Deuteronomy - व्यवस्थाविवरण 26 | View All

1. फिर जब तू उस देश में जिसे तेरा परमेश्वर यहोवा तेरा निज भाग करके तुझे देता है पहुंचे, और उसका अधिकारी होकर उन में बस जाए,

1. তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু অধিকারার্থে যে দেশ তোমাকে দিতেছেন, তুমি যখন সেই দেশে প্রবিষ্ট হইয়া তাহা অধিকার করিবে,

2. तब जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है, उसकी भूमि की भांति भांति की जो पहिली उपज तू अपने घर लाएगा, उस में से कुछ टोकरी में लेकर उस स्थान पर जाना, जिसे तेरा परमेश्वर यहोवा अपने नाम का निवास करने को चुन ले।

2. ও তথায় বাস করিবে; তৎকালে তুমি ভূমির যাবতীয় ফলের, তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু যে দেশ তোমাকে দিতেছেন, সেই দেশে উৎপন্ন ফলের অগ্রিমাংশ হইতে কিছু কিছু লইয়া চুপড়িতে করিয়া তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু আপন নামের বাসার্থে যে স্থান মনোনীত করিবেন, সেই স্থানে গমন করিবে।

3. और उन दिनों के याजक के पास जाकर यह कहना, कि मैं आज तेरे परमेश्वर यहोवा के साम्हने निवेदन करता हूं, कि यहोवा ने हम लोगों को जिस देश के देने की हमारे पूर्वजों से शपथ खाई थी उस में मैं आ गया हूं।

3. আর তাৎকালিক যাজকের কাছে গিয়া তাহাকে বলিবে, সদাপ্রভু আমাদিগকে যে দেশ দিতে আমাদের পিতৃপুরুষদের কাছে দিব্য করিয়াছিলেন, সেই দেশে আমি আসিয়াছি; ইহা অদ্য তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর নিকটে নিবেদন করিতেছি।

4. तब याजक तेरे हाथ से वह टोकरी लेकर तेरे परमेश्वर यहोवा की वेदी के साम्हने धर दे।

4. আর যাজক তোমার হস্ত হইতে সেই চুপড়ি লইয়া তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর যজ্ঞবেদির সম্মুখে রাখিবে।

5. तब तू अपने परमेश्वर यहोवा से इस प्रकार कहना, कि मेरा मूलपुरूष एक अरामी मनुष्य था जो मरने पर था; और वह अपने छोटे से परिवार समेत मि को गया, और वहां परदेशी होकर रहा; और वहंा उस से एक बड़ी, और सामर्थी, और बहुत मनुष्यों से भरी हुई जाति उत्पन्न हुई।

5. আর তুমি আপন ঈশ্বর সদাপ্রভুর সম্মুখে এই কথা কহিবে, এক জন নষ্টকল্প অরামীয় আমার পিতৃপুরুষ ছিলেন; তিনি অল্প সংখ্যায় মিসরে নামিয়া গিয়া প্রবাস করিলেন; এবং সে স্থানে মহৎ, পরাক্রান্ত ও বহুপ্রজ জাতি হইয়া উঠিলেন।

6. और मिस्त्रियों ने हम लोगों से बुरा बर्ताव किया, और हमें दु:ख दिया, और हम से कठिन सेवा लीं।

6. পরে মিস্রীয়েরা আমাদের প্রতি দৌরাত্ম্য করিল, আমাদিগকে দুঃখ দিল ও কঠিন দাসত্ব করাইল;

7. परन्तु हम ने अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा की दोहाई दी, और यहोवा ने हमारी सुनकर हमारे दुख- श्रम और अन्धेर पर दृष्टि की;

7. তাহাতে আমরা আপন পিতৃপুরুষদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর কাছে ক্রন্দন করিলাম; আর সদাপ্রভু আমাদের রব শুনিয়া আমাদের কষ্ট, শ্রম ও উপদ্রবের প্রতি দৃষ্টি করিলেন।

8. और यहोवा ने बलवन्त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा से अति भयानक चिन्ह और चमत्कार दिखलाकर हम को मि से निकाल लाया;

8. সদাপ্রভু বলবান্‌ হস্ত, বিস্তারিত বাহু ও মহাভয়ঙ্করতা এবং নানা চিহ্ন ও অদ্ভুত লক্ষণ দ্বারা মিসর হইতে আমাদিগকে বাহির করিয়া আনিলেন।

9. और हमें इस स्थान पर पहुंचाकर यह देश जिस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं हमें दे दिया है।

9. আর তিনি আমাদিগকে এই স্থানে আনিয়াছেন, এবং এই দেশ, দুগ্ধমধুপ্রবাহী দেশ দিয়াছেন।

10. अब हे यहोवा, देख, जो भूमि तू ने मुझे दी है उसकी पहली उपज मैं तेरे पास ले आया हूं।

10. এখন, হে সদাপ্রভু, দেখ, তুমি আমাকে যে ভূমি দিয়াছ, তাহার ফলের অগ্রিমাংশ আমি আনিয়াছি। এই বলিয়া তুমি আপন ঈশ্বর সদাপ্রভুর সম্মুখে তাহা রাখিয়া আপন ঈশ্বর সদাপ্রভুর সম্মুখে প্রণিপাত করিবে।

11. तब तू उसे अपने परमेश्वर यहोवा के साम्हने रखना; और यहोवा को दण्डवत करना;

11. আর তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু তোমাকে ও তোমার পরিবারকে যে যে মঙ্গল দান করিয়াছেন, সেই সকলেতে তুমি ও লেবীয় ও তোমার মধ্যবর্ত্তী বিদেশী, তোমরা সকলে আনন্দ করিবে।

