Genesis - उत्पत्ति 43 | View All

1. और अकाल देश में और भी भयंकर होता गया।

1. And the famine was grievous in the land.

2. जब वह अन्न जो वे मि से ले आए थे समाप्त हो गया तब उनके पिता ने उन से कहा, फिर जाकर हमारे लिये थोड़ी सी भोजनवस्तु मोल ले आओ।

2. And it came to pass, when they had finished eating the grain which they had brought from Egypt, that their father said to them, Go again, buy us a little food.

3. तब यहूदा ने उस से कहा, उस पुरूष ने हम को चितावनी देकर कहा, कि यदि तुम्हारा भाई तुम्हारे संग न आए, तो तुम मेरे सम्मुख न आने पाओगे।

3. And Judah spoke to him, saying, The man did positively testify to us, saying, Ye shall not see my face, unless your brother be with you.

4. इसलिये यदि तू हमारे भाई को हमारे संग भेजे, तब तो हम जाकर तेरे लिये भोजनवस्तु मोल ले आएंगे;

4. If thou wilt send our brother with us, we will go down and buy thee food;

5. परन्तु यदि तू उसको न भेजे, तो हम न जाएंगे : क्योंकि उस पुरूष ने हम से कहा, कि यदि तुम्हारा भाई तुम्हारे संग न हो, तो तुम मेरे सम्मुख न आने पाओगे।

5. but if thou do not send [him], we will not go down, for the man said to us, Ye shall not see my face, unless your brother be with you.

6. तब इस्राएल ने कहा, तुम ने उस पुरूष को यह बताकर कि हमारा एक और भाई है, क्यों मुझ से बुरा बर्ताव किया ?

6. And Israel said, Why did ye deal [so] ill with me [as] to tell the man whether ye had yet a brother?

7. उन्हों ने कहा, जब उस पुरूष ने हमारी और हमारे कुटुम्बियों की दशा को इस रीति पूछा, कि क्या तुम्हारा पिता अब तक जीवित है? क्या तुम्हारे कोई और भाई भी है ? तब हम ने इन प्रश्नों के अनुसार उस से वर्णन किया; फिर हम क्या जानते थे कि वह कहेगा, कि अपने भाई को यहां ले आओ।

7. And they said, The man asked very closely after us, and after our kindred, saying, Is your father yet alive? have ye a brother? And we told him according to the tenor of these words. Could we at all know that he would say, Bring your brother down?

8. फिर यहूदा ने अपने पिता इस्राएल से कहा, उस लड़के को मेरे संग भेज दे, कि हम चले जाएं; इस से हम, और तू, और हमारे बालबच्चे मरने न पाएंगे, वरन जीवित रहेंगे।

8. And Judah said to Israel his father, Send the lad with me, and we will arise and go, that we may live, and not die, both we and thou and our little ones.

9. मैं उसका जामिन होता हूं; मेरे ही हाथ से तू उसको फेर लेना: यदि मैं उसको तेरे पास पहुंचाकर साम्हने न खड़ाकर दूं, तब तो मैं सदा के लिये तेरा अपराधी ठहरूंगा।

9. I will be surety for him: of my hand shalt thou require him; if I bring him not to thee, and set him before thy face, then shall I be guilty toward thee for ever.

10. यदि हम लोग विलम्ब न करते, तो अब तब दूसरी बार लौट आते।

10. For had we not lingered, we should now certainly have returned already twice.

11. तब उनके पिता इस्राएल ने उन से कहा, यदि सचमुच ऐसी ही बात है, तो यह करो; इस देश की उत्तम उत्तम वस्तुओं में से कुछ कुछ अपने बोरों में उस पुरूष के लिये भेंट ले जाओ : जैसे थोड़ा सा बलसान, और थोड़ा सा मधु, और कुछ सुगन्ध द्रव्य, और गन्धरस, पिस्ते, और बादाम।

11. And their father Israel said to them, If it is then so, do this: take of the best fruits in the land in your vessels, and carry down the man a gift: a little balsam and a little honey, tragacanth and ladanum, pistacia-nuts and almonds.

