Ezekiel - यहेजकेल 14 | View All

1. फिर इस्राएल के कितने पुरनिये मेरे पास आकर मेरे साम्हने बैठ गए।

1. There resorted unto me certain of the elders of Israel, and sat down by me.

2. तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

2. Then came the word of the LORD unto me, saying:

3. हे मनुष्य के सन्तान, इन पुरूषों ने तो अपनी मूरतें अपने मन में स्थापित कीं, और अपने अधर्म की ठोकर अपने साम्हने रखी है; फिर क्या वे मुझ से कुछ भी पूछने पाएंगे?

3. Thou son of man, these men bear their idols in their hearts, and go purposely upon the stumbling block of their own wickedness: how dare they then ask counsel at me?

4. सो तू उन से कह, प्रभु यहोवा यों कहता है, कि इस्राएल के घराने में से जो कोई अपनी मूरतें अपने मन में स्थापित करके, और अपने अधर्म की ठोकर अपने साम्हने रखकर भविष्यद्वक्ता के पास आए, उसको, मैं यहोवा, उसकी बहुत सी मूरतों के अनुसार ही उत्तर दूंगा,

4. Therefore speak unto them, and say: thus sayeth the Lord GOD:(LORDE God) Every man of the house of Israel that beareth his Idols in his heart, purposing to stumble in his own wickedness, and cometh to a prophet, to enquire anything at me by him: unto that man will I the LORD myself give answer, according to the multitude of his idols:

5. जिस से इस्राएल का घराना, जो अपनी मूरतों के द्वारा मुझे त्यागकर दूर हो गया है, उन्हें मैं उन्हीं के मन के द्वारा फंसाऊंगा।

5. that the house of Israel may be snared in their own hearts, because they be clean gone from me, for their Idols' sakes.

6. सो इस्राएल के घराने से कह, प्रभु यहोवा यों कहता हे, फिरो और अपनी मूरतों को पीठ के पीछे करो; और अपने सब घृणित कामों से मुंह मोड़ो।

6. Wherefore, tell the house of Israel: thus sayeth the Lord GOD:(LORDE God) Be converted, forsake your idols, and turn your faces from all your abominations.

7. क्योंकि इस्राएल के घराने में से और उसके बीच रहनेवाले परदेशियों में से भी कोई क्यों न हो, जो मेरे पीछे हो लेना छोड़कर अपनी मूरतें अपने मन में स्थापित करे, और अपने अधर्म की ठोकर अपने साम्हने रखे, और तब मुझ से अपनी कोई बात पूछने के लिये भविष्यद्वक्ता के पास आए, तो उसको, मैं यहोवा आप ही उत्तर दूंगा।

7. For every man, (whether he be of the house of Israel or a stranger, that sojourneth in Israel) which departeth from me, and carrieth idols in his heart, purposing to go still stumbling in his own wickedness, and cometh to a Prophet, for to ask counsel at me thorow him: unto that man will I the LORD give answer, by mine own self.

8. और मैं उस मनुष्य के विरूद्ध होकर उसको विस्मित करूंगा, और चिन्ह ठहराऊंगा; और उसकी कहावत चनाऊंगा और उसे अपनी प्रजा में से नाश करूंगा; तब तुम लोग जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।

8. I will set my face against that man. And will make him to be an example for other, yea and a common byword: and will root him out of my people, that he may know, how that I am the LORD.

9. और यदि भविष्यद्वक्ता ने धोखा खाकर कोई वचन कहा हो, तो जानो कि मुझ यहोवा ने उस भविष्यद्वक्ता को धोखा दिया है; और मैं अपना हाथ उसके विरूद्ध बढ़ाकर उसे अपनी प्रजा इस्राएल में से नाश करूंगा।

9. And if that Prophet be deceived, when he telleth him a word: then I the LORD myself have deceived that Prophet, and will stretch forth mine hand upon him, to root him out of my people of Israel:

10. वे सब लोग अपने अपने अधर्म का बोझ उठाएंगे, अर्थात् जैसा भविष्यद्वक्ता से पूछनेवाले का अधर्म ठहरेगा, वैसा ही भविष्यद्वक्ता का भी अधर्म ठहरेगा।

10. and they both shall be punished for their wickedness. According to the sin of him that asketh, shall the sin of the Prophet be:

11. ताकि इस्राएल का घराना आगे को मेरे पीछे हो लेना न छोड़े और न अपने भांति भांति के अपराधों के द्वारा आगे को अशुठ्ठ बने; वरन वे मेरी प्रजा बनें और मैं उनका परमेश्वर ठहरूं, प्रभु यहोवा की यही आणी है।

11. that the house of Israel be led no more from me thorow error, and be no more defiled in their wickedness: but that they may be my people, and I their God, sayeth the Lord GOD.(LORDE God)

12. और यहोवा का यह वचन मेरे पास महुंचा,

12. And the word of the LORD came unto me, saying:

13. हे मनुष्य के सन्तान, जब किसी देश के लोग मुझ से विश्वासघात करके पापी हो जाएं, और मैं अपना हाथ उस देश के विरूद्ध बढ़ाकर उसका अन्नरूपी आधार दूर करूं, और उस में अकाल डालकर उस में से मनुष्य और पशु दोनों को नाश करूं,

13. Thou son of man, when the land sinneth against me, and goeth forth in wickedness: I will stretch out mine hand upon it, and destroy all the provision of their bread, and send dearth upon them, to destroy man and beast in the land.

