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1. फिर यहोवा ने अरयूब से यह भी कहो
1. সদাপ্রভু ইয়োবকে আরও কহিলেন,
2. क्या जो बकवास करता है वह सर्वशक्तिमान से झगड़ा करे? जो ईश्वर से विवाद करता है वह इसका उत्तर दे।
2. দোষগ্রাহী কি সর্ব্বশক্তিমানের সহিত বিবাদ করিবে? ঈশ্বরের সহিত বিতর্ককারী ইহার উত্তর দিউক।
3. तब अरयूब ते यहोवा को उत्तर दियो
3. তখন ইয়োব উত্তর করিয়া সদাপ্রভুকে কহিলেন,
4. देख, मैं तो तुच्छ हूँ, मैं तुझे क्या उत्तर दूं? मैं अपनी अंगुली दांत तले दबाता हूँ।
4. দেখ, আমি অকিঞ্চন; তোমাকে কি উত্তর দিব? আমি নিজ মুখে হাত দিই।
5. एक बार तो मैं कह चुका, परन्तु और कुछ न कहूंगो हां दो बार भी मैं कह चुका, परन्तु अब कुछ और आगे न बढ़ूंगा।
5. আমি এক বার কথা বলিয়াছি, আর উত্তর করিব না; দুই বার বলিয়াছি, পুনর্ব্বার বলিব না।
6. तब यहोवा ने अरयूब को आँधी में से यह उत्तर दियो
6. সদাপ্রভু ঘূর্ণবায়ুর মধ্য হইতে ইয়োবকে আরও কহিলেন,
7. पुरूष की नाई अपनी कमर बान्ध ले, मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, और तू मुझे बता।लूका 12:35
7. তুমি এখন বীরের ন্যায় কটিবন্ধন কর; আমি তোমাকে জিজ্ঞাসা করি তুমি বুঝাইয়া দেও।
8. क्या तू मेरा न्याय भी व्यर्थ ठहराएगा? क्या तू आप निदष ठहरने की मनसा से मुझ को दोषी ठहराएगा?
8. তুমি কি সত্যই আমার বিচার অগ্রাহ্য করিবে? নিজে ধার্ম্মিক হইবার জন্য আমাকে দোষী করিবে?
9. क्या तेरा बाहुबल ईश्वर के तुल्य है? क्या तू उसके समान शब्द से गरज सकता है?
9. তোমার কি ঈশ্বরের তুল্য বাহু আছে? তুমি কি তাঁহার ন্যায় সরবে বজ্রনাদ করিতে পার?
10. अब अपने को महिमा और प्रताप से संवार और ऐश्वरर्य और तेज के वस्त्रा पहिन ले।
10. তবে প্রাধান্যে ও মহত্ত্বে বিভূষিত হও, প্রভা ও প্রতাপ পরিধান কর।
11. अपने अति क्रोध की बाढ़ को बहा दे, और एक एक घमणडी को देखते ही उसे नीचा कर।
11. তোমার উচ্চণ্ড ক্রোধ ঢালিয়া দেও, প্রত্যেক অহঙ্কারীকে দৃক্পাতমাত্র নত কর;
12. हर एक घमणडी को देखकर झुका दे, और दुष्ट लोगों को जहां खड़े हों वहां से गिरा दे।
12. দৃক্পাতমাত্র প্রত্যেক অহঙ্কারীকে খর্ব্ব কর, দুষ্টদিগকে স্ব স্ব স্থানে দলিত কর;
13. उनको एक संग मिट्टी में मिला दे, और उस गुप्त स्थान में उनके मुंह बान्ध दे।
13. তাহাদিগকে যুগপৎ ধূলিতে আচ্ছন্ন কর, গুপ্ত স্থানে তাহাদের মুখ বন্ধন কর।
14. तब मैं भी तेरे विषय में मान लूंगा, कि तेरा ही दहिना हाथ तेरा उद्वार कर सकता है।
14. তখন আমিও তোমার এই প্রশংসা করিব, তোমার দক্ষিণ হস্ত তোমাকে তরাইতে পারে।
15. उस जलगज को देख, जिसको मैं ने तेरे साथ बनाया है, वह बैल की नाई घास खाता है।
15. বহেমোৎকে দেখ, আমি তোমার সহিত তাহাকেও নির্ম্মাণ করিয়াছি; সে গোরুর ন্যায় তৃণভোজী।
16. देख उसकी कटि में बल है, और उसके पेट के पट्ठों में उसकी सामर्थ्य रहती है।
16. দেখ, তাহার কটিদেশে তাহার বল, উদরস্থ পেশীতে তাহার সামর্থ্য।
17. वह अपनी पूंछ को देवदार की नाई हिलाता है; उसकी जांधों की नसें एक दूसरे से मिली हुई हैं।
17. সে এরস বৃক্ষের ন্যায় লাঙ্গুল নাড়ে, তাহার ঊরুদ্বয়ের শিরা সকল যোড়া।
18. उसकी हटि्टयां मानो पीतल की नलियां हैं, उसकी पसुलियां मानो लोेहे के बेंड़े हैं।
18. তাহার অস্থি সকল পিত্তলময় নলের তুল্য, তাহার পঞ্জর লৌহের অর্গলবৎ;
19. वह ईश्वर का मुख्य कार्य है; जो उसका सिरजनहार हो उसके निकट तलवार लेकर आए !
19. ঈশ্বরের কার্য্যের মধ্যে সে অগ্রগণ্য; তাহার নির্ম্মাতা তাহাকে খড়্গ দিয়াছেন।
20. निश्चय पहाड़ों पर उसका चारा मिलता है, जहां और सब वनपशु कालोल करते हैं।
20. পর্ব্বতগণ তাহার খাদ্য যোগায়; সমস্ত বন্য পশুও সেই স্থানে ক্রীড়া করে।
21. वह छतनार वृक्षों के तले नरकटों की आड़ में और कीच पर लेटा करता है
21. সে শয়ন করে পদ্মবনে, নলবনের অন্তরালে, জলাভূমিতে।
22. छतनार वृक्ष उस पर छाया करते हैं, वह नाले के बेंत के वृक्षों से घिरा रहता है।
22. পদ্ম গাছ নিজ ছায়ায় তাহাকে আচ্ছন্ন করে, উপত্যকার বাইশি বৃক্ষ তাহার চারি দিকে থাকে।
23. चाहे नदी की बाढ़ भी हो तौभी वह न घबराएगा, चाहे यरदन भी बढ़कर उसके मुंह तक आए परन्तु वह निर्भय रहेगा।
23. দেখ, নদী উচ্চণ্ড হইলে সে ভয় করে না, যর্দ্দন ছাপিয়া তাহার মুখে আসিয়া পড়িলেও সে সুস্থির থাকে।
24. जब वह चौकस हो तब क्या कोई उसको पकड़ सकेगा, वा फन्दे लगाकर उसको नाथ सकेगा?
24. সে সজাগ থাকিলে কে তাহাকে ধরিতে পারে? রজ্জু দিয়া কে তাহার নাসিকা ফুঁড়িতে পারে?