12. फिर अपने अपने साथ दूना रूपया ले जाओ; और जो रूपया तुम्हारे बोरों के मुंह पर रखकर फेर दिया गया था, उसको भी लेते जाओ; कदाचित् यह भूल से हुआ हो।

12. And take other money in your hand, and the money that was returned to you in the mouth of your sacks, carry back in your hand: perhaps it is an oversight.

13. और अपने भाई को भी संग लेकर उस पुरूष के पास फिर जाओ,

13. And take your brother, and arise, go again to the man.

14. और सर्वशक्तिमान ईश्वर उस पुरूष को तुम पर दयालु करेगा, जिस से कि वह तुम्हारे दूसरे भाई को और बिन्यामीन को भी आने दे : और यदि मैं निर्वंश हुआ तो होने दो।

14. And the Almighty *God give you mercy before the man, that he may send away your other brother and Benjamin! And I, if I be bereaved of children, am bereaved.

15. तब उन मनुष्यों ने वह भेंट, और दूना रूपया, और बिन्यामीन को भी संग लिया, और चल दिए और मि में पहुंचकर यूसुफ के साम्हने खड़े हुए।

15. And the men took that gift, and took double money in their hand, and Benjamin, and rose up, and went down to Egypt, and came before Joseph.

16. उनके साथ बिन्यामीन को देखकर यूसुफ ने अपने घर के अधिकारी से कहा, उन मनुष्यों को घर में पहुंचा दो, और पशु मारके भोजन तैयार करो; क्योंकि वे लोग दोपहर को मेरे संग भोजन करेंगे।

16. And Joseph saw Benjamin with them, and said to the [man] who was over his house, Bring the men into the house, and slaughter cattle, and make ready; for the men shall eat with me at noon.

17. तब वह अधिकारी पुरूष यूसुफ के कहने के अनुसार उन पुरूषों को यूसुफ के घर में ले गया।

17. And the man did as Joseph had said; and the man brought the men into Joseph's house.

18. जब वे यूसुफ के घर को पहुंचाए गए तब वे आपस में डरकर कहने लगे, कि जो रूपया पहिली बार हमारे बोरों में फेर दिया गया था, उसी के कारण हम भीतर पहुंचाए गए हैं; जिस से कि वह पुरूष हम पर टूट पड़े, और हमें वंश में करके अपने दास बनाए, और हमारे गदहों को भी छीन ले।

18. And the men were afraid because they were brought into Joseph's house, and said, Because of the money that was returned to us in our sacks at the beginning are we brought in, that he may turn against us, and fall upon us and take us for bondmen, and our asses.

19. तब वे यूसुफ के घर के अधिकारी के निकट जाकर घर के द्वार पर इस प्रकार कहने लगे,

19. And they came up to the man that was over Joseph's house, and they spoke to him at the door of the house,

20. कि हे हमारे प्रभु, जब हम पहिली बार अन्न मोल लेने को आए थे,

20. and said, Ah! my lord, we came indeed down at the first to buy food.

21. तब हम ने सराय में पहुंचकर अपने बोरों को खोला, तो क्या देखा, कि एक एक जन का पूरा पूरा रूपया उसके बोरे के मुंह में रखा है; इसलिये हम उसको अपने साथ फिर लेते आए हैं।

21. And it came to pass when we came to the inn, that we opened our sacks, and behold, [every] man's money was in the mouth of his sack, our money according to its weight; and we have brought it again in our hand.

22. और दूसरा रूपया भी भोजनवस्तु मोल लेने के लिये लाए हैं; हम नहीं जानते कि हमारा रूपया हमारे बोरों में किस ने रख दिया था।

22. And other money have we brought down in our hand to buy food. We do not know who put our money in our sacks.

23. उस ने कहा, तुम्हारा कुशल हो, मत डरो: तुम्हारा परमेश्वर, जो तुम्हारे पिता का भी परमेश्वर है, उसी ने तुम को तुम्हारे बोरों में धन दिया होगा, तुम्हारा रूपया तो मुझ को मिल गया था: फिर उस ने शिमोन को निकालकर उनके संग कर दिया।

23. And he said, Peace be to you, fear not: your God, and the God of your father, has given you treasure in your sacks; your money came to me. And he brought Simeon out to them.