14. तब चाहे उस में नूह, दानिरयेल और अरयूब ये तीनों पुरूष हों, तौभी वे अपने धर्म के द्वारा केवल अपने ही प्राणों को बचा सकेंगे; प्रभु यहोवा की यही वाणी हे।

14. And though Noe, Daniel and Job these three men were among them, yet shall they in their righteousness deliver but their own souls, sayeth the Lord GOD.(LORDE God)

15. यदि मैं किसी देश में दुष्ट जन्तु भेजूं जो उसको निर्जन करके उजाड़ कर डालें, और जन्तुओं के कारण कोई उस में होकर न जाएं,

15. If I bring noisome beasts into the land, to waste it up, and it be so desolate, that no man may go therein for beasts:

16. तो चाहे उसे में वे तीन पुरूष हों, तौभी प्रभु यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, न वे पुत्रों को ओर न पुत्रियों को बचा सकेंगे; वे ही अकेले बचेंगे; परन्तु देश उजाड़ हो जाएगा।

16. if these three men also were in the land, as truly as I live, (sayeth the Lord GOD)(LORDE God) they shall save neither sons nor daughters, but be only delivered themselves: and as for the land, it shall be waste.

17. और यदि मैं उस देश पर तलवार खीचकर कहूं, हे तलवार उस देश में चल; और इस रीति मैं उस में से मनुष्य और पशु नाश करूं,

17. Or if I bring a sword into the land, and charge it to go thorow the land: so that, I slay down man and beast in it,

18. तब चाहे उस में वे तीन पुरूष भी हों, तौभी प्रभु यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, न तो वे पुत्रों को और न पुत्रियों को बचा सकेंगे, वे ही अकेले बचेंगे।

18. and if these three men were therein: As truly as I live, (sayeth the Lord GOD) they shall deliver neither sons nor daughters, but only be saved themselves.

19. यदि मैं उस देश में मरी फैलाऊं और उस पर अपनी जलजलाहट भड़काकर उसका लोहू ऐसा बहाऊं कि वहां के मनुष्य और पशु दोनों नाश हों,

19. If I send a pestilence into the land, and pour out my sore indignation upon it in blood, so that I root out of it both man and beast,

20. तो चाहे नूह, दानिरयेल और अरयूब भी उस में हों, तौभी, प्रभु यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, वे न पुत्रों को और न पुत्रियों को बचा सकेंगे, अपने धर्म के द्वारा वे केवल अपने ही प्राणों को बचा सकेंगे।

20. and if Noe, Daniel and Job, were therein: as truly as I live, (sayeth the Lord GOD)(LORDE God) they shall deliver neither sons nor daughters, but save their own souls in their righteousness.

21. क्योंकि प्रभु यहोवा यों कहता है, मैं यरूशलेम पर अपने चारों दण्ड पहुंचाऊंगा, अर्थात् तलवार, अकाल, दुष्ट जन्तु और मरी, जिन से मनुष्य और पशु सब उस में से नाश हों।
प्रकाशितवाक्य 6:8

21. Moreover, thus sayeth the Lord GOD:(LORDE God) Though I send my four troublous plagues upon Jerusalem: the sword, hunger, perilous beasts, and pestilence, to destroy man and beast out of it:

22. तौभी उस में थोड़े से पुत्रा- पुत्रियां बचेंगी जो वहां से निकालकर तुम्हारे पास पहुंचाई जाएंगी, और तुम उनके चालचलन और कामों को देखकर उस विपत्ति के विषय में जो मैं यरूशलेम पर डालूंगा, वरन जितनी विपत्ति मैं उस पर डालूंगा, उस सब के विषय में शान्ति पाओगे।

22. yet shall there be a remnant saved therein, which shall bring forth their sons and daughters. Behold, they shall come forth unto you, and ye shall see their way, and what they take in hand, and ye shall be comforted, as touching all the plagues that I have brought upon Jerusalem,

23. जब तुम उनका चालचलन और काम देखो, तब वे तुम्हारी शान्ति के कारण होंगे; और तुम जान लोगे कि मैं ने यरूशलेम में जो कुछ किया, वह बिना कारण नहीं किया, प्रभु यहोवा की यही वाणी हैं

23. they shall comfort you, when ye see their way and works: and ye shall know, how that it is not without a cause, that I have done so against Jerusalem, as I did, sayeth the Lord GOD.(LORDE God)



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