Isaiah - यशायाह 65 | View All

1. जो मुझ को पूछते भी न थे वे मेरे खोजी हैं; जो मुझे ढूंढ़ते भी न थे उन्हों ने मुझे पा लिया, और जो जाति मेरी नहीं कहलाई थी, उस से भी मैं कहता हूं, देख, मैं उपस्थित हूं।
रोमियों 10:20-21

1. I was sought of [those that] did not ask [for me]; I was found of [those that] did not seek me; I said, Here I am, Here I am, unto a people [that] did not invoke my name.

2. मैं एक हठीली जाति के लोगों की ओर दिन भर हाथ फैलाए रहा, जो अपनी युक्तियों के अनुसार बुरे मार्गों में चलते हैं।
रोमियों 10:20-21

2. I have spread out my hands all the day unto a rebellious people, who walk in a way [that was] not good, after their own thoughts;

3. ऐसे लो, जो मेरे साम्हने ही बारियों में बलि चढ़ा चढ़ाकर और ईंटों पर धूप जला जलाकर, मुझे लगातार क्रोध दिलाते हैं।

3. a people that provokes me to anger continually to my face; that sacrifices in gardens, and burns incense upon altars of brick;

4. ये कब्र के बीच बैठते और छिपे हुए स्थानों में रात बिताते; जो सूअर का मांस खाते, और घृणित वस्तुओं का रस अपने बर्तनों में रखते;

4. who remain [asleep] among the graves, and lodge in the deserts, who eat swine's flesh, and broth of abominable [things is in] their vessels;

5. जो कहते हैं, हट जा, मेरे निकट मत आ, क्योंकि मैं तुझ से पवित्रा हूं। ये मेरी नाक में धूंएं व उस आग के समान हैं जो दिन भर जलती रहती है।

5. who say, Stand by thyself, do not come near to me; for I am holier than thou. These [are] a smoke in my nose, a fire that burns all the day.

6. देखो, यह बात मेरे साम्हने लिखी हुई है: मैं चुप न रहूंगा, मैं निश्चय बदला दूंगा वरन तुम्हारे और तुम्हारे पुरखाओं के भी अधर्म के कामों का बदला तुम्हारी गोद में भर दूंगा।

6. Behold, [it is] written before me: I will not keep silence but will recompense, even recompense into their bosom,

7. क्योंकि उन्हों ने पहाड़ों पर धूप जलाया और पहाड़ियों पर मेरी निन्दा की है, इसलिये मैं यहोवा कहता हूं, कि, उनके पिछले कामों के बदले को मैं इनकी गोद में तौलकर दूंगा।।

7. For your iniquities, and the iniquities of your fathers together, saith the LORD, who have burned incense upon the mountains and blasphemed me upon the hills; therefore, I will measure their former work into their bosom.

8. यहोवा यों कहता है, जिस भांति दाख के किसी गुच्छे में जब नया दाखमधु भर आता है, तब लोग कहते हैं, उसे नाश मत कर, क्योंकि उस में आशीष है; उसी भांति मैं अपने दासों के निमित्त ऐसा करूंगा कि सभों को नाश न करूंगा।

8. Thus has the LORD said, As when [one] has found new wine in a cluster and says, Do not destroy it; for a blessing [is] in it; so will I do for my servants' sakes, that I may not destroy them all.

9. मैं याकूब में से एक वंश, और यहूदा में से अपने पर्वतों का एक वारिस उत्पन्न करूंगा; मेरे चुने हुए उसके वारिस होंगे, और मेरे दास वहां निवास करेंगे।

9. And I will bring forth a seed out of Jacob and out of Judah an inheritor of my mountains; and my elect shall possess the land for an inheritance, and my servants shall dwell there.

10. मेरी प्रजा जो मुझे ढूंढ़ती है, उसकी भेंड़- बकरियां तो शारोन में चरेंगी, और उसके गाय- बैल आकोर नाम तराई में विश्राम करेंगे।

10. And Sharon shall be for a fold of flocks and the valley of Achor a place for the herds to lie down in, for my people that have sought me.

11. परन्तु तुम जो यहोवा को त्याग देते और मेरे पवित्रा पर्वत को भूल जाते हो, जो भाग्य देवता के लिये मेंज पर भोजन की वस्तुएं सजाते और भावी देवी के लिये मसाला मिला हुआ दाखमधु भर देते हो;

11. But ye that forsake the LORD, that forget the mountain of my holiness, that prepare a table unto fortune, and that furnish the drink offering for destiny;

12. मैं तुम्हें गिन गिनकर तलवार का कौर बनाऊंगा, और तुम सब घात होने के लिये झुकोगे; क्योंकि, जब मैं ने तुम्हें बुलाया तुम ने उत्तर न दिया, जब मैं बोला, तब तुम ने मेरी न सुनी; वरन जो मुझे बुरा लगता है वही तुम ने नित किया, और जिस से मैं अप्रसन्न होता हूं, उसी को तुम ने अपनाया।।

12. I also will destine you to the sword, and ye shall all bow down to the slaughter because when I called, ye did not respond; I spoke, and ye did not hear, but did evil before my eyes and did choose that which displeased [me].