24. तब उस जन ने उन मनुष्यों को यूसुफ के घर में ले जाकर जल दिया, तब उन्हों ने अपने पांवों को धोया; फिर उस ने उनके गदहों के लिये चारा दिया।

24. And the man brought the men into Joseph's house, and gave water, and they washed their feet; and he gave their asses food.

25. तब यह सुनकर, कि आज हम को यहीं भोजन करना होगा, उन्हों ने यूसुफ के आने के समय तक, अर्थात् दोपहर तक, उस भेंट को इकट्ठा कर रखा।

25. And they made ready the gift for Joseph's coming at noon; for they had heard that they should eat bread there.

26. जब यूसुफ घर आया तब वे उस भेंट को , जो उनके हाथ में थी, उसके सम्मुख घर में ले गए, और भूमि पर गिरकर उसको दण्डवत् किया।

26. When Joseph came home, they brought him the gift that was in their hand, into the house, and bowed themselves to him to the earth.

27. उस ने उनका कुशल पूछा, और कहा, क्या तुम्हारा बूढ़ा पिता, जिसकी तुम ने चर्चा की थी, कुशल से है ? क्या वह अब तक जीवित है ?

27. And he asked them of their welfare, and said, Is your father well -- the old man of whom ye spoke? Is he yet alive?

28. उन्हों ने कहा, हां तेरा दास हमारा पिता कुशल से है और अब तक जीवित है; तब उन्हों ने सिर झुकाकर फिर दण्डवत् किया।

28. And they said, Thy servant our father is well; he is yet alive. And they bowed, and made obeisance.

29. तब उस ने आंखे उठाकर और अपने सगे भाई बिन्यामीन को देखकर पूछा, क्या तुम्हारा वह छोटा भाई, जिसकी चर्चा तुम ने मुझ से की थी, यही है ? फिर उस ने कहा, हे मेरे पुत्रा, परमेश्वर तुझ पर अनुग्रह करे।

29. And he lifted up his eyes and saw his brother Benjamin, his mother's son, and said, Is this your younger brother of whom ye spoke to me? And he said, God be gracious to thee, my son!

30. तब अपने भाई के स्नेह से मन भर आने के कारण और यह सोचकर, कि मैं कहां जाकर रोऊं, यूसुफ फुर्ती से अपनी कोठरी में गया, और वहां रो पड़ा।

30. And Joseph made haste, for his bowels burned for his brother; and he sought [a place] to weep, and he went into the chamber, and wept there.

31. फिर अपना मुंह धोकर निकल आया, और अपने को शांत कर कहा, भोजन परोसो।

31. And he washed his face, and came out, and controlled himself, and said, Set on bread.

32. तब उन्हों ने उसके लिये तो अलग, और भाइयों के लिये भी अलग, और जो मिद्दी उसके संग खाते थे, उनके लिये भी अलग, भोजन परोसा; इसलिये कि मिद्दी इब्रियों के साथ भोजन नहीं कर सकते, वरन मिद्दी ऐसा करना घृणा समझते थे।

32. And they set on for him by himself, and for them by themselves, and for the Egyptians who ate with him by themselves; because the Egyptians might not eat bread with the Hebrews, for that is an abomination unto the Egyptians.

33. सो यूसुफ के भाई उसके साम्हने, बड़े बड़े पहिले, और छोटे छोटे पीछे, अपनी अपनी अवस्था के अनुसार, क्रम से बैठाए गए: यह देख वे विस्मित् होकर एक दूसरे की ओर देखने लगे।

33. And they sat before him, the firstborn according to his birthright, and the youngest according to his youth; and the men marvelled one at another.

34. तब यूसुफ अपने साम्हने से भोजन- वस्तुएं उठा उठाके उनके पास भेजने लगा, और बिन्यामीन को अपने भाइयों से पचगुणी अधिक भोजनवस्तु मिली। और उन्हों ने उसके संग मनमाना खाया पिया।

34. And he had portions carried to them from before him. And Benjamin's portion was five times greater than the portions of them all. And they drank, and made merry with him.



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