18. अपने जीते जी अबशालोम ने यह सोचकर कि मेरे नाम का स्मरण करानेवाला कोई पुत्रा मेरे नहीं है, अपने लिये वह लाठ खड़ी कराई थी जो राजा की तराई में है; और लाठ का अपना ही नाम रखा, जो आज के दिन तक अबशालोम की लाठ कहलाती है।
18. Now Absalom had reared up for himself, in his lifetime, a pillar, which is in the king's valley: for he said: I have no son, and this shall be the monument of my name. And he called the pillar by is own name, and it is called the hand of Absalom, to this day.