12. और जितने अच्छे पदार्थ तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे और तेरे घराने को दे, उनके कारण तू लेवीयों और अपने मध्य में रहनेवाले परदेशियों सहित आनन्द करना।।

12. তৃতীয় বৎসরে, অর্থাৎ দশমাংশের বৎসরে, তোমার উৎপন্ন দ্রব্যের সমস্ত দশমাংশ পৃথক্‌করণ সমাপ্ত করিলে পর তুমি লেবীয়কে, বিদেশীকে, পিতৃহীনকে ও বিধবাকে তাহা দিবে, তাহাতে তাহারা তোমার নগরদ্বারের মধ্যে ভোজন করিয়া তৃপ্ত হইবে।

13. और तू अपने परमेश्वर यहोवा से कहना, कि मैं ने तेरी सब आज्ञाओं के अनुसार पवित्रा ठहराई हुई वस्तुओं को अपने घर से निकाला, और लेवीय, परदेशी, अनाथ, और विधवा को दे दिया है; तेरी किसी आज्ञा को मैं ने न तो टाला है, और न भूला है।

13. পরে তুমি আপন ঈশ্বর সদাপ্রভুর সম্মুখে এই কথা কহিবে, তোমার আজ্ঞাপিত সমস্ত বাক্যানুসারে আমি আপন গৃহ হইতে পবিত্র বস্তু বাহির করিয়া লেবীয়কে, বিদেশীকে, পিতৃহীনকে ও বিধবাকে দিয়াছি; তোমার কোন আজ্ঞা লঙ্ঘন করি নাই ও ভুলিয়া যাই নাই;

14. उन वस्तुओं में से मैं ने शोक के समय नहीं खाया, और न उन में से कोई वस्तु अशुद्धता की दशा में घर से निकाली, और न कुछ शोक करनेवालों को दिया; मैं ने अपने परमेश्वर यहोवा की सुन ली, मैं ने तेरी सब आज्ञाओं के अनुसार किया है।

14. আমার শোকের সময় আমি তাহার কিছুই ভোজন করি নাই, অশুচি অবস্থায় তাহার কিছুই বাহির করি নাই, এবং মৃত লোকের উদ্দেশে তাহার কিছুই দিই নাই, আমি আপন ঈশ্বর সদাপ্রভুর রবে কর্ণপাত করিয়াছি; তোমার আজ্ঞানুসারেই সমস্ত কর্ম্ম করিয়াছি।

15. तू स्वर्ग में से जो तेरा पवित्रा धाम है दृष्टि करके अपनी प्रजा इस्राएल को आशीष दे, और इस दूध और मधु की धाराओं के देश की भूमि पर आशीष दे, जिसे तू ने हमारे पूर्वजों से खाई हुई शपथ के अनुसार हमें दिया है।

15. তুমি আপন পবিত্র নিবাস হইতে, স্বর্গ হইতে, দৃষ্টিপাত কর, তোমার প্রজা ইস্রায়েলকে আশীর্ব্বাদ কর, এবং আমাদের পিতৃপুরুষদের কাছে কৃত তোমার দিব্যানুসারে যে ভূমি আমাদিগকে দিয়াছ, সেই দুগ্ধমধুপ্রবাহী দেশকেও আশীর্ব্বাদ কর।

16. आज के दिन तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को इन्हीं विधियों और नियमों के मानने की आज्ञा देता है; इसलिये अपने सारे मन और सारे प्राण से इनके मानने में चौकसी करना।

16. এই সকল বিধি ও শাসন পালন করিতে অদ্য তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু তোমাকে আজ্ঞা করিতেছেন, তুমি যত্নপূর্ব্বক তোমার সমস্ত হৃদয় ও তোমার সমস্ত প্রাণের সহিত এ সমস্ত রক্ষা ও পালন করিবে।

17. तू ने तो आज यहोवा को अपना परमेश्वर मानकर यह वचन दिया है, कि मैं तेरे बनाए हुए मार्गों पर चलूंगा, और तेरी विधियों, आज्ञाओं, और नियमों को माना करूंगा, और तेरी सुना करूंगा।

17. অদ্য তুমি এই অঙ্গীকার করিয়াছ যে, সদাপ্রভুই তোমার ঈশ্বর হইবেন, এবং তুমি তাঁহার পথে চলিবে, তাঁহার বিধি, তাঁহার আজ্ঞা ও তাঁহার শাসন সকল পালন করিবে, এবং তাঁহার রবে কর্ণপাত করিবে।

18. और यहोवा ने भी आज तुझ को अपने वचन के अनुसार अपना प्रजारूपी निज धन सम्पत्ति माना है, कि तू उसकी सब आज्ञाओं को माना करे,

18. আর অদ্য সদাপ্রভুও এই অঙ্গীকার করিয়াছেন যে, তাঁহার প্রতিজ্ঞানুসারে তুমি তাঁহার নিজস্ব প্রজা হইবে ও তাঁহার সমস্ত আজ্ঞা পালন করিবে;

19. और कि वह अपनी बनाई हुई सब जातियों से अधिक प्रशंसा, नाम, और शोभा के विषय में तुझ को प्रतिष्ठित करे, और तू उसके वचन के अनुसार अपने परमेश्वर यहोवा की पवित्रा प्रजा बना रहे।

19. আর তিনি আপনার রচিত সমস্ত জাতি অপেক্ষা তোমাকে শ্রেষ্ঠ করিয়া প্রশংসা, কীর্ত্তি ও মর্য্যাদাস্বরূপ করিবেন, এবং তিনি যেমন বলিয়াছেন, তদনুসারে তুমি আপন ঈশ্বর সদাপ্রভুর উদ্দেশে পবিত্র প্রজা হইবে।



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