2 Chronicles - 2 इतिहास 10 | View All

1. रहूबियाम शकेम को गया, क्योंकि सारे इस्राएली उसको राजा बनाने के लिये वहीं गए थे।

1. REHOBOAM WENT to Shechem, for all Israel had gone to Shechem to make him king.

2. और नबात के पुत्रा यारोबाम ने यह सुना (वह तो मिस्र में रहता था, जहां वह सुलैमान राजा के डर के मारे भाग गया था), और यारोबाम मिस्र से लौट आया।

2. Jeroboam the son of Nebat was in Egypt, where he had fled from the presence of King Solomon, when he heard about the new king; so Jeroboam returned from Egypt.

3. तब उन्हों ने उसको बुलवप भेजा; सो यारोबाम और सब इस्राएली आकर रहूबियाम से कहने लगे,

3. And the people sent for him. So Jeroboam and all Israel came to Rehoboam, saying,

4. तेरे पिता ने तो हम लोगों पर भारी जूआ डाल रखा था, इसलिये अब तू अपने पिता की कठिन सेवा को और उस भारी जूए को जिसे उस ने हम पर डाल रखा है कुछ हलका कर, तब हम तेरे अधीन रहेंगे।

4. Your father [King Solomon] made our yoke grievous. So now make lighter the grievous service of your father and his heavy yoke that he put upon us, and we will serve you.

5. उस ने उन से कहा, तीन दिन के उपरान्त मेरे पास फिर आना, तो वे चले गए।

5. Rehoboam replied, Come again to me after three days. And the people departed.

6. तब राजा रहूबियाम ने उन बूढ़ों से जो उसके पिता सुलैमान के जीवन भर उसके साम्हने अपस्थ्ति रहा करते थे, यह कहकर सम्मति ली, कि इस प्रजा को कैसा उत्तर देना उचित है, इस में तुम क्या सम्मति देते हो?

6. King Rehoboam took counsel with the old men who stood before Solomon his father while he was alive, saying, What counsel do you give me in reply to the people?

7. उन्हों ने उसको यह उत्तर दिया, कि यदि तू इस प्रजा के लोगों से अच्छा बर्त्ताव करके उन्हें प्रसन्न करे और उन से मधुर बातें कहे, तो वे सदा तेरे अधीन बने रहेंगे।

7. And they answered him, If you are kind to [these] people and please them and speak good words to them, they will be your servants forever.

8. परन्तु उस ने उस सम्मति को जो बूढ़ों ने उसको दी थी छोड़ दिया और उन जवानों से सम्मति ली, जो उसके संग बड़े हुए थे और उसके सम्मुख उपस्थित रहा करते थे।

8. But the king forsook the counsel which the old men gave him and took counsel with the young men who were brought up with him and stood before him.

9. उन से उस ने पूछा, मैं प्रजा के लोगों को कैसा उत्तर दूं, इस में तुम क्या सम्मति देते हो? उन्हों ने तो मुझ से कहा है, कि जो जूआ तेरे पिता ने हम पर डाल रखा है, उसे तू हलका कर।

9. And he said to them, What answer do you advise that we give to the demand of [these] people, Make the yoke your father put upon us lighter?

10. जवानों ने जो उस के संग बड़े हुए थे उसको यह उत्तर दिया, कि उन लागों ने तुझ से कहा है, कि तेरे पिता ने हमारा जूआ भारी किया था, परन्तु उसे हमारे लिये हलका कर; तू उन से यों कहना, कि मेरी छिंगुलिया मेरे पिता की कटि से भी मोटी ठहरेगी।

10. The young men who were brought up with him said to him, Tell the people who said to you, Your father made our yoke heavy, but you make it lighter: My little finger is thicker than my father's loins.

11. मेरे मिता ने तुम पर जो भारी जूआ रखा था, उसे मैं और भी भारी करूंगा; मेरा पिता तो तूम को कोड़ों से ताड़ना देता था, परन्तु मैं बिच्छुओं से दूंगा।

11. For whereas my father put a heavy yoke upon you, I will add to your yoke. My father chastised you with whips, but I will chastise you with scorpions.

12. तीसरे दिन जैसे राजा ने ठहराया था, कि तीसरे दिन मेरे पास फिर आना, वैसे ही यारोबाम और सारी प्रजा रहूबियाम के पास उपस्थित हुई।

12. The third day Jeroboam and all the people returned to Rehoboam as he had said.

13. तब राजा ने उस से कड़ी बातें कीं, और रहूबियाम राजा ने बूढ़ों की दी हुई सम्मति छोड़कर

13. And the king answered them harshly, forsaking the counsel of the old men,

14. जवानों की सम्मति के अनुसार उन से कहा, मेरे पिता ने तो तुम्हारा जूआ भारी कर दिया, परन्तु मैं उसे और भी कठिन कर दूंगा; मेरे पिता ने तो तुम को कोड़ों से ताड़ना दी, परन्तु मैं बिच्छुओं से ताड़ना दूंगा।

14. And answered them after the advice of the young men, saying, My father made your yoke heavy, but I will add to it; my father chastised you with whips, but I will chastise you with scorpions.

15. इस प्रकार राजा ने प्रजा की बिनती न मानी; इसका कारण यह है, कि जो वचन यहोवा ने शीलोवासी अहिरयाह के द्वारा नबात के पुत्रा यारोबाम से कहा था, उसको पूरा करने के लिये परमेश्वर ने ऐसा ही ठहराया था।

15. So the king did not heed the people, for it was brought about of God, that the Lord might perform His word which He spoke by Ahijah the Shilonite to Jeroboam son of Nebat. [I Kings 11:29-39.]

16. जब सब इस्राएलियों ने देखा कि राजा हमारी नहीं सुनता, तब वे बोले कि दाऊद के साथ हमारा क्या अंश? हमारा तो यिशै के पुत्रा में कोई भाग नहीं है। हे इस्राएलियो, अपने अपने डेरे को चले जाओ। अब हे दाऊद, अपने ही घराने की चिन्ता कर।

16. And when all Israel saw that the king would not listen to and heed them, they answered [him], What portion have we in David? We have no inheritance in the son of Jesse. Every man to your tents, O Israel! Now, David [tribe of Judah], see to your own house [under your tyrant King Rehoboam]! So all Israel went to their homes.

17. तब सब इस्राएली अपने डेरे को चले गए। केवल जितने इस्राएली यहूदा के नगरों में बसे हुए थे, उन्हीं पर रहूबियाम राज्य करता रहा।

17. But as for the Israelites who dwelt in Judah's cities, Rehoboam ruled over them.

18. तब राजा रहूबियाम ने हदोराम को जो सब बेगारों पर अधिकारी था भेज दिया, और इस्राएलियों ने उसको पत्थ्रवाह किया और वह मर गया। तब रहूबियाम फुत से अपने रथ पर चढ़कर, यरूशलेम को भाग गया।

18. Then King Rehoboam sent Hadoram, who was over the forced labor, and the Israelites stoned him and he died. But King Rehoboam hastened to get up to his royal chariot to flee to Jerusalem.

19. यों इस्राएल दाऊद के घराने से फिर गया और आज तक फिरा हुआ है।

19. And Israel has rebelled against the house of David to this day.



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