, तू सदैव विराजमान रहेगा; और जिस नाम से तेरा स्मरण होता है, वह पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहेगा।

12. But, thou, O Yahweh, age-abidingly wilt remain, And the memorial of thee, to generation after generation.

13. तू उठकर सिरयोन पर दया करेगा; क्योंकि उस पर अनुग्रह करने का ठहराया हुअ समय आ पहुंचा है।

13. Thou, wilt arise, wilt have compassion upon Zion, Surely it is time to favour her, Surely the time appointed, hath come;

14. क्योंकि तेरे दास उसके पत्थरों को चाहते हैं, और उसकी धूलि पर तरस खाते हैं।

14. Seeing that thy servants, take pleasure, in her stones, And, her dust, they favour:

15. इसलिये अन्यजातियां यहोवा के नाम का भय मानेंगी, और पृथ्वी के सब राजा तेरे प्रताप से डरेंगे।

15. That the nations may revere thy Name, O Yahweh, And all the kings of the earth, thy glory.

16. क्योंकि यहोवा ने सिरयोन को फिर बसाया है, और वह अपनी महिमा के साथ दिखाई देता है;

16. When Yahweh, hath built up, Zion, Hath appeared in his glory;

17. वह लाचार की प्रार्थना की ओर मुंह करता है, और उनकी प्रार्थना को तुच्छ नहीं जानता।

17. Hath turned towards the prayer of the destitute, And not despised their prayer,

18. यह बात आनेवाली पीढ़ी के लिये लिखी जाएगी, और एक जाति जो सिरजी जाएगी वही याह की स्तुति करेगी।

18. This, shall be written, for a later generation, And, a people to be created, will give praise unto Yah:

19. क्योंकि यहोवा ने अपने ऊंचे और पवित्रा स्थान से दृष्टि करके स्वर्ग से पृथ्वी की ओर देखा है,

19. That he looked down, out of his holy height, Yahweh, from the heavens unto the earth, directed his gaze;

20. ताकि बन्धुओं का कराहना सुने, और घात होनवालों के बन्धन खोले;

20. To hear the groaning of the prisoner, To set free, them who were appointed to death.

21. और सिरयोन में यहोवा के नाम का वर्णन किया जाए, और यरूशलेम में उसकी स्तुति की जाए;

21. To the end the Name of Yahweh, might be celebrated in Zion, And his praise in Jerusalem:

22. यह उस समय होगा जब देश देश, और राज्य राज्य के लोग यहोवा की उपासना करने को इकट्ठे होंगे।।

22. When the peoples, gather themselves together, And the kingdoms, to serve Yahweh.

23. उस ने मुझे जीवन यात्रा में दु:ख देकर, मेरे बल और आयु को घटाया।

23. He hath prostrated, in the way, my strength, He hath shortened my days.

24. मैं ने कहा, हे मेरे ईश्वर, मुझे आधी आयु में न उठा ले, मेरे वर्ष पीढ़ी से पीढ़ी तक बने रहेंगे!

24. I said, O my GOD, do not remove me in the midst of my days, Throughout the generation of generations, are thy years;

25. आदि में तू ने पृथ्वी की नेव डाली, और आकाश तेरे हाथों का बनाया हुआ है।
इब्रानियों 1:10-12

25. Of old the earth, thou didst found, And, the work of thy hands, are the heavens;

26. वह तो नाश होगा, परन्तु तू बना रहेगा; और वह सब कपड़े के समान पुराना हो जाएगा। तू उसको वस्त्रा की नाई बदलेगा, और वह तो बदल जाएगा;
इब्रानियों 1:10-12

26. They, shall perish, But, thou, wilt abide; And, they all, like a garment, shall fall in pieces, As a vesture, wilt thou change them and they shall vanish;

27. परन्तु तू वहीं है, और तेरे वर्षों का अन्त नहीं होने का।

27. But, thou, art, the same, And, thy years, shall have no end:

28. तेरे दासों की सन्तान बनी रहेगी; और उनका वंश तेरे साम्हने स्थिर रहेगा।।

28. The children of thy servants, shall continue, And, their seed, before thee, be established.



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