13. इस कारण प्रभु यहोवा यों कहता है, देखो, मेरे दास तो खाएंगे, पर तुम भूखे रहोगे; मेरे दास पीएंगे, पर तुम प्यासे रहोगे; मेरे दास आनन्द करेंगे, पर तुम लज्जित होगे;

13. Therefore thus has the Lord GOD said, Behold, my servants shall eat, but ye shall be hungry; behold, my servants shall drink, but ye shall be thirsty; behold, my servants shall rejoice, but ye shall be ashamed:

14. देखो, मेरे दास हर्ष के मारे जयजयकार करेंगे, परन्तु तुम शोक से चिल्लाओगे और खेद के मारे हाय हाय, करोगे।

14. Behold, my servants shall rejoice by the joy of [their] heart, but ye shall cry for the sorrow of [your] heart and shall howl for the destruction of spirit.

15. मेरे चुने हुए लोग तुम्हारी उपमा दे देकर शाप देंगे, और प्रभु यहोवा तुझ को नाश करेगा; परन्तु अपने दासों का दूसरा नाम रखेगा।
प्रकाशितवाक्य 2:17, प्रकाशितवाक्य 3:12

15. And ye shall leave your name for a curse unto my chosen; for the Lord GOD shall slay thee and call his servants by another name.

16. तब सारे देश में जो कोई अपने को धन्य कहेगा वह सच्चे परमेश्वर का नाम लेकर अपने को धन्य कहेगा, और जो कोई देश में शपथ खाए वह सच्चे परमेश्वर के नाम से शपथ खाएगा; क्योंकि पिछला कष्ट दूर हो गया और वह मेरी आंखों से छिप गया है।।

16. He who blesses himself in the earth shall bless himself in the God of truth; and he that swears in the earth shall swear by the God of truth because the former troubles shall be forgotten and shall be covered from my eyes.

17. क्योंकि देखो, मैं नया आकाश और नई पृथ्वी उत्पन्न करने पर हूं, और पहिली बातें स्मरण न रहेंगी और सोच विचार में भी न आएंगी।
2 पतरस 3:13, प्रकाशितवाक्य 21:1-4

17. For, behold, I create new heavens and a new earth; and the former shall not be remembered, nor come into mind.

18. इसलिये जो मैं उत्पन्न करने पर हूं, उसके कारण तुम हर्षित हो और सदा सर्वदा मगन रहो; क्योंकि देखो, मैं यरूशलेम को मगन और उसकी प्रजा को आनन्दित बनाऊंगा।

18. But ye shall be glad and rejoice from age to age in the things which I shall create; for, behold, I create joy unto Jerusalem and unto her people joy.

19. मैं आप यरूशलेम के कारण मगन, और अपनी प्रजा के हेतु हर्षित हूंगा; उस में फिर रोने वा चिल्लाने का शब्द न सुनाई पड़ेगा।
प्रकाशितवाक्य 21:4

19. And I will be glad with Jerusalem and rejoice with my people: and the voice of weeping shall no longer be heard in her, nor the voice of crying.

20. उस में फिर न तो थोड़े दिन का बच्चा, और न ऐसा बूढ़ा जाता रहेगा जिस ने अपनी आयु पूरी न की हो; क्योंकि जो लड़कपन में मरनेवाला है वह सौ वर्ष का होकर मरेगा, परन्तु पापी सौ वर्ष का होकर श्रापित ठहरेगा।

20. There shall no longer be there an infant of days, nor an old man that has not filled his days for the child shall die one hundred years old; and he who sins at one hundred years of age shall be accursed.

21. वे घर बनाकर उन में बसेंगे; वे दाख की बारियां लगाकर उनका फल खाएंगे।

21. And they shall build houses and inhabit [them]; and they shall plant vineyards and eat the fruit of them.

22. ऐसा नहीं होगा कि वे बनाएं और दूसरा बसे; वा वे लगाएं, और दूसरा खाए; क्योंकि मेरी प्रजा की आयु वृक्षों की सी होगी, और मेरे चुने हुए अपने कामों का पूरा लाभ उठाएंगे।

22. They shall not build, and another inhabit; they shall not plant, and another eat: for as the days of the trees shall be the days of my people, and my elect shall perpetuate the work of their hands.

23. उनका परिश्रम व्यर्थ न होगा, न उनके बालक घबराहट के लिये उत्पन्न होंगे; क्योंकि वे यहोवा के धन्य लोगों का वंश ठहरेंगे, और उनके बालबच्चे उन से अलग न होंगे।
फिलिप्पियों 2:16

23. They shall not labour in vain, nor give birth with fear; for their [births] are the seed of the blessed of the LORD, and their offspring shall be with them.

24. उनके पुकारने से पहिले ही मैं उनको उत्तर दूंगा, और उनके मांगते ही मैं उनकी सुन लूंगा।

24. And it shall come to pass, that before they call, I will answer; and while they are yet speaking, I will hear.

25. भेड़िया और मेम्ना एक संग चरा करेंगे, और सिंह बैल की नाई भूसा खाएगा; और सर्प का आहार मिट्टी ही रहेगा। मेरे सारे पवित्रा पर्वत पर न तो कोई किसी को दु:ख देगा और न कोई किसी की हानि करेगा, यहोवा का यही वचन है।।

25. The wolf and the lamb shall be fed together, and the lion shall eat straw like the ox; and dust [shall be] the serpent's food. They shall not afflict nor do evil in all my holy mountain, said the LORD.